ऑनलाइन विदेशी मुद्रा का विक्रय
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ऑनलाइन विदेशी मुद्रा का विक्रय कैसे हो ?
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Foreign Exchange Reserves: लगातार सातवें सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट, दो सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंचा
Foreign Exchange Reserves: देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार सातवें सप्ताह गिरावट दर्ज की गई और यह दो साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया. 16 सितंबर को समाप्त सप्ताह में यह घटकर 545.652 बिलियन डॉलर रह गया.
Foreign Exchange Reserves: देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट आ रही है. लगातार सातवें सप्ताह डॉलर रिजर्व में गिरावट दर्ज की गई और यह दो सालों के न्यूनतम स्तर पर फिसल गया. 16 सितंबर को समाप्त सप्ताह में यह 5.219 बिलियन डॉलर घटकर 545.652 बिलियन डॉलर रह गया. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. डॉलर में आ रही मजबूती के कारण रुपए को संभालने के लिए रिजर्व बैंक को डॉलर रिजर्व बेचना पड़ रहा है. यही वजह है कि फॉरन रिजर्व लगातार घट रहा है. इस साल अब तक रुपए में 8 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है.
डॉलर रिजर्व बेच रहा है रिजर्व बैंक
यूक्रेन क्राइसिस के बाद से रुपए पर भारी दबाव है. इस सप्ताह रुपया फिसल कर 81 के पार पहुंच गया. रुपए की गिरावट को कम करने के लिए आरबीआई डॉलर की बिक्री करता है. यही वजह है कि इमर्जिंग मार्केट्स की करेंसी में सबसे मजबूत प्रदर्शन इंडियन करेंसी का है. रिजर्व बैंक ने रुपए को समर्थन के लिए लिए सिर्फ जुलाई के महीने में 19 बिलियन डॉलर का रिजर्व बेचा. यह मार्च 2022 के बाद का सर्वोच्च स्तर है. मार्च में आरबीआई ने 20.10 बिलियन डॉलर का रिजर्व बेचा था. इस साल अब तक 85 बिलियन डॉलर रिजर्व बेचा जा चुका है.
फॉरन करेंसी असेट्स में 4.69 बिलियन डॉलर की गिरावट
आरबीआई की तरफ से जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा आस्तियों (Foreign Currency Assets) में गिरावट के कारण 16 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है. एफसीए दरअसल समग्र भंडार का एक प्रमुख हिस्सा होता है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान एफसीए 4.698 बिलियन डॉलर घटकर 484.901 बिलियन डॉलर रह गया. डॉलर के संदर्भ में एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में वृद्धि या मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल है.
गोल्ड रिजर्व में 46 करोड़ डॉलर की गिरावट
आंकड़ों के अनुसार, सोने के भंडार जानें कि विदेशी मुद्रा बाजार कैसे काम करता है का मूल्य 45.8 करोड़ डॉलर घटकर 38.186 बिलियन डॉलर पर आ गया. इसके अलावा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 3.2 करोड़ डॉलर की गिरावट के साथ 17.686 बिलियन डॉलर रह गया है. समीक्षाधीन सप्ताह में आईएमएफ के पास देश की आरक्षित निधि 3.1 करोड़ डॉलर घटकर 4.88 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गई.
81 के नीचे तक फिसला रुपया
आज सप्ताह के आखिरी दिन रुपया 19 पैसे गिरकर 80.98 रुपए प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ. अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में भारतीय रुपया डॉलर के आगे पहली बार 81 रुपए का स्तर भी पार कर गया. एक समय रुपया 81.23 के स्तर तक लुढ़क गया था.
इस सप्ताह 124 पैसे फिसला रुपया
हालांकि बाद में रुपए की स्थिति थोड़ी सुधरी और कारोबार के अंत में यह 80.98 रुपए प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ. पिछले कारोबारी दिवस की तुलना में रुपए में 19 पैसे की बड़ी गिरावट दर्ज की गई. गुरुवार को रुपया एक ही दिन में 83 पैसे का गोता लगाते हुए 80.79 रुपए प्रति डॉलर के भाव पर रहा था. यह लगातार तीसरा दिन रहा जब अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट देखी गई. इन तीन दिनों में रुपए की कीमत 124 पैसे प्रति डॉलर तक गिर चुकी है.
विदेशी मुद्रा का फ्लो बढ़ाने के उपायों को RBI ने किया नोटिफाइड, रुपये के मूल्य में गिरावट को थामने की है कवायद
Foreign Exchange Inflows: बैंक 8 जुलाई से 31 अक्टूबर, 2022 के बीच विदेशों से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा में लिए गए कर्ज के जरिये जुटाये गए धन का इस्तेमाल भारत में ग्राहकों को विदेशी मुद्रा उधार देने में कर सकते हैं.
केंद्रीय बैंक ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के बॉन्ड बाजार में निवेश से संबंधित दो नोटिफिकेशन भी जारी की हैं.
Foreign Exchange Inflows: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बॉन्ड बाजार में विदेशी निवेश और बैंकों के विदेशी मुद्रा में कर्ज के लिए प्रावधानों में ढील देने को लेकर गुरुवार को नोटिफिकेशन जारी कर दी. यह रुपये के मूल्य में गिरावट को थामने के लिए किए गए उपायों का हिस्सा हैं. पीटीआई की खबर के मुताबिक, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में गिरावट के बीच बुधवार को इन उपायों की घोषणा की गई. ऑथोराइज्ड डीलर कैटेगरी-1 बैंक के इंटरनेशनल मार्केट्स से विदेशी मुद्रा उधारी पर जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, बैंक 8 जुलाई से 31 अक्टूबर, 2022 के बीच विदेशों से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा में लिए गए कर्ज के जरिये जुटाये गए धन का इस्तेमाल भारत में ग्राहकों को विदेशी मुद्रा उधार देने में कर सकते हैं.
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विदेशी मुद्रा में कर्ज लेने की सुविधा मिलने की उम्मीद
खबर के मुताबिक, फिलहाल जानें कि विदेशी मुद्रा बाजार कैसे काम करता है बैंक अंतरराष्ट्रीय बाजार से विदेशी मुद्रा में उधार (ओएफसीबी) अपनी टियर-1 यानी शेयर पूंजी का 100 प्रतिशत या एक करोड़ डॉलर, जो भी ज्यादा हो, तक ले सकते हैं. इस प्रकार उधार ली गई धनराशि का इस्तेमाल एक्सपोर्ट को छोड़कर विदेशी मुद्रा में उधार देने के लिए नहीं किया जा सकता है. रिजर्व बैंक ने कहा कि इस उपाय से कर्ज लेने वाले उस बड़े तबके को विदेशी मुद्रा में कर्ज (Loan in Forex) लेने की सुविधा मिलने की उम्मीद है, जिनके लिए सीधे विदेशी बाजारों तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है.
बॉन्ड बाजार में निवेश से संबंधित दो नोटिफिकेशन भी जारी
केंद्रीय बैंक ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के बॉन्ड बाजार में निवेश से संबंधित दो नोटिफिकेशन भी जारी की हैं. इसके तहत एफपीआई के 8 जुलाई से 31 अक्टूबर, 2022 के बीच सरकारी प्रतिभूतियों और कॉरपोरेट बॉन्ड में किए गए निवेश की मेच्योरिटी या ऐसे निवेशों की बिक्री तक अल्पकालिक निवेश की सीमा से छूट दी जाएगी.
एफपीआई के कॉरपोरेट बॉन्ड में जानें कि विदेशी मुद्रा बाजार कैसे काम करता है निवेश के लिए भी छूट
फिलहाल एफपीआई का सरकारी प्रतिभूतियों (ट्रेजरी बिल और राज्य विकास ऋण सहित केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों) और कॉरपोरेट बॉन्ड में अल्पकालिक निवेश किसी भी कैटेगरी में उस एफपीआई के कुल निवेश के 30 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए. एफपीआई के कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश के लिए भी छूट प्रदान की गई है और वे अब एक साल से कम अवधि के लिए भी ऐसे प्रोडक्ट्स खरीद सकते हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा बढ़ता विदेशी मुद्रा भंडार, जानें इसके 5 फायदे
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.074 अरब डॉलर बढ़कर 608.081 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। इसके साथ ही भारत ने रूस को पीछे छोड़ते हुए विदेशी मुद्रा रखने वाले दुनिया के देशों में चौथे स्थान पर.
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.074 अरब डॉलर बढ़कर 608.081 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। इसके साथ ही भारत ने रूस को पीछे छोड़ते हुए विदेशी मुद्रा रखने वाले दुनिया के देशों में चौथे स्थान पर पहुंच गया है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और निजी निवेशकों द्वारा शेयर बाजार में रिकॉर्ड निवेश से विदेशी मुद्रा भंडार में उछाल आया है। जानें कि विदेशी मुद्रा बाजार कैसे काम करता है अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह सुस्त पड़ी भारतीय इकोनॉमी के लिए राहत की खबर है। आइए जानते हैं मुद्रा भंडार बढ़ने के मायने।
विदेशी मुद्रा भंडार के पांच बड़े फायदे
1. विदेशी मुद्रा भंडार का बढ़ना किसी देश की अर्थव्यवस्था में मजबूती का संकेते होता है। साल 1991 में देश को सिर्फ 40 करोड़ डॉलर जानें कि विदेशी मुद्रा बाजार कैसे काम करता है जानें कि विदेशी मुद्रा बाजार कैसे काम करता है जुटाने के लिए 47 टन सोना इंग्लैंड के पास गिरवी रखना पड़ा था। लेकिन मौजूदा स्तर पर, भारत के पास एक वर्ष से अधिक के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त मुद्रा भंडार है। यानी इससे एक साल से अधिक के आयात खर्च का बोझ उठाया जा सकता है।
2. बड़ा विदेशी मुद्रा रखने वाला देश विदेशी व्यापार को आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों का विश्वास अर्जित करता है। इससे वैश्विक निवेशक देश में और अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित हो जानें कि विदेशी मुद्रा बाजार कैसे काम करता है सकते हैं।
3. सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीदी का निर्णय भी ले सकती है क्योंकि भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है। इसके साथ कच्चा तेल, दूसरी जरूरी सामान की आयत में बढ़ा नहीं आती है।
4. अतिरिक्त विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार प्रभावी भूमिका निभा सकता है।
5. विदेशी मुद्रा बढ़ने से आम लोगों को भी फायदा मिलता है। इससे सरकारी योजनाओं में खर्च करने के लिए पैसा मिलता है।
विदेशी मुद्रा भंडार का घटक
देशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, बॉन्ड, बैंक जमा, सोना और वित्तीय एसेट होते हैं। भारत के मुद्रा भंडार जानें कि विदेशी मुद्रा बाजार कैसे काम करता है में विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 563.46 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। इसक साथ ही स्वर्ण भंडार बढ़कर 38.10 अरब डॉलर का हो गया। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास आरक्षित निधि 5.01 अरब डॉलर पर पहुंच गई है। इसके चलिते विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड 608.081 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
इस तरह जानें कि विदेशी मुद्रा बाजार कैसे काम करता है बढ़ा मुद्रा भंडार
साल 1991 में भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 1.2 अरब डॉलर था जो बीते 20 साल में बढ़कर 604.80 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। भारत का मौजूदा विदेशी मुद्रा भंडार देश के 15 महीने के आयात बिल को संभालने का मद्दा रखता है। लगातार बढ़ता विदेशी मुद्रा भंडार देश की मजबूत होती स्थिति का इशारा कर रहा है। वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि आगे भी यह रफ्तार बने रहने की उम्मीद है।
देश की इकोनॉमी के लिए अच्छी खबर, विदेशी मुद्रा भंडार में हुई बढ़ोतरी
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 9 दिसंबर को खत्म हुए हफ्ते के दौरान 2.91 अरब डॉलर बढ़कर 564.06 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 9 दिसंबर को खत्म हुए हफ्ते के दौरान 2.91 अरब डॉलर बढ़कर 564.06 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार पांचवें हफ्ते तेजी आई है. पिछले हफ्ते देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 11 अरब डॉलर बढ़कर 561.16 अरब डॉलर पर पहुंच गया था. आपको बता दें कि अक्टूबर, 2021 में विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था.
देश का सोने का भंडार घटा
वैश्विक घटनाक्रमों के बीच केंद्रीय बैंक के रुपये की विनियम दर में तेज गिरावट को रोकने के लिए मुद्रा भंडार का इस्तेमाल करने की वजह से बाद में इसमें गिरावट आई थी. केंद्रीय बैंक के साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, कुल मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा माने जाने वाली फॉरेन करेंसी एसेट्स (एफसीए) 9 दिसंबर को खत्म हफ्ते में 3.141 अरब डॉलर बढ़कर 500.125 अरब डॉलर हो गईं हैं. डॉलर में जाहिर किए जाने वाले विदेशीमुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसे गैर अमेरिकी मुद्राओं में आई घट बढ़ के असर को भी शामिल किया जाता है.
इसके अलावा स्वर्ण भंडार का मूल्य समीक्षाधीन हफ्ते में 29.6 करोड़ डॉलर घटकर 40.729 अरब डॉलर रह गया है. आंकड़ों के मुताबिक, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 6.1 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.106 अरब डॉलर हो गया है. समीक्षाधीन हफ्ते में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में रखा देश का मुद्रा भंडार भी 20 लाख डॉलर बढ़कर 5.11 अरब डॉलर हो गया है.
RBI के कदम से पड़ा असर
आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार घटने की दर में कमी आई है. आरबीआई अधिकारियों के अध्ययन में यह कहा गया है. अध्ययन में 2007 से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मौजूदा समय में उत्पन्न उतार-चढ़ाव को शामिल किया गया है. केंद्रीय बैंक की विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप की एक घोषित नीति है. केंद्रीय बैंक यदि बाजार में अस्थिरता देखता है, तो हस्तक्षेप करता है. हालांकि, रिजर्व बैंक ने अभी तक रुपये के किसी स्तर को लेकर अपना कोई लक्ष्य नहीं दिया है.
आरबीआई के वित्तीय बाजार संचालन विभाग के सौरभ नाथ, विक्रम राजपूत और गोपालकृष्णन एस के अध्ययन में कहा गया है कि 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भंडार 22 प्रतिशत कम हुआ था.
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