ITR फाइल करने की आखिरी तारीख है नजदीक, जानें कौन-कौन से डाॅक्यूमेंट की होगी जरूरत; समझें स्टेप बाय स्टेप पूरा प्रोसेस

Gold Vs Real Estate: सोना या रियल एस्टेट? जानिए कहां निवेश करना रहेगा फायदेमंद

अगर कोई निवेशक सही समय पर सही जगह निवेश करता है तो कम समय में बेहतर रिटर्न पा सकता है। जब भी निवेश की बात होती है तब सबसे जरूरी होता है कि आपके पैसा कितना और आप किस स्तर तक रिस्क उठा सकते हैं। शेयर

Gold Vs Real Estate: सोना या रियल एस्टेट? जानिए कहां निवेश करना रहेगा फायदेमंद

अगर कोई निवेशक सही समय पर सही जगह निवेश करता है तो कम समय में बेहतर रिटर्न पा सकता है। जब भी निवेश की बात होती है तब सबसे जरूरी होता है कि आपके पैसा कितना और आप किस स्तर तक रिस्क उठा सकते हैं। शेयर बाजार से गोल्ड तक बाजार में ढेर सारे निवेश के विकल्प मौजूद हैं। अब आपको किसपर निवेश या इन्वेस्टमेंट क्या है? सबसे अधिक भरोसा यह सबसे बड़ा सवाल है। जब लाॅन्ग टर्म निवेश की बात आती है तब लोग सोना और रियल एस्टेट की तरफ मुड़ते हैं। आइए जानते हैं कि इन दोनों विकल्पों में बेस्ट कौन सा रहेगा-

गोल्ड भारतीय परिवारों में एक भरोसेमंद निवेश के तौर पर देखा जाता है। कई परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी इस आगे ट्रांसफर करते रहते हैं। साथ ही इसमें निवेश को लेकर भी काफी विकल्प रहता है। वहीं, रियल एस्टेट हमेशा ही एक बड़े निवेश के तौर पर देखा जाता है। अगर सही जगह रियल एस्टेट में निवेश किया जाए तो यह बेहतर प्राॅफिट दे देगा।

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रियल एस्टेट में जहां रिस्क काफी कम रहता है। वहीं, गोल्ड में चोरी होने का डर बना रहता है। Avanta India के नकुल माथुर कहते हैं, 'प्राॅपर्टी में निवेश हमेशा सुकून देता है क्योंकि यह भविष्य को सिक्योर बनाता है। वहीं, सोना एक कमोडिटी है। जिसका हमेशा चोरी होने का डर बना रहता है। इसके अतिरिक्त रियल एस्टेट से हमेशा इनकम किया जा सकता है वह टैक्स की छूट का लाभ लेते हुए। रियल एस्टेट के जरिए आप महीने में एक मुश्त पैसा कमा सकते हैं जोकि गोल्ड नहीं कर पाता है।'

RPS ग्रुप में पार्टनर Suren Goyal कहते हैं, 'रियल एस्टेट के जरिए सालाना 15 प्रतिशत के रिटर्न की उम्मीद आसानी से की जा सकती है।' वहीं गोयल गंगा डेवलपमेंट के एमडी अनुज गोयल के अनुसार, 'रियल सेक्टर में भले ही लार्ज फंड की जरूरत होती हो, लेकिन कई अन्य सेक्टर के भी इसपर निर्भर करते हैं जैसे सीमेंट, हाउसिंग फाइनेंस आदि। इसके जरिए बड़ी संख्या में रोजगार भी क्रिएट होता है।' हालांकि इन फायदे और नुकसान के बीच भारत में लोग गोल्ड तर रियल एस्टेट दोनों में जमकर पैसा लगा रहे हैं।

निवेश या इन्वेस्टमेंट क्या है?

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Investment Tips: पांच साल में 5 लाख जमा करना चाहते हैं, हर महीने SIP में करें इतना निवेश

Investment Tips: आप म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिए पैसा लगा सकते हैं। आजकल लोगों में SIP करने का क्रेज बढ़ता ही जा रहा है। इसमें आप साप्ताहिक, मासिक या तिमाही आधार पर पैसा लगा सकते हैं। निवेश करने से पहले उसके प्लान की जानकारी लें।

Investment Tips: पांच साल में 5 लाख जमा करना चाहते हैं, हर महीने SIP में करें इतना निवेश

Investment Tips: अगर आप पांच साल में बड़ी रकम जमा करना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए है। आप हर महीने सिर्फ 6500 रुपये की बचत करके 5 साल में पांच लाख रुपये से ज्यादा जमा कर सकते हैं। एक व्यवस्थित निवेश योजना आपको अपना सपना पूरा करने में मदद कर सकती है। इसमें आप नियमित अंतराल पर छोटी रकम निवेश कर सकते हैं। यदि आप पांच वर्ष में लाखों रुपये जमा करना चाहते हैं तो आइए जानते हैं एसआईपी कैलकुलेटर (SIP Calculator) की मदद से इस निवेश के बारे में।

पांच साल में 5 लाख कैसे जमा करें?

अगर आप 5 साल के लिए सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (Systematic Investment Plan) में हर महीने 6500 रुपये का निवेश करते हैं, तो आपका कुल निवेश 3,90,000 रुपये होगा। इस तरह 12 फीसदी ब्याज दर पर आपको रिटर्न के तौर पर 1,46,161 रुपये मिलेंगे। ऐसे में पांच साल बाद कुल राशि 5,31,161 हो जाएगी।

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एसआईपी क्या है?

आप म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में एसआईपी (SIP) के जरिए पैसा लगा सकते हैं। आजकल लोगों में SIP करने का क्रेज बढ़ता ही जा रहा है। इसमें आप साप्ताहिक, मासिक या तिमाही आधार पर पैसा लगा सकते हैं। इसकी सबसे खास बात यह है कि आप इसमें 500 रुपये से निवेश शुरू कर सकते हैं। हालांकि किसी भी एसआईपी या म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले उसके प्लान की जानकारी लें।

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होम लोन में होगा सहायक

मान लीजिए आप 50 लाख रुपये का होम लोन लेते हैं। 20 साल में 1 करोड़ रुपये ब्याज सहित बैंक को देते हैं। अब आप सोच रहे हैं कि इसे कैसे चुकाएं। SIP इसमें आपकी मदद कर सकता है। आइए इसे आंकड़ों से समझते हैं।

अगर निवेश या इन्वेस्टमेंट क्या है? आपने 8 फीसदी सालाना ब्याज दर पर 50 लाख रुपये का होम लोन लिया है, तो आपकी EMI 41,822 रुपये होगी। यदि आपका लोन 20 वर्ष के लिए है, तो आपको ब्याज के तौर पर 50.37 लाख रुपये देने होंगे। मकान की कीमत 50 लाख रुपये है। इसके लिए आपने 1 करोड़ 37 हजार रुपये ब्याज सहित खर्च किए। मान लीजिए कि आप ईएमआई का सिर्फ 25 फीसदी यानी 10,912 रुपये निवेश करना शुरू कर देते हैं। आप इस पर करीब 12 फीसदी वार्षिक रिटर्न कमा सकते हैं। इस तरह आपके पास 20 साल में 1.1 करोड़ रुपये का फंड होगा।

SIP Calculator: हर महीने जमा करें 1000 रुपए, घर बैठे मिलेंगे 2 करोड से ज्यादा

छोटी छोटी बचत कर निवेश या इन्वेस्टमेंट क्या है? बड़े लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। आप हर महीने 1000 रुपए म्यूचुअल फंड में सिस्‍टमैटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान (SIP) में निवेश करते है तो करोड़पति बन सकते हैं। पिछले दो दशक में म्यूचुअल फंड शानदार रिटर्न दे रहा है। कुछ फंड्स 20 फीसदी तक रिटर्न दे रहे है।

SIP Calculator

SIP Calculator: हर इंसान को भविष्य के लिए बचत करनी चाहिए। कुछ लोग छोटी बचत करते है तो कुछेक मोटा रिटर्न चाहते है। इसलिए बैंक और पोस्ट ऑफिस में हर महीने जमा करते है। अगर आप भी कम निवेश पर ज्यादा रिटर्न चाहते है तो म्‍यूचुअल फंड में एसआईपी बेहतरीन विकल्प हो सकता है। बीते कुछ सालों से म्‍यूचुअल फंड काफी पसंद आ रहा है। क्योंकि निवेशकों का निवेश किया हुआ पैसा अच्‍छा बेनिफ‍िट दे रहा है। आप हर महीने 1000 रुपए जमाकर 2 करोड़ से भी ज्यादा रिटर्न पा सकते है। हालांकि इसमें समय ज्यादा देना होता है। आइए जाते है म्‍यूचुअल फंड में एसआईपी में कितना ब्याज मिलता है और कितने समय के लिए जमा करवाना होगा।

काम की खबर: नजारा का IPO तो खुला, लेकिन जानिए कैसे करें IPO में निवेश, डीमैट अकाउंट है जरूरी

हमारे देश में बचत के पैसे लगाने यानी निवेश करने के कई तरीके हैं। इन्ही में से एक है 'इनीशियल पब्लिक ऑफर' यानि IPO। निवेश का ये तरीका आज कल ट्रेंड में है। अगर आप भी IPO में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं या करना चाहते हैं तो सबसे पहले ये समझ लीजिए कि IPO क्या होता है? दरअसल, जब कोई कंपनी अपने स्टॉक या शेयर्स छोटे-बड़े निवेशकों के लिए जारी करती है तो उसका जरिया IPO होता है। इसके बाद कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होती है।

IPO होता क्या है?
जब कोई कंपनी पहली बार अपनी कंपनी के शेयर्स को लोगों को ऑफर करती है तो इसे IPO कहते हैं। कंपनियों द्वारा ये IPO इसलिए जारी किया जाता है जिससे वह शेयर बाजार में आ सके। शेयर बाजार में उतरने के बाद कंपनी के शेयरों की खरीदारी और बिकवाली शेयर बाजार में हो सकेगी। यदि एक बार कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग की इजाजत मिल जाए तो फिर इन्हें खरीदा और बेचा जा सकता है। इसके बाद शेयर को खरीदने और बेचने से होने वाले फायदे और नुकसान में भागीदारी निवेशकों की होती है।

कंपनी IPO क्यों जारी करती है?
जब किसी कंपनी को अपना काम बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत होती है तो वह IPO जारी करती है। ये IPO कंपनी उस वक्त भी जारी कर सकती है जब उसके निवेश या इन्वेस्टमेंट क्या है? पास धन की कमी हो वह बाजार से कर्ज लेने के बजाय IPO से पैसा जुटाना चाहती हैं। शेयर बाजार में लिस्टेड होने के बाद कंपनी अपने शेयरों को बेचकर पैसा जुटाती है। बदले में IPO खरीदने वाले लोगों को कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है। मतलब जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के खरीदे गए हिस्से के मालिक होते हैं।

क्या इसमें निवेश करने में रिस्क हो सकता है?
इसमें कंपनी के शेयरों की परफॉर्मेंस के बारे में कोई आंकड़े या जानकारी लोगों के पास नहीं होती है, इसलिए इसे थोड़ा रिस्की तो माना ही जाता है। लेकिन जो व्यक्ति पहली बार शेयर बाजार में निवेश करता है उसके लिए IPO बेहतर विकल्प है।

IPO में निवेश कैसे करें?
अगर आप IPO में इन्वेस्ट करना चाहते है तो उसके लिए आपको डीमैट या ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होता निवेश या इन्वेस्टमेंट क्या है? है। ये अकाउंट एचडीएफसी सिक्योरिटीज, आईसीआईसीआई डायरेक्ट और एक्सिस डायरेक्ट जैसे किसी भी ब्रोकरेज के पास जाकर खोला जा सकता है। इसके बाद आपको जिस कंपनी में निवेश करना है उसमें आवेदन करें। निवेश के लिए जरूरी रकम आपके डीमैड एकाउंट से लिंक्ड एकाउंट में होनी चाहिए। निवेश की रकम तब तक आपके एकाउंट से नहीं कटती जब तक आपको शेयर अलॉट नहीं हो जाता।

जब भी कोई कंपनी IPO निकालती है उससे पहले इसका एक समय किया जाता है जो 3-5 दिन का होता है। उसी समय में उस कंपनी का IPO ओपन रहता है। जैसे शेयर मार्केट से हम एक, दो या अपने चुनाव से शेयर खरीदते है यहां ऐसा नहीं होता। यहां आपको कंपनी द्वारा तय किए गए लॉट में शेयर खरीदना होता है। ये शेयर की कीमत के हिसाब से 10, 20, 50, 100, 150, 200 या अधिक भी हो सकता है। वहां आपको 1 शेयर की कीमत भी दिखाई देती है।

IPO की कीमत कैसे तय होती है?
IPO की कीमत दो तरह से तय होती है। इसमें पहला होता है प्राइस बैंड और दूसरा फिक्स्ड प्राइस इश्यू ।

प्राइस बैंड कैसे?
शेयर की कीमत को फेस वैल्यू कहा जाता है। जिन कंपनियों को आईपीओ लाने की इजाजत होती है वे अपने शेयर्स की कीमत तय कर सकती हैं। लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य क्षेत्रों की कंपनियों को सेबी और बैंकों को रिजर्व बैंक से अनुमति लेनी होती है। कंपनी का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बुक-रनर के साथ मिलकर प्राइस बैंड तय करता है। भारत में 20% प्राइस बैंड की इजाजत है। इसका मतलब है कि बैंड की अधिकतम सीमा फ्लोर प्राइस से 20% से ज्यादा नहीं हो सकती है। फ्लोर प्राइस वह न्यूनतम कीमत है, जिस पर बोली लगाई जा सकती है। प्राइस बैंड उस दायरे को कहते हैं जिसके अंदर शेयर जारी किए जाते हैं। मान लीजिए प्राइस बैंड 100 से 105 का है और इश्यू बंद होने पर शेयर की कीमत 105 तय होती है तो 105 रुपए को कट ऑफ प्राइस कहा निवेश या इन्वेस्टमेंट क्या है? जाता है। अमूमन प्राइस बैंड की ऊपरी कीमत ही कट ऑफ होती है।

आखिरी कीमत
स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट अविनाश गोरक्षकर के अनुसार बैंड प्राइस तय होने के बाद निवेशक किसी भी कीमत के लिए बोली लगा सकता है। बोली लगाने वाला कटऑफ बोली भी लगा सकता है। इसका मतलब है कि अंतिम रूप से कोई भी कीमत तय हो, वह उस पर इतने शेयर खरीदेगा। बोली के बाद कंपनी ऐसी कीमत तय करती है, जहां उसे लगता है कि उसके सारे शेयर बिक जाएंगे।

अगर IPO में कंपनी के शेयर नहीं बिकते हैं तो क्या होगा?
अगर कोई कंपनी अपना IPO लाती है और निवेशक शेयर नहीं खरीदता है तो कंपनी अपना IPO वापस ले सकती है। हालांकि कितने प्रतिशत शेयर बिकने चाहिए इसको लेकर कोई अलग नियम नहीं है।

ज्यादा मांग आने पर क्या होगा?
मान लीजिए कोई कंपनी IPO में अपने 100 शेयर लेकर आई है लेकिन 200 शेयरों की मांग आ जाती है तो कंपनी सेबी द्वारा तय फॉर्मूले के हिसाब से शेयर अलॉट होते हैं। कंप्यूटराइज्ड लॉटरी के जरिए आई हुई अर्जियों का चयन होता है। इसके अनुसार जैसे किसी निवेशक ने 10 शेयर मांगे हैं तो उस 5 शेयर भी मिल सकते हैं या किसी निवेशक को शेयर नहीं मिलना भी संभव होता है।

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