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यदि धन (मुद्रा) बहुत अधिक हो माल अथवा वस्तु बहुत कम हो तो वह स्थिति होती है? GK in Hindi
यदि धन (मुद्रा) बहुत अधिक हो माल अथवा वस्तु बहुत कम हो तो वह स्थिति होती है?
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हिन्दी सामान्य ज्ञान के प्रश्न उत्तर का अभ्यास विद्यार्थियों के लिए सभी प्रतियोगी परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अक्सर विद्यार्थी अन्य विषयों की तैयारी तो अच्छी तरह से कर लेते हैं किन्तु सामान्य ज्ञान की जानकारी कमजोर होने के कारण परीक्षा में असफल हो जाते हैं। अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान प्रश्न उत्तर क्विज के हजारों प्रश्न हमने यहाँ संकलित किए हैं।
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मुद्रास्फीति (inflation) या महँगाई किसी अर्थव्यवस्था में समय के साथ विभिन्न माल और सेवाओं की कीमतों (मूल्यों) में होने मुद्रा अपस्फीति क्या है वाली एक सामान्य बढ़ौतरी को कहा जाता है। जब सामान्य मूल्य बढ़ते हैं, तब मुद्रा की हर ईकाई मुद्रा अपस्फीति क्या है की क्रय शक्ति (purchasing power) में कमी होती है, अर्थात् पैसे की किसी मात्रा से पहले जितनी माल या सेवाओं की मात्रा आती थी, उसमें कमी हो जाती है। मुद्रास्फीति के ऊँचे दर या अतिस्फीति की स्थिति जनता के लिए बहुत हानिकारक होती है और निर्धनता फैलाने का काम करती है। अर्थशास्त्री मानते हैं कि यह बुरी अवस्थाएँ मुद्रा आपूर्ति (money supply) के अतिशय से उत्पन्न होती है, यानि अर्थव्यवस्था की तुलना में आवश्यकता से अधिक पैसा छापने से ज्न्म लेती है। मुद्रास्फीति का विपरीत अपस्फीति (deflation) होता है, यानि वह स्थिति जिसमें समय के साथ-साथ माल और सेवाओं की कीमतें गिरती हैं।
मुद्रा अपस्फीति क्या है
Rabu, 7 Desember 2022 (21:47)
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What is Inflation Rate: क्या होती है मुद्रास्फीति दर और कैसे डालेगी ये आपकी मुद्रा अपस्फीति क्या है पॉकेट पर असर? यहां समझिए
What is Inflation Rate: किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति दर (Inflation Rate) का बड़ा महत्व होता है. मुद्रास्फीति के ऊंची दर या इसमें भारी गिरावट दोनों ही किसी भी देश के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है. आइए बताते हैं कि क्या होती है मुद्रास्फीति दर?
- देश की अर्थव्यवस्था में महंगाई दर का होता है बड़ा महत्व मुद्रा अपस्फीति क्या है
- मुद्रास्फीति दर में बढ़त और भारी गिरावट दोनों ही हैं नुकसानदायक
- आइए बताते हैं कि क्या होती है मुद्रास्फीति दर
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आरती राय/नई दिल्ली: मुद्रास्फीति (inflation) या महंगाई किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में समय के साथ विभिन्न सामान और सेवाओं की कीमतों में होने वाली एक सामान्य बढ़ोतरी को कहा जाता है. जब सामान्य कीमत बढ़ती है, तो Purchasing Power में कमी होती है. किसी भी देश के लिए मुद्रास्फीति के ऊंची दर या इसमें भारी गिरावट की स्थिति जनता के लिए और उसे देश की अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है.
मुद्रास्फीति का विपरीत होता है अपस्फीति
इकोनॉमिस्ट मानते हैं कि Inflation अर्थव्यवस्था की तुलना में आवश्यकता से अधिक पैसा छापने से जन्म लेती है. मुद्रास्फीति का विपरीत अपस्फीति (deflation) होता है, यानी वो स्थिति जिसमें समय के साथ-साथ माल और सेवाओं की कीमतें में भारी गिरावट दर्ज होती है.
महंगाई दर को CPI के आधार पर मापा जाता है
भारत में खुदरा मुद्रास्फीति दर को ‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक’ (Consumer Price Index-CPI) के आधार पर मापा जाता है. यह खरीदार के दृष्टिकोण से मूल्य परिवर्तन की माप करता है. यह चयनित वस्तुओं एवं सेवाओं के खुदरा मूल्यों के स्तर में समय के साथ बदलाव को भी दर्शाता है, जिस पर उपभोक्ता अपनी आय खर्च करते हैं. मुद्रास्फीति को मुद्रास्फीति दर (inflation rate) से मापा जाता है. यानी एक वर्ष से दूसरे वर्ष के बीच मूल्य वृद्धि का प्रतिशत.
क्या है खुदरा मुद्रास्फीति दर?
जब एक निश्चित समय में वस्तुओं या सेवाओं के मूल्य में बढ़त दर्ज होने के कारण मुद्रा के मूल्य में गिरावट दर्ज की जाती है, तो उसे मुद्रास्फीति कहते हैं. मुद्रास्फीति को जब प्रतिशत में बताते है तो यह महंगाई दर या खुदरा मुद्रास्फीति दर कहलाती है. सरल शब्दों में कहें मुद्रा अपस्फीति क्या है तो ये कीमतों में उतार-चढ़ाव की रफ्तार को दर्शाती है.
खुदरा मुद्रास्फीति दर में वृद्धि के कारण
खाद्य कीमतें किसी भी देश की मुद्रास्फीति के इंडेक्स का लगभग आधा हिस्सा होती हैं. अक्सर खाद्यान पदार्थों की कीमतों में बढ़त के कारण खुदरा मुद्रास्फीति दर में वृद्धि देखी जाती है. मुख्य रूप से दालों और अन्य खाद्य उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के कारण खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि होती है. इसके अलावा मांस और मुद्रा अपस्फीति क्या है मछली उत्पादों ,तेल , मसालों अन्य चीजों की कीमतों पर इसकी की वृद्धि का असर पड़ता है.
देश की अर्थव्यवस्था पर डालती है असर
मुद्रास्फीति का बड़े तौर पर असर निवेशकों पर पड़ता है. साथ ही निश्चित आय वर्ग के लोगों जैसे श्रमिक, अध्यापक, बैंक कर्मचारी और अन्य समान वर्ग पर पड़ता है. इसके साथ जुड़ा हुआ एक बहुत बड़ा वर्ग कृषक वर्ग है, जिसकी आय खेती पर निर्भर होती है. किसानों पर मुद्रास्फीति के बढ़ने और घटने से भारी प्रभाव पड़ता है. मुद्रास्फीति मुद्रा अपस्फीति क्या है का कर्जदाता लेनदार और देनदार दोनों पर प्रभाव डालती है.
सार्वजनिक टैक्स में होती है बढ़ोतरी
इसके साथ ही एक बड़ा सेक्टर आयत और निर्यात जो बड़े तौर पर प्रभावित होते है. मुद्रास्फीति के कारण सार्वजनिक ऋणों में भी बढ़ोतरी होती है. क्योंकि जब कीमत के स्तर में वृद्धि होती है तो सरकार को सार्वजनिक योजनाओं पर अपने एक्सपेंडीचर को बढ़ाना पड़ता है और खर्चो की पूर्ति के लिए सरकार जनता से लोन लेती है. सरकार मुद्रास्फीति के कारण अपने व्यय की पूर्ति के लिए नए-नए कर लगाती है. साथ ही पुराने करों में वृद्धि भी कर सकती है. जिसका सीधा असर हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पर होता है.
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