मार्जिन स्तर क्या है?
Margin मीनिंग : Meaning of Margin in Hindi - Definition and Translation
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MARGIN MEANING IN HINDI - EXACT MATCHES
Usage : Leave wide margins.
उदाहरण : जब कोई वस्तु किश्तों में खरीदी जाए तो उस पर लगाए जाने वाली अतिरिक्त राशि।
उदाहरण : नाकारापन की हद- लड़का: मम्मी एक ग्लास पानी देना. मां: खुद ले लो. लड़का: प्लीज दे दो ना. मां: अब मांगा ना तो थप्पड़ दूंगी. लड़का: ओके, जब थप्पड़ मारने आओगी तो पानी लेते आना !
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Usage : These are marginal points and can be discussed later.
उदाहरण : परंतु ऐसे अवसर बहुत कम और कभी-कभार होने चाहिए।
Usage : the book was covered with marginalia.
उदाहरण : पुस्तक को पार्श्व-टिप्पणी के साथ आवृत किया गया था|
Usage : The focus is mainly on marginalised and assetless women, female - headed households and women of other dispossessed groups.
Definition of Margin
- the boundary line or the area immediately inside the boundary
- an amount beyond the minimum necessary; "the margin of victory"
- the amount of collateral a customer deposits with a broker when borrowing from the broker to buy securities
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उत्तोलन: उत्तोलन के उपयोग को समझना
उत्तोलन एक वित्तीय शब्द है जिसमें चीजों को खरीदने के लिए धन उधार लेना शामिल है, यह अनुमान लगाते हुए कि भविष्य के लाभ उधार लेने की लागत को कवर करेंगे। पैसा एक निवेश के रिटर्न को अधिकतम करने, अतिरिक्त संपत्ति हासिल करने या कंपनी के लिए धन जुटाने के लिए उधार लिया जाता है। जब किसी कंपनी या व्यक्तिगत व्यवसाय को अत्यधिक लीवरेज्ड कहा जाता है, तो इसका मतलब है कि उन पर ऋण इक्विटी से अधिक है। लीवरेज निवेशकों को किसी भी संपत्ति, फर्म या कंपनी में निवेश करने से पहले सही निर्णय लेने में मदद करता है।
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लेवरेज और पे-ऑफ (Leverage & Payoff)
पिछले अध्याय में TCS के उदाहरण से हमने सीखा कि फ्यूचर ट्रेडिंग कैसे काम करती है। उस उदाहरण में हमने इस उम्मीद पर TCS के शेयर खरीदे थे कि आगे जा कर उनकी कीमत बढ़ेगी। लेकिन कॉन्ट्रैक्ट करने के अगले ही दिन हमने मुनाफे के लिए उस पोजीशन को स्क्वेयर ऑफ कर दिया था।
वहां पर हमने एक सवाल भी पूछा था। सवाल यह था कि मैंने फ्यूचर्स में वह सौदा करने का फैसला क्यों किया और TCS का शेयर स्पॉट बाजार में क्यों नहीं खरीदा?
आपको पता ही है कि फ्यूचर ट्रेड करते समय हम एक शेयर के लिए एक निश्चित समय के लिए एग्रीमेंट करते हैं। अगर उस समय अवधि में आपकी राय सही नहीं निकली और शेयर की कीमत उल्टी दिशा में चली गई तो आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है जबकि स्पॉट बाजार में आप सीधे शेयर खरीदकर उसको अपने डीमैट अकाउंट में रख सकते हैं। वहां पर समय की कोई सीमा नहीं होती और ना ही किसी एग्रीमेंट को पूरा करने का कोई दबाव होता है। तो फिर स्पॉट बाजार के बजाय फ्यूचर बाजार में शेयर क्यों खरीदा जाए?
इन सवालों मार्जिन स्तर क्या है? का जवाब है फाइनेंशियल लेवरेज जो कि फाइनेंशियल डेरिवेटिव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आपको पता ही है कि फ्यूचर भी फाइनेंशियल डेरिवेटिव का ही एक हिस्सा है।
लेवरेज वित्तीय कारोबार की एक नई पद्धति है। लेवरेज का इस्तेमाल करके काफी संपत्ति बनाई जा सकती है। आइए देखते हैं कि लेवरेज क्या होता है।
4.2- लेवरेज क्या है?
हम अपनी जिंदगी के बहुत सारे हिस्सों में लेवरेज का इस्तेमाल करते हैं लेकिन उस समय हम यह नहीं जानते कि यह लेवरेज है। खासकर जब इसे आंकड़ों के नजरिए से नहीं देखा जाए तो इसे समझना थोड़ा मुश्किल भी होता है।
इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मेरा एक दोस्त रियल स्टेट का कारोबार करता है। फ्लैट, बिल्डिंग और ऐसी तमाम चीजें खरीदता है, कुछ समय उन्हें अपने पास रखता है और बाद में मुनाफे पर बेच देता है।
पिछले दिनों यानी नवंबर 2013 में उसने एक फ्लैट खरीदा। यह फ्लैट उसने बेंगलुरु के एक मशहूर बिल्डर – प्रेस्टीज बिल्डर से खरीदा। प्रेस्टीज बिल्डर ने दक्षिण बेंगलुरू के एक हिस्से में एक लग्जरी अपार्टमेंट बनाने का ऐलान किया था। यह फ्लैट इसी में 9वें फ्लोर पर था। दो बेडरूम के इस फ्लैट की कीमत थी 10 , 000 ,000 रुपए। इस प्रोजेक्ट की बस अभी घोषणा ही हुई थी। इसे 2018 में पूरा होना था। इस पर कोई काम भी नहीं शुरू हुआ था। इसलिए खरीदार को सिर्फ 10% बुकिंग अमाउंट देना था बाकी 90% पैसा काम शुरू होने के बाद दिया जाना था।
यानी नवंबर 2013 में उसे ₹10 , 000 , 000 का 10% यानी सिर्फ ₹10 , 00 , 000 ही निवेश करना था और उसे 10 , 000 , 000 रुपए का फ्लैट मिल रहा था। वह अपार्टमेंट इतनी ज्यादा तेजी से बिका कि 2 महीने में ही सारे फ्लैट बिक गए।
1 साल बाद यानी दिसंबर 2014 में मेरे दोस्त को उस फ्लैट के लिए खरीदार मिला। उस समय तक उस इलाके में फ्लैट की कीमत 25% बढ़ चुकी थी यानी मेरे दोस्त को अब उस फ्लैट की कीमत 12 , 500 , 000 तक पहुंच चुकी थी। मेरे दोस्त ने 12 , 500 , 000 पर वह फ्लैट बेच दिया। जरा एक नजर डालिए इस सौदे पर।
व्याख्या | |
---|---|
अपार्टमेंट की शुरूआती कीमत | Rs. 10,000,000/- |
खरीद की तारीख | नवंबर 2013 |
शुरूआती निवेश @ अपार्टमेंट की कीमत का 10% | Rs.10,00,000/- |
बिल्डर का बचा हुआ भुगतान | Rs.90,00,000/- |
अपार्टमेंट की कीमत में बढ़ोत्तरी | 25% |
दिसंबर 2014 में अपार्टमेंट की कीमत | Rs.12,500,000/- |
नए खरीदार ने बिल्डर को भुगतान किया | Rs.90,00,000/- |
खरीदार ने मेरे दोस्त को दिया | 12,500,000 – 9000000 = Rs.35,00,000/- |
मेरे दोस्त का मुनाफा | Rs.35,00,000/- – Rs.10,00,000/- = Rs.25,00,000/- |
रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट | 25,00,000 / 10,00,000 = 250% |
इस सौदे में खास क्या है
- सिर्फ 10% रकम होने के बावजूद मेरा दोस्त एक बहुत बड़ा सौदा कर सका।
- उसने इस सौदे के लिए कुल कीमत का 10% रकम ही अदा की।
- उसने जो 10 , 00 , 000 रुपए दिए उसे आप फ्यूचर एग्रीमेंट में दिए जाने वाले मार्जिन अमाउंट या टोकन मनी के तौर पर देख सकते हैं।
- एसेट की कीमत में आया थोड़ा सा भी बदलाव रिटर्न को कई गुना बढ़ा देता है।
- इस मामले में एसेट की कीमत में 25% बदलाव से रिटर्न 250 गुना बढ़ गया।
- इस तरह के सौदों को लेवरेज ट्रांजैक्शन या लेवरेज सौदा कहते हैं
आप इस उदाहरण को अच्छे से समझ लीजिए क्योंकि फ्यूचर सौदों में ऐसा ही होता है। फ्यूचर्स के सारे सौदे लेवरेज होते हैं। इस उदाहरण पर नजर रखते हुए अब हम एक बार फिर से TCS के उदाहरण पर लौटते हैं।
4.3 लेवरेज सौदे
फ्यूचर्स ट्रेडिंग के TCS वाले उदाहरण की कुछ मार्जिन स्तर क्या है? जानकारियों पर फिर से नजर डालते हैं। आसानी के लिए हम यह मान लेते हैं कि TCS का सौदा 15 दिसंबर को ₹2362 प्रति शेयर पर हुआ और स्क्वेयर ऑफ करने का मौका 23 दिसंबर 2014 को ₹2519 प्रति शेयर पर आया। यह भी मान लेते हैं कि फ्यूचर और स्पॉट कीमत में कोई अंतर नहीं है।
नए मार्जिन नियम: पूंजी बाजार को मजबूत करने में मदद मिलेगी
मुंबई- – ग्राहक स्तर पर कोलैटरल के निगरानी और वर्गीकरण के मामले में सेबी (सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) के सर्कुलर को 2 मई 2022 से लागू कर दिया गया है। एंजेल वन के सीईओ नारायण गंगाधर ने बताया कि यह विनियमन निवेशकों, विशेष रूप से खुदरा प्रतिभागियों के हितों को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया एक और महत्वपूर्ण कदम है, जिससे पूंजी बाजार को मजबूत करने में मदद मिलती है।
इससे पहले ब्रोकर्स या मध्यस्थों को ग्राहकों से मार्जिन जमा करने और फिर एक्सचेंजों के साथ समेकित स्तर पर कोलैटरल जमा करने की आवश्यकता होती थी। ग्राहक स्तर पर वर्गीकरण किए बिना कोई भी ट्रेडिंग करने वाला सदस्य या ब्रोकर स्तर का कोई भी व्यक्ति यह काम कर सकता था, जहां कुल कोलैटरल का कम से कम 50% हिस्सा नकदी या नकदी समतुल्य में होना आवश्यक था। 2 मई 2022 के बाद से नए नियमन के मुताबिक अब ग्राहकों के स्तर मार्जिन स्तर क्या है? पर ग्राहक के फंड और ब्रोकर्स के फंड्स को नकदी और गैर नकदी में अलग करना जरूरी होगा और फिर उसकी जानकारी एक्सचेंजों को देनी होगी।
मौजूदा नियमन के तहत यदि कोई ग्राहक प्रतिभूतियों के रूप में मार्जिन प्रदान करता है, जो कुल मार्जिन के 50% के अधिकतम स्वीकार्य अनुपात मार्जिन स्तर क्या है? से अधिक है, तो 50% की सीमा तक जो अंतर है, उसकी भरपाई ब्रोकर को अपने फंड से करनी होती है। इसका मतलब यह है कि ग्राहक अभी भी मार्जिन कोलैटरल के रूप में प्रतिभूतियों के अधिक अनुपात के साथ ट्रेड कर सकते हैं। हालांकि, कम से कम 50% तक के नकद घटक की फंडिंग ब्रोकर द्वारा की जाएगी।
यदि स्टॉक ब्रोकर अपने ग्राहकों को मार्जिन कोलैटरल के रूप में प्रतिभूतियों के बदले नकदी फंडिंग की अनुमति देता है तो ऐसे ब्रोकर्स के लिए कार्यशील पूंजी की जरूरत में बढ़ोतरी होगी और उन्हीं ब्रोकर्स को इस तरह की इंक्रीमेंटल पूंजी तक पहुंच मिलेगी जिनके पास बेहतर पूंजी उपलब्ध हैं और जिनकी रेटिंग बेहतर है।
हालांकि, एंजेल वन में कुछ भी नहीं बदला है, क्योंकि न केवल हम अच्छी तरह से पूंजीकृत हैं, बल्कि हमारी फंडिंग आवश्यकताओं के लिए हमारे पास एक अच्छी रेटिंग भी है। इसलिए, हम अपने ग्राहकों को ट्रेड करने की अनुमति देना जारी रखेंगे, भले ही उनके पास अनिवार्य 50% नकद मार्जिन उपलब्ध न हो। यह हमारे ग्राहकों के लिए नकद कोलैटरल की कमी को तत्काल पूरा किए बिना ट्रेडिंग की अनुमति देता है और यह अन्य प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले हमारी मुख्य खासियत भी है।
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