Mutual Funds: सिप के जरिए कर रहे हैं निवेश तो इन बातों का रखें ध्यान, नहीं हो सकता नुकसान

Mutual Funds Tips: अगर आप SIP में निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं तो पहले इसके बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लें क्योंकि जानकारी की कमी की वजह से कई निवेशक कुछ गलतियां कर बैठते हैं.

By: ABP Live | Updated at : 24 Dec 2021 10:52 PM (IST)

Edited By: Taruna

Mutual Funds: सिस्‍टेमैटिक इंवेस्‍टमेंट प्‍लान यानी सिप (SIP) के जरिए म्‍यूचुअल फंड्स में बड़ी संख्या में खुदरा निवेशक पैसा बना रहे हैं. अगर आप सिप में निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं तो पहले इसके बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लें क्योंकि जानकारी की कमी की वजह से कई निवेशक कुछ गलतियां कर बैठते हैं और लाभ की जगह नुकसान उठाना पड़ जाता है. आज हम आपको 5 ऐसी गलतियों के बारे में बता रहे हैं जो निवेशक अक्सर सिप में पैसा लगाते वक्त करते हैं.

वित्तीय लक्ष्य स्पष्ट न होना

  • अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं तो आपके वित्तीय लक्ष्य स्पष्ट होने चाहिए.
  • अगर आपके वित्तीय लक्ष्य स्पष्ट नहीं है तो आप गलत फंड चुन सकते हैं.

ग्रोथ के बजाय डिविडेंड प्‍लान चुनना

  • ग्रोथ प्‍लान के बजाय डिविडेंड प्‍लान को तरजीह देना ठीक नहीं है.
  • ऐसा करने वाले निवेशकों को लगता है कि जब म्‍यूचुअल फंड डिविडेंड की घोषणा करेगा तो उन्‍हें मोटी कमाई होगी.
  • यह बात ज्यादातर निवेशकों को नहीं पता होती कि म्‍यूचुअल फंड्स अपनी असेट्स अंडर मैनेजमेंट से ही डिविडेंड का भुगतान करते हैं. इससे भुगतान किया गया डिविडेंड एनएवी से घट जाता है. वहीं, डिविडेंड की गणना फंड की फेस वल्‍यू पर की जाती है, ना कि एनएवी के आधार पर.
  • यह बात भी ध्यान रखें कि ग्रोथ प्‍लांस में निवेशकों को टैक्‍स छूट के मामले में भी ज्‍यादा फायदा मिलता है.

बाजार जब नीचे आ रहा हो तो ये गलती न करें

  • कई निवेशक बाजार नीचे आने पर सिप को रोक देते हैं और जब बाजार ऊपर जाता है तो निवेश शुरू करते हैं.
  • लेकिन ऐसा करना गलत है और यह निवेश के बुनियादी सिद्धांत बाय लो एंड सेल हाई के बिल्कुल उल्ट है. आप गिरते बाजार के समय भी निवेश जारी रखकर इस गलती से बच सकते हैं.
  • बाजार की चाल पर ध्यान न दें बल्कि निवेश अवधि के साथ मेल खाते फंड्स की कैटेगरी में इनवेस्ट करें. इस तरह आप सही फंड चुन सकते हैं.

बार-बार बदलाव न करें

  • लगातार अपने पोर्टफोलियो में एडजस्ट न करें.
  • किसी दूसरों की देखा-देखी शेयर्स की खरीद-बिक्री न करें. ऐसा नुकसानदायक हो सकता है क्योंकि हर किसी के वित्तीय लक्ष्य और स्थितियां अलग होती हैं.
  • बहुत से लोग फंड के पिछले प्रदर्शन के आधार पर निवेश करते हैं लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है. हमेशा ध्यान रखें कि फंड का रिटर्न बदलता रहता है.
  • फंड का मूल्य हर तिमाही में बदलता है. फंड्स को चुनने से पहले आपको अन्य मानकों का संदर्भ भी लेना चाहिए.

कम एनएवी को ना मानें सस्‍ता फंड

  • कम एनएवी (नेट एसेट वैल्‍यू) को सस्‍ते फंड के तौर पर नहीं लेना चाहिए.
  • फंड की एनएवी ज्‍यादा या कम होने के कई कारण हो सकते हैं.
  • निवेशकों को म्‍यूचुअल फंड में सिप के जरिए निवेश करते समय उसकी एनएवी पर ज्‍यादा जोर न दें.
  • निवेशकों को फंड के पिछले प्रदर्शन पर ध्‍यान देना चाहिए. साथ ही उसकी भविष्‍य की योजनाओं पर फोकस करना चाहिए.

(यहां ABP News द्वारा किसी भी फंड में निवेश की सलाह नहीं दी जा रही है. यहां दी गई जानकारी का सिर्फ़ सूचित करने डिविडेंड के फायदे और नुकसान का उद्देश्य है. म्यूचुअल फंड निवेश बाज़ार जोखिम के अधीन हैं, योजना संबंधी सभी दस्तावेज़ों को सावधानी से पढ़ें. योजनाओं की NAV, ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव सहित सिक्योरिटी बाज़ार को प्रभावित करने वाले कारकों व शक्तियों के आधार पर ऊपर-नीचे हो सकती है. किसी म्यूचुअल फंड का पूर्व प्रदर्शन, आवश्यक रूप से योजनाओं के भविष्य के प्रदर्शन का परिचायक नहीं हो सकता है. म्यूचुअल फंड, किन्ही भी योजनाओं के अंतर्गत किसी लाभांश की गारंटी या आश्वासन नहीं देता है और वह वितरण योग्य अधिशेष की उपलब्धता और पर्याप्तता से विषयित है. निवेशकों से सावधानी के साथ विवरण पत्रिका (प्रॉस्पेक्टस) की समीक्षा करने और विशिष्ट विधिक, कर तथा योजना में निवेश/प्रतिभागिता के वित्तीय निहितार्थ के बारे में विशेषज्ञ पेशेवर सलाह को हासिल करने का अनुरोध है.)

Published at : 25 Dec 2021 06:50 AM (IST) Tags: Mutual Funds SIP mutual fund calculator monthly sip annual sip हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

इन कारणों से एफडी से बनाएं दूरी

जब कभी भी ब्‍याज दर महंगाई के साथ कदमताल नहीं कर पाती है, इन्‍वेस्‍टर्स के लिए वास्‍तविक रिटर्न निगेटिव हो जाता है.

  • Money9 Hindi
  • Publish Date - November 8, 2022 / 01:00 PM IST

इन कारणों से एफडी से बनाएं दूरी

जब कभी भी ब्‍याज दर महंगाई के साथ कदमताल नहीं कर पाती है, इन्‍वेस्‍टर्स के लिए वास्‍तविक रिटर्न निगेटिव हो जाता है. ऐसी स्थितियों में एफडी जैसे पारंपरिक उपाय पैसे का नुकसान करने लगते हैं. हम अभी ऐसी ही स्थिति में हैं, जब खुदरा महंगाई 7.4 फीसदी के पार है, लेकिन एफडी पर 6-7 फीसदी के बीच रिटर्न मिल रहा है. इस कारण हर कोई वैकल्पिक उपाय खोजने लगता है, जो एफडी से ज्‍यादा रिटर्न दे सके. उच्‍च लाभांश देने सवाले स्‍टॉक्‍स बढ़िया विकल्‍प हो सकते हैं. आइए सबसे पहले लाभांश के बारे में सब जान लें.

लाभांश

लाभांश दरअसल कंपनी को हुई कमाई को शेयरहोल्‍डर्स के बीच बांटने का तरीका है. लाभांश कई तरीके से दिया जा सकता है. कई बार यह नगद भुगतान होता है तो कभी-कभी शेयरों या अन्‍य तरीकों से दिया जाता है. ज्‍यादातर कंपनियां नकदी में ही लाभांश का भुगतान करती हैं. संक्षेप में कहें तो जैसे आपको एफडी पर ब्‍याज से कमाई होती है, उसी तरह शेयरों में इन्‍वेस्‍टमेंट करने पर लाभांश के रूप में कमाई होती है. किसी कंपनी का लाभांश निदेशक मंडल के द्वारा तय होता है और इसे शेयरहोल्‍डर्स मंजूर करते हैं. हालांकि किसी कंपनी के लिए लाभांश देना बाध्‍यकारी नहीं होता है.

कंपनियां आम तौर पर वित्‍तीय परिणाम के साथ लाभांश का ऐलान करती हैं. कंपनी अपने प्रदर्शन और निदेशक मंडल की मंजूरी के हिसाब से तिमाही, छमाही, सालाना या किसी भी अंतराल पर लाभांश दे सकती है.

डिविडेंड यील्‍ड

डिविडेंड यील्‍ड एक वित्‍तीय अनुपात होता है, जो प्रति शेयर बाजार मूल्‍य की तुलना में शेयरहोल्‍डर्स को दिए गए नकद लाभांश की मात्रा तय करता है. इसकी गणना करने के लिए प्रत‍ि शेयर लाभांश को प्रत‍ि शेयर बाजार मूल्‍य से विभाजित किया जाता है और परिणाम को 100 से गुना किया जाता है. उदाहरण के लिए अगर 120 रुपये के शेयर पर कंपनी 12 रुपये लाभांश देने का ऐलान करती है तो डिविडेंड यील्‍ड की गणना इस तरह से की जाती है…(12/120*100 = 10%).

ज्‍यादा डिविडेंड देने वाली कंपनी से यह पता चलता है कि वह कम जोखिम वाली है, उसके खाते में पर्याप्‍त नकदी है और लगातार ग्रोथ दर्ज कर रही है. बाजार में ऐसी कई कंपनियां हैं, जो लाभांश देती हैं. इस साल अब तक किन कंपनियों ने डिविडेंड दिया है या कौन कंपनियां लाभांश का भुगतान करने वाली हैं, इसे जानने के लिए 5paisa.com https://bit.ly/3RreGqO पर लॉग ऑन करें.

बाजार में गिरावट की स्थिति में ग्रोथ स्‍टॉक्‍स की तुलना में ठोस फंडामेंटल्‍स वाले ऐसे स्‍टॉक्‍स में गिरावट की आशंका कम रहती है, क्‍योंकि ये कंपनियां इस बात से लाभांश में कटौती करने से बचती हैं कहीं बाजार में इससे गलत संकेत नहीं जाए. अधिक डिविडेंड यील्‍ड वाले स्‍टॉक्‍स में निवेश करने का एक और लाभ पूंजी में वृद्धि है, जो लंबे समय में संप‍त्ति का सृजन करता है. वहीं दूसरी ओर एफडी की स्थिति में पूंजी में वृद्धि संभव नही है. शेयरहोल्‍डर्स को एक तय तारीख पर डिविडेंड का भुगतान किया जाता है. डिविडेंड के भुगतान को लेकर कुछ अहम तारीखें होती हैं.

लाभांश का ऐलान करने की तारीख

यह वह तारीख है जब कंपनी शेयरहोल्‍डर्स के लिए लाभांश का ऐलान करती है. प्रेस रिलीज में डिविडेंड बांटने की तारीख, डिविडेंड का साइज, रिकॉर्ड की तारीख और पेमेंट की तारीख जैसे ब्‍यौरे होते हैं.

रिकॉर्ड की तारीख

यही वह तारीख है जब कंपनी के शेयरहोल्‍डर्स की सूची यानी रिकॉर्ड बुक में आपका नाम होना चाहिए. इस तारीख तक जिन इन्‍वेस्‍टर्स का नाम शेयरहोल्‍डर्स की लिस्‍ट में नहीं होता है, उन्‍हें लाभांश का फायदा नहीं मिलता है.

एक्‍स-डिविडेंड डेट

जब कंपनी रिकॉर्ड डेट तय कर लेती हैं, उसके बाद स्‍टॉक एक्‍सचेंज के द्वारा एक्‍स-डिविडेंड डेट तय की जाती है. आम तौर पर यह रिकॉर्ड की तारीख से दो दिन पहले होता है. लाभांश का भुगतान पाने के लिए आपको एक्‍स-डिविडेंड डेट से पहले उक्‍त कंपनी का शेयर खरीद लेना चाहिए. अगर आप एक्‍स-डिविडेंड डेट पर या उसके बाद शेयर खरीदते हैं तो आपको लाभांश नहीं मिलता है. ऐसी स्थिति में लाभांश डिविडेंड के फायदे और नुकसान उसी को मिल जाता है, जिससे आपने शेयर खरीदा है.

भुगतान की तारीख

यह तारीख कंपनी तय करती है, और इसी तारीख पर जमा हुए लाभांश का भुगतान शेयरहोल्‍डर्स को किया जाता है. सिर्फ वही शेयरहोल्‍डर्स लाभांश पाने के हकदार होते हैं, जिन्‍होंने एक्‍स-डिविडेंड डेट से पहले शेयर खरीदा होता है.

शेयर बाजार के फायदे और नुकसान | Advantages and Disadvantages of Share Market

शेयर बाजार के फायदे और नुकसान

यदि आप शेयर बाजार में निवेश करने के बारे में सोच रहे हो तो आज का यह ब्लॉग पोस्ट आपके लिए पढ़ना बेहद ही आवश्यक हो जाता है. क्योंकि आज के लेख द्वारा हम आप सभी को शेयर डिविडेंड के फायदे और नुकसान बाजार के फायदे और नुकसान के बारे में बताने जा रहे हैं.

किसी भी व्यक्ति के लिए यह बहुत ही जरूरी बन जाता है कि शेयर बाजार में निवेश करने से पहले शेयर बाजार के फायदे और नुकसान के बारे में उसको जानकारी जरूर हो, अतः आज का यह लेख आपको निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर जानने में सहायता करेगा।

  • शेयर बाजार क्या है?
  • शेयर बाजार के फायदे क्या क्या है?
  • शेयर बाजार के नुकसान क्या क्या है?
  • शेयर बाजार में निवेश करने से किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है?

Advantages and Disadvantages of Share Market in Hindi के बारे में आपके लिए जानना इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि इनको जानने के बाद और पूर्ण रूप से समझने के बाद आप यह अच्छे से निर्णय ले सकते हो कि क्या आपको वाकई में शेयर मार्केट में निवेश करना चाहिए या नहीं करना चाहिए?

साथ ही डिविडेंड के फायदे और नुकसान आप इन बातों को अपने दिमाग में रखते हुए आप उतना ही पैसा निवेश करोगे जो आपके आर्थिक स्थिति को प्रभावित ना करें, वैसे देखा जाए तो शेयर बाजार एक ऐसी जगह है जहां पर आप बहुत ज्यादा लाभ भी अर्जित कर सकते हो और दूसरे ही पल आपको नुकसान डिविडेंड के फायदे और नुकसान भी झेलना पड़ सकता है.

परंतु शेयर बाजार के लाभ और हानि आपके दिमाग में रहेंगे तो आप बिल्कुल सचेत रहोगे कि आपको कौन सी गलतियां करने से बचना होगा है ताकि आपको जो नुकसान भविष्य में हो सकता है उनका समाधान आप वर्तमान समय में ही निकाल सको, Share डिविडेंड के फायदे और नुकसान Bazar Ke Fayde Aur Nuksan के बारे में जानने से पूर्व शेयर बाजार क्या है इसके बारे में भी आपको जान लेना चाहिए.

LIC Dividend: एलआईसी शेयरहोल्डर्स की बल्ले-बल्ले, कंपनी ने किया डिविडेंड का ऐलान; जानिए कितना मिलेगा फायदा

LIC Share Update: अगर आपने भी एलआईसी के शेयर ख़रीदे हैं तो आपके लिए खुशखबरी है. लिस्टिंग के बाद LIC ने पहली बार अपने वित्तीय नतीजे जारी किए हैं. मार्च तिमाही में कंपनी को बड़ा घाटा हुआ है, बावजूद इसके कंपनी के बोर्ड ने अपने निवेशकों को 1.50 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड देने का फैसला किया है.

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LIC Dividend: एलआईसी शेयरहोल्डर्स की बल्ले-बल्ले, कंपनी ने किया डिविडेंड का ऐलान; जानिए कितना मिलेगा फायदा

LIC Share Update: देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी एलआईसी (LIC) ने मार्च तिमाही के लिए अपने वित्तीय नतीजे जारी कर दिए है. इस नतीजे के अनुसार, वर्तमान वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही यानी मार्च में कंपनी का मुनाफा कम हो गया है. इसके साथ ही शेयर बाजार में लिस्टिंग होने के बाद यह पहला नतीजा है. इसके बाद भी एलआईसी ने अपने शेयरधारकों को डिविडेंड देने का ऐलान किया है.

एलआईसी ने दी जानकारी

एलआईसी की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, मार्च तिमाही में कंपनी का एकीकृत शुद्ध मुनाफा 17 फीसदी घटकर 2,409 करोड़ रुपये लिचो गया है, जबकि 2021 में कंपनी का एकीकृत मुनाफा 2,917.33 करोड़ रुपये था. यानी एलआईसी के शुद्ध मुनाफे में 18 फीसदी की बड़ी कमी आई है. हालांकि इस दौरान प्रीमियम से हुई आमदनी में इजाफा हुआ है.

मार्च 2022 की तिमाही नतीजे में यह 2,372 करोड़ रुपये पर है, जबकि इससे पहले पिछले साल कंपनी का शुद्ध मुनाफा 2,893 करोड़ रुपये था. एलआईसी ने इस साल अपना आईपीओ डिविडेंड के फायदे और नुकसान लॉन्च किया है और सरकार इससे बड़ा मुनाफा जोड़ने की तैयारी कर रही है.

जानिए कितना मिलेगा डिविडेंड?

अब बात करते हैं शेयरहोल्डर्स के फायदे की. एलआईसी ने घाटे के बावजूद अपने निवेशकों को 10 रुपये फेस वैल्यू वाले प्रति शेयर पर 1.50 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड देने का भी फैसला किया है. कंपनी बोर्ड ने इस प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी है. इस फैसले पर बस शेयरधारकों की मंजूरी बाकी है. शेयर बाजार में आज इसकी स्थिति पर ध्यान दें तो बीएसई पर सोमवार को कंपनी के शेयर 1.89 फीसदी की तेजी पर 837.05 रुपये पर बंद हुए.

एलआईसी के शेयर आईपीओ के इश्यू प्राइस से अब तक करीब 15 फीसदी तक गिर चुके हैं. लेकिन शेयरधारकों को डिविडेंड की उम्मीद थी.

SHARE की विशेषता और फायदे

Zerodha

1. PERMANENT source of capital – shares कंपनी के लिए PERMANENT source of capitalहोता है, कंपनी को शेयर से मिलने वाला कैपिटल वापस नहीं करना होता , जब तक कंपनी चलती है तब तक कंपनी उस शेयर से मिलने वाली पूंजी का इस्तेमाल कर सकती डिविडेंड के फायदे और नुकसान है, इसलिए इसे PERMANENT source of capital कहा जाता है ,अगर कंपनी किसी भी अन्य तरीके से- जैसे -बैंक लोन या प्राइवेट फाइनेंस से पैसे लेती है, तो कंपनी को एक निश्चित समय बाद, फंड को वापस करना पड़ता है.

2. ब्याज का कोई बोझ नहीं – कंपनी को शेयर से मिलने वाले कैपिटल पर किसी तरह का कोई व्याज नहीं देना होता है, और इस तरह कंपनी के ऊपर व्याज का कोई अतिरिक्त बोझ नहीं रहता, जिससे कंपनी बिना व्याज चुकाए ज्यादा से ज्यादा लाभ कमा सकती है, अगर कंपनी किसी भी अन्य तरीके से जैसे बैंक या प्राइवेट फंड से पैसे लेती है तो, उसे उन पैसों पर ब्याज देना होता है, जिससे कंपनी के लाभ कमाने की क्षमता पर असर पड़ता है, जबकि शेयर से मिलने वाले पूंजी कंपनी जब तक चाहे इस्तेमाल कर सकती है,

3. सम्पति बंधक का बोझ नहीं – कंपनी अगर प्राइवेट फाइनेंस या बैंक से लोन लेती है, तो उसे अपनी कुछ प्रॉपर्टी को मोरगेज के रूप में बैंक के पास गिरवी रखना पड़ता है, और इस तरह कंपनी के प्रॉपर्टी पर बैंक या प्राइवेट फाइनेंस का का एक दबाव रहता रहता है, जबकि शेयर से जो पूंजी मिलती हैं, तो कंपनी को किसी तरह का कोई मोरगेज नहीं रखना पड़ता है,

आशा है, आप समझ पाए होंगे, BENEFITS OF SHARE और शेयर की विसेश्ताओ के बारे में .

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