ताली-थाली-शंख के बाद अब गाल बजाओ!! hastakshep | हस्तक्षेप | उनकी ख़बरें जो ख़बर नहीं बनते Arun Maheshwari – अरुण माहेश्वरी, लेखक सुप्रसिद्ध मार्क्सवादी आलोचक, सामाजिक-आर्थिक विषयों के टिप्पणीकार एवं पत्रकार हैं। छात्र जीवन से ही मार्क्सवादी राजनीति और साहित्य-आन्दोलन से जुड़ाव और सी.पी.आई.(एम.) के मुखपत्र ‘स्वाधीनता’ से सम्बद्ध। साहित्यिक पत्रिका ‘कलम’ का सम्पादन। जनवादी लेखक संघ के केन्द्रीय अरुण संकेतक क्या है? सचिव एवं पश्चिम बंगाल के राज्य सचिव। वह हस्तक्षेप के सम्मानित स्तंभकार हैं।

गालियाँ और मोदी जी ! ओह माई गॉड! इन सज्जन को परेशानी क्या है?

मोदी जी की छवि झूठ बोलने वाले मसखरे की होती जा रही है. अक्सर हर थोड़े दिनों के अंतराल पर मोदी जी गालियों और कुत्साओं की गलियों में भटकते हुए पाए जाते हैं। या तो वे खुद अन्य लोगों को नाना प्रकार की गालियों से नवाजते हुए देखे जाते हैं, या अन्य की गालियों की गंदगी में लोटते-पोटते, आनंद लेते दिखाई देते हैं।

अक्सर हर थोड़े दिनों के अंतराल पर मोदी जी गालियों और कुत्साओं की गलियों में भटकते हुए पाए जाते हैं। या तो वे खुद अन्य लोगों को नाना प्रकार की गालियों से नवाजते हुए देखे जाते हैं, या अन्य की गालियों की गंदगी में लोटते-पोटते, आनंद लेते दिखाई देते हैं।

उनके ही शब्दों में, हर रोज़ की ये कई किलो गालियां उनके लिए पौष्टिक आहार की तरह होती हैं।

सचमुच, फ्रायड भी यही कहते हैं कि व्यक्ति हमेशा घूम-फिर जिन बातों को दोहराता हुआ पाया अरुण संकेतक क्या है? जाता है, उसमें ऐसे आवर्त्तन हमेशा उसके लिए आनंद की चीज़ हुआ करते हैं।

प्रमाता में ऐसा repetition उसके enjoyment पर आधारित होता है।

पर फ्रायड यह भी कहते हैं कि इसी से उस चरित्र की कमजोरी, प्रमादग्रस्त प्रमाता के रोग के लक्षण की शिनाख्त भी होती है।

इसमें मुश्किल की बात एक और है कि आदमी हमेशा दोहराता तो वही है, जिसे वह दोहराता रहा है, पर हर दोहराव में रफ़्तार की गति के कम होने की तरह, कुछ क्षय होता रहता है, और क्रमशः उसकी बातें उसके सिर्फ एक रोग के लक्षण का संकेत भर बन कर रह जाती हैं।

फ्रायड कहते हैं कि इस प्रकार के दोहराव में व्यक्ति को उस चीज से मिलने वाला मज़ा ख़त्म होता जाता है।

जॉक लकान कहते हैं कि यही वह बिंदु है जहां से फ्रायडीय विमर्श में ‘खोई हुई वस्तु की भूमिका’ (function of lost object) का प्रवेश होता है।

यह व्यक्ति की वह मौज है जिसमें वह अपनी छवि की बाक़ी सब चीजों को गँवाता जाता है। इसे लकान की भाषा में Ruinous enjoyment कहते हैं। यह बिंदु उसी दिशा में बढ़ने का प्रस्थान बिंदु है।

इससे व्यक्ति एक निश्चित, एकल दिशा के संकेतक में बदलता जाता है। उससे कोई भी जान पाता हैं कि वह किस दिशा में बढ़ रहा है, वह क्या करने और कहने वाला है ॥

लकान व्यक्ति के बारे में आम जानकारी और उसके ऐसे संकेतक रूप से मिलने वाली जानकारी, इन दोनों को बिल्कुल अलग-अलग चीज बताते हैं। इनमें आपस में कोई मेल नहीं रह जाता है। यह संकेतक प्रमाता को अन्य संकेतक के सामने पेश करने का काम करता है।

उसी से जुड़ा हुआ है व्यक्ति के अपने आनन्द में क्षय का पहलू। यहाँ आकर उसके आनंद की समाप्ति हो जाती है, और यहीं से उसमें दोहराव का क्रम चलने लगता है। ज़ाहिर है कि इससे प्रमाता के बारे में हमारी या अन्य की जानकारी भी सिकुड़ती चली जाती है।

जैसे हमने देखा कि कैसे राहुल गांधी को पप्पू बना कर आरएसएस वालों ने उनके पूरे व्यक्तित्व को ही ढँक दिया था। चूँकि वह राहुल पर आरोपित छवि थी, वे आज उससे आसानी से निकल जा रहे हैं।

मोदी जी की छवि झूठ बोलने वाले मसखरे की होती जा रही है

लेकिन जहां तक मोदी का प्रश्न है, एक झूठे और मसखरे व्यक्ति के रूप में अपने को पेश करना अपने बारे में उनकी खुद अरुण संकेतक क्या है? की फैंटेसी का हिस्सा रहा है, जिसमें लोगों को भुलावा दे कर सच्चाई से दूर रखना ही वे राजनीति का मूल धर्म मानते हैं। वे इसी फैंट्सी में मज़ा लेते हैं।

यही वजह है कि अब हर बीतते समय के साथ मोदी जी के बारे में लोगों की पूरी धारणा ही एक झूठ बोलने वाले मसखरे की होती जा रही है। यह धारणा उन पर एक गहरे दाग की तरह, उनकी चमड़ी पर पड़ चुके ऐसे अमिट दाग का रूप ले चुका है।

अब तक जिस दाग से वे खुद मज़ा ले रहे थे, वहीं अब अंततः उन्हें शुद्ध मज़ाक़ का विषय बना कर छोड़ दे रहा है।

लोग हंस रहे हैं कि जो व्यक्ति हिमाचल के अपने एक छोटे से कार्यकर्ता को तो नियंत्रित नहीं कर पा रहा है, वह हांक रहा है कि उसने रूस के राष्ट्रपति से युक्रेन के युद्ध को चंद घंटों तक रुकवा दिया !

अरुण माहेश्वरी

arun maheshwari

ताली-थाली-शंख के बाद अब गाल बजाओ!! hastakshep | हस्तक्षेप | उनकी ख़बरें जो ख़बर नहीं बनते Arun Maheshwari – अरुण माहेश्वरी, लेखक सुप्रसिद्ध मार्क्सवादी आलोचक, सामाजिक-आर्थिक विषयों के टिप्पणीकार एवं पत्रकार हैं। छात्र जीवन से ही मार्क्सवादी राजनीति और साहित्य-आन्दोलन से जुड़ाव और सी.अरुण संकेतक क्या है? पी.आई.(एम.) के मुखपत्र ‘स्वाधीनता’ से सम्बद्ध। साहित्यिक पत्रिका ‘कलम’ का सम्पादन। जनवादी लेखक संघ के केन्द्रीय सचिव एवं पश्चिम बंगाल के राज्य सचिव। वह हस्तक्षेप के सम्मानित स्तंभकार हैं।

अरुण माहेश्वरी

अरुण माहेश्वरी, लेखक सुप्रसिद्ध मार्क्सवादी आलोचक, सामाजिक-आर्थिक विषयों के टिप्पणीकार एवं पत्रकार हैं। छात्र जीवन से ही मार्क्सवादी राजनीति और साहित्य-आन्दोलन से जुड़ाव और सी.पी.आई.(एम.) के मुखपत्र ‘स्वाधीनता’ से सम्बद्ध। साहित्यिक पत्रिका ‘कलम’ का सम्पादन। जनवादी लेखक संघ के केन्द्रीय सचिव एवं पश्चिम बंगाल के राज्य सचिव। वह हस्तक्षेप के सम्मानित स्तंभकार हैं।

अरुण थरथरानवाला क्या है मतलब और उदाहरण

शून्य से ऊपर अरुण थरथरानवाला रीडिंग इंगित करता है कि एक अपट्रेंड मौजूद है, जबकि शून्य से नीचे की रीडिंग इंगित करती है कि एक डाउनट्रेंड मौजूद है। संभावित प्रवृत्ति परिवर्तनों को संकेत देने के लिए व्यापारी शून्य रेखा क्रॉसओवर देखते हैं। वे मजबूत मूल्य चालों का संकेत देने के लिए 50 से ऊपर या -50 से नीचे की बड़ी चालों पर भी नजर रखते हैं।

अरुण ऑसिलेटर को तुषार चंदे द्वारा 1995 में अरुण इंडिकेटर सिस्टम के हिस्से के रूप में विकसित किया गया था। प्रणाली के लिए चंदे का इरादा अल्पकालिक प्रवृत्ति परिवर्तनों को उजागर करना था। अरुण नाम संस्कृत भाषा से लिया गया है और मोटे तौर पर इसका अनुवाद “सुबह का प्रारंभिक प्रकाश” है।

Aroon Indicator system में Aroon Up, Aroon Down और Aroon Oscillator शामिल हैं। अरुण ऑसिलेटर को खींचने से पहले एरोन अप और एरोन डाउन लाइनों की गणना पहले की जानी चाहिए। यह सूचक आमतौर पर 25 अवधियों की समय-सीमा का उपयोग करता है, हालांकि समय-सीमा व्यक्तिपरक है। कम तरंगें और चिकना दिखने वाला संकेतक प्राप्त करने के लिए अधिक अवधियों का उपयोग करें। इंडिकेटर में मूव वेव्स और तेज टर्नअराउंड उत्पन्न करने के लिए कम अवधियों का उपयोग करें। थरथरानवाला -100 और 100 के बीच चलता है। एक उच्च थरथरानवाला मूल्य एक अपट्रेंड का संकेत है जबकि एक कम थरथरानवाला मूल्य एक डाउनट्रेंड का संकेत है।

अरुण अप और अरुण डाउन शून्य और 100 के बीच चलते हैं। शून्य से 100 के पैमाने पर, संकेतक का मूल्य जितना अधिक होगा, प्रवृत्ति उतनी ही मजबूत होगी। उदाहरण के लिए, एक दिन पहले नई ऊंचाई पर पहुंचने वाली कीमत का Aroon Up मान 96 ((25-1)/25)x100) होगा। इसी तरह, एक दिन पहले नए निचले स्तर पर पहुंचने वाली कीमत का अरून डाउन वैल्यू 96 ((25-1)x100) होगा।

अरून अप और एरोन डाउन कैलकुलेशन में उपयोग किए जाने वाले उच्च और निम्न दो संकेतकों के बीच एक विपरीत संबंध बनाने में मदद करते हैं। जब Aroon Up मान बढ़ता है, तो Aroon Down मान में आमतौर पर कमी देखी जाएगी और इसके विपरीत।

जब अरुण अप लगातार नई ऊंचाई से ऊंचा बना रहता है, तो अपट्रेंड के बाद ऑसिलेटर का मूल्य ऊंचा होगा। जब एक सुरक्षा की कीमत कई नए चढ़ावों के साथ डाउनट्रेंड पर होती है, तो अरून डाउन वैल्यू अधिक होगी जिसके परिणामस्वरूप कम ऑसिलेटर मूल्य होगा।

चार्ट देखते समय Aroon Up और Aroon Down के साथ या बिना Aroon Oscillator लाइन को शामिल किया जा सकता है। अरुण थरथरानवाला की दिशा में महत्वपूर्ण परिवर्तन एक नई प्रवृत्ति की पहचान करने में मदद कर सकते हैं।

अरुण संकेतक क्या है?

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    Arvind Yadav
  • सम्पूर्ण आल्ह खण्ड

Its not that girls living in villages only hope that they will be married to suitable husbands. It happens to many of us, but life is not what we expect it to be. Gripping story!!

जीवन की आशाओं, निराशाओँ और हकीकतों का मंजर। कहानी पढ़नी शुरु की तो बस पढ़ती ही चली गई!

I bought this book on the train station and i liked it so much that I finished it within few hours.

चाणक्य नीति या चाणक्य सूत्र के शीर्षकों से हिन्दी पाठकों के सामने कई पुस्तके मुद्रित हुई हैं, परंतु अधिकांश में सतही जानकारी दी जाती है। यह पुस्तक भी प्रामाणिक नहीं मानी जा सकती है। परंत एक सामान्य पाठक के लिए जो कि चाणक्य और उसके विचारों के संबंध में प्राथमिक जानकारी प्राप्त करना चाहता है, यह पुस्तक एक अच्छा आरंभ दे सकती है।

उषाजी की कहानियाँ विदेशों में विशेषकर अमेरिका में रहने वाली भारतीय महिलाओँ की मनःस्थिति का अत्यंत सजीव चित्रण करती है। इनकी 'शेष यात्रा' विशेष पठनीय है।

Bjp Leader Arun Sood Electyed


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छोटे उद्योगों की हर चाल पर नजर रखेगा क्रिसिडेक्स, वित्त मंत्री ने की शुरुआत

देश में सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग (एमएसएमई) क्षेत्र की हलचल पर नजर रखने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को क्रिसिडेक्स (CriSidEx) की शुरुआत की। यह एक सूचकांक होगा जो आठ पैमानों पर.

छोटे उद्योगों की हर चाल पर नजर रखेगा क्रिसिडेक्स, वित्त मंत्री ने की शुरुआत

देश में सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग (एमएसएमई) क्षेत्र की हलचल पर नजर रखने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को क्रिसिडेक्स (CriSidEx) की शुरुआत की। यह एक सूचकांक होगा जो आठ पैमानों पर एमएसएमई में तेजी या गिरावट को बताएगा।

जेटली ने यहां एमएसएमई के लिए अपनी तरह के पहले 'धारणा सूचकांक क्रिसिडएक्स की शुरुआत के मौके पर एमएसएमई को अर्थव्यवस्था की रीढ़ करार देते हुए कहा कि यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था में मजबूती के मौजूदा दौर की अगुवाई करेगा। इस अवसर पर उन्होंने कहा जहां तक अर्थव्यवस्था का सवाल है तो बीते दो साल में बहुत बड़े ढांचागत सुधारों से गुजरने के बाद अब यह भी सुदृढ़ीकरण के चरण में है। सुदृढ़ीकरण के इस चरण की अगुवाई भी एमएसएमई क्षेत्र करेगा।

ऐसे काम करेगा क्रिसिडेक्स
क्रिसिडेक्स को क्रिसिल और सिडबी ने मिलकर तैयार किया है। यह आठ मानकों पर एमएसएमई की कारोबारी धारणा का आकलन करेगा। इसमें शून्य से 200 अंकों के आधार पर मापा जाएगा। इस अवसर पर जेटली ने क्रिसिडेक्स की पहली रिपोर्ट भी जारी की। रिपोर्ट के मुताबिक अक्तूबर-दिसंबर में क्रिसिडेक्स सूचकांक 107 रहा है जो एमएसएमई क्षेत्र में हल्की सुधार का संकेत है। रिपोर्ट के मुताबिक इसमें जनवरी-मार्च तिमाही के अग्रिम अनुमान का संकेत भी लिया गया है। पहली रिपोर्ट में 1,100 एमएसएमई को शामिल किया गया है जिसमें 550 मैन्यूफैक्चरिंग और 550 सेवा क्षेत्र की हैं।

रोजगार देने में छोटे उद्योग आगे
वित्त मंत्री ने कहा कि एमएसएमई सबसे बड़े नियोक्ता क्षेत्रों में से एक है। यह ऐसा क्षेत्र है जहां लोग अपने उद्यमिता कौशल का ही प्रदर्शन नहीं करते बल्कि इस प्रक्रिया में रोजगार प्रदाता भी बन जाते हैं। जेटली ने कहा कि इस क्षेत्र की स्थिति अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और उठाए गए अनेक कदमों के मद्देनजर इस क्षेत्र का औपचारिक अर्थव्यवस्था में एकीकरण तेज हुआ है।

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