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Bitrue - Buy BTC XRP & Crypto

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सुरक्षित, स्थिर, और उच्च प्रदर्शन
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डिजिटल परिसंपत्ति प्रबंधन के लिए वन-स्टॉप समाधान
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निष्क्रिय आय के साथ अपना धन बढ़ाएं
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बिट्रू की सहायता से विकेंद्रीकृत वित्त में भाग लें। निजी कुंजी को प्रबंधित करने, जटिल संचालन चलाने या उच्च लेनदेन शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। बस एक टैप में निवेश करें और ब्याज के आने का इंतजार करें।

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हमें अपनी टिप्पणियों और सुझावों से अवगत कराएं! आप हमसे इन जगहों पर संपर्क कर सकते हैं:

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क्रिप्टो और ब्लॉकचेन है इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी का भविष्य (Crypto & Blockchain is The Future of The IT Sector)

Note: This post has been written by a WazirX Warrior as a part of the “WazirX Warrior program“.

2020 इतिहास का अलग अध्याय लिख रहा है।जितनी बड़ी गिरावट जीडीपी में इस वर्ष दिखी गई उसे देखते हुए लगभग सभी क्षेत्रों की विकास दर बहुत सुस्त होने वाली है।इसका एक बहुत बड़ा कारण कोरोना भी है।भारत देश की बात करें तो मार्च से जो लॉकडाउन लगा,वह उम्मीद से ज्यादा लम्बा हो गया।इस दौरान क्रिप्टो लिक्विडिटी विकास को चलाने वाले कारक सभी व्यापार,शिक्षा,वस्तुओं का प्रोडक्शन और लगभग सभी जगह पर गिरावट दर्ज की गई।हवाई यात्राओं पर पूर्ण प्रतिबन्ध ने आयात निर्यात को बहुत प्रभावित किया।इतिहास में पहली बार कच्चा तेल ट्रेड बाज़ार में शून्य से निचे चला गया।

कोरोना के खौफ ने लोगों को घर में कैद कर दिया और ऐसे में लोगों को जीविका चलाने की लिए सोचना पड़ा।ऐसे समय में जो क्षेत्र बिना रुके चलता रहा बल्कि जिस क्षेत्र ने इस समय सबसे ज्यादा विकास किया वह है “इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी”। “वर्क फ्रॉम होम” यानि घर से काम करने पर सरकारों और कॉर्पोरेट सेक्टर ने जोर दिया और ऐसे में आईटी सेक्टर ने बहुत तेज़ी देखी।आप सोच कर देखिए की लॉकडाउन की दौरान क्या आपके फ़ोन बंद हुए ?क्या आपका इंटरनेट बंद हुआ ?क्या आपका टीवी बंद हुआ।और क्या आपकी ऑनलाइन मीटिंग बंद हुई ?क्या आपको ऑनलाइन पेमेंट देने या मांगवाने में कोई समस्या हुई ?इन सब प्रश्नों का जवाब है नहीं !

इस दौरान फेसबुक ने रिलाइंस जिओ में 10% की हिस्सेदारी खरीदी और जिओ ने “जिओ मीट” की नाम से ऑनलाइन कॉन्फरेंस प्लेटफार्म की शुरुआत की। कोरोना काल में ब्लॉकचेन और क्रिप्टो सेक्टर ने सबसे ज्यादा रफ़्तार दिखाई है।भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज के नए अकाउंट और ट्रेडिंग के आंकड़े काफी उत्साहवर्धक हैं।ऐसे समय में जब लगभग हर व्यपारिक क्षेत्र अपने कर्मचारियों को निकाल रहा है वहीं ब्लॉकचेन और क्रिप्टो जगत नए लोगों को नौकरियां दे रहा है।आज ब्लॉकचेन और क्रिप्टो क्षेत्र से लाखों लोग जुड़े हैं और अभी भी इस क्षेत्र में बहुत ज्यादा कर्मचारियों को जरुरत है।आईटी सेक्टर में ब्लॉकचेन और क्रिप्टो सबसे तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं,नई ब्लॉकचेन और क्रिप्टो प्रोजेक्ट के साथ ही नई एक्सचेंज पर काम चल रहा है और इन सबसे के लिए चाहिए डेवलपर और कोडिंग विशेषज्ञ।

करीब 200 से अधिक भारतीय आईटी फर्म दुनिया के 80 देशो में अपना कारोबार फैलाए हुए हैं।आईटी के एक्सपोर्ट रेवेन्यू में 8.1% की दर से विकास की उम्मीद है लगभग 147 बिलियन डॉलर जिसमें से 45% हिस्सा आईटी-बीपीऍम सेक्टर का है।मार्च में सर्वोच्चन्यायालय ने भारीतय रिज़र्व बैंक की रोक हो हटा कर भारतीय रूपये से क्रिप्टो के लेनदेन को मंजूरी देने के बाद से भारतीय क्रिप्टो बाज़ार में लोगों का विश्वास और निवेश दोनों ही बढ़े हैं।अगर हम फिनटेक इंडिया की एक रिपोर्ट के आंकड़े देखें तो यह भारत में आईटी सेक्टर की नई कहानी दिखते हैं जहा पर अमेरिका के बाद भारत में सबसे ज्यादा स्टार्टअप शुरू हुए हैं और 2015 से 2020 के बीच इसमें बहुत ज्यादा तेज़ी आई है।

अगले 3 वर्षों में भारतीय आईटी क्षेत्र बहुत तेज़ गति से आगे बढ़ने वाला है और इसमें क्रिप्टो और ब्लॉकचेन का सबसे बड़ा योगदान होने वाला है।नए नए स्टार्टअप पर काम चल रहा है और यह कई समस्याओं का समाधान लें कर आ रहे हैं।यहाँ सबसे बड़ी बात है की अगर आईटी,क्रिप्टो या ब्लॉकचेन को लें कर आपके पास कोई योजना है तो बाइनेन्स और वज़ीरएक्स ने इसके लिए आर्थिक सहयोग के लिए भी फण्ड रखा है।भारत के बहुत से ब्लॉकचेन और क्रिप्टो प्रोजेक्ट आज पूरी दुनिया के क्रिप्टो बाज़ार में नाम बना चुकें हैं और अभी तो यह शुरुआत है।फिनटेक की शुरुआत के मामले में दिल्ली एनसीआर(413) और मुंबई(437) सबसे आगे हैं जहां 42% स्टार्टअप के मुख्यालय हैं।अगर टॉप पांच शहरों की बात करें तो इसमें मुंबई,बंगलौर,दिल्ली,गुरुग्राम और हैदराबाद मुख्य हैं।इन जगहों पर क्रिप्टो डेवलपर,कोडिंग और ब्लॉकचेन डेवलपर के तौर पर नौकरियों की संभावनाएं भी सबसे ज्यादा है।

आने वाले समय में फिनटेक और आईटी सेक्टर में सबसे तेज़ ग्रोथ देने में अगर कोई सेक्टर होगा तो वह बिना शक के ब्लॉकचेन और क्रिप्टो ही होंगे।

WazirX Warriors – CryptoNewsHindi

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Tax on Cryptocurrencies: एक फीसदी TDS का क्रिप्टो निवेशकों पर क्या होगा असर, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

Tax on Cryptocurrencies: क्रिप्टो कम्यूनिटी और मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि क्रिप्टो पर एक फीसदी TDS का फैसला क्रिप्टो ट्रेडिंग गतिविधियों को प्रभावित करेगा.

Tax on Cryptocurrencies: एक फीसदी TDS का क्रिप्टो निवेशकों पर क्या होगा असर, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

बजट 2022 भाषण में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सभी वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के ट्रांसफर पर 1% TDS की घोषणा की.

Tax on Cryptocurrencies: बजट 2022 भाषण में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सभी वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के ट्रांसफर पर 1% TDS की घोषणा की, हालांकि अभी इस पर विस्तृत और पूरी जानकारी का अभाव है. देश में क्रिप्टो कम्यूनिटी और मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार का यह फैसला क्रिप्टो ट्रेडिंग गतिविधियों को प्रभावित करेगा. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सीतारमण ने कहा कि क्रिप्टोकरंसी पर 1 फीसदी का टीडीएस इसलिए लगाया है ताकि क्रिप्टो से संबंधित ट्रांजेक्शन पर नजर रखी जा सके. अभी क्रिप्टोकरंसी के रेगुलेशन की कोई व्यवस्था नहीं बन सकी है, ऐसे में टीडीएस का इस्तेमाल किया जा रहा है.

1% टीडीएस के अलावा, सीतारमण ने क्रिप्टो और एनएफटी सहित डिजिटल वर्चुअल एसेट्स के ट्रांजेक्शन से होने वाली क्रिप्टो लिक्विडिटी विकास को चलाने वाले कारक आय पर 30% टैक्स की घोषणा भी की है. एक्सपर्ट्स का मानना ​​है कि सीतारमण के इन फैसलों ने उन निवेशकों और ट्रेडर्स के मन से अनिश्चितताओं को दूर कर दिया है, जिन्हें पहले क्रिप्टो गतिविधियों पर बैन की आशंका थी.

क्या है एक्सपर्ट्स की राय

  • थिंकचैन के फाउंडर और CEO दिलीप सीनबर्ग ने FE ऑनलाइन को बताया, “क्रिप्टो लिक्विडिटी विकास को चलाने वाले कारक भारत में अन्य सर्विसेज पर शुल्क की तुलना में 1% टीडीएस मामूली है. निवेशकों के मन में डर था कि क्रिप्टो के कारण जेल भी हो सकती है या क्रिप्टो लिक्विडिटी विकास को चलाने वाले कारक क्रिप्टो लिक्विडिटी विकास को चलाने वाले कारक क्रिप्टो वेंचर शुरू करना चाहिए या नहीं? मुझे लगता है कि यह अनिश्चितता का डर है. निवेशक इस कदम का स्वागत करेंगे, विशेष रूप से अब मेनस्ट्रीम की कंपनियां और इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स आसानी से क्रिप्टो वेंचर्स में हिस्सा लेंगे.”
  • उन्होंने इसे उदाहरण के साथ समझाते हुए कहा, “मान लीजिए कि कोई ट्रेडर हर दिन 10 लाख रुपये के 10 ट्रांजेक्शन करता है. ऐसे में उसे 1 फीसदी टीडीएस के हिसाब से 10,000 रुपये x 10 ट्रांजेक्शन = 1 लाख रुपये का भुगतान करना होगा. हालांकि प्लेटफॉर्म के भीतर ट्रेडिंग करने पर 1% शुल्क नहीं लिया जाता है. यह किसी अन्य व्यक्ति को IMPS करने जैसा है.”
  • EarthID के रिसर्च और स्ट्रेटजी के VP के अनुसार, टीडीएस को कैसे लागू किया जाए, इस पर स्पष्ट गाइडलाइन्स का अभाव है. उन्होंने आगे कहा, “कुछ निवेशक पहले ही अपनी डिजिटल संपत्ति को भारत के बाहर ट्रांसफर कर चुके हैं. इससे ट्रेडिंग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है. क्रिप्टो निवेशक एक पियर-टू-पियर ट्रेडिंग मॉडल में शिफ्ट हो जाएंगे और सेंट्रलाइज्ड एक्सचेंजों पर डी-सेंट्रलाइज्ड एक्सचेंजों को प्राथमिकता देंगे. एक्सचेंजों पर इंट्रा-डे ट्रेडिंग प्रभावित होगी क्योंकि कई ट्रेडों पर टीडीएस का मतलब है कि ट्रेडिंग इनकम में काफी कटौती होगी.”
  • ट्रेडस्मार्ट के सीईओ विकास सिंघानिया ने कहा कि 1% टीडीएस नियम एसेट क्लास में ट्रेडिंग को हतोत्साहित करने वाला है. उन्होंने कहा, “इससे ट्रेडिंग वॉल्यूम निश्चित रूप से प्रभावित होगा. यदि कोई ट्रेडर एक महीने में 10 ट्रेड करता है, तो उसे इन ट्रेडों पर कुल मिलाकर कम से कम 10 प्रतिशत कमाई करनी होगी, तभी वह टीडीएस लागत को वसूल सकेगा. ब्रोकरेज और जीएसटी शुल्क ने क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेड को और मुश्किल कर दिया है.” सिंघानिया ने कहा कि इससे क्रिप्टोकरेंसी से मुनाफा कमाना मुश्किल हो जाएगा.

बड़े एक्सचेंजों पर ट्रेडिंग वॉल्यूम प्रभावित होगी

ऑनलाइन क्रिप्टो ऑडिटिंग और टैक्सेशन सॉफ्टवेयर कैटैक्स के फाउंडर गौरव मेहता के अनुसार, 1% टीडीएस नियम बड़े एक्सचेंजों पर ट्रेडिंग वॉल्यूम को प्रभावित करेगा. मेहता ने कहा, “मेरा मानना है कि बड़े एक्सचेंजों पर ट्रेडिंग वॉल्यूम, जहां मार्केट मेकर्स और थर्ड पार्टी द्वारा लिक्विडिटी प्रोवाइड की जाती है, काफी प्रभावित होगी, क्योंकि 1% टीडीएस आर्टिफिशियल लिक्विडिटी प्रोवाइडर्स के लिए एक बाधा होगी.”

कोविड-19: मंदी दे रही है दस्तक, क्‍या आप तैयार हैं?

व्यवसायों को संचालन बंद करने के लिए मजबूर किया गया है. हर स्‍तर पर उत्पादन को नुकसान हुआ है.

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व्यवसायों को संचालन बंद करने के लिए मजबूर किया गया है. हर स्‍तर पर उत्पादन को नुकसान हुआ है. यह एक 'स्टॉप एंड स्टार्ट' यानी रुकने और चलने वाला चक्र नहीं है, क्योंकि असली अर्थव्यवस्था आपस में बहुत घुली-मिली और गुंथी है.

इसे उदाहरण से समझिए और इसकी कल्पना कीजिए. एक रेस्तरां बंद हो गया. उसका कच्‍चा बाना (सब्‍जी इत्‍यादि) बेकार चला जाता है. कर्मचारी काम पर आना बंद कर देते हैं. कुछ की नौकरी चली जाती है. इसलिए, वे आवश्यक चीजों के सिवा कुछ भी नहीं खरीदते हैं.

वहीं, व्यवसाय को अभी भी किराए, बिजली के बिलों का भुगतान करना है. सूखे किराने का पैसा फंसा है. यह तभी नि‍कलेगा जब यह उपभोग की वस्‍तु में बदलेगा और बेचा जाएगा. कोई राजस्व नहीं है, लेकिन खर्च और नुकसान बढ़ रहे हैं. बही-खाते कमजोर हो रहे हैं. ऐसे व्यवसाय को बैंकों से कार्यशील पूंजी की आवश्यकता होती है, जो बदले में मुश्किल का सामना करते हैं. यह कठिनाई होती है पैसे की सुस्‍त रफ्तार की क्‍योंकि मांग और आपूर्ति दोनों में कमजोरी आती है.

जिन कर्मचारियों के पास इनकम नहीं है, उन्हें रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए पर्सनल लोन की आवश्यकता होती है. चूंकि आमदनी लोगों और व्यवसायों दोनों के लिए कम है. इसलिए सरकार टैक्‍स के रूप में कम कमाती है.

आर्थिक गतिविधियों की कमी से सिस्‍टम में कम पैसा होता है और यह सभी को प्रभावित करता है. यह कहानी दुनिया भर की सभी अर्थव्यवस्थाओं और सेक्‍टरों पर लागू होती है. यही चिंता का विषय है.

इस महामारी ने सरकारों के हाथों में जबर्दस्‍त शक्तियां और जिम्मेदारी डाल दी है. यह एक ऐसी समस्या नहीं है जिससे आजमाए जा चुके तरीकों से निपटा जा सकता है. बजाय इसके सरकार को इससे निपटने के लिए खास तरह के मार्गदर्शन, आदेश और नियंत्रण की जरूरत है.

इस बात के सबूत हैं कि डंडा हांकने वाली सरकारों ने अनुपालन और नियंत्रण के साथ बेहतर किया है. सरकारी कार्रवाई पर निर्भरता का मतलब है कि मशीनरी की क्षमताओं के आधार पर प्रतिक्रियाएं अलग-अलग होगीं. रिकवरी केंद्रीय रूप से संचालित होगी. सरकारों के आगे लंबी सड़क है.

पहला, ब्याज दरों को नीचे लाने के अलावा कोई चारा नहीं है. उम्‍मीद है कि कम ब्‍याज दरों से माल और सेवाओं की मांग को सहारा मिलेगा. इससे क्रिप्टो लिक्विडिटी विकास को चलाने वाले कारक अर्थव्यवस्थाओं को पटरी पर लाने में मदद मिलेगी.

ऐसे परिदृश्य में जहां आपूर्ति के लिए वस्‍तु और सेवाएं नहीं हों या बढ़ाने और विस्‍तार करने के लिए क्षमता नहीं हो, वहां मौद्रिक नीत‍ि कमजोर पड़ जाती है. लेकिन, ब्याज दरों को ऊंचा रखना उल्टा असर डालता है. यह पैसे के प्रवाह को बाधित करेगा और वसूली को चोट पहुंचाएगा. हम आर्थिक गतिविधि में सुधार होने तक ब्याज दरों को कम रखने के लिए दुनियाभर में मजबूत प्रयासों को देखेंगे.

दूसरा, जब सरकार लोगों को घर के अंदर रहने और काम के लिए नहीं जाने के लिए कहती है, तो अपनी आय खोने वालों के लिए मदद देने की जिम्मेदारी ज्‍यादा और वास्तविक हो जाती है.

हम परिणामों के बारे में चिंता कर सकते हैं. लेकिन कमजोर तबकों को पैसा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं हो सकता है, जो बिना आय के वित्तीय बर्बादी का सामना करेंगे. लाखों दिहाड़ी मजदूर बंदी के कारण काम से बाहर कर दिए गए हैं. व्यापक रूप से छंटनी, कटौती से अंत में बेरोजगारी आएगी. सरकार को उधारी के संसाधन खोजने होंगे क्‍योंकि कर संग्रह में कमी आएगी.

तीसरा, सरकारी राहत या प्रोत्साहन आर्थिक रिवाइवल के लिए एकमात्र आशा की किरण है. सरकारों को कर्ज का बोझ उठाना होगा और अर्थव्यवस्थाओं को दोबारा खड़ा करना होगा. अर्थव्यवस्था के अन्य इंजनों - निजी खपत, निवेश की मांग, निर्यात वृद्धि - सभी धीमा हो जाएगा और रिवाइवल में समय लगेगा.

सरकारी खर्च के बिना मंदी का प्रभाव गहरा होगा. मांग को बढ़ाने और लोगों और व्यवसायों के लिए अधिक धन रखने के लिए टैक्‍स कम करना अत्यावश्यक है. खराब आर्थिक माहौल का मतलब एसेट की बिक्री, निजीकरण से कमाने की गुंजाइश कम होना है. सरकार को भरोसा बहाल करना होगा.

चौथा, उधार लेने के माहौल को आसान करना होगा. भारत में क्रेडिट संकट के उफान और एक बड़े बैंक के तकरीबन फेल हो जाने के बीच उधार के नियमों को नरम करने की कल्पना करना कठिन है. लेकिन, हमारे पास कोई विकल्प नहीं है.

यहां तक कि अगर आरबीआई ब्याज दरों को नीचे लाता है, तो भी बैंक केवल व्यवसायों को उधार दे पाएंगे. वह भी तब होगा अगर केंद्रीय बैंक लिक्विडिटी को बढ़ाने के लिए असाधारण कदम उठाता है. इसका मतलब सीआरआर और एसएलआर को कम करना होगा. साथ ही प्रोविजनिंग के मानकों को दोबारा बदलना होगा. उधार देने के लिए प्रोत्साहन के बिना कोई रास्‍ता नहीं है.

पांचवां, ग्‍लोबल रिकवरी के लिए अर्थव्यवस्थाओं को आपस में सहयोग देना होगा. साथ ही इसके लिए तैयार रहना होगा. विकास के लिए जो अर्थव्‍यवस्‍थाएं विश्व व्यापार पर निर्भर हैं, उन्‍हें वापसी करने में अधिक समय लगेगा.

आर्थिक गतिविधियों के असमान चरणों का मतलब होगा कि चीन और दक्षिण कोरिया उत्पादन में लौट जाएंगे. लेकिन, ब्रिटेन और अमेरिका कम खपत और बंद की गिरफ्त में चले जाएंगे. खुशकिस्‍मती से भारत की इनसे तुलना क्रिप्टो लिक्विडिटी विकास को चलाने वाले कारक नहीं हो सकती है क्‍योंकि इसकी घरेलू खपत बहुत ज्‍यादा है और इसकी बाहरी सेक्‍टरों पर निर्भरता कम है.

ऐसा बहुत कुछ है जो गंवाया जा चुका है और अगली तिमाही में जिसे पाना मुश्किल होगा. लिहाजा, मंदी के लिए तैयार रहें. यह मुहाने पर खड़ी हमें घूर रही है.

(लेखिका सेंटर फॉर इनवेस्‍टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग की चेयरपर्सन हैं.)

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