NIFTY 1991-2022, Source: TradingView chart

Nifty in Hindi: निफ्टी क्या है? – इसकी गणना कैसे होती है

निफ्टी क्या है?- इसकी गणना कैसे होती है? यदि आप इस सवाल का जवाब खोजते हुए, यहाँ आये शेयर मार्केट एवं स्टॉक मार्केट में क्या अंतर है है, तो आप बिल्कुल सही जगह आये है। इस article में हम सबने Nifty50 और National Stock Exchange से संबंधित सभी जानकारियों को समाहित किया है।

What is Nifty in Hindi?

निफ्टी क्या है?

NSE का full form शेयर मार्केट एवं स्टॉक मार्केट में क्या अंतर है National Stock Exchange of India है। निफ्टी में 50 कंपनियां शामिल होती है। इसकी शुरुआत नवंबर 1994 को हुयी थी। Nifty शब्द- National और Fifty से मिलकर बना है। यहाँ Fifty नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में शामिल 50 कंपनियों के लिए है।

निफ्टी, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक है

निफ्टी(Nifty) के बारें में जानने के पहले आपको शेयर बाजार क्या है तथा इसमें निवेश कैसे करते है, इस बात की जानकारी होनी चाहिए।

संक्षेप में :
Stock Market(शेयर बाजार) :- शेयर बाजार में शेयरों की खरीद-बिक्री होती है।
Equity(शेयर) :- शेयर का अर्थ होता है हिस्सा, किसी कंपनी में लगने वाले पूंजी(capital) का हिस्सा।

भारत में दो सूचकांक है

निफ्टी की जानकारी?

Nifty नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध 50 प्रमुख कंपनियों के शेयरों का सूचकांक है। यह National Stock Exchange में शामिल कंपनियों को Index करता है।

NSE में 1600 से भी ज्यादा companies registered है। निफ्टी इन सभी कंपनियों को इंडेक्स नही करता। निफ्टी में इंडेक्स होने के लिए देश के 12 अलग-अलग सेक्टर की 50 सबसे बड़ी, आर्थिक रूप से मजबूत तथा सबसे ज्यादा मार्केट कैप वाली कंपनियों को चुना जाता है।

ये कंपनिया देश के कई क्षेत्रों(sector) जैसे – Bank, Real estate, Media, Information technology, Auto, Financial services, Pharma, Metal, FMCG, Energy इत्यादि वर्गों से आती है।

निफ्टी की शुरुआत वर्ष 1994 से हुयी थी, जबकि इसका base year एक वर्ष बाद नवंबर 1995 है, तथा base value 1000 है।

यहाँ Base Year तथा Base Value कहने का मतलब यह है की Nifty को वर्ष 1995 के Market Cap एवं base value 1000 को आधार मानकर कैलकुलेट करते है।

Nifty का प्रबंधन India Index Services and Products (IISL) करता है। निफ्टी के टॉप 50 कंपनियों में शामिल होने के लिए बीएसई-सेंसेक्स की तरह ही कंपनियों को कई शर्तों को पूरा करने की जरुरत पड़ती है। जिन्हें आप हमारे पिछले लेख: सेंसेक्स क्या होता है? में पढ़ सकते है।

निफ्टी की गणना कैसे होती है?

How Nifty is calculated in Hindi

निफ्टी की गणना(Calculation of Nifty) सेंसेक्स के तरह ही Free-float Market Capitalisation के आधार पर की जाती है। Nifty की गणना करते वक्त सेंसेक्स की गणना में उपयोग किये जानेवाले पद्धति का ही इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन कुछ टर्म निफ्टी में बदल जाते है।

जो इस प्रकार है –

  • Nifty की शेयर मार्केट एवं स्टॉक मार्केट में क्या अंतर है गणना करते वक्त आधार वर्ष(base year) 1995 और आधार वैल्यू(base value) 1000 का उपयोग किया जाता है।
  • Nifty की गणना में देश के 12 अलग-अलग सेक्टर की 50 सबसे ज्यादा मार्केट कैप वाली कंपनियों को चुना जाता है।

Market capitalisation तथा Free-float Market capitalisation क्या है

इन दोनों बातों को जानना आपके लिए अत्यंत आवश्यक है। इससे संबंधित बातों को हमने पिछले आर्टिकल सेंसेक्स क्या है – आसानी से समझे में काफी अच्छे शेयर मार्केट एवं स्टॉक मार्केट में क्या अंतर है से बताया है, आप वहां इसके बारे में ज्यादा जानकारी हासिल कर सकते है।

Market Capitalisation(बाजार पूंजी) : Market Capitalisation किसी कंपनी की कीमत होती है।

Free-float Market Capitalisation : यह किसी कंपनी के शेयर का वो खुला हुआ हिस्सा होता है जो खरीदने के लिए उपलब्ध होता है। इसे open market share भी कहते है। ये स्टॉक मार्केट से खरीदा जा सकता है।

1991 – 2022 के वर्षों में निफ्टी का प्रदर्शन

NIFTY 1991-2022 Tradingview chart

NIFTY 1991-2022, Source: TradingView chart

निफ्टी क्या होता है और इसकी गणना कैसे होती है? आप जान चुके होंगे। शेयर बाजार में निवेश करने के पहले किन जरुरी बातों का ध्यान हमेशा रखना चाहिए आप इस निचे के लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते है।
शेयर बाजार में निवेश के कुछ जरूरी टिप्स(10+ Tips for Investing in Share Bazar)

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क्या है 'बुल मार्केट' और 'बियर मार्केट'? जानिए शेयर बाजार से क्या है इसका संबंध

शेयर मार्केट

यदि आपने हर्षद मेहता के जीवन पर आधारित लोकप्रिय वेब सीरीज देखी है, तो आपको याद होगा कि उसमें 'मंदोड़िया' (बियर) और 'तेजड़िया' (बुल) के बारे में बताया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि बुल और बियर मार्केट, मार्केट एक्विटी का आधार हैं। ये निवेशकों और व्यापारियों को प्रचलित प्रवृत्ति के अनुसार अपना स्थान लेने में मदद करते हैं।

पर ये क्या हैं? आइए फिनोलॉजी के मुक्य कार्यकारी अधिकारी प्रांजल कामरा द्वारा जानते हैं इसके बारे में।

बिजनेस साइकल (शेयर मार्केट एवं स्टॉक मार्केट में क्या अंतर है व्यापार चक्र) को समझना
कोई भी बाजार कुछ आर्थिक सिद्धांतों के आधार पर बढ़ता है। इस संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक 'व्यापार चक्र' है, जिसे इकोनॉमिक साइकल या ट्रेड साइकल के रूप में भी शेयर मार्केट एवं स्टॉक मार्केट में क्या अंतर है जाना जाता है। ये चक्र लहर की तरह के पैटर्न हैं जो दीर्घकालिक विकास की प्रवृत्ति पर बनते हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि बाजार के आगे बढ़ने के साथ-साथ उनमें एक उछाल और गिरावट (मंदी) आती है। संक्षेप में, एक व्यापार चक्र की लंबाई एक उछाल और मंदी से लिया गया समय है।

सच कहा जाए, तो बाजार में इस तरह के उछाल और उतार-चढ़ाव काफी हैं और ये तकनीकी मंदी के बिना भी एक दिन, सप्ताह या महीने में हो सकते हैं। दूसरी ओर मंदी, दीर्घकालिक विकास प्रक्षेपवक्र की उपोत्पाद है, जिसकी अर्थव्यवस्था में आमतौर पर कम से कम दो तिमाहियों (प्रत्येक तीन महीने) के लिए गिरावट आती है।

आइए अब जानते हैं कि एक बुल और बियर मार्केट क्या है

  • बुल मार्केट: बुल मार्केट वह स्थिति है जिसमें वित्तीय बाजार बढ़ रहा है या फिर निकट भविष्य में ऐसा होने की उम्मीद है। 'बुल' वास्तविक दुनिया के बैल से लिया गया है, जो आमतौर पर ऊपर की दिशा में हमला करता है। यह या तो बेसलाइन पर शुरू होता है (आर्थिक गतिविधि की शुरुआत के दौरान) या फिर चक्र के नीचे। बाजार मजबूत होने पर बुल मार्केट सामने आता है और आगे की संभावनाएं बहुत ही आकर्षक होती हैं। यह निवेशकों के विश्वास को मजबूत करता है, जिसमें अधिक लोग खरीदना चाहते हैं और कम लोग बेचना चाहते हैं।
  • बियर मार्केट: बियर मार्केट, बुल मार्केट के बिल्कुल विपरीत है। इस मामले में वित्तीय बाजार स्टॉक की कीमतों में गिरावट के साथ सुधार का अनुभव करता है और निकट अवधि में गिरने की उम्मीद करता है। बहुत कुछ 'बुल' की तरह, बियर मार्केट का 'बियर' भी वास्तविक दुनिया के भालू से लिया गया है, जो आमतौर पर नीचे की दिशा में हिट करता है। जब बाजार में संतृप्ति हो जाती है तो भालू का बाजार बढ़ जाता है क्योंकि बाजार संतृप्त हो जाता है (आपूर्ति मांग से अधिक हो जाती है)। यह आम तौर पर बुल-रन की ऊंचाई पर होता है और गर्त बनने तक जारी रहता है।

इस समय, अधिक लोग खरीदने के बजाय स्टॉक बेचने में रुचि रखते हैं और निवेशकों का विश्वास कमजोर है। एक हालिया उदाहरण पिछले साल की महामारी का हो सकता है, जिसमें अधिकांश निवेशक बाजार से बाहर निकलना चाहते थे क्योंकि किसी को नहीं पता था कि महामारी कैसे निकलकर सामने आएगी। आपको बुल और बियर मार्केट की एक मजबूत समझ विकसित करनी चाहिए और दिन, सप्ताह, महीने या वक्त वक्त पर इनके बारे में पढ़ना चाहिए। ऐसा करने का एक अच्छा विचार प्रासंगिक पुस्तकों का अध्ययन करना भी है जो इस तरह की अवधारणाओं में तल्लीन हैं। यदि आप ट्रेडिंग की कला सीखते हैं, तो आप बुल-रन के दौरान अपने रिटर्न को अधिकतम करते हुए एक मंदी के बाजार में भी मुनाफा कमा सकते हैं।

यदि आपने हर्षद मेहता के जीवन पर आधारित लोकप्रिय वेब सीरीज देखी है, तो आपको याद होगा कि उसमें 'मंदोड़िया' (बियर) और 'तेजड़िया' (बुल) के बारे में बताया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि बुल और बियर मार्केट, मार्केट एक्विटी का आधार हैं। ये निवेशकों और व्यापारियों को प्रचलित प्रवृत्ति के अनुसार अपना स्थान लेने में मदद करते हैं।

पर ये क्या हैं? आइए फिनोलॉजी के मुक्य कार्यकारी अधिकारी प्रांजल कामरा द्वारा जानते हैं इसके बारे में।

बिजनेस साइकल (व्यापार चक्र) को समझना
कोई भी बाजार कुछ आर्थिक सिद्धांतों के आधार पर बढ़ता है। इस संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक 'व्यापार चक्र' है, जिसे इकोनॉमिक साइकल या ट्रेड साइकल के रूप में भी जाना जाता है। ये चक्र लहर की तरह के पैटर्न हैं जो दीर्घकालिक विकास की प्रवृत्ति पर बनते हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि बाजार के आगे बढ़ने के साथ-साथ उनमें एक उछाल और गिरावट (मंदी) आती है। संक्षेप में, एक व्यापार चक्र की लंबाई एक उछाल और मंदी से लिया गया समय है।

सच कहा जाए, तो बाजार में इस तरह के उछाल और उतार-चढ़ाव काफी हैं और ये तकनीकी मंदी के बिना भी एक दिन, सप्ताह या महीने में हो सकते हैं। दूसरी ओर मंदी, दीर्घकालिक विकास प्रक्षेपवक्र की उपोत्पाद है, जिसकी अर्थव्यवस्था में आमतौर पर कम से कम दो तिमाहियों (प्रत्येक तीन महीने) के लिए गिरावट आती है।

आइए अब जानते हैं कि एक बुल और बियर मार्केट क्या है

    बुल मार्केट: बुल मार्केट वह स्थिति है जिसमें वित्तीय बाजार बढ़ रहा है या फिर निकट भविष्य में ऐसा होने की उम्मीद है। 'बुल' वास्तविक दुनिया के बैल से लिया गया है, जो आमतौर पर ऊपर की दिशा में हमला करता है। यह या तो बेसलाइन पर शुरू होता है (आर्थिक गतिविधि की शुरुआत के दौरान) या फिर चक्र के नीचे। बाजार मजबूत होने पर बुल मार्केट सामने आता है और आगे की संभावनाएं बहुत ही आकर्षक होती हैं। यह निवेशकों के विश्वास को मजबूत करता है, जिसमें अधिक लोग खरीदना चाहते हैं और कम लोग बेचना चाहते हैं।

इस समय, अधिक लोग खरीदने के बजाय स्टॉक बेचने में रुचि रखते हैं और निवेशकों का विश्वास कमजोर है। एक हालिया उदाहरण पिछले साल की महामारी का हो सकता है, जिसमें अधिकांश निवेशक बाजार से बाहर निकलना चाहते थे क्योंकि किसी को नहीं पता था कि महामारी कैसे निकलकर सामने आएगी। आपको बुल और बियर मार्केट की एक मजबूत समझ विकसित करनी चाहिए और दिन, सप्ताह, महीने या वक्त वक्त पर इनके बारे में पढ़ना चाहिए। ऐसा करने का एक अच्छा विचार प्रासंगिक पुस्तकों का अध्ययन करना भी है जो इस तरह की अवधारणाओं में तल्लीन हैं। यदि आप ट्रेडिंग की कला सीखते हैं, तो आप बुल-रन के दौरान अपने रिटर्न को अधिकतम करते हुए एक मंदी के बाजार में शेयर मार्केट एवं स्टॉक मार्केट में क्या अंतर है भी मुनाफा कमा सकते हैं।

Paytm के शेयरों में तबाही से सहमे निवेशक, सेंसेक्स 1625 अंक टूटा, निफ्टी भी धड़ाम

Share Market Today: सुबह बाजार में कारोबार की शुरुआत हरे निशान में हुई थी, लेकिन थोड़ी देर बाद ही बाजार गिरने लगा. दोपहर 2.30 बजे के आसपास सेंसेक्स 1625 अंक टूट गया.

शेयर बाजार में भारी गिरावट (फाइल फोटो: Getty Images)

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 22 नवंबर 2021,
  • (अपडेटेड 22 नवंबर 2021, 3:54 PM IST)
  • बाजार पर मं‍दड़‍िए शेयर मार्केट एवं स्टॉक मार्केट में क्या अंतर है हावी
  • पेटीएम ने भी सेंटिमेंट खराब किया

Share Market Today: भारतीय शेयर बाजार में आज यानी सोमवार को भारी गिरावट देखी गई. सुबह बाजार में कारोबार की शुरुआत हरे निशान में हुई थी, लेकिन थोड़ी देर बाद ही बाजार गिरने लगा. दोपहर 2.30 बजे के आसपास सेंसेक्स 1625 अंक टूट गया. ऐसा लगता है कि बाजार पर मंदडियों की पकड़ मजबूत हो रही है. पेटीएम की खराब हालत ने भी बाजार पर गहरा असर डाला है.

सुबह बीएसई सेंसेक्स 74 अंक की तेजी के साथ 59,710.48 पर खुला था. लेकिन खुलने के तत्काल बाद ही इसमें गिरावट शुरू हो गई और बाद में यह गिरावट बढ़ती ही गई. दोपहर 2.30 बजे के आसपास सेंसेक्स 1625 अंकों की भारी गिरावट के साथ 58,011.92 तक पहुंच गया. कारोबार के अंत में सेंसेक्स 1170.12 अंकों की गिरावट के साथ 58,465.89 पर बंद हुआ.

इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 32 अंक की तेजी के साथ पर खुला. दोपहर 2.32 बजे के आसपास निफ्टी 484 अंकों की भारी गिरावट के साथ 17,280 पर पहुंच गया. कारोबार के अंत में निफ्टी 348.25 अंकों की तेजी के साथ 17,416.55 पर बंद हुआ.

क्यों आई गिरावट

अंतरराष्ट्रीय बाजारों से मिले कमजोर संकेत, देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट, रिलायंस-पेटीएम जैसे दिग्गज शेयरों में भारी गिरावट आदि कई फैक्टर की वजह से बाजार की गिरावट लगातार बढ़ती गई. रिलायंस इंडस्ट्रीज आज 4.42% टूटकर 2363.40 पर बंद हुआ.

सभी सेक्टर लाल निशान में

सभी सेक्टर लाल निशान में चल रहे हैं. रियल्टी, हेल्थकेयर, ऑटो, तेल एवं गैस और पीएसयू बैंक इंडाइसेज में 2 से 4 फीसदी की गिरावट आई. एयरटेल के द्वारा टैरिफ बढ़ाने की वजह से आज टेलीकॉम शेयर चमकते दिखे. भारती एयरटेल 3.70% की तेजी के साथ 740.65 पर बंद हुआ.

Paytm की हालत खराब

Paytm की पेरेंट कंपनी One97 communication के शेयरों के लिए लिस्टिंग के बाद दूसरा दिन भी मुश्किल रहा. कंपनी के शेयर सोमवार को दोपहर 12.27 बजे के आसपास करीब 18 फीसदी टूटकर 1271.25 रुपये पर पहुंच गए. कारोबार के अंत में पेटीएम 13.03% की गिरावट के साथ 1360.30 रुपये पर बंद हुआ.शेयर मार्केट एवं स्टॉक मार्केट में क्या अंतर है

पिछले हफ्ते सेसेंक्स-निफ्टी में करीब 2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी. ऑटो को छोड़कर 18 नवंबर को सभी सेक्टरों में बिकवाली देखने को मिली थी. निफ्टी 18000 को तोड़कर नीचे चला गया है. बाजार जानकारों का कहना है कि निफ्टी में अभी और करेक्शन देखने को मिल सकता है.

हरे निशान में खुलने के बाद टूटा शेयर बाजार, सेंसेक्स लाल निशान में बंद

सुबह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 26 अंक की तेजी के साथ 51,355.89 पर खुला था, लेकिन यह सुबह 10.40 के आसपास 364 अंक टूटकर 50,965.22 तक पहुंच गया. कारोबार के अंत में सेंसेक्स 19.69 अंक की गिरावट के साथ 51,309.39 पर बंद हुआ.

 शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव (फाइल फोटो: Getty Images)

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 10 फरवरी 2021,
  • (अपडेटेड 10 फरवरी 2021, 4:37 PM IST)
  • शेयर बाजार सुबह हरे निशान में खुला था
  • बाद में भारी बिकवाली से टूट गया बाजार
  • कारोबार के अंत में सेंसेक्स 51,309 पर बंद

हफ्ते के तीसरे कारोबारी दिन बुधवार को शेयर बाजार हरे निशान में खुले थे, लेकिन थोड़ी ही देर में बाजार में गिरावट आने लगी. सुबह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 26 अंक की तेजी के साथ 51,355.89 पर खुला था, लेकिन दोपहर 1.45 बजे के आसपास 483 अंक टूटकर 50,846.22 तक पहुंच गया. कारोबार के अंत में सेंसेक्स 19.69 अंक की गिरावट के साथ 51,309.39 पर बंद हुआ.

इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 10 अंक की तेजी के साथ 15,119.05 पर खुला था. लेकिन दोपहर 1.45 बजे के आसपास 132 अंक टूटकर 14,977.20 पर पहुंच गया. कारोबार के अंत में निफ्टी 2.80 अंकों की गिरावट के साथ 15,106.50 पर बंद हुआ.


निफ्टी ऑटो इंडेक्स शेयर मार्केट एवं स्टॉक मार्केट में क्या अंतर है में 1 फीसदी की बढ़त हुई, जबकि आईटी एवं फार्मा सेक्टर में भी खरीदारी देखी गई. बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स हरे निशान में रहे. एनएसई में करीब 1455 शेयरों में तेजी और 1454 में गिरावट देखी गई. निफ्टी में बढ़ने वाले प्रमुख शेयरों में सिप्ला, बजाज फिनसर्व, एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस, एमऐंडएम, एचडीएफसी लाइफशामिल रहे.

रुपया सपाट

बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया सपाट 72.87 पर खुला. कारोबार के अंत में रुपया थोड़ी मजबूती के साथ 72.84 पर बंद हुआ. मंगलवार को रुपया 72.88 पर बंद हुआ था.

विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने दिसंबर तिमाही में 40 लार्जकैप कंपनियों से अपनी हिस्सेदारी घटाई है. हालांकि पूरे साल 2020 में FII शुद्ध रुपये से खरीदार रहे हैं और उन्होंने भारतीय शेयर बाजारों में करीब 1.7 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है.

मंगलवार को भी आई थी गिरावट

मजबूत अंतरराष्ट्रीय संकेतों की वजह से भारतीय शेयर बाजार मंगलवार को भी हरे निशान में खुले. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 136 अंक की तेजी के साथ 51,484.2 पर खुला. कारोबार के दौरान सेंसेक्स 487 अंकों की उछाल शेयर मार्केट एवं स्टॉक मार्केट में क्या अंतर है के साथ ऑल टाइम हाई लेवल 51,835.86 तक चला गया.

हालांकि, दोपहर 3 बजे के आसपास भारी बिकवाली की वजह से बाजार में गिरावट दिखने लगी. कारोबार के अंत में सेंसेक्स 19.69 अंक टूटकर 51,329.08 पर बंद हुआ. इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 49 अंकों की तेजी के साथ 15,164.15 पर खुला और कारोबार के दौरान 142 अंक तक बढ़ते हुए 15,257.10 तक चला गया. निफ्टी 6.50 अंक टूटकर 15,109.30 पर बंद हुआ.

रिटेल इंवेस्टर्स ने बदला शेयर बाजार का ट्रेंड, एक्सपर्ट से जानिए क्या हैं इसके मायने

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नई दिल्लीः सेंसेक्स ने एक बार फिर 60,000 अंक को पार किया है. इससे पहले अगस्त में डिमैट अकाउंट्स की तादाद 10 करोड़ के बड़े आंकड़े के पार निकल गई. भारत अब दुनिया में सबसे शानदार प्रदर्शन करने वाला स्टॉक मार्केट बन गया है. इस मामले में भारत ने दुनिया के कई बड़े मार्केट्स को बड़े अंतर से पीछे छोड़ दिया है. फेड प्रमुख जेरोम पॉवेल के जैक्शन होल में अत्यंत कड़े रुख से सबसे बड़े बाजार अमेरिका में कमजोरी देखने को मिल रही है. S&P इस कैलेंडर ईयर में 15 फीसदी तक लुढ़क गया है जबकि निफ्टी करीब चार फीसदी ऊपर है. हम इस शानदार प्रदर्शन को किस तरह से एक्सप्लेन करेंगे? क्या सेंसेक्स के 60,000 के स्तर को छूने और डिमैट अकाउंट्स की तादाद के 10 करोड़ तक पहुंचने के बीच कोई लिंक है?

वैश्विक स्तर पर मैक्रो-इकोनॉमी की तस्वीर बाजार में इस तरह की तेजी के लिए अनुकूल प्रतीत नहीं हो रही है. दुनिया भर में ग्रोथ के तीन ड्राइवर्स – अमेरिका, चीन और यूरो जोन – में सुस्ती देखने को मिल रही है. यूरो जोन अभूतपूर्व ऊर्जा संकट का सामना कर रहा है और मंदी के कगार पर है. चीन प्रोपर्टी मार्केट से जुड़े संकट एवं बड़े पैमाने पर कोविड-19 से संबंधित लॉकडाउन की वजह से जूझ रहा है. अमेरिका की इकोनॉमी में मजबूत जॉब ग्रोथ देखने क मिल रही है. लेकिन इन सबसे बढ़कर ग्रोथ की रफ्तार कमी हुई है और बेरोजगारी दर 3.5 फीसदी से बढ़कर 3.7 फीसदी पर पहुंच गई है. अधिकतर सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में इजाफा कर रहे हैं और बॉन्ड यील्ड भी काफी अधिक बढ़ गया है. वैश्विक वृद्धि में 2023 में व्यापक स्तर पर सुस्ती देखने को मिल सकती है और बढ़ी हुई महंगाई में नरमी का कोई बड़ा संकेत नजर नहीं आ रहा है, खासकर विकसित देशों में. इन सभी मैक्रो इंडिकेटर्स से बुल मार्केट का शायद ही कोई संकेत नजर आ रहा है लेकिन अब बुल अपना स्थान ले रहे हैं.

रिटेल इंवेस्टर्स मार्केट को कर रहे हैं सपोर्ट
भारत में रिटेल इंवेस्टर्स उस समय काफी मजबूत सपोर्ट बनकर उभरे जब बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) लगातार बिकवाल बने हुए थे. सीधे और म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश करने वाले रिटेल इंवेस्टर्स FPI की जगह पर मजबूत शक्ति बनकर उभरे. अगर हम जुलाई 2021 से जून 2022 की अवधि पर गौर करें तो यह बात निकलकर सामने आती है कि FPIs ने स्टॉक एक्सचेंज के जरिए करीब 40,92,21 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की बिकवाली की. हालांकि, इस अवधि में मार्केट पर बहुत अधिक असर देखने को नहीं मिला क्योंकि इस अवधि में घरेलू संस्थागत निवेशक (DIIs) ने 32,8493 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की लिवाली की. (Source: एनएसडीएल). मार्च 2020 में डिमैट अकाउंट्स की तादाद 4.09 करोड़ थी जो अगस्त 2022 में बढ़कर 10 करोड़ पर पहुंच गई. यह भारत के कैपिटल मार्केट में रिटेल इंवेस्टर्स के उत्साह को दिखाता है. इससे मार्केट में अच्छी रफ्तार देखने को मिली.

यह बात समझने की जरूरत है कि रिटेल/डीआईआई का इस समय मार्केट पर बहुत अधिक वर्चस्व है. एक्सचेंज पर डेली कैश मार्केट वॉल्यूम के मामले में रिटेल इंवेस्टर्स की हिस्सेदारी 52 फीसदी है. वहीं, DIIs और FPIs की हिस्सेदारी क्रमशः 29 फीसदी और 19 फीसदी है. रिटेल/ DIIs इस समय मजबूत स्थिति में हैं. यह स्थिति पहले से बिल्कुल उलट है जब FPIs के कदमों से बहुत अधिक असर देखने को मिलता था. मार्केट के नए Paradigm ने पूरे गेम को बदलकर रख दिया है.

FPIs ने समझ लिया है कि एक्जिट आसान है लेकिन इंट्री महंगा

एफपीआई ने इस बात को समझ लिया है कि भारतीय मार्केट से एग्जिट करना बहुत आसान है लेकिन इंट्री करना काफी महंगा है. जब एफपीआई पांच फीसदी स्टॉक की बिक्री करते हैं शेयर मार्केट एवं स्टॉक मार्केट में क्या अंतर है तो मार्केट में उछाल की वजह से उन्हें अपने बेचे गए शेयरों को दोबारा खरीदना मुश्किल पड़ता है. अगले कुछ साल तक बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत की ग्रोथ और कमाई की आमदनी की कहानी सबसे अच्छी साबित होने वाली है. इसी वजह से FPIs इस समय भारत में लिवाली कर रहे हैं और ऐसे समय में जब अमेरिका का 10 साल का बॉन्ड यील्ड 3.2 फीसदी से ऊपर है और डॉलर इंडेक्स 110 के आसपास है.

मार्केट को मिला फंडामेंटल सपोर्ट
रिटेल इंवेस्टर्स की भागीदारी भर से मार्केट में लगातार बढ़त देखने को नहीं मिल सकता है. इसे ठोस फंडामेंटल सपोर्ट की भी जरूरत है. इस साल और अगले साल भारत की ग्रोथ और कमाई की संभावनाएं सबसे ज्यादा मजबूत नजर आ रही हैं जब वैश्विक स्तर पर ग्रोथ की संभावनाएं थोड़ी कमजोर नजर आ रही हैं. आरबीआई के हालिया डेटा से ये बात सामने आती है कि भारत में क्रेडिट ग्रोथ 15.5 फीसदी के साथ 9 साल के उच्चतम स्तर पर है. यह मार्केट को मिलने वाला फंडामेंटल सपोर्ट है. मजबूत आर्थिक वृद्धि और रिटेल सेक्टर का उत्साह मार्केट में उछाल को सपोर्ट कर सकता है. इसके साथ ही निवेशकों को इस बात को लेकर सतर्क रहना चाहिए कि वैल्यूएशन अधिक होने की वजह से थोड़े भी निगेटिव ट्रिगर से मार्केट में करेक्शन देखने को मिल सकता है.

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