पिछले लगभग दो या तीन दशकों में मैंने अपने परिवार और सर्कल में यह पाया है कि जिस भी व्यक्ति ने फार्मेसी के क्षेत्र में एजुकेशन पाई, वो आज वेल-सेटल्ड है।
विद्यार्थियों ने सीखे एडवेंचर व लाइफसेविंग के ट्रिक्स
विद्यार्थियों ने सीखे एडवेंचर व लाइफसेविंग के ट्रिक्स
कक्षा १ से १२ वीं के १७५० विद्यार्थी हुए शामिल
शिवपुरी। भारत में शेयर बाजार कितने प्रकार के होते है? शहर के गीता पब्लिक स्कूल में गत १८ दिनों से चल रहे एडवेंचर स्पोट्र्स व लाइफसेविंग शिविर के दौरान विद्यार्थियों को एडवेंचर स्पोट्र्स के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। शिविर में कक्षा १ से १२ वीं के १७५० बच्चों ने भाग लिया।
स्कूल के एडवेंचर स्पोट्र्स इंस्ट्रक्टर साबिर खान ने शिविर में मौजूद बच्चों को बताया कि वर्तमान समय में हम प्रतिदिन कई तरह की दुर्घटनाओं से रूबरू होते हैं। इन दुर्घटनाओं से कैसे बचा जा सकता है या इनके प्रभाव को कैसे कम किया जा सकता है। इसकी जानकारी दी। विद्यार्थियों को 9-9 दिन की ट्रेनिंग के अनुसार दो भागों में विभाजित कर दिया गया था। जान बचाने के लिए जानकारी का होना अति आवश्यक है। पढ़ाई के साथ-साथ छात्र.छात्राओं को कुछ ऐसा सिखाना चाहिए कि आपदा भारत में शेयर बाजार कितने प्रकार के होते है? के समय वे अपनी व दूसरे लोगों की मदद कर सके।
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देशी संसाधनो से कम समय में कर सकते है मदद
आपदा के दौरान देशी संसाधनों जैसे जूते के वंद से लेकर टीशर्ट, मोजे, हाथ का कड़ा, प्लास्टिक की बोतलों, बांस लकड़ी इस्तेमाल कर घायलों को कम वक्त में स्ट्रेचर बनाकर मदद किस प्रकार से कर सकते हैं, इस बारे में बच्चों को सिखाया। इसके साथ ही विद्यार्थियों ने वर्मा ब्रिज, पैरलल रोप, मंकी क्राउलिंग, टैरोलीन, रिवर क्रॉसिंग, सैपर स्विंग, कोऑर्डिनेशन टीम नेट, कोऑर्डिनेशन टीम गेम, सरवाइवल फस्र्ट एड, सीपीआर, आउटडोर फिजिकल एक्टिविटी, वॉल क्लाइंबिंग आदि गतिविधियों में हिस्सा लिया।
सम्भागायुक्त के पास पहुंचा जमीन आवंटन की फाइल
ग्वालियर, न.सं.। ग्वालियर के सपूत एवं देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व.अटल बिहारी वाजपेयी की याद में ग्वालियर में बनने वाले अटल स्मारक का मामला अधिकारियों की अंदेखी के कारण अभी तक फाइलों में ही घूम रहा है। यही कारण है कि अभी तक स्मारक बनाने के लिए जमीन का आवंटन तक नहीं हो सका है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि दो से तीन दिन में जमीन आवंटित कर दी जाएगी।
दरअसल 2022 में विधानसभा उपचुनाव के दौरान मुरार रामलीला मैदान में एक जनसभा आयोजित हुई थी। जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा अटल स्मारक बनाने की घोषिण की। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भोपाल से विभिन्न विभागों के अधिकारियों के दल ने ग्वालियर का दौरा किया और सिरोल पहाड़ी की 20 बीघा जमीन को अटल स्माकर के लिए चिंहित किया गया।
Agricultural Tips : खेती और किसान; जैविक कीटनाशकों का प्रयोग कैसे करें
by Mahesh Kumar Shiva
Agricultural Tips: फसलों को उनमें लगने वाले कीटों से बचाना बेहद जरुरी होता है। रसायनों का प्रयोग करने से जहां मृदा शक्ति पर विपरित प्रभाव पड़ता है, वहीं दूसरी ओर मानव पर भी रसायनिक कीटनाशकों का प्रभाव पड़ता है। ऐसे में फसलों को कीट से बचाने के लिए जैविक कीटनाशकों का प्रयोग किया जा सकता है। जैविक कीटनाशकों का मनुष्य पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं होता। यहां किसान भाईयों के लिए कुछ प्रमुख जैविक कीटनाशकों की जानकारी दी जा रही है, इनका प्रयोग कर किसान कीटों से अपनी फसलों का बचाव कर सकते हैं।
Agricultural Tips
ट्राइकोडर्मा
यह एक प्रकार का फफूंदीनाशक है, जो बाजार में 1 प्रतिशत डब्ल्यूपी तथा 2 प्रतिशत डब्ल्यूपी के फॉर्मूलेशन में उपलब्ध है। ट्राइकोडर्मा के कवक तंतु हानिकारक कवकों के तंतुओं के अंदर जाकर अथवा उसके ऊपर रहकर उसका रस चूसते हैं। इसके साथ ही ये विशिष्ट प्रकार के विषाक्त रसायन का स्रवण करते हैं, जो बीजों के चारों ओर सुरक्षा दीवार बनाकर हानिकारक फफूंदी से रक्षा करते हैं। ये बीजों के अच्छे अंकुरण के लिए भी उत्तरदायी होते हैं। इसके प्रयोग से पूर्व अथवा पश्चात रासायनिक उत्पादों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यह विभिन्न प्रकार की फसलों, फलों तथा सब्जियों जैसे- धान, कपास, गेहूं, गन्ना, पपीता, आलू आदि में जड़ सड़न, तना सड़न, झुलसा आदि रोगों में प्रभावी होता है।
प्रयोग विधि : ट्राइकोडर्मा से बीजशोधन के लिए इसकी 4 ग्राम मात्रा लेकर प्रति कि.ग्रा. बीज दर से बीज उपचार कर बुआई करनी चाहिए। पौधे तैयार करते समय इसकी 5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर, पौधे की जड़ उसमें डुबोकर शोधित करने के पश्चात प्रयोग करना चाहिए। ट्राइकोडर्मा से मृदा उपचारित करने के लिए इसकी 2.5 कि.ग्रा. मात्रा को प्रति हैक्टर की दर से लगभग 70 से 80 कि.ग्रा. गोबर की खाद में मिलाकर पर्याप्त नमी के साथ लगभग 10 दिनों तक छाया में सुखाकर, बुआई से पूर्व अंतिम जुताई पर प्रयोग करना चाहिए। फसल में फफूंदजनित रोगों के नियंत्रण के लिए 2.5 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर की दर से लगभग 500 लीटर पानी में घोल का आवश्यकता अनुसार 15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए।
कॅरियर ऑप्शंस की तलाश यहां होगी खत्म
लोग गलत सोचते हैं कि कॅरियर विकल्प में केवल केमिस्ट शॉप्स, मेडिकल स्टोर्स या डिस्पेंसरियों में नौकरियों सीमित होती हैं। आइए, उस भ्रम को दूर करें! ये है एक पूरी सूची फार्मेसी में कॅरियर ऑप्शंस की
रिसर्च एंड डेवलपमेंट मैनेजर: रिसर्च एंड डेवलपमेंट मैनेजर प्रोफेशनल्स चिकित्सा और दवा विज्ञान के लिए सामग्री पर लगातार शोध करने के लिए जिम्मेदार होते है।
फार्मेसिस्ट: विभिन्न सरकारी और प्रायवेट मेडिकल संस्थानों में फार्मेसिस्ट की आवश्यकता होती है।
फार्मा सेल्स रिप्रेजेंटेटिव: सभी दवा कंपनियों को अपने उत्पादों के मार्केटिंग और सेल्स के लिए उच्च प्रशिक्षित फार्मासिस्टों की आवश्यकता होती है।
सरकारी नौकरियां: ड्रग इंस्पेक्टर, असिस्टेंट/डिप्टी ड्रग कंट्रोलर या स्टेट/सेंट्रल ड्रग कंट्रोलर- बी.फार्मा स्नातकों के पास ड्रग इंस्पेक्टर, असिस्टेंट/डिप्टी ड्रग कंट्रोलर या स्टेट/सेंट्रल ड्रग कंट्रोलर के रूप में नौकरी पाने का अवसर है। ड्रग इंस्पेक्टर नई दवाओं के विकास चरण के दौरान आवश्यक गुणवत्ता, सुरक्षा और दक्षता मानकों का पालन करवाता है। यह पद अत्यधिक आकर्षक हैं और इसके लिए रिक्तियां विभिन्न सरकारी यूपीएससी और एसएससी भर्तियों के माध्यम से भरी जाती हैं।
फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री में उपलब्ध डिग्री और कोर्सेज
फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री में बेचलर ऑफ फार्मेसी (बी फार्मा), मास्टर ऑफ फार्मेसी, डॉक्टर ऑफ फार्मेसी, फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट में एमबीए, फार्मेसी प्रथाओं और ड्रग स्टोर प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, फार्मेसी प्रक्टिसेस और ड्रग स्टोर मैनेजमेंट में पोस्ट-ग्रेजुएट डिप्लोमा, डिप्लोमा – क्लिनिकल रिसर्च, डिप्लोमा- ड्रगस्टोर प्रबंधन इत्यादि डिग्रियां और कोर्सेज उपलब्ध है।
- जामिया हमदर्द, नई दिल्ली
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, हैदराबाद
- पंजाब यूनिवर्सिटी
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, मोहाली
- बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, पिलानी
जानिए- आगे क्या होगा
समय के साथ इस क्षेत्र में कॉम्पिटिशन काफी बढ़ गया है, और आज नए युग के फार्मेसी उद्योग में, उम्मीदवारों को मुख्य तकनीकी ज्ञान के अलावा कम्प्यूटेशनल और मैनेजमेंट स्किल्स में निपुण होना चाहिए।
आगामी स्वास्थ्य समस्याओं की भविष्यवाणी करने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा अधिक से अधिक नई तकनीकों का उपयोग करने के साथ, फार्मा क्षेत्र भी पारंपरिक होने से अत्यधिक टेक्नोलॉजी-ड्रिवन क्षेत्र की ओर बढ़ रहा है।
कॅरियर ऑप्शंस की तलाश यहां होगी खत्म
लोग गलत सोचते हैं कि कॅरियर विकल्प में केवल केमिस्ट शॉप्स, मेडिकल स्टोर्स या डिस्पेंसरियों में नौकरियों सीमित होती हैं। आइए, उस भ्रम को दूर करें! ये है एक पूरी सूची फार्मेसी में कॅरियर ऑप्शंस की
रिसर्च एंड डेवलपमेंट मैनेजर: रिसर्च एंड डेवलपमेंट मैनेजर प्रोफेशनल्स चिकित्सा और दवा विज्ञान के लिए सामग्री पर लगातार शोध करने के लिए जिम्मेदार होते है।
फार्मेसिस्ट: विभिन्न सरकारी और प्रायवेट मेडिकल संस्थानों में फार्मेसिस्ट की आवश्यकता होती है।
फार्मा सेल्स रिप्रेजेंटेटिव: सभी दवा कंपनियों को अपने उत्पादों के मार्केटिंग और सेल्स के लिए उच्च प्रशिक्षित फार्मासिस्टों की आवश्यकता होती है।
सरकारी नौकरियां: ड्रग इंस्पेक्टर, असिस्टेंट/डिप्टी ड्रग कंट्रोलर या स्टेट/सेंट्रल ड्रग कंट्रोलर- बी.फार्मा स्नातकों के पास ड्रग इंस्पेक्टर, असिस्टेंट/डिप्टी ड्रग कंट्रोलर या स्टेट/सेंट्रल ड्रग कंट्रोलर के रूप में नौकरी पाने का अवसर है। ड्रग इंस्पेक्टर नई दवाओं के विकास चरण के दौरान आवश्यक गुणवत्ता, सुरक्षा और दक्षता मानकों का पालन करवाता है। यह पद अत्यधिक आकर्षक हैं और इसके लिए रिक्तियां विभिन्न सरकारी यूपीएससी और एसएससी भर्तियों के माध्यम से भरी जाती हैं।
फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री में उपलब्ध डिग्री और कोर्सेज
फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री में बेचलर ऑफ फार्मेसी (बी फार्मा), मास्टर ऑफ फार्मेसी, डॉक्टर ऑफ फार्मेसी, फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट में एमबीए, फार्मेसी प्रथाओं और ड्रग स्टोर प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, फार्मेसी प्रक्टिसेस और ड्रग स्टोर मैनेजमेंट में पोस्ट-ग्रेजुएट डिप्लोमा, डिप्लोमा – क्लिनिकल रिसर्च, डिप्लोमा- ड्रगस्टोर प्रबंधन इत्यादि डिग्रियां और कोर्सेज उपलब्ध है।
- जामिया हमदर्द, नई दिल्ली
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, हैदराबाद
- पंजाब यूनिवर्सिटी
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, मोहाली
- बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ भारत में शेयर बाजार कितने प्रकार के होते है? टेक्नोलॉजी एंड साइंस, पिलानी
जानिए- आगे क्या होगा
समय के साथ इस क्षेत्र में कॉम्पिटिशन काफी बढ़ गया है, और आज नए युग के फार्मेसी उद्योग में, उम्मीदवारों को मुख्य तकनीकी ज्ञान के अलावा कम्प्यूटेशनल और मैनेजमेंट स्किल्स में निपुण होना चाहिए।
आगामी स्वास्थ्य समस्याओं की भविष्यवाणी करने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा अधिक से अधिक नई तकनीकों का उपयोग करने के साथ, फार्मा क्षेत्र भी पारंपरिक होने से अत्यधिक टेक्नोलॉजी-ड्रिवन क्षेत्र की ओर बढ़ रहा है।
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