Your access to this site has been limited by the site owner
If you think you have been blocked in error, contact the owner of this site for assistance.
If you are a WordPress user with administrative privileges on this site, please enter your email address in the box below and click "Send". You will then receive an email that helps you regain access.
Block Technical Data
Block Reason: | Access from your area has been temporarily limited for security reasons. |
---|---|
Time: | Wed, 7 Dec 2022 9:49:53 GMT |
About Wordfence
Wordfence is a security plugin installed on over 4 million WordPress sites. The owner of this site is using Wordfence to manage क्रिप्टोकरेंसी सिक्योर है की नहीं? access to their site.
You can also read the documentation to learn about Wordfence's blocking tools, or visit wordfence.com to learn more about Wordfence.
Click here to learn more: Documentation
Generated by Wordfence at Wed, 7 Dec 2022 9:49:53 GMT.
Your computer's time: .
क्या है Reliance Jio Coin , कैसे होगा यूज और क्या होंगे फायदे-नुकसान, जानिए खास बातें
रिलायंस जिओ अब अपनी खुद की बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी Jio Coin मुद्रा लाने की तैयारी कर रही है। मुकेश अंबानी के बड़े बेटे आकाश Reliance Jio Coin प्रोजेक्ट की टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। इस ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करने के लिए 50 युवा प्रोफेशनलों की टीम बनाई जा रही है। बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर युवाओं में काफी क्रेज है। एक सर्वे के मुताबिक भारत में Cryptocurrency के 6 लाख से ज्यादा सक्रिय ट्रेडर्स हैं। वहीं, 25 लाख लोगों ने देशभर की 9 क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों में खुद को पंजीकृत करा रखा है। ऐसे में अब रिलायंस जिओ कॉइन काफी चौंकाने वाला है। हम आपको बता रहे हैं जिओ कॉइन के बारे में कुछ खास बातें.
जानें ड्रग की काली दुनिया में Dark Web और क्रिप्टो करंसी का सच, इसलिए होता है इस्तेमाल
Aryan Khan Case Update: आईटी कानून में डार्कवेब पर हो रही गैर कानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए कोई स्पष्ट कानून नहीं है। यह पूरी तरह से ग्रे एरिया है। जिसका फायदा अपराधी उठा रहे हैं।
- डार्क वेब को टीओआर ब्राउजर पर ही चलाया जा सकता है, इसलिए यूजर की पहचान बहुत ही मुश्किल है।
- सिक्योरटी की वजह से बेहद आसानी से डार्क वेब पर ड्रग की खरीद-फरोख्त की जाती है।
- भारत में क्रिप्टो करंसी पर कोई नियमन नहीं है। ऐसे में ड्रग पैडलर को पता है कि क्रिप्टोकरंसी में लेन-देन करना आसान है।
नई दिल्ली। बीते शनिवार को जब से नॉरकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने मुंबई के पास क्रूज पर हो रही रेव पार्टी में ड्रग्स के इस्तेमाल का खुलासा किया है। उस वक्त से हर रोज सनसनीखेज खुलासे सामने आ रहे हैं। ताजा खुलासा क्रूज पर ड्रग सप्लाई को लेकर आया है। एनसीबी ने जांच के दौरान एक हाईप्रोफाइल ड्रग पेडलर को गिरफ्तार किया है। जिसके जरिए यह बात सामने आई है कि कॉर्डेलिया क्रूज पर रेड के दौरान जो ड्रग्स बरामद हुई थी उसे क्रिप्टोकरेंसी और डार्क वेब के जरिए खरीदा गया था। अब दो सवाल उठते हैं के Dark Web और क्रिप्टो करंसी क्या है, जिसका इस्तेमाल ड्रग पेडलर करते हैं। और ऐसा करना उनके लिए मुफीद क्यों है।
Dark web क्या है
कैस्परस्काई की रिपोर्ट के अनुसार डार्क वेब इंटरनेट साइटों का छिपा हुआ समूह है। जिसे केवल एक विशेष वेब ब्राउजर द्वारा ही एक्सेस किया जा सकता है। इसका उपयोग इंटरनेट गतिविधि को छुपाकर और निजी रखने के लिए क्रिप्टोकरेंसी सिक्योर है की नहीं? किया जाता है। जो कानूनी और अवैध दोनों तरह के लिए इस्तेमाल हो सकता है। जबकि कुछ लोग इसका उपयोग सरकारी सेंसरशिप से बचने के लिए करते हैं। यह भी पाया गया है कि इसका उपयोग अवैध गतिविधि के लिए किया जा रहा है।
इंटरनेट पर लाखों वेब पेज, डेटाबेस और सर्वर सभी 24 घंटे चलते रहते हैं। आमतौर पर हम जिन कामों के लिए ब्राउजर का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें सरफेस वेब (Surface Web) कहा जाता है। जो कि कुल इंटरनेट का महज 4 फीसदी हिस्सा है। जबकि डीप वेब (Deep Web)इंटरनेट का 96 फीसदी हिस्सा है। इसके तहत कंटेट प्रोटेक्टेड होता है। यहां पर बैंकिंग और दूसरे पासवर्ड, सरकारों और कंपनियों के सीक्रेट डॉक्यूमेंट आदि होते हैं। जिन्हें आसानी से एक्सेस नहीं किया जा सकता है। डीप बेव में यूजर की पहचान गुप्त रहती है, और वहां पर यूजर की एक्टिविटी की भी नहीं पता की जा सकती है।
डीपवेब के अंदर ही एक छोटा सा हिस्सा डार्क वेब है। जिसका इस्तेमाल अब ड्रग सप्लाई, साइबकर क्राइम, हैकिंग, मानव तस्करी जैसे अवैध काम होने लगे हैं। डार्क वेब की वेबसाइट्स पूरी तरह से सिक्योर होती हैं। यानी वह इनक्रिप्टेड होती है। इसके अलावा इन्हें नार्मल ब्राउजर जैसे क्रोम आदि से एक्सेस नहीं किया जा सकता है। डार्कवेब पर इंटरनेट यूज क्रिप्टोकरेंसी सिक्योर है की नहीं? के लिए सिक्योर वीपीएन (VPN)की भी जरूरत पड़ती है। इसी सिक्योरिटी की वजह से ड्रग पैडलर आर्डर लेने में इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। क्योंकि यहां के लेन-देन को इनक्रिप्टेड करना जांच और सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी आसान नहीं होता है।
क्रिप्टो करंसी में क्यों लेन-देन (Crypto currency)
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल मुद्रा है। यानी यह एक ऐसी मुद्रा है जो रूपये, पैसे, डॉलर की तरह फिजिकल रुप में मौजूद नहीं है। इसके जरिए केवल ऑनलाइन ही लेन-देन किया जा सकता है। डिजिटल मुद्रा इनक्रिप्टेड यानी कोडेड होती हैं इसलिए इन्हें क्रिप्टोकरेंसी भी कहते हैं। कुछ दक्षिणी अमेरिकी देशों ने क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता दी है लेकिन भारत में क्रिप्टोकरेंसी को अभी मान्यता नहीं है। हाल ही में आरबीआई ने कहा है कि वह डिजिटल करंसी के नियमन पर विचार कर रहा है। भले ही क्रिप्टो करंसी को आरबीआई ने अभी मान्यता नहीं दी है। लेकिन इसका इस्तेमाल भारत में बहुत तेजी से बढ़ रहा है। नैसकॉम की रिपोर्ट के अनुसार जिस तरह भारत में क्रिप्टो करंसी का इस्तेमाल बढ़ा है, उसे देखते हुए 2030 तक भारत में क्रिप्टो मार्केट 1790 करोड़ रुपये के वैल्युएशन पर पहुंच गया है।
साफ है कि भारत में भले ही क्रिप्टो करंसी वैध नहीं है लेकिन उसका इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। इसी लूपहोल का ड्रग पैडलर फायदा उठा रहे हैं। उन्हें पता है कि क्रिप्टोकरंसी में लेन-देन पर किसी की नजर नहीं है। ऐसे में बड़े आसानी से ड्रग की खरीद-फरोख्त की जा सकती है।
भारत में आईटी कानून क्या कहता है
साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बताया, देखिए मौजूदा आईटी कानून में क्रिप्टो करंसी या फिर डार्कवेब पर हो रही गैर कानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए कोई स्पष्ट कानून नहीं है। यह पूरी तरह से ग्रे एरिया है। जहां तक डार्क वेब की बात है तो उसको टीओआर ब्राउजर पर ही चलाया जा सकता है, इसलिए यूजर की पहचान नहीं की जा सकती है। इसलिए गैर कानूनी कामों के लिए इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है।
Mumbai cruise drugs Case: आर्यन खान के दोस्त अरबाज मर्चेंट के पिता ने दोनों बच्चों को बताया बेकसूर, आपत्तिजनक चैट को लेकर दी ये सफाई
Mumbai Cruise Drugs Case Update: आर्यन खान को कोर्ट ने नहीं दी जमानत, 2 अन्य लोगों सहित 7 अक्टूबर तक NCB की हिरासत में भेजा
Sussanne Khan on Aryan Khan: आर्यन खान के सपोर्ट में आई सुजैन खान, कहा- 'वो है अच्छा बच्चा, गलत वक्त पर था गलत जगह'
Bitcoin का मालिक कौन है और बिटकॉइन किस देश की करेंसी है
चलिए जानते है Bitcoin का मालिक कौन है और बिटकॉइन किस देश की करेंसी है. इसका नाम तो आपने काफी बार सुना होगा जिसमे से बहुत से लोग इसके बारे में भलीभांति जानते भी है परन्तु कुछ लोग इस करेंसी को लेकर काफी कंफ्यूज है उनकों इसके बारे में यह समझ में नहीं आ रहा है की ये असल में है क्या तो आज आपको इससे रिलेटेड सारी जानकारी देंगे.
हर देश की एक अलग जिसे उस देश में खरीददारी के लिए इस्तेमाल किया जाता है लेकिन कुछ ऐसी भी मुद्रा है जिसके जरिये किसी भी देश में लेनदेन कर सकते है ठीक उसी प्रकार बिटकॉइन है लेकिन यह एक ऐसी मुद्रा है जिसे ना तो हम देख सकते है और ना ही उसे छू सकते है क्योंकि यह एक डिजिटल करेंसी है. जो Peer to Peer सिक्योर नेटवर्क के जरिये लेनदेन किया जाता है.
इस मुद्रा को ऑनलाइन वॉलेट के माध्यम से ख़रीदा जा जाता है जिस तरह पेटीएम में मनी लोड करते है ठीक उसी तरह उसे भी डिजिटल वॉलेट के माध्यम से लोड किया जा सकता है यानि ख़रीदा जा सकता उसके बाद इसका यूज़ ऑनलाइन लेनदेन के लिए कर सकते है.
काफी लोग Bitcoin में इन्वेस्ट भी करते है क्योंकि इसका रेट हर दिन घटता बढ़ता रहते है इसलिए जब इसका रेट कम होता है तो बिटकॉइन को खरीद लेते है और जब इसका रेट बढ़ता है तो इसे सेल कर देते है ये सारा काम ऑनलाइन प्लेटफार्म के जरिये किया जाता है. इसके लिए काफी सारे प्लेटफार्म है जिसमे सबसे पॉपुलर Zebpay है जिसके जरिये बिटकॉइन को ऑनलाइन ख़रीदा या बेचा जा सकता है.
Bitcoin का मालिक कौन है
बिटकॉइन का ऑथर Satoshi Nakamoto है. वैसे इसका कोई एक व्यक्ति मालिक नहीं है क्योंकि यह एक ओपन सोर्से डीसेण्ट्रलाइज डिजिटल करेंसी है इसे सातोशी का नाम दिया गया है. और यह एक इलेक्ट्रॉनिकली स्टोर रहने वाली मुद्रा है जिसे किसी डिजिटल वॉलेट के माध्यम से स्टोर करके रखा जा सकता है. लोग Bitcoin एक व्यवसाय के रूप में भी इस्तेमाल करते है शुरुआती दिनों में इसका रेट काफी कम था उस समय बहुत से लोगों ने इसमें इन्वेस्ट किया और जब बिटकॉइन के मूल्य में बढ़ोतरी हुई तो लोगों ने इसे सेल करके काफी अच्छा मुनाफा कमाया था.
अब बिटकॉइन का रेट काफी बढ़ चूका है यदि इस समय Bitcoin के मूल्य की बात करे तो भारतीय रुपए में 1 बिटकॉइन का रेट 25,45,947 है. कुछ ऐसी वेबसाइट भी है जिसके जरिये माइनिंग करके बिटकॉइन बनाये जा सकते है ये साइटें कम्प्यूटर पॉवर के जरिये एक ट्रांजैक्शन प्रोसेस करती है जिससे Bitcoin का निर्माण होता है. Bitcoin Mining करने के बाद वॉलेट में भी ले सकते है.
बिटकॉइन किस देश की करेंसी है
इसे बनाने वाले व्यक्ति जापान के नागरिक है परन्तु बिटकॉइन को आमतौर पर किसी एक देश की करेंसी नहीं कहा जा सकता है क्योंकि यह एक डिजिटल करेंसी है और इसे हर कोई व्यक्ति ऑनलाइन खरीद या बेच सकता है या ऑनलाइन इस्तेमाल कर सकता है. Bitcoin की शुरुआत 3 जनवरी 2009 में सातोशी नकामोतो नामक व्यक्ति द्वारा की गई थी. इनका जन्म 5 अप्रैल 1975 को जापान में हुआ था.
आशा करती हूँ की आपको मेरे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी और अब आपको पता चल गया होगा की Bitcoin का मालिक कौन है और बिटकॉइन किस देश की करेंसी है. इसका मुख्य Symbol – ₿ ये है और इसे BTC के नाम से भी जाना जाता है.
नोट: भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बिटकॉइन को अधिकारिक अनुमति नहीं दी है एक प्रेस के जरिये चेतावनी देते हुए कहा है की इसका लेनदेन जोखिम हो सकता है.
Gold Vs Bitcoin: दोनों में से कौन सा है बेहतर इन्वेस्टमेंट ऑप्शन?
Gold Vs Bitcoin: गोल्ड और क्रिप्टोकरेंसी दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं और यह एक निवेशक पर निर्भर करता है कि वो कहां निवेश करना चाहता है.
- Ravi Singhal
- Publish Date - August 7, 2021 / 08:48 AM IST
हर तबके के लोगों तकगोल्ड की पहुंच है. सबसे खास बात यह है कि गोल्ड केंद्रीय बैंकों की अल्टीमेट करेंसी है.
Gold Vs Bitcoin: कोविड -19 महामारी ने हमें कई सबक सिखाए हैं, लेकिन सबसे जरूरी सबक है अपनी मेहनत की कमाई को सही जगह निवेश करना जिससे सेविंग तो होती ही है और साथ में रिटर्न भी मिलता है. और इस आदत ने ही लॉकडाउन के कठिन समय के दौरान कई लोगों को सिक्योर किया. समझदारी से निवेश किया उनका पैसा बुरे वक्त में उनके काम आया. कई लोगों के रोजगार चले गए और उन्हें अपनी सेविंग पर ही निर्भर रहना पड़ा. उनकी इस सेविंग ने ही बुरे दौर में उनके घर को चलाया.
महामारी के दौरान हमने देखा है कि लोग सेफ-हेवेन एसेट की ओर बढ़ रहे हैं. सोने में निवेश ने निवेशकों को क्रिप्टोकरेंसी सिक्योर है की नहीं? अच्छा रिटर्न दिया है लेकिन गोल्ड की चमक को कम करते हुए, क्रिप्टोकरेंसी ने गोल्ड से भी बेहतर रिटर्न दिया. और, यही वजह है कि क्रिप्टोकरेंसी ने कई निवेशकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है.
पहले, लोग स्टॉक वोलैटिलिटी से बचाव के तौर पर गोल्ड खरीदते थे. ये तरीका काफी प्रभावी भी साबित हुआ, लेकिन अब एक नया विकल्प भी सामने आया है जो पुराने विकल्प को चुनौती दे रहा है.
बड़ी मात्रा में गोल्ड का इस्तेमाल कंज्यूमर गुड्स जैसे कि ज्वेलरी में होता है. ज्वेलरी के लिए ये एक वैल्युएबल मटीरियल है, और यह बहुतायत में नहीं है. इसकी डिमांड ज्यादा है और सप्लाई कम. गोल्ड को मैन्युफैक्चर नहीं किया जा सकता. एक कंपनी नए शेयर जारी कर सकती है, फेडरल बैंक डॉलर के बिल प्रिंट कर सकता है लेकिन गोल्ड के साथ ऐसा नहीं है.
क्रिप्टोकरेंसी
बिटकॉइन एक ब्लॉकचेन-बेस्ड क्रिप्टोकरेंसी है जिसकी कुछ गुण गोल्ड से मिलती हैं. कई लोग बिटकॉइन को “डिजिटल गोल्ड” भी कहते हैं, क्योंकि इसका भी दूसरे एसेट से कोई खास संबंध नहीं है – खास तौर से स्टॉक. गोल्ड की तरह बिटकॉइन का भी लिमिटेड अमाउंट होता है.
कम्पेटिबिलिटी की तुलना: गोल्ड और क्रिप्टोकरेंसी
लीगेलिटी, ट्रांसपेरेंसी और सेफ्टी के आधार पर, गोल्ड क्रिप्टोकरेंसी से बेहतर है. गोल्ड और बिटकॉइन क्रिप्टोकरेंसी दोनों की मार्केट में अच्छी लिक्विडिटी है. वोलैटिलिटी की बात करें तो बिटकॉइन गोल्ड की तुलना में ज्यादा वोलेटाइल हैं. गोल्ड का एक लंबा इतिहास है और बिटकॉइन की तुलना में ये कम वोलेटाइल है. हर तबके के लोगों तकगोल्ड की पहुंच है. सबसे खास बात यह है कि गोल्ड केंद्रीय बैंकों की अल्टीमेट करेंसी है.
अंतिम फैसला: गोल्ड बनाम क्रिप्टोकरेंसी
बिटकॉइन ने स्टोर वैल्यू के रूप में गोल्ड की तुलना में 100 गुना बढ़त दर्ज की है. इसकी बढ़ती कीमतों ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है. हालांकि पिछले कुछ महीनों में बिटकॉइन में सैकड़ों प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई है, लेकिन आने वाले सालों में भी इसके बढ़ने की संभावना है. हो सकता है, बिटकॉइन का मार्केट कैप 2030 तक सोने के मार्केट कैप को पार कर जाए. गोल्ड और क्रिप्टोकरेंसी दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं और यह एक निवेशक पर निर्भर करता है कि वो कहां
निवेश करना चाहता है.
(लेखक GCL सिक्योरिटीज के वाइस चेयरमैन हैं; व्यक्त किए गए विचार निजी हैं)
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 334