इनका नाम महेंद्र रावत है। इनकी रूचि बिजनेस, फाइनेंस, करियर जैसे विषयों पर लेख लिखना रही है। इन विषयों पर अब तक ये विभिन्न वेबसाइटो एवं पत्रिकाओं के लिए, पिछले 7 वर्षों में 1000 से ज्यादा लेख लिख चुके हैं। इनके द्वारा लिखे हुए कंटेंट को सपोर्ट करने के लिए इनके सोशल मीडिया हैंडल से अवश्य जुड़ें।
नौकरी एवं बिजनेस में 15 बड़े अंतर। Difference Between Job and Business.
मनुष्य जीवन संघर्षों से परिपूर्ण है इसमें कोई दो राय नहीं है कहने का आशय यह है की मनुष्य पर अपनी उम्र के अलग अलग पड़ावों में अलग अलग दायित्वों को पूरा करने की जिम्मेदारी उसके कन्धों पर आती है। केवल बचपन यानिकी 1 वर्ष से 5 साल तक की उम्र का समय ही एक ऐसा होता है जिससे किसी की कोई अपेक्षा नहीं जुड़ी होती है। उसके बाद ज्यों ज्यों बच्चा शिक्षा ग्रहण करने स्कूल जाता है माँ बाप को अपेक्षा रहती है की उनकी संतान पढ़ाई में अव्वल आये। और फिर उसके बाद यह सिलिसिला चलता रहता है।
यही कारण है की जब व्यक्ति की शिक्षा पूर्ण हो जाती है या व्यक्ति आगे की शिक्षा के खर्चे को उठा नहीं पाता और कमाई करने का विचार अपने मष्तिष्क में लाता है। क्योंकि सामाजिक पारिवारिक दायित्वों को निष्पादित करने के लिए मनुष्य को धन की आवश्यकता होती है। और धन कुछ काम धंधा या नौकरी करके ही कमाया जा सकता है।
नौकरी एवं व्यापार में अंतर (Difference Between Job and Business in Hindi):
जिस प्रकार पानी में उतरने से पहले पानी की गहराई को जानना आवश्यक है क्योंकि यदि पानी बहुत गहरा हुआ और पानी में उतरने वाले व्यक्ति को तैरना नहीं आया तो उसकी मृत्यु तक हो सकती है। इसलिए जीवन में भी कैरियर का चुनाव करते वक्त मनुष्य को अपनी योग्यता, संसाधनों, पारिवारिक स्थिति इत्यादि का ध्यान रखकर ही जॉब या बिजनेस में से किसी एक का चयन करना होता है।
इसके अलावा जब उद्यमी को नौकरी और बिजनेस में क्या अंतर होता है की जानकारी हो पायेगी तभी वह इस बात का निर्णय ले पाने में सफल हो पायेगा की उसके लिए भविष्य में कौन सा विकल्प उचित हो सकता है।
- व्यापार में उद्यमी खुद का बॉस खुद होता है, जबकि जॉब के दौरान व्यक्ति को किसी न किसी बॉस के अधीन काम करना पड़ता है।
- जो व्यक्ति खुद का व्यापार कर रहा होता है वह खुद के निर्णय लेने एवं उन्हें लागू करने के लिए स्वतंत्र होता है। जबकि जॉब कर रहे व्यक्ति को निर्णय लेने एवं उन्हें लागू करने के लिए बॉस की स्वीकृति की आवश्यकता होती है।
- जो व्यक्ति खुद का बिजनेस कर रहा होता है यदि उससे काम के दौरान कुछ गलती भी हो जाय तो उसे डांटने वाला कोई नहीं होता। जबकि जॉब कर रहे व्यक्ति से गलती हो जाने पर उसे डांट का सामना करना पड़ता है।
- जो व्यक्ति खुद का बिजनेस कर रहा होता है वह अपने व्यापार एवं व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुरूप ऑफिस जाने का समय खुद ही तय कर सकता है । जबकि जॉब कर रहे व्यक्ति को एक निर्धारित समय पर अपने कार्यालय जाना होता है ।
- नौकरी और बिजनेस में अगला अंतर प्रॉफिट या लाभ से जुड़ा हुआ है बिजनेस कर रहा व्यक्ति पूरे लाभ का भागीदार होता है तो वहीँ नौकरी कर रहे व्यक्ति को महीने में एक निश्चित मात्रा में वेतन की प्राप्ति होती है।
- बिजनेस कर रहे उद्यमी को कोई उसके काम से बहिष्कृत नहीं कर सकता अर्थात उसे उसके काम से निकाल नहीं सकता। जबकि जॉब कर रहे व्यक्ति को कंपनी या नियोक्ता उसकी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरने पर निकाला जा सकता है।
- बिजनेस को कोई भी व्यक्ति यहाँ तक की एक अशिक्षित व्यक्ति भी शुरू कर सकता है इसके लिए अधिकृत तौर पर किसी भी क्वालिफिकेशन की आवश्यकता नहीं होती। जबकि अलग अलग जॉब के लिए अलग अलग क्वालिफिकेशन निर्धारित होती है।
- चूँकि उद्यमी लगभग सभी प्रकार के प्रोफाइल का प्रबंधन कर रहा होता है इसलिए उसके पास सीखने के अवसर अधिक होते हैं। जबकि नौकरी कर रहे व्यक्ति को अपनी ही प्रोफाइल के तहत कार्य करने की आज़ादी होती है।
- बिजनेस में व्यक्ति जो भी, जैसा भी और जितना भी कर रहा होता है उसे उसका संतोष होता है जबकि जॉब में व्यक्ति को कितना भी मिल जाय फिर भी उसे लगता है। की उसे उसकी मेहनत एवं प्रयासों के अनुरूप नहीं मिल रहा है।
- अपना व्यापार करने वाले व्यक्ति उस कंपनी में किसी और के बनाये नियमों को पालन करने के लिए मजबूर नहीं होते बल्कि वे अपने नियम खुद निर्धारित करते हैं। जबकि जॉब में व्यक्ति को कंपनी एवं नियोक्ता द्वारा बनाये गए नियमों का कड़ाई से पालन करने की आवश्यकता होती है।
- अपना बिजनेस करके उद्यमी औरों को भी रोजगार दे रहा होता है जबकि नौकरी करने वाले व्यक्ति अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे होते हैं।
- ऐसे बेहद कम बिजनेस होते हैं जिन्हें बेहद कम निवेश के साथ शुरू किया जा सके अधिकतर बिजनेस शुरू करने के लिए भारी निवेश की आवश्यकता होती है। जबकि जॉब यदि उद्यमी में काबिलियत है तो वह मुफ्त में ही इंटरव्यू के माध्यम से पा सकता है।
- बिजनेस करने वाले व्यक्ति को कई कार्यों का प्रबंधन देखने की आवश्यकता होती है इसलिए उसमें विभिन्न कार्यों के प्रबंधन का तनाव सहने की क्षमता होनी चाहिए। जबकि जॉब में व्यक्ति सिर्फ अपनी प्रोफाइल के लिए जिम्मेदार होता है।
- व्यापार कर रहे व्यक्ति को नियमित आय का आश्वासन नहीं होता जबकि जॉब कर रहे व्यक्ति को नियमित आय मिलना सुनिश्चित है।
- बिजनेस में एक कहावत काफी प्रचलित है की जितना बड़ा रिस्क उतना बड़ा प्रॉफिट इसलिए बिजनेस में जोखिम काफी है जबकि नौकरी या जॉब जोखिमों से मुक्त है।
नौकरी एवं बिजनेस में 15 बड़े अंतर। Difference Between Job and Business.
मनुष्य जीवन संघर्षों से परिपूर्ण है इसमें कोई दो राय नहीं है कहने का आशय यह है की मनुष्य पर अपनी उम्र के अलग अलग पड़ावों में अलग अलग दायित्वों को पूरा करने की जिम्मेदारी उसके कन्धों पर आती है। केवल बचपन यानिकी 1 वर्ष से 5 साल तक की उम्र का समय ही एक ऐसा होता है जिससे किसी की कोई अपेक्षा नहीं जुड़ी होती है। उसके बाद ज्यों ज्यों बच्चा शिक्षा ग्रहण करने स्कूल जाता है माँ बाप को अपेक्षा रहती है की उनकी संतान पढ़ाई में अव्वल आये। और फिर उसके बाद यह सिलिसिला चलता रहता है।
यही कारण है की जब व्यक्ति की शिक्षा पूर्ण हो जाती है या व्यक्ति आगे व्यापार के लिए क्या समय बेहतर है की शिक्षा के खर्चे को उठा नहीं पाता और कमाई करने का विचार अपने मष्तिष्क में लाता है। क्योंकि सामाजिक व्यापार के लिए क्या समय बेहतर है पारिवारिक दायित्वों को निष्पादित करने के लिए मनुष्य को धन की आवश्यकता होती है। और धन कुछ काम धंधा या नौकरी करके ही कमाया जा सकता है।
नौकरी एवं व्यापार में अंतर (Difference Between Job and Business in Hindi):
जिस प्रकार पानी में उतरने से पहले पानी की गहराई को जानना आवश्यक है क्योंकि यदि पानी बहुत गहरा हुआ और पानी में उतरने वाले व्यक्ति को तैरना नहीं आया तो उसकी मृत्यु तक हो सकती है। इसलिए जीवन में भी कैरियर का चुनाव करते वक्त मनुष्य को अपनी योग्यता, संसाधनों, पारिवारिक स्थिति इत्यादि का ध्यान रखकर ही जॉब या बिजनेस में से किसी एक व्यापार के लिए क्या समय बेहतर है का चयन करना होता है।
इसके अलावा जब उद्यमी को नौकरी और बिजनेस में क्या अंतर होता है की जानकारी हो पायेगी तभी वह इस बात का निर्णय ले पाने में सफल हो पायेगा की उसके लिए भविष्य में कौन सा विकल्प उचित हो सकता है।
- व्यापार में उद्यमी खुद का बॉस खुद होता है, जबकि जॉब के दौरान व्यक्ति को किसी न किसी बॉस के अधीन काम करना पड़ता है।
- जो व्यक्ति खुद का व्यापार कर रहा होता है वह खुद के निर्णय लेने एवं उन्हें लागू करने के लिए स्वतंत्र होता है। जबकि जॉब कर रहे व्यक्ति को निर्णय लेने एवं उन्हें लागू करने के लिए बॉस की स्वीकृति की आवश्यकता होती है।
- जो व्यक्ति खुद का बिजनेस कर रहा होता है यदि उससे काम के दौरान कुछ गलती भी हो जाय तो उसे डांटने वाला कोई नहीं होता। जबकि जॉब कर रहे व्यक्ति से गलती हो जाने पर उसे डांट का सामना करना पड़ता है।
- जो व्यक्ति खुद का बिजनेस कर रहा होता है वह अपने व्यापार एवं व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुरूप ऑफिस जाने का समय खुद ही तय कर सकता है । जबकि जॉब कर रहे व्यक्ति को एक निर्धारित समय पर अपने कार्यालय जाना होता है ।
- नौकरी और बिजनेस में अगला अंतर प्रॉफिट या लाभ से जुड़ा हुआ है बिजनेस कर रहा व्यक्ति पूरे लाभ का भागीदार होता है तो वहीँ नौकरी कर रहे व्यक्ति को महीने में एक निश्चित मात्रा में वेतन की प्राप्ति होती है।
- बिजनेस कर रहे उद्यमी को कोई उसके काम से बहिष्कृत नहीं कर सकता अर्थात उसे उसके काम से निकाल नहीं सकता। जबकि जॉब कर रहे व्यक्ति को कंपनी या नियोक्ता उसकी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरने पर निकाला जा सकता है।
- बिजनेस को कोई भी व्यक्ति यहाँ तक की एक अशिक्षित व्यक्ति भी शुरू कर सकता है इसके लिए अधिकृत तौर पर किसी भी क्वालिफिकेशन की आवश्यकता नहीं होती। जबकि अलग अलग जॉब के लिए अलग अलग क्वालिफिकेशन निर्धारित होती है।
- चूँकि उद्यमी लगभग सभी प्रकार के प्रोफाइल का प्रबंधन कर रहा होता है इसलिए उसके पास सीखने के अवसर अधिक होते हैं। जबकि नौकरी कर रहे व्यक्ति को अपनी ही प्रोफाइल के तहत कार्य करने की आज़ादी होती है।
- बिजनेस में व्यक्ति जो भी, जैसा भी और जितना भी कर रहा होता है उसे उसका संतोष होता है जबकि जॉब में व्यक्ति को कितना भी मिल जाय फिर भी उसे लगता है। की उसे उसकी मेहनत एवं प्रयासों के अनुरूप नहीं मिल रहा है।
- अपना व्यापार करने वाले व्यक्ति उस कंपनी में किसी और के बनाये नियमों को पालन करने के लिए मजबूर नहीं होते बल्कि वे अपने नियम खुद निर्धारित करते हैं। जबकि जॉब में व्यक्ति को कंपनी एवं नियोक्ता द्वारा बनाये गए नियमों का कड़ाई से पालन करने की आवश्यकता होती है।
- अपना बिजनेस करके उद्यमी औरों को भी रोजगार दे रहा होता है जबकि नौकरी करने वाले व्यक्ति अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे होते हैं।
- ऐसे बेहद कम बिजनेस होते हैं जिन्हें बेहद कम निवेश के साथ शुरू किया जा सके अधिकतर बिजनेस शुरू करने के लिए भारी निवेश की आवश्यकता होती है। जबकि जॉब यदि उद्यमी में काबिलियत है तो वह मुफ्त में ही इंटरव्यू के माध्यम से पा सकता है।
- बिजनेस करने वाले व्यक्ति को कई कार्यों का प्रबंधन देखने की आवश्यकता होती है इसलिए उसमें विभिन्न कार्यों के प्रबंधन का तनाव सहने की क्षमता होनी चाहिए। जबकि जॉब में व्यक्ति सिर्फ अपनी प्रोफाइल के लिए जिम्मेदार होता है।
- व्यापार कर रहे व्यक्ति को नियमित आय का व्यापार के लिए क्या समय बेहतर है आश्वासन नहीं होता जबकि जॉब कर रहे व्यक्ति को नियमित आय मिलना सुनिश्चित है।
- बिजनेस में एक कहावत काफी प्रचलित है की जितना बड़ा रिस्क उतना बड़ा प्रॉफिट इसलिए बिजनेस में जोखिम काफी है जबकि नौकरी या जॉब जोखिमों से मुक्त है।
मोबाइल के जरिए भी कर सकते है बिजनेस हर महीने होगी 30 से 40 हजार इनकम
नई दिल्ली : आज के बढ़ते तकनीकी और आधुनिक युग में शायद ही कोई व्यक्ति एेसा होगा जिसके पास स्मार्ट फोन ना हो। मोबाइल के बिना तो एेसा लगता है जैसे जिंदगी अधूरी हो। आज मोबाइल सिर्फ लोगों से जुड़ने या एंटरटेनमेंट का साधन भर नहीं रह गया है। बल्कि इसका इस्तेमाल अब अपनी इनकम बढ़ाने के लिए भी किया जा रहा है। अगर आपका बिजनेस सेट-अप नहीं है और आप कारोबार शुरू करना चाहते हैं तो मोबाइल इसके लिए सबसे बड़ा जरिया हो सकता है। मोबाइल का व्यापार के लिए क्या समय बेहतर है सही इस्तेमाल कर लेते हैं तो आपको हर महीने 30 से 40 हजार रुपए तक इनकम घर बैठे हो सकती है। वो भी 20 हजार रुपए तक के मामूली इन्वेस्टमेंट में। इसके लिए सबसे बड़ा जरिया बन सकता है लोगों से जुड़ने में सहायक मोबाइल का वाट्सऐप फीचर।
व्यापार के लिए क्या समय बेहतर है
मियाँ नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं, जिसने अपने खानदानी व्यवसाय को अपनाया। वर्तमान समय में प्रायः लोग अपने पारंपारिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं। ऐसा क्यों?
इसके पीछे बहुत से कारण छिपे हैं। अब समय बदल रहा है। आज की पीढ़ी शिक्षित हो रही है। वे जानती है कि पढ़ाई करके उसे इससे अच्छे काम मिल सकते हैं। अतः वे आज बेहतर भविष्य के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियों में नौकरी करने और बड़ा व्यवसाय करने के इच्छुक हैं। ऐसे व्यवसायों में शारीरिक मेहनत बहुत अधिक है और आमदनी कम है। ये व्यवसाय उनके भविष्य को बेहतर नहीं बना सकते हैं। यही कारण है कि लोग अपने पारंपारिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं।
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