एक्सचेंज कुल कितने प्रकार के होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंएशिया के सबसे प्राचीन शेयर बाजार ‘बीएसई’ की स्थापना 1875 में लोकप्रिय ‘मुंबई स्टाक एक्सचेंज’ के रूप में हुई थी। भारतीय पूंजी बाजार के विकास में इस एक्सचेंज की व्यापक भूमिका रही है और इसका सूचकांक विश्वविख्यात है।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का मुख्यालय कहाँ है?

इसे सुनेंरोकेंनेशनल स्टॉक एक्सचेंज भारत का सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से अग्रणी स्टॉक एक्सचेंज है। यह मुंबई में स्थित है। इसकी स्थापना 1992 में हुई थी।

मुंबई स्टॉक एक्सचेंज के अध्यक्ष कौन है?

BSE महत्वपूर्ण जानकारी
स्थान मुंबई, भारत
स्थापित 9 जुलाई 1877
अध्यक्ष Vikramajit Sen
एमडी और सीईओ Ashishkumar Chauhan

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का अध्यक्ष कौन है?

इसे सुनेंरोकेंएनएसई ट्रेडिंग और क्लियरिंग सदस्यों और सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा एक्सचेंज के नियमों और विनियमों के अनुपालन की देखरेख करता है। श्री अशोक चावला एनएसई के निदेशक मंडल के अध्यक्ष हैं और श्री विक्रम लिमये एनएसई के प्रबंध निदेशक और सीईओ हैं।

अमेरिका का शेयर सूचकांक क्या है?

इसे सुनेंरोकेंतीन प्रमुख अमेरिकी शेयर सूचकांकों की तुलना: NASDAQ कम्पोजिट, डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज, और एसएंडपी 500। इन तीनों की ऊंचाई मार्च 2000 में समान है। NASDAQ पर बड़े डॉट-कॉम स्पाइक पर ध्यान दें, यह उस सूचकांक पर बड़ी संख्या में प्रौद्योगिकी कंपनियों की उपस्थिती का परिणाम है।

भारत में शेयर बाजार की शुरुआत कब हुई?

इसे सुनेंरोकें3 दिसम्बर 1887 को शेयर दलालों ने इस एसोसिएशन को औपचारिक स्वरूप दिया और `दि नेटिव एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन’ का जन्म हुआ। इस तरह जुलाई 1875 में मात्र 318 व्यक्तियों ने रू. 1 के प्रवेश शुल्क के साथ शेयर बाजार मुंबई की संस्था गठित की।

डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज कब शुरू हुआ?

US : नवंबर में 263,000 नौकरियां निकली !

अमेरिका न्यूज डेस्क . दशकों में सबसे आक्रामक ब्याज दर वृद्धि के बावजूद अमेरिका में नवंबर में नौकरियों की संख्या में वृद्धि जारी रही।शुक्रवार को प्रकाशित श्रम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, गैर-फार्म पेरोल पिछले महीने 263,000 चढ़ गए, बेरोजगारी दर 3.7 प्रतिशत थी। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर की वृद्धि अक्टूबर की संशोधित 284,000 नौकरियों की तुलना में एक छोटी सी गिरावट थी। नौकरियों में वृद्धि फेडरल रिजर्व की आक्रामक दर वृद्धि पर अंकुश लगाने की संभावना नहीं है, जिसका उद्देश्य गर्म अर्थव्यवस्था को धीमा करना और 40 वर्षों में सबसे खराब मुद्रास्फीति को कम करना है।

नवंबर के लिए प्रति घंटे औसत मजदूरी में 0.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यह डॉव जोन्स द्वारा सर्वेक्षण किए गए अर्थशास्त्रियों के अनुमान से दोगुना है, और इसका मतलब है कि केंद्रीय बैंक द्वारा दरों में बढ़ोतरी को कम करने की संभावना नहीं है।आय में साल-दर-साल आधार पर 5.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह अर्थशास्त्रियों के 4.6 प्रतिशत पूवार्नुमानों से कहीं अधिक थी।ब्याज दर में वृद्धि अमेरिकी शेयर बाजार के साथ कहर बरपा रही है और संभावित खरीदारों के लिए घर खरीदना अधिक कठिन बना रही है।नौकरियों की रिपोर्ट जारी होने के बाद डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 200 अंक से अधिक गिर गया, इस डर से कि एक नौकरी बाजार फेड को और भी आक्रामक कार्रवाई करने के लिए प्रेरित कर सकता है।

प्रिंसिपल एसेट मैनेजमेंट की मुख्य वैश्विक रणनीतिकार सीमा शाह ने सीएनबीसी को बताया, नीतिगत दरों में 375 आधार अंकों की वृद्धि के बाद भी 263,000 नौकरियां पैदा करना कोई मजाक नहीं है।नीति दरों में वृद्धि जारी रखने के लिए फेड पर श्रम बाजार काफी तेजी और दबाव है।फेड को मुद्रास्फीति को धीमा करने और मंदी को ट्रिगर करने से बचने के बीच एक नाजुक संतुलन बनाना चाहिए। हालांकि, कई अर्थशास्त्री इस बात से सहमत हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका में अगले साल मंदी देखने को मिलेगी, भले ही यह अल्पकालिक और हल्की हो।

अमेरिकी शेयर मार्केट लुढ़कने से मंदी के आसार, भारत पर पड़ेगा असर

अमेरिकी शेयर बाजार में गुरुवार को भारी गिरावट दर्ज की गई. फेड रिजर्व बैंक की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद अमेरिका में मंदी की आशंका बढ़ गई है.

नवबंर महीने में अमेरिकी मार्केट के खुदरा बिक्री के आकड़ों में गिरावट दर्ज की गई है जिसकी वजह से अमेरिका में मंदी की आंशका बढ़ गई है. मंदी का कारण फेडरल रिजर्व की ओर से लगातार ब्याज दरों में की जा रही बढ़ोतरी है, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है. जिसका असर भारत पर पड़ सकता है. डाउ जोन्स (dow jones) इंडस्ट्रियल एवरेज के लिए सिंतबर के बाद गुरुवार का दिन सबसे खराब दिन रहा है.

गुरुवार को डाउ जोन्स 764.13 अंको या 2.25 से गिरकर 33,202.22 पर पहुंच गया. एसएडंपी 500,2.49 फीसदी से गिरकर 3,895.75 पर आ गया. जिसके कारण दिसंबर में इसकी गिरावट 4.5 फीसदी हो गई है. नेस्डैक 3.23 फीसदी से गिरकर 10,810.53 पर आ गया है और टेक-हैवी इंडेक्स साल 2022 के नुकसान घाटे के आंकड़े में करीब 31 फीसदी बढ़ोतरी हुई है.

एप्पल सहित कई कंपनियों के शेयर गिरे

एसएंडपी के ट्रेडिंग में केवल 14 स्टॉक पॉजिटिव रहे. वहीं एप्पल और मेगा कैप टेक स्टॉक के शेयरों में भी भारी गिरावट दर्ज की गई. एप्पल अल्फाबेट के शेयरों में 4 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई. जबकि अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट के शेयर 3 फीसदी तक गिरे. Digiday की रिपोर्ट के बाद नेटफ्लिक्स के शेयर 8.6 फीसदी तक गिर गए. इसके साथ ही नेटफ्लिक्स व्यूअरशिप में भी गिरावट आई है जिसके बाद विज्ञापनदाताओं को पैसे वापस करने की पेशकर हो रही है.

कंज्यूमर्स पर भारी पड़ रही खुदरा बिक्री दर

खुदरा बिक्री रिपोर्ट के मुताबिक मंहगाई दर कंज्यूमर्स पर भारी पड़ रही है. कॉमर्स विभाग के मुताबिक नवबंर महीने में खुदरा महंगाई दर में 0.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. वहीं डाउ जोन्स ने 0.3 फीसदी की गिरावट का आंदेशा जताया था. वहीं केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने अपनी ब्याज दरों को 0.50 फीसदी बढ़ाया है. जिसके बाद से ही अमेरिकी मार्केट में बिकवाली शुरू हो गई है. केंद्रीय बैंक की ओर से बताया गया है कि यह बढ़ोतरी दरें अगले साल 2023 तक जारी रहेंगी और फेड फंड की दर 5.1% से उच्च स्तर पर ले जाने का अनुमान है.

ब्याज दरों में बढ़ोतरी होने से फेड रिजर्व का टार्गेट रेट 4.25 फीसदी से 4.50 फीसदी के बीच पहुंच गया है. ये बढ़ोतरी की दरें पिछले 15 सालों यानी 2007 के बाद सबसे अधिक हैं. वहीं डाउ जोन्स बुधवार को 34,000 से नीचे बंद हुआ था और फिर खराब खुदरा बिक्री डेटा के बाद से गुरुवार को बिकवाली तेज हो गई.

ब्रिटेन में फिर हुआ ब्याज दरों में इजाफा

ब्रिटेन पहले ही आर्थिक मंदी झेल रहा है. जिसके बाद अब वहां बढ़ती महंगाई दर लोगों के लिए परेशानी का विषय बन गई है. पीएम ऋषि सुनक ने मंदी को कंट्रोल करने के लिए मंहगाई की ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है. गुरुवार को ब्रिटेन ने अपनी ब्याज में 0.50 फीसदी का इजाफा किया है. जिसके बाद सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरों में 0.50 का इजाफा कर इसे 3.5 प्रतिशत पर पहुंचा दिया. बता दे कि दिसंबर 2021 के बाद लगातार 9वीं बार इंग्लैंड ने अपनी ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है.

सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट

भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार को बिकवाली दर्ज की गई. निफ्टी और सेंसेक्स दोनों तेज गिरावट के साथ बंद हुए. गुरुवार को सेंसेक्स 879 अंको की गिरावट के साथ 61,799 पर बंद हुआ, तो वहीं निफ्टी 245 अंको से गिरकर 18,415 पर रुका. अमेरिकी ब्याज दरों में हो रही बढ़ोतरी सीधे तौर पर भारतीय बाजार को प्रभावित कर रही है.

अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि फेडरल डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज कब शुरू हुआ? रिजर्व बैंक की ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद विदेशी इन्वेस्टर्स का निवेश भारतीय शेयर बाजार में कम हो सकता है. बता दें कि आरबीआई ने हाल ही में एमपीसी की बैठक में रेपो रेट में 0.35 फीसदी का इजाफा किया था.

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कायर बाइडेन के बोल से अमेरिकी शेयर मार्केट मुस्कराया, पिछलग्गू भारत भी हराभरा!

कल युद्ध की शुरुआत पर भारतीय शेयर बाज़ार चार प्रतिशत गिर गया जिससे हाहाकर मच गया। जब भारत में रात बारह बजे और अमेरिका में दोपहर तो अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन की प्रेस कांफ्रेंस शुरू हुई। तब तक अमेरिकी मार्केट नीचे गिरने की दौड़ लगा रहा था। सब देखना चाहते थे अमेरिका क्या स्टैंड लेगा यूक्रेन पर?

अगर अमेरिका बहादुरी दिखाता और रूस की सबक़ सिखाने हेतु नाटो की सेना भेजने का एलान करता तो मार्केट बुरी तरह गिरता और कई दिन गिरता। लेकिन बुजुर्ग बाइडन ने समझदारी का परिचय दिया। या यूँ कहिए कि कायर निकले और संकट में यूक्रेन को अकेला छोड़ दिया।

बाइडन ने हमला न करने का एलान किया। रूस से न लड़ने की घोषणा की। नाटो सैनिक न भेजने का फ़रमान सुनाया।

बाइडन की इस घोषणा का अमेरिकी शेयर मार्केट पर फ़ौरन असर हुआ। बाज़ार की गिरती सुई थम गई और वापसी की राह पकड़ ली। बाज़ार बंद होते होते डाउ ज़ोंस अच्छी ख़ासी हरियाली समेट कर मुस्कुरा रहा था।

अमेरिकी पिछलग्गू भारत में भी आज बाज़ार में बहार रहने की उम्मीद है और कल जो गिरावट हुई थी उसके रिकवर करने की उम्मीद है।

पत्रकार शशि सिंह लिखते हैं-

जो कल दलाल स्ट्रीट पर फैली लाली को तबाही का मंजर बता रहे थे आज वहॉं उगी हरियाली को शांति का संदेश क्यूँ नहीं कह रहे? ये शेयर बाज़ार जो होता है न यह राजनीति से भी क्रूर व्यवस्था का नाम है, जहॉं बात-बात बकरे काटे जाते हैं। कल रूस-यूक्रेन का नाम पर जो बकरे कटे थे आज उनकी गोश्त कसाइयों में बंट रही है। बस यही है उन गलियों में लाल और हरे का सच। जाओ सब चादर तानकर सो जाओ। रूस-यूक्रेन में जो हो रहा है वह स्क्रिप्टेड ड्रामा है। इसकी राइटिंग टीम में अमेरिका, चीन, रूस और भारत सब शामिल हैं। हैरान मत होना यदि चीन ताइवान पर और भारत बलूचिस्तान एवं आज़ाद कश्मीर के लिए पाकिस्तान पर हमला बोल दे। ये नया वर्ल्ड ऑर्डर बन रहा है दोस्त। इस व्यवस्था में वो सब हो सकता है जो हमने और आपने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। ये सफ़र कोरोना से शुरू हुआ है। अभी इसके कई रंग हमें देखने को मिलेंगे।

वरिष्ठ पत्रकार विमल कुमार लिखते हैं-

अमरीकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कल रात कह दिया वे अपनी सेना यूक्रेन को नहीं भेजेंगे।इससे विश्वयुद्ध तो टल गया अब यह केवल रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई है जिसमे रूस की जीत होगी।क्या अमरीका ने यूक्रेन को धोखा दिया या उसकी मजबूरी थी कि रूस के खिलाफ सेना न भेजने का फैसला उसे करना पड़ा।मुझे लगता है अफगानिस्तान से जिस तरह अमरीकी सेनाएं वापस लौटी हैं उसे देखते हुए अब अमरीका दोबारा डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज कब शुरू हुआ? सेना नहीं भेजना चाहता हो।संभव है उसकी सेना में बगावत न हो जाये या वहां की जनता उसके खिलाफ न हो जाये।बहरहाल अमरीका का यह फैसला सही है कि वह सेना नहीं भेजेगा लेकिन यूक्रेन के साथ उसे धोखा नहीं देना चाहिए था। नाटो देशों डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज कब शुरू हुआ? के बहकावे में यूक्रेन उछल रहा था।दरअसल यह वर्चस्व की लड़ाई का नतीजा है।इस युद्ध से यह एक बार फिर सिद्ध हुआ संयुक्त राष्ट्र केवल दिखावे की संस्था है और हर राष्ट्र को अपनी रक्षा खुद करनी है।कोई किसी की मदद नहीं करनेवाला है लेकिन कोरोना काल में यह युद्ध इस बात का सबूत है कि शासकों को मनुष्य की तकलीफों से कोई मतलब नहीं है, केवल उसे अपनी सत्ता से मतलब है।अपने देश मे भी हमने देखा शासकों के लिए चुनाव ही अधिक महत्वपूर्ण है। पूरी दुनिया में इंसानियत मानवीय संवेदना खतरे में है,क्रूरता और पाशविकता बढ़ी है।यह कैसा विकास और आर्थिक प्रगति है जिसमें मनुष्य के दुख दर्द को कोई सुननेवाला नहीं है।यूक्रेन में बच्चे फंसे है।माँ बाप रो रहे हैं।टीवी पर उनको रोते देख द्रवित हो गया।

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पश्चिम देशो द्वारा रूस पर नए प्रतिबंध लगाने के बाद अमेरिकी शेयरों में तेजी

पश्चिम देशो द्वारा रूस पर नए प्रतिबंध लगाने के बाद अमेरिकी शेयरों में तेजी

रूस के खिलाफ पश्चिम देशो द्वारा नए प्रतिबंध लगाने के बाद, अमेरिकी बाजारों में सुधार हुआ है। एक उल्लेखनीय बाजार उलटफेर में, अमेरिकी शेयर गुरुवार को काफी अधिक बंद हुए, नैस्डैक में 3 प्रतिशत की वृद्धि से प्रेरित, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने रूस के खिलाफ कठोर नए प्रतिबंध जारी किए, जब मास्को ने यूक्रेन पर एक चौतरफा आक्रमण शुरू किया।

एसएंडपी 500 इंडेक्स 1 प्रतिशत से अधिक चढ़ गया। डॉव ने भी दिन को काले रंग में बंद किया।

डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 92.07 अंक या 0.28 प्रतिशत बढ़कर 33,223.83 हो गया, एसएंडपी 500 63.2 अंक या 1.50 प्रतिशत बढ़कर 4,288.7 हो गया, और नैस्डैक कंपोजिट 436.10 अंक या 3.34 प्रतिशत बढ़कर 13,473.59 हो गया। नैस्डैक अपने नवंबर के समापन रिकॉर्ड उच्च दोपहर से 20 प्रतिशत से अधिक नीचे था। अगर यह उस स्तर पर बंद होता तो यह साबित होता कि यह एक भालू बाजार में था।

सात देशों के समूह के समकक्षों के साथ बात करने के बाद, बिडेन ने दुनिया की प्रमुख मुद्राओं में व्यापार करने की रूस की क्षमता में बाधा डालने के उपायों के साथ-साथ बैंकों और राज्य के स्वामित्व वाली फर्मों के खिलाफ दंड का प्रस्ताव रखा।

व्हाइट हाउस ने चेतावनी दी है कि संघर्ष के परिणामस्वरूप संयुक्त राज्य में उच्च ईंधन लागत हो सकती है, लेकिन अमेरिकी अधिकारी अन्य देशों के समकक्षों के साथ मिलकर वैश्विक रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार से अतिरिक्त तेल जारी करने के लिए समन्वित तरीके से काम कर रहे हैं।

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