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बायनेन्स पर लाइटकॉइन (LTC) कैसे माइन करें
लाइटकॉइन (LTC) एक क्रिप्टो मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) है जो स्क्रीप्ट प्रूफ ऑफ वर्क एल्गोरिथ्म द्वारा संचालित है। LTC का उद्देश्य मूल क्रिप्टो माइनिंग कैसे करते हैं? बिटकॉइन प्रोटाकॉल में संशोधन कर बिटकॉइन का विकल्प प्रदान करना है। लाइटकॉइन (LTC) पहले बनाए गए अल्टकॉइन में से एक था। लाइटकॉइन नेटवर्क को 13 अक्टूबर 2011 को लॉन्च किया गया था। जब से इसे पहली बार बनाया गया था, तब से LTC अभी भी बाजार पूंजीकरण द्वारा सबसे बड़ी क्रिप्टो मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) में से एक है।
लाइटकॉइन का उद्देश्य व्यापारियों के लिए बिटकॉइन ब्लॉकचेन की तुलना में तेजी से लेनदेन क्रिप्टो माइनिंग कैसे करते हैं? कर LTC भुगतान को स्वीकार करना आसान बनाना है। लाइटकॉइन और बिटकॉइन में कुछ प्रमुख अंतर हैं, उदाहरण के लिए, लाइटकॉइन पर लेनदेन तेज है और इसकी कुल आपूर्ति (8.4 करोड़ LTC) है। इसके अलावा, लिटकॉइन के पड़ावों में भी बदलाव किया गया है। बिटकॉइन अर्धीरण 210,000 ब्लॉक है, जबकि लाइटकॉइन अर्धीरण 840,000 ब्लॉक है।
मैं बायनेन्स पर LTC माइनिंग के साथ कैसे शुरुआत कर सकता/सकती हूं?
लागू माइनर
LTC माइनिंग स्टेप-बाय-स्टेप गाइड
आधिकारिक बायनेन्स पूल वेबसाइट पर जाएं और एक माइनिंग खाता बनाने के लिए एक बायनेन्स पूल खाते के लिए रजिस्ट्रेशन करें। अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप अनेक उप-खनन खाते कैसे बनाएं, इसके संबंध में कृपया नीचे दिए गए लिंक का संदर्भ लें:बायनेन्स माइनिंग खाता क्या है और इसे कैसे बनाएं।
पूल 1: stratum+tcp://ltc.poolbinance.com:3333
पूल 2: stratum+tcp://ltc.poolbinance.com:443
पूल 3: stratum+tcp://ltc.poolbinance.com:25
"MiningAccount.Worker" के रूप में कार्यकर्ता नाम बनाएं और एक पासवर्ड सेट करें। कार्यकर्ता के नाम संख्याएं या संख्याएं और अक्षर हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपके माइनिंग खाते का नाम MiningLTC है, तो आपके कार्यकर्ता का नाम "MiningLTC.001" हो सकता है। पासवर्ड वैकल्पिक है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
हम अनुशंसा करते हैं कि आप स्थिर और टिकाऊ माइनिंग सुनिश्चित करने के लिए कई पोर्ट सेट करें। यदि उनमें से एक निष्क्रिय है, तो माइनिंग जारी रखने के लिए माइनर स्वचालित रूप से अगले पोर्ट पर चला जाएगा।
माइनर के लगभग 10-20 मिनट तक चलने के बाद स्टेटस सक्रिय हो जाएगा। यदि कार्यकर्ता अमान्य शेयर प्रस्तुत करते रहते हैं, तो कृपया डैशबोर्ड पर अपनी सेटिंग जांचें। यदि समस्या अनसुलझी रहती है, तो कृपया बायनेन्स सपोर्टसे संपर्क करें।
डिजिटल करेंसी नहीं एसेट पर लगा है टैक्स
सबसे पहले तो ये समझिए सरकार ने जो टैक्स लगाया है वो डिजिटल एसेट या यूं कहें क्रिप्टोकरेंसी (Cyrptocurrency) जैसे बिटकॉइन पर लगा है, जो फिलहाल लीगल नहीं है. गौर करने की बात ये है कि सरकार इसे करेंसी नहीं मान रही है. तो अब भारत में डिजिटल एसेट (Cryptocurrency) से होने वाली कमाई पर 30% टैक्स लगेगा. मतलब अब अगर कोई व्यक्ति किसी क्रिप्टो माइनिंग कैसे करते हैं? डिजिटल एसेट (Digital Asset) में निवेश करके 100 रुपए का मुनाफा कमाता है, तो उसे 30 रुपए टैक्स के रूप में सरकार को देने होंगे.
क्रिप्टोकरेंसी के हर एक ट्रांजैक्शन (Transaction) पर अलग से 1% क्रिप्टो माइनिंग कैसे करते हैं? TDS (Tax deduction at source) सरकार को देना होगा. मान लीजिए, किसी क्रिप्टो माइनिंग कैसे करते हैं? क्रिप्टो माइनिंग कैसे करते हैं? ने कोई क्रिप्टोकरेंसी खरीदी हुई है. ये उसका निवेश है. मतलब उसका ये Asset हुआ. अब अगर खरीदने वाला इस एसेट को किसी और को ट्रांसफर करता है, तो उसे अलग से उस Asset की कुल कीमत पर 1% के हिसाब से TDS चुकाना होगा. TDS किसी Source पर लगाया जाता है. जैसे आपको हर महीने मिलने वाली तनख्वाह पर सरकार जो टैक्स लेती है, वो TDS होता है. कुल मिलाकर सरकार डिजिटल करेंसी को एक इनकम सोर्स मान रही है. इसकी कमाई पर 30% टैक्स भी लगा दिया गया है.
तो क्या क्रिप्टो करेंसी लीगल हो गई?
बजट में हुए इस ऐलान के बाद ज्यादातर लोगों के मन में ये सवाल है कि क्या सरकार ने डिजिटल करेंसी पर टैक्स लगा कर इसे लीगल कर दिया है? जवाब है- नहीं. इसे ऐसे समझिए, सरकार सिर्फ उस डिजिटल करेंसी (Digital Currency) को लीगल यानी वैध मानती है, जिसे Reserve Bank of India-RBI जारी करता है या करेगा. मतलब अभी जो Bitcoin जैसी Crypto Currency हैं, वो वैध नहीं है. बजट भाषण के बाद पत्रकारों से सवाल-जवाब में वित्तमंत्री ने साफ किया कि क्रिप्टो की वैधता को लेकर सरकार में चर्चा जारी है लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क के बाहर जो भी क्रिप्टोकरेंसी हैं, वे करेंसी नहीं हैं. अगर कोई आपसे कहे कि ये लीगल हो गई हैं तो जब तक सरकार नहीं कहती, मानिएगा नहीं. यहां पर गौर करने की बात ये भी है कि सरकार क्रिप्टो माइनिंग कैसे करते हैं? अप्रैल से शुरू होने वाले कारोबारी साल में अपनी डिजिटल करेंसी लाने की भी तैयारी में है जिसका जिक्र वित्तमंत्री ने अपने भाषण में किया. जाहिर है ये करेंसी पूरी तरह लीगल होगी.
वर्चुअल एसेट से वित्तमंत्री का मतलब क्या है?
आसान तरीके से समझें तो आप क्रिप्टो माइनिंग कैसे करते हैं? जो सोना खरीदते हैं या जो घर खरीदते हैं, वो आपकी Assets होती है. मतलब आपकी सम्पत्ति, ना कि ये करेंसी है. ठीक इसी तरह Crypto Currency भारत सरकार के लिए एक Asset होगी और क्रिप्टो माइनिंग कैसे करते हैं? इस पर लोगों से टैक्स वसूला जाएगा. अगर आप ये सोच रहे क्रिप्टो माइनिंग कैसे करते हैं? हैं कि Bitcoin, Ethereum, Tether, Ripple जैसी डिजिटल करेंसी को लीगल माना गया है तो तकनीकी तौर पर बिल्कुल सही नहीं है. हालांकि, क्रिप्टो माइनिंग कैसे करते हैं? लोग इसमें निवेश कर सकेंगे.
सरकार के प्रतिनिधियों ने ये भी बताया कि देश में क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन साल 2017 से ही सरकार के राडार पर है. इस पर टैक्स लगाने से सरकारी खजाने में मोटी रकम पहुंचनी तय है. अभी अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, Netherlands और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में वर्चुअल करेंसी (Virtual Currency) पर वहां की सरकारें टैक्स लगाती हैं. सरकार के इस फैसले के पीछे एक बड़ी वजह ये हो सकती है कि, हमारे देश में जितने लोगों ने CryptoCurrency में निवेश किया है, वो देश की आबादी का लगभग 8% हैं. RBI के आंकड़ों के मुताबिक, इन लोगों ने अपने 70 हजार करोड़ रुपए इस समय ऐसी Virtual Currency में लगाए हुए हैं. पूरी दुनिया में CryptoCurrency में ट्रेड करने के मामले में भारतीय सबसे आगे हैं. सरल शब्दों में कहें तो ये 30 प्रतिशत टैक्स, सीधे तौर पर 70 हजार करोड़ रुपए के निवेश को एक गारंटी देगा और हो सकता है कि भारत में इसका इस्तेमाल बढ़ जाए.
जानें वर्चुअल करेंसी 'बिटकॉइन' की कैसे होती है माइनिंग
नई दिल्ली/टीम डिजिटल। सरकार की लाख मनाही के बाद भी लोगों का बिटकॉइन, रिपल और लाइटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरंसी की तरफ रुझान कम होता नजर नहीं हो रहा है। बात करते है आखिर कौन बनाता है ये बिटकॉइन और कैसे होती है इसकी माइनिंग। देश से लेकर दुनिया तक करंसी से अलग क्रिप्टो करंसी बैंक या एक कंसोर्शम जैसी कोई सेंट्रल अथॉरिटी प्रोड्यूस नहीं करती।
बिटकॉइन को माइनिंग रिग्स के नाम से जाने जानेवाले कंप्यूटर बनाते हैं। इस वर्चुअल करंसी को बनाने के लिए इन कंप्यूटर को जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके बाद बिंटकॉइन आपके सामने आते है। इसकी शुरुआत 2 जनवरी 2009 में 50 कॉइन्स के साथ हुई थी। ये कॉइन्स हर दस मिनट में मैथमेटिकल फार्मूले से नए कॉइन से बैच तैयार होतें हैं। बता दें कि अगर आपके पास कंप्युटिंग की अधिक जानाकीर है तो, इन कॉइन्स की माइनिंग कोई भी कर सकता है
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