अगर आपने शेयर नहीं, बल्कि म्यूचुअल फंड में अपना पैसा लगाया है, तो निवेश के एक साल तक इक्विटी म्यूचुअल फंड (जिनका 65 फीसदी हिस्सा इक्विटी है) की यूनिट बेचने से होने वाले मुनाफे पर 15 फीसदी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। इसके साथ ही निवेशकों से चार फीसदी सेस भी वसूला जाता है।

क्या EPF के पैसे का लाभ आप बिना TDS जमा किए उठा सकते हैं? जान लें टैक्स से जुड़े यह जरूरी नियम

अगर किसी पीएफ में 2.5 लाख से ज्यादा राशि पीएफ में जमा होती है तो उसके ब्याज पर टैक्स लगाया जाएगा. बता IC Markets से पैसे निकालने में कितना समय लगता है दें कि चालू वित्त वर्ष में अभी 8.5 प्रतिशत PF में जमा राशि पर ब्याज दर मिल रहा है.

By: ABP Live | Updated at : 08 Mar 2022 07:02 PM (IST)

हर व्यक्ति की यह इच्छा रहती है कि वह रिटायरमेंट के बाद एक आरामदायक जिंदगी व्यतीत करें. इसके लिए सरकार द्वारा सरकारी और प्राईवेट सेक्टर के सभी नौकरीपेशा व्यक्ति को लिए एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड की सुविधा दी गई है. इस पीएफ अकाउंट में हर नौकरी पेशा व्यक्ति की 12 प्रतिशत बैसिक सैलरी हर महीने जमा होती है. इसके अलवा जो कंपनी आपको नौकरी दे रहा है वह 12 प्रतिशत पीएफ में जमा करता है. 60 साल की उम्र के बाद नौकरीपेशा व्यक्ति उस पैसे को निकाल सकता है. इसके अलावा किसी आपातकाल की स्थिति में भी आप 60 साल से पहले इस अकाउंट से पैसे निकाल सकते हैं.

सरकार ने पीएफ अकाउंट में टैक्स को लेकर कुछ नियम तय कर रखें हैं. पीएफ अकाउंट से पैसे निकालने पर अलग-अलग टैक्स प्रावधान है. लेकिन,पीएफ पैसे निकालने के लिए क्या टैक्स डिडक्शन एट सोर्स यानी TDS का पैसा जमा करना अनिवार्य है? क्या बिना टैक्स दिए हम पैसे निकाल सकते हैं? तो चलिए जानते हैं सभी सलालों के जबाव-

1 अप्रैल से हो रहा नियमों में बदलाव
आपको बता दें कि 1 अप्रैल 2022 के बाद अगर किसी पीएफ में 2.5 लाख से ज्यादा राशि पीएफ में जमा होती है तो उसके ब्याज पर IC Markets से पैसे निकालने में कितना समय लगता है टैक्स लगाया जाएगा. बता दें कि चाली वित्त वर्ष में अभी 8.5 प्रतिशत पीएफ अकाउंट में जमा राशि पर ब्याज दर मिल रहा है. पीएफ अकाउंट में जमा होने वाली राशि पर टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिलेगी. इसके साथ ही सालाना मिलने वाला ब्याज पर आभी कोई टैक्स नहीं लगता है और मैच्योरिटी राशि पर भी किसी तरह का टैक्स नहीं लगता है.

ये है टैक्स के संबंधी नियम-
आपको बता दें कि अगर आप पीएफ अकाउंट के खुलने के पांच साल के अंदर पैसे निकालते हैं तो आपको इस पर टैक्स देना पड़ता है. पांच साल के अंदर पैसे निकालने पर आपको TDS का भुगतान करना पड़ता है. वहीं अगर आप किसी कंपनी में 1 साल परमानेंट रिप्लाई नहीं थें और चार साल परमानेंट रिप्लाई थें तो आपको एसी श्तिति में TDS देना पड़ेगा. अगर आप 5 साल से कम समय में 50 हजार रुपये तक निकालते हैं तो इस पर किसी तरह का टैक्स नहीं लगेगा. वहीं 50 हजार से ऊपर की राशि पर आप आपको पैमन कार्ड अपडेट होने पर 10 पर्तिशत टैक्स देना पड़ेगा. वहीं पैन कार्ड अपडेट न होने की स्थिति में 30 प्रतिशत तक टैक्स देना पड़ेगा. वहीं फॉर्म 15G/15H जमा पर आपको TDS नहीं देना पड़ेगा. वहीं पैसे लेने के बाद अगर किसी अकाउंट होल्डर की तबीयत खराब हो जाती है तो ऐसी स्थिति में उससे किसी तरह का टैक्स नहीं लिया जाएगा.

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Published at : 08 Mar 2022 07:26 PM (IST) Tags: epfo tds EPFO Nominee EPFO pensioners हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

Tax On Mutual Funds: म्यूचुअल फंड्स से हुई कमाई पर कैसे लगता है टैक्स, जानिए क्या कहते हैं आयकर के नियम?

Mutual Fund Taxation: म्यूचुअल फंड में निवेश का एक बड़ा फायदा इसका टैक्स एफिशिएंट होना भी है.

Tax On Mutual Funds: म्यूचुअल फंड्स से हुई कमाई पर कैसे लगता है टैक्स, जानिए क्या कहते हैं आयकर के नियम?

म्यूचुअल फंड में निवेश पर दो तरीके से रिटर्न मिलता है- डिविडेंड्स और कैपिटल गेन.

Mutual Fund Tax Implication: निवेश की बात की जाए तो म्यूचुअल फंड बेहतर विकल्प बनकर सामने आता है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि यह न सिर्फ वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में मददगार साबित होता है बल्कि टैक्स-एफिशिएंट इंस्ट्रूमेंट्स भी साबित होता है. फिक्स्ड डिपॉजिट्स भी निवेश के लिए अधिकतर लोगों का पसंदीदा विकल्प है लेकिन इसका सबसे बड़ा नुकसान यह है कि अगर आप सबसे अधिक दरों वाले टैक्स ब्रेकेट में आते हैं तो एफडी पर मिलने वाला ब्याज आपकी आय में जब जुड़ती है तो सबसे अधिक दर से इस पर टैक्स चुकाना होता है.

इस मामले में म्यूचुअल फंड में निवेश बेहतर है और इस पर मिलने वाले रिटर्न पर अलग तरीके से टैक्स कैलकुलेशन होता है, बजाय टैक्सेबल आय में जोड़कर स्लैब के मुताबिक टैक्स कैलकुलेट करने के. इनके अलावा वित्त मंत्रालय 0.001 फीसदी का सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) भी किसी इक्विटी या हाइब्रिड इक्विटी-ओरिएंटेड फंड की खरीद और बिक्री पर लेती है. डेट फंड के यूनिट्स की खरीद बिक्री पर कोई एसटीटी नहीं लगता है.

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म्यूचुअल फंड में निवेश पर दो तरह से मिलता है रिटर्न

म्यूचुअल फंड में निवेश पर दो तरीके से रिटर्न मिलता है- डिविडेंड्स और कैपिटल गेन. जब कंपनी के पास सरप्लस कैश बचता है तो इसे निवेशकों के निवेश के अनुपात में डिविडेंड के रूप में दिया जाता है. इस पर टैक्स कैलकुलेट करने के लिए इसे टैक्सेबल इनकम में जोड़कर स्लैब के मुताबिक टैक्स कैलकुलेट किया जाता है. अभी एक वित्त वर्ष में 10 लाख रुपये तक का डिविडेंड टैक्स-फ्री है. वहीं दूसरी तरफ कैपिटल गेन म्यूचुअल फंड में निवेश की निकासी करने पर होने IC Markets से पैसे निकालने में कितना समय लगता है वाला प्रॉफिट है और इस पर टैक्स इस पर निर्भर करता है कि पूंजी इक्विटी, डेट या हाइब्रिड फंड में से किसमें निवेश हुई है और इसे निवेश कितने समय तक बना रहा.

Tax Saving : ELSS में करते हैं निवेश तो अधिकतम कितना बचा सकते हैं टैक्स? जानें पूरी कैलकुलेशन

शेयर मार्केट से जुड़ाव के कारण ईएलएसएस में कभी भी एकमुश्त निवेश नहीं करना चाहिए.

शेयर मार्केट से जुड़ाव के कारण ईएलएसएस में कभी भी एकमुश्त निवेश नहीं करना चाहिए.

Tax Saving Through ELSS : ईएलएसएस में निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत टैक्स बेनेफिट मिलता है. 80C में एक . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : January 20, 2022, 12:17 IST

नई दिल्ली. ईएलएसएस (Equity Linked Saving Scheme) में अगर आप निवेश (Investment) करते हैं तो इसके जरिये भी टैक्स बचा (Tax Saving) सकते हैं. कई लोग इसे टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड भी कहते हैं. इसमें तीन साल का लॉक-इन पीरियड होता है. इस दौरान आप स्‍कीम से पैसा नहीं निकाल सकते हैं. ईएलएसएस (ELSS) में निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act) के सेक्शन 80C के तहत टैक्स बेनेफिट मिलता है. 80C में एक फाइनेंशियल ईयर (Financial Year) में अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक टैक्स छूट मिलती है.

ईएलएसएस में आप जो रकम निवेश करते हैं, उसके ज्यादातर हिस्से को म्यूचुअल फंड शेयर मार्केट में लगाती हैं. इस कारण टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले इसमें अस्थिरता और जोखिम ज्यादा रहता है. टैक्स सेविंग एफडी के मामले में निवेश के समय ही यह पता चल जाता है कि आपको कितना रिटर्न मिलेगा. लेकिन ईएलएसएस में वास्तविक रिटर्न का अनुमान लगा पाना मुश्किल होता है क्योंकि इसका प्रदर्शन शेयर मार्केट से जुड़ा होता है.

एकमुश्त पैसा न लगाएं
ईएलएसएस म्यूचुअल फंड स्कीम्स में एसआईपी के जरिए या फिर एकमुश्त निवेश किया जा सकता है. निवेश एवं टैक्स सलाहकार (Investment and Tax Advisor) बलवंत बताते हैं कि शेयर मार्केट (Share Market) से जुड़ाव के कारण ईएलएसएस में कभी भी एकमुश्त निवेश नहीं करना चाहिए. एसआईपी (SIP) के जरिये हर महीने निवेश करें. इसमें जोखिम का खतरा कम होता है. फंड हाउस भी लोगों को मिनिमम 500 रुपये से IC Markets से पैसे निकालने में कितना समय लगता है ELSS में निवेश शुरू करने की सलाह देते हैं.

अधिकतम बचा सकते हैं 46,800 रुपये, ये रहा कैलकुलेशन
बलवंत जैन बताते हैं कि टैक्‍स सेविंग फंडों में निवेश की अधिकतम सीमा नहीं है, लेकिन 80C के तहत एक फाइनेंशियल ईयर में केवल 1.5 लाख रुपये तक ही डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. ELSS में एक फाइनेंशियल ईयर में निवेश कर आप अधिकतम 48,600 रुपये की टैक्स बचत कर सकते हैं. इसमें निवेश की कोई सीमा नहीं है. मान लीजिए, आप ईएलएसएस में एक फाइनेंशियल ईयर में 1.5 लाख रुपये निवेश करते हैं तो 30 फीसदी के उच्च टैक्स स्लैब के हिसाब से आपको 45,000 रुपये का टैक्स बेनेफिट मिलेगा. इसके अलावा, 4 फीसदी सेस यानी 1,800 रुपये की और बचत होगी. इस तरह, आप ELSS में निवेश पर एक फाइनेंशियल ईयर में अधिकतम 46,800 रुपये बचा सकते हैं.

…तो 10 साल में बना सकते हैं इतने लाख का फंड
बलवंत जैन का कहना है कि ELSS शेयर मार्केट से लिंक्ड होता है, इसलिए रिटर्न का वास्तविक अंदाजा लगाना मुश्किल होता है. लेकिन, माना जाता है कि ईएलएसएस में निवेश पर हर साल औसतन 12 फीसदी तक रिटर्न मिल जाता है. ऐसे में अगर आप ELSS में एक लाख रुपये डाल देते हैं तो 12 फीसदी रिटर्न के हिसाब से 10 साल में आप 3,10,584.82 रुपये के मालिक बन जाते हैं.

मैच्योरिटी पर पैसा निकालने पर टैक्स
ELSS में लॉकइन पीरियड खत्‍म होने के बाद स्‍कीम से पैसा निकालते हैं तो उस पर टैक्‍स लगता है. मौजूदा टैक्‍स नियमों के मुताबिक, इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में एक साल से ज्यादा समय तक लगाए गए पैसे पर लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्‍स लगता है. एक फाइनेंशियल ईयर में अगर ईएलएसएस म्यूचुअल फंड से गेन्स एक लाख रुपये से ज्यादा हुआ है तो बिना इंडेक्सेशन बेनिफिट 10 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. एक लाख रुपये तक का गेन टैक्‍स के दायरे में नहीं आता है.

ऐसे कर सकते हैं निवेश
-ईएलएसएस में निवेश के लिए केवाईसी जरूरी है.
-फंड IC Markets से पैसे निकालने में कितना समय लगता है हाउस के ब्रांच ऑफिस या रजिस्ट्रार ऑफिस में चेक के साथ फॉर्म भरना पड़ता है. फंड हाउस की वेबसाइट या एग्रीगेटर्स के जरिये ऑनलाइन भी ईएलएसएस में निवेश कर सकते हैं.
-निवेश शुरू होने पर फोलियो नंबर मिलता है, जिसकी मदद से भविष्य में ईएलएसएस योजनाओं में निवेश कर सकते हैं.
-ईएलएसएस म्यूचुअल फंड में निवेश के वक्त निवेशकों के पास कुछ विकल्प रहते हैं. इनमें ग्रोथ, डिविडेंड और डिविडेंड रीइंवेस्‍टमेंट ऑप्‍शन शामिल हैं.
-ग्रोथ ऑप्शन में निवेशकों को डिविडेंड का भुगतान नहीं किया जाता है. स्‍कीम को भुनाते या इससे स्विच करते समय ही गेन्स/लॉस मिलता है.
-डिविडेंड ऑप्शन में निवेशकों को डिविडेंड का भुगतान होता है. हालांकि, डिविडेंड का डिक्लेरेशन पूरी तरह फंड हाउस पर निर्भर करता है. डिविडेंड टैक्सेबल होता है.
-डिविडेंड रीइंवेस्‍टमेंट ऑप्‍शन में फंड हाउस जिस डिविडेंड की घोषणा करते हैं, उसे दोबारा स्‍कीम में निवेश कर दिया जाता है.
-डिविडेंड के रीइंवेस्‍टमेंट का भी लॉकइन पीरियड होता है.

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काम की खबर: शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड में करते हैं निवेश? तो जानिए कब कितना लगता है टैक्स

शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में निवेश से आपको जो फायदा होता है, उस पर टैक्स लगता है। मुनाफे की प्रकृति के आधार पर निवेशकों पर लगने वाला टैक्स बदल जाता है।

निवेश

कोरोना वायरस ने देश की आर्थिक स्थिति बिगाड़ दी है। महामारी के इस दौर में कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकाला, वहीं कई कर्मचारियों की सैलरी में कटौती की गई। ऐसे में लोग निवेश के विकल्प खोज रहे हैं। पिछले कुछ समय से निवेशकों की शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड की ओर रुचि बढ़ी है। कई लोगों ने इनमें अपना पैसा लगया है। हालांकि शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में निवेश से आपको जो फायदा होता है, उस पर टैक्स लगता है। इस बीच एक बात का ध्यान रखें कि मुनाफे की प्रकृति यानी लान्ग टर्म, शॉर्ट टर्म, आदि के आधार पर निवेशकों पर लगने वाला टैक्स और उसकी दर बदल जाती हैं। आइए इसके बारे मे विस्तार से जानते हैं।

शेयर बाजार

  • यदि निवेशक 12 महीने के भीतर ही शेयर बेच कर मुनाफा कमाते हैं, तो उस मुनाफे को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन कहा जाता है। इस मुनाफे पर निवेशकों को 15 फीसदी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होता है।
  • शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के विपरीत अगर निवेशक किसी शेयर को 12 महीने बाद IC Markets से पैसे निकालने में कितना समय लगता है बेचते हैं और उन्हें मुनाफा होता है, तो उसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहा जाता है। इस पर आपको 10 फीसदी टैक्स का भुगतान करना होगा है। लेकिन ऐसा तभी करना होता है जब कुल मुनाफा एक लाख से ज्यादा हो।
  • वहीं शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में अगर आप नुकसान में शेयर बेचते हैं, तो आगामी आठ वर्षों के भीतर तक आप उस नुकसान को कैरी फॉरवर्ड भी कर सकते हैं।
  • अगर निवेशक इंट्रा-डे ट्रेडिंग करते हैं, यानी जिस दिन शेयर खरीदा है, उसी दिन बेच देते हैं, तो यह स्पेक्युलेटिव बिजनेस इनकम कहालाता है। सामान्य टैक्स स्लैब के अंदर स्पेक्युलेटिव बिजनेस इनकम के रूप में इसे जोड़ा जाएगा। इसके तहत अगर नुकसान होता है, तो वो कैरी-फॉरवर्ड हो सकता है, लेकिन सिर्फ चार वर्षों तक।
  • अगर आपने शेयर नहीं, बल्कि म्यूचुअल फंड में अपना पैसा लगाया है, तो निवेश के एक साल तक इक्विटी म्यूचुअल फंड (जिनका 65 फीसदी हिस्सा इक्विटी है) की यूनिट बेचने से होने वाले मुनाफे पर 15 फीसदी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। इसके साथ ही निवेशकों से चार फीसदी सेस भी वसूला जाता है।
  • निवेश की अवधि से एक साल बाद होने वाले मुनाफे पर 10 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। इसपर भी चार फीसदी सेस लगाया जाता है। मालूम हो कि एक लाख रुपये से कम के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर कोई टैक्स नहीं लगता।
  • इक्विटी म्यूचुअल फंड की ओर से दिए गए डिविडेंड पर कर नहीं लगता, लेकिन एएमसी 11.648 फीसदी की दर से डीडीटी का भुगतान करती है।
  • डेट फंड में शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के लिए न्यूनतम होल्डिंग अवधि तीन साल होती है। यदि निवेशक निवेश के तीन साल के अंदर यूनिट बेचते हैं, तो उससे होने वाले मुनाफे को निवेश की आय में जोड़ा जाता है और निवेशक की टैक्स स्लैब के अनुसार आयकर लगता है।
  • इसके विपरीत निवेश के तीन साल बाद यूनिट बेचने पर जो मुनाफा होता है, उस पर इंडेक्सेशन के साथ 20 फीसदी कर लगता है।
  • डेट फंड में फंड हाउस IC Markets से पैसे निकालने में कितना समय लगता है निवेशकों को डिविडेंड बांटने से पहले 29.120 फीसदी की दर से डीडीटी का भुगतान करना होता है। शेयर बाजार की ही तरह यहां भी आप नुकसान को आठ सालों तक कैरी फॉरवर्ड कर सकते हैं।

विस्तार

कोरोना वायरस ने देश की आर्थिक स्थिति बिगाड़ दी है। महामारी के इस दौर में कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकाला, वहीं कई कर्मचारियों की सैलरी में कटौती की गई। ऐसे में लोग निवेश के विकल्प खोज रहे हैं। पिछले कुछ समय से निवेशकों की शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड की ओर रुचि बढ़ी है। कई लोगों ने इनमें अपना पैसा लगया है। हालांकि शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में निवेश से आपको जो फायदा होता है, उस पर टैक्स लगता है। इस बीच एक बात का ध्यान रखें कि मुनाफे की प्रकृति यानी लान्ग टर्म, शॉर्ट टर्म, आदि के आधार पर निवेशकों पर लगने वाला टैक्स और उसकी दर बदल जाती हैं। आइए इसके बारे मे विस्तार से जानते हैं।

शेयर बाजार

    यदि निवेशक 12 महीने के भीतर ही शेयर बेच कर मुनाफा कमाते हैं, तो उस मुनाफे को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन कहा जाता है। इस मुनाफे पर निवेशकों को 15 फीसदी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होता है।

इक्विटी म्यूचुअल फंड

    अगर आपने शेयर नहीं, बल्कि म्यूचुअल फंड में अपना पैसा लगाया है, तो निवेश के एक साल तक इक्विटी म्यूचुअल फंड (जिनका 65 फीसदी हिस्सा इक्विटी है) की यूनिट बेचने से होने वाले मुनाफे पर 15 फीसदी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। इसके साथ ही निवेशकों से चार फीसदी सेस भी वसूला जाता है।

बच्चों की स्कूल फीस पर भी उठा सकते हैं टैक्स छूट का फायदा, जानिए कैसे

बच्चों की स्कूल फीस पर टैक्स छूट मिलती है लेकिन इसके लिए जरूरी है कि यह पैसा बैंक से कैश या चेक के जरिए निकाला गया हो। ऐसा करने से इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत छूट का फायदा उठा सकते हैं। पिता.

बच्चों की स्कूल फीस पर भी उठा सकते हैं टैक्स छूट का फायदा, जानिए कैसे

बच्चों की स्कूल फीस पर टैक्स छूट मिलती है लेकिन इसके लिए जरूरी है कि यह पैसा बैंक से कैश या चेक के जरिए निकाला गया हो। ऐसा करने से इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत छूट का फायदा उठा सकते हैं। पिता द्वारा पुत्र को दिया गया उपहार कर योग्य आय की श्रेणी में नहीं आता। उपहार, इनकम टैक्स रिफंड को लेकर टैक्सपेयर्स के कुछ ऐसे ही सवालों का जवाब चार्टेड अकाउंटेंट के. सी. गोदुका ने दिया।

सवाल - मुझे बैंक खाते में से कुछ पैसे समय-समय पर अपने बच्चों को पढ़ाई या अन्य खर्च हेतु भेजना पड़ता है। मैं जानना चाहता हूं कि जो रकम मैं अपने बैंक से ट्रांसफर करुंगा अगर वो 2.5 लाख से अधिक हो जाती है तो क्या उन्हें टैक्स भरना पडेग़ा। अगर ये रकम नकद में उनके खाते में डालता रहूं तो क्या होगा? ..श्रीनिवास गर्ग, सीकर
जवाब - अपना कर अदा करने के बाद जो बचता है वह आपकी अपनी संपत्ति है। अपनी संपत्ति में से आप बच्चों को कुछ देते हैं तो वो कर योग्य नहीं है। वैसे भी पिता द्वारा पुत्र को दिया गया उपहार कर योग्य आय की श्रेणी IC Markets से पैसे निकालने में कितना समय लगता है में नहीं आता। दूसरा अगर आप बच्चों के खाते में टयूशन फीस के हेतु भी जमा कराते हैं तो मेरा सुझाव यह है की यह राशि आप अपने बैंक खाते से नकद या चेक द्वारा स्कूल में जमा कराएं। इससे आपको आयकर की धारा 80 सी के तहत छूट भी प्राप्त होगी। अगर आप अपने खाते से पैसा निकाल कर अपने बच्चों के खाते में नकद जमा करते हैं तो इसमें किसी को कोई आपति कैसे हो सकती है।

सवाल - मैं उत्तर प्रदेश सरकार में एक कर्मचारी हूं। मुझे कर निर्धारण वर्ष 2017-18 के लिए आयकर विभाग से 143(1)ए के तहत नोटिस प्राप्त हुआ है। इसमें कहा गया है की मेरे द्वारा 32,548 रुपये पर आयकर नहीं दिया गया है। फॉर्म 26एएस में यह धनराशि जिसमें 18,940 रुपये एफडीआर के ब्याज की है जिस पर बैंक द्वारा टीडीएस काटा गया है और 13,608 रुपये कंपनी एफडीआर के ब्याज से है जिस पर कर नहीं काटा गया। मैं आयकर रिटर्न मैनुअल ही भरता हूं। मुझे अब क्या करना होगा? ..चन्द्रकान्त, उत्तर प्रदेश.
जवाब - आपने आईटीआर में 32,548 रुपये नहीं दिखा हैं। आप अपनी आय में इसे जोड़ कर पुन: गणना करते हुए आयकर की धारा 139(5) के तहत आयकर विवरणी को संशोधित करते हुए फिर से रिटर्न भरें।

सवाल - कर निर्धारण वर्ष 2017-18 से आईटीआर 1 के पार्ट-डी में कम्प्यूटेशन ऑफ टैक्स, के अंतर्गत कर मुक्त आय का विवरण मांगा गया है। इसमें धारा -10 के सब-सेक्शन (38),(34) का विकल्प दिया है। मैं यह जानना चाहता हूं कि इक्विटी ओरिएंटेड म्यूच्युअल फंड्स से मिलने वाला कर मुक्त डिविडेंड तथा पीपीएफ से मिलने वाला ब्याज, धारा-10 के किस सब-सेक्शन के अंदर लिखा जाना चाहिए । ..निरुपम अवस्थी, नोएडा.

जवाब - इक्विटी ओरिएंटेड म्यूच्युअल फंड्स से मिलने वाला कर मुक्त डिविडेंड धारा-10 के सब-सेक्शन 23डी के तहत तथा पब्लिक प्रोविडेंट फंड से मिलने वाला ब्याज, धारा-10 के सब-सेक्शन 11 के अंदर लिखा जाएगा।

सवाल - मैं भारत सरकार से पेंशन प्राप्त अधिकारी हूं व नियमित आईटीआर-1 से आयकर दाता हूं। मैं अपने पुत्र व पुत्री को बतौर गिफ्ट धन उनके खाते में जमा कराना चाहता हूं। क्या मैं आयकर अधिनियम के अनुसार ऐसा कर सकता हूं? इस प्रकार गिफ्ट में देय धनराशि की सीमा क्या है? क्या इस प्रकार प्राप्त धन को पुत्र या पुत्री की आय समझा जाएगा और इसमें आयकर देय होगा? . के. किशोर, गाजियाबाद
जवाब - आयकर की धारा 56(2) के अनुसार अगर पिता अपने पुत्र व पुत्री को उपहार में धन देता है तो, उस धन को प्राप्त कर्ता की आय नहीं मानी जाती अर्थात वह पूर्णतया कर मुक्त है। इस प्रकार के उपहार की कोई सीमा नहीं है अर्थात किसी भी मात्रा में उपहार दिया जा सकता है। बतौर सावधानी उपहार करते समय उपहार डीड अवश्य बनानी चाहिए।
पत्नी को दिए गिफ्ट पर पति को चुकाना पड़ सकता है टैक्स, जानें नियम..

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