World Anaesthesia Day 2020: सर्जरी में एनेस्थीसिया ने कैसे बदली विज्ञान की दिशा, क्या है इसका इतिहास और महत्व?

एनेस्थीसिया के महत्व और भूमिका के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए 16 अक्टूबर खास है

1846 में सर्जरी के वक्त पहली बार दर्द का अनुभव कराए बिना विज्ञान को सफलता मिली

By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 17 Oct 2020 08:54 AM (IST)

World Anaesthesia Day 2020: एनेस्थीसिया की खोज मेडिकल इतिहास में मील का पत्थर साबित हुई. 16 अक्टूबर, इतिहास के पन्नों में उस वक्त दर्ज हो गया जब विलियम थॉमस ग्रीन मॉर्टन ने ईथर एनेस्थीसिया की पहली बार खोज की. 1846 को उन्होंने बोस्टन, MA, यूएसए के मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल में ईथर एनेस्थीसिया का सफल प्रदर्शन किया. जिसके बाद रोगियों को सर्जरी से बिना दर्द के गुजारने में मदद मिली. हर साल 16 अक्टूबर को एनेस्थीसिया के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए दुनिया भर में कार्यक्रम किए जाते हैं.

एनेस्थीसिया का क्या काम होता है?

एनेस्थीसिया की दवा मस्तिष्क के साथ गुजरनेवाली नसों के संकेत को अवरोद्ध करने का काम करती है. दवा के इस्तेमाल के बाद मरीज बेहोशी की स्थिति में पहुंच जाता है. मगर उसका असर खत्म होने पर मरीज की संवेदनाएं वापस आ जाती हैं. दवाई श्वसन मास्क या ट्यूब के जरिए दी जाती है या फिर सुई के माध्यम से भी लगाया जाता है. सर्जरी के दौरान सही सांस लेने के लिए श्वसन ट्यूब को विंडपाइप में डाला जाता है.

कितने तरह का एनेस्थीसिया होता है?

News Reels

स्थानीय एनेस्थीसिया शरीर के एक छोटे हिस्से को सुन्न करता है. ये दांतों को खींचने, गहरी कट या टांका हटाने से होने वाले दर्द को कम करता है. क्षेत्रीय एनेस्थीसिया शरीर के बड़े हिस्से में दर्द और गति को दबाता है. ये मरीज को पूरी तरह सचेत, बात करने और सवालों के जवाब देने में सक्षम बनाता है. प्रसव के दौरान एपिड्यूरल इसका एक उदाहरण है. सामान्य एनेस्थीसिया पूरे शरीर को प्रभावित करता है. ये मरीज को बेहोश और चलने फिरने में असमर्थ बनाता है.

सामान्य एनेस्थीसिया को देर तक चलनेवाली और बड़ी सर्जरी के दौरान इस्तेमाल किया जाता है. जब छोटी खुराक में दिया एपिड्यूरल एनेस्थीसिया और एनाल्जेसिया जाता है, तो सामान्य एनेस्थीसिया गोधूलि नींद को प्रेरित कर सकता है, जिसमें कोई शख्स बेहोश, आराम महसूस करता है और नहीं जान पाता कि क्या हो रहा है. एनेस्थीसिया से पहले मरीज के शरीर का तापमान, सांस दर, ब्लड प्रेशर, ऑक्सीजन लेवल, द्रव्य स्तर को देखा जाता है. इसको मापकर ही जरूरत पड़ने पर किसी मरीज को ज्यादा द्रव्य या ब्लड दिया जा सकता है.

एक बार जब सर्जरी एपिड्यूरल एनेस्थीसिया और एनाल्जेसिया पूरी हो जाती है, तो एनेस्थीसिया की दवा को रोक दिया जाता है. उसके बाद मरीज को रिकवरी रूम ले जाया जाता है. डॉक्टर और नर्स मरीज के दर्द की स्थिति का मुआयना करते हैं और ये समझते हैं कि क्या सर्जरी के बाद समस्या तो नहीं आ रही है. एनेस्थीसिया से जागने के बाद मरीज को कई लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है. सुस्ती, गले में खराश, अर्धनींद, मांसपेशी में दर्द, भ्रम, कंपकपी प्रमुख लक्षण होते हैं.

Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )

Published at : 17 Oct 2020 08:54 AM (IST) Tags: Anaesthesia World Anaesthesia Day World Anaesthesia Day 2020 हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Lifestyle News in Hindi

World Anaesthesia Day 2022: शरीर पर क्या होता है एनेस्थीसिया का प्रभाव, प्रकार से लेकर नुकसान तक, यहां जानें सब

एनेस्थीसिया से मेडिकल क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन आया है.

एनेस्थीसिया से मेडिकल क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन आया है.

Types of Anaesthesia and Disadvantages: एनेस्थीसिया एक द्रव्य पदार्थ होता है. इसका इस्तेमाल बड़े बड़े ऑपरेशन और सर्जरी . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 16, 2022, 06:30 IST

हाइलाइट्स

बड़े-बड़े ऑपरेशन और सर्जरी से पहले एक्सपर्ट मरीज को एनेस्थीसिया देते हैं.
सामान्य ऑपरेशन में डॉक्टर्स मरीज को लोकल एनेस्थीसिया देते हैं.

Types of Anaesthesia and Disadvantages: आज विश्व एनेस्थीसिया दिवस है. मेडिकल के क्षेत्र में एनेस्थीसिया का बहुत बड़ा महत्व है. एक्सपर्ट की मानें तो एक सर्जरी और ऑपरेशन में जितना जरूरी एक सर्जन का होना होता है उतना ही महत्वपूर्ण स्थान एनेस्थीसिया का है. एनेस्थीसिया के आने से हेल्थ एक्सपर्ट को सर्जरी में काफी मदद मिली. एनेस्थीसिया के आविष्कार से पहले मनुष्य तो बेहोश करने में जो तरीके अपनाएं जाते थे उससे मरीज को काफी देर में होश आता था लेकिन, अब इलाज में जितना समय लगना है एनेस्थीसिया की मदद से मरीज को सिर्फ उतनी देर के लिए बेहोश कर पाना संभव हो गया है. एनेस्थीसिया से मेडिकल क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन आया है.

क्या है एनेस्थीसिया? (What is Anesthesia)
एनेस्थीसिया एक द्रव्य पदार्थ होता है. इसका इस्तेमाल बड़े बड़े ऑपरेशन और सर्जरी से पहले किया जाता है. मरीज को दर्द न हो इसलिए एनेस्थीसिया की मदद से उसे बेहोश किया जाता है. कई बार एक्सपर्ट लकवा जैसे रोगों के दर्द को कम करने के लिए एनेस्थीसिया का इस्तेमाल करते हैं.

एनेस्थीसिया के प्रकार (Types of Anaesthesia )
सामान्य एनेस्थीसिया: सामान्य एनेस्थीसिया बेहोश करने का नियंत्रित तरीका है. इसमें एक फिक्स टाइम के लिए मरीज को बेहोश किया जाता है. इस दौरान मरीज को कुछ भी महसूस नहीं होता. होश आने के बाद आपको यह याद नहीं रहता कि एनेस्थीसिया के दौरान क्या हुआ. हृदय, फेफड़ा, पेट आदि जैसे ऑपरेशन के दौरान सामान्य एनेस्थीसिया का प्रयोग किया जाता है. रॉयल कॉलेज ऑफ एनेस्थेटिस्ट के अनुसार एनेस्थीसिया कई प्रकार को होता है.

लोकल एनेस्थीसिया (Local Anaesthesia)
लोकल एनेस्थीसिया शरीर के एक छोटे से हिस्से को अधिक शून्य करने के लिए दिया जाता है, जहां ऑपरेशन करना होता है. ऐसे एनेस्थीसिया में आप होश में रहते हैं लेकिन आपको दर्द महसूस नहीं होता. इस एनेस्थीसिया का प्रयोग जैसे दांत निकालने, आंखों के उपचार के दौरान किया जाता है.

क्षेत्रीय एनेस्थीसिया (Regional Anaesthesia)
इस प्रकार के एनेस्थीसिया में शरीर के किसी बड़े या फिर गहरे क्षेत्र की नसों में दर्द निवारक दवाएं इंजेक्ट की जाती हैं. इससे शरीर का वह क्षेत्र पूरी तरह से शून्य हो जाता है और किसी भी तरह का दर्द महसूस नहीं होता. सामान्य तौर पर यह निचले

स्पाइनल और एपिड्यूरल एनेस्थेसिया (Spinal and Epidural Anaesthesia)
स्पाइनल और एपिड्यूरल क्षेत्रीय एनेस्थेटिक्स के सबसे सामान्य प्रकार हैं. इस तरह के एनेस्थीसिया का उपयोग सामान्यतौर पर शरीर के निचले हिस्से के ऑपरेशन के लिए किया जाता है. जैसे सिजेरियन सेक्शन, मूत्राशय का ऑपरेशन या फिर कूल्हे को बदलना हो. इसमें आप होश में रहते हैं, लेकिन दर्द महसूस नहीं होता.

एनेस्थीसिया के अन्य प्रकार में बेहोशी की क्रिया है जिसमें नींद जैसी स्थिति होती है. इसमें बेहोश करने के लिए कम मात्रा में एनेस्थीसिया दिया जाता है. इसमें आपको नींद महसूस होगी और जो ऑपरेशन हो रहा है उससे तनाव मुक्त रखा जाता है. इस प्रकार के एनेस्थीसिया में एक व्यक्ति आपसे बात करता रहेगा.

सिडेशन – इस प्रकार के एनेस्थीसिया में इस प्रकार की दवाएं आती हैं जो कि आपको शारीरिक और मानसिक रूप से आराम देती हैं. इनका प्रयोग कभी कभी छोटे दर्द वाले सर्जरी के दौरान किया जाता है.

एनेस्थीसिया का हमारे शरीर पर प्रभाव
मेडिकल के क्षेत्र में एनेस्थीसिया ने डॉक्टर्स की बहुत बड़ी समस्या को हल किया है. हर ऑपरेशन और सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया की जरूरत पड़ती है. हालांकि कुछ ऐसी रिपोर्ट भी हैं जिसमें ऐसी बाते भी सामने आईं हैं कि एनेस्थीसिया का हमारे शरीर पर बुरा असर भी पड़ सकता है. एक अध्ययन के मुताबिक जिन मरीजों को एनेस्थीसिया दिया जाता है उन्हें दोबारा अपने काम पर लौटने में लंबा वक्त लगता है. एनेस्थीसिया का हमारे दिमाग पर भी अपना असर छोड़ता है. एनेस्थीसिया पाने वाले मरीजों में अक्सर उच्च रक्तचाप, घबराहट, भ्रम की स्थिति आदि के लक्षण पाए जाते हैं. इसके अलावा एनेस्थीसिया जिस मरीज को दिया जाता है उसमें कई अन्य लक्षण भी पाए जा सकते हैं…

ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|

World Anaesthesia Day 2020: एनेस्थीसिया क्या है, इसके प्रकार, देने का तरीका और साइड इफेक्ट्स के बारे में जानें

एनेस्थीसिया क्या है और इसके साइड इफेक्ट्स क्या हैं, जानें

World Anaesthesia Day 2020: मरीज की सर्जरी या फिर कोई ऐसी मेडिकल प्रक्रिया जिसमें टांके लगाने की जरूरत हो उसमें मरीज को . अधिक पढ़ें

  • Myupchar
  • Last Updated : October 16, 2020, 13:28 IST

World Anaesthesia Day 2020 : किसी भी तरह की मेडिकल प्रक्रिया के दौरान, खासकर सर्जरी में, मरीज को किसी तरह का दर्द या असुविधा महसूस न हो और चिकित्सीय प्रक्रिया आसानी से पूरी हो जाए इसके लिए मरीज को एनेस्थीसिया दिया जाता है. तो आखिर एनेस्थीसिया है क्या? मरीज की किसी तरह की जांच या ऑपरेशन के दौरान शरीर के किसी भाग को सुन्न करने के लिए या मरीज को सुलाने के लिए जिसका उपयोग किया जाता है उसे ही एनेस्थीसिया कहते हैं. एनेस्थीसिया का शाब्दिक अर्थ होता है- बेहोशी या शारीरिक अचेतना.

एनेस्थीसिया क्या है?

मरीज की सर्जरी या फिर कोई ऐसी मेडिकल प्रक्रिया जिसमें टांके लगाने की जरूरत हो उसमें मरीज को दर्द या तकलीफ कम महसूस हो इसके लिए कुछ दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है और इसे ही एनेस्थीसिया कहते हैं. एनेस्थीसिया गैस या वाष्प के रूप में होता है जिसे इंजेक्शन के एपिड्यूरल एनेस्थीसिया और एनाल्जेसिया माध्यम से मरीज को दिया जाता है या फिर सुंघाया जाता है. ऐसा नहीं कि सर्जरी से पहले कोई भी डॉक्टर एनेस्थीसिया देकर सर्जरी को शुरू कर सकता है.

एनेस्थीसियोलॉजी की पूरी पढ़ाई होती है और ट्रेन्ड प्रफेशनल्स होते हैं जिन्हें एनेस्थीसियोलॉजिस्ट कहा जाता है और उनकी निगरानी में ही मरीज को एनेस्थीसिया दिया जाता है. एनेस्थीसियोलॉजिस्ट, मरीज की मेडिकल कंडिशन और मेडिकल हिस्ट्री को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लेते हैं कि मरीज के लिए कौन सा एनेस्थीसिया उचित रहेगा. मरीज को सर्जरी या मेडिकल प्रक्रिया से पहले एनेस्थीसिया देने से लेकर जब तक मरीज होश में नहीं आ जाता तब तक मरीज, एनेस्थीसियोलॉजिस्ट की निगरानी में रहता है.

दरअसल, एनेस्थीसिया 2 प्रकार का होता है- लोकल एनेस्थीसिया और जनरल एनेस्थीसिया.
1. लोकल या स्थानीय एनेस्थीसिया का उपयोग छोटी सर्जरी या किसी सामान्य मेडिकल प्रक्रिया में किया जाता है जिसमें मरीज के शरीर के सिर्फ किसी एक हिस्से को ही सुन्न किया जाता है और इस दौरान मरीज पूरी तरह से होश में रहता है.
2. जनरल या सामान्य एनेस्थीसिया में मरीज को पूरी तरह से बेहोश कर दिया जाता है और उपचार प्रक्रिया के दौरान उसके साथ क्या हुआ उसे कुछ पता नहीं होता. बड़ी और गंभीर सर्जरी के दौरान जनरल एनेस्थीसिया का उपयोग किया जाता है.

इन दोनों के अलावा रीजनल एनेस्थेटिक, एपिड्यूरल एनेस्ठेटिक, स्पाइल एनेस्ठेटिक और सिडेशन भी एनेस्थीसिया के विभिन्न प्रकार हैं. इसमें अलग-अलग प्रकार के एनेस्थीसिया को कई बार एक साथ मिलाकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है. ऑपरेशन के बाद मरीज को दर्द से राहत दिलाने के लिए कई बार रीजनल एनेस्थेटिक को जनरल एनेस्ठेटिक के साथ या फिर सिडेशन के साथ मिलाकर मरीज को दिया जा सकता है. मरीज के लिए कौन सा एनेस्ठेटिक सही है इसका फैसला एनेस्थीसियोलॉजिस्ट करते हैं.

कैसे दिया जाता है एनेस्थीसिया?


  • एनेस्थीसियोलॉजिस्ट, मरीज से उनकी मेडिकल हिस्ट्री, एलर्जी के साथ ही उन दवाइयों के बारे में भी पूछते हैं जिनका सेवन वो कर रहे हों.
  • इसके बाद एनेस्थीसिया को नसों में सुई के माध्यम से या फिर सांस के साथ गैस के रूप में दिया जाता है.
  • जब मरीज बेहोश हो जाता है तो एनेस्थीसियोलॉजिस्ट मरीज के मुंह में एक ट्यूब डालते हैं जिसे विंड पाइप कहते हैं. इस ट्यूब के माध्यम से शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलता रहता है.
  • एनेस्थीसियोलॉजिस्ट और उनकी टीम हर वक्त मरीज की निगरानी करती है और उनका ब्लड प्रेशर, शरीर का तापमान, सांस की दर आदि पर नजर रखती हैं ताकि पता लगाया जा सके कि सर्जरी के दौरान मरीज को किसी तरह की कोई दिक्कत तो नहीं हो रही है.
  • जब सर्जरी पूरी हो जाती है तो एनेस्थीसिया को रोक दिया जाता है और फिर मरीज धीरे-धीरे होश में आने लगता है. हालांकि होश में आने के बाद भी कुछ समय के लिए सिर घूमना या नशे में रहने जैसा महसूस हो सकता है.

  • जी मिचलाना या उल्टी आना
  • चक्कर आना या बेहोशी महसूस करना
  • मुंह सूखना (ड्राई माउथ)
  • गले में खराश
  • ठंड लगना, कंपकंपी महसूस होना
  • भ्रम या कन्फ्यूजन महसूस होना
  • मांसपेशियों में दर्द
  • खुजली
  • त्वचा के नीचे चोट जैसे निशान दिखना
  • पेशाब करने में परेशानी

-ऑपरेशन के बाद अचेतना : एनेस्थीसिया दिए जाने के बाद कुछ लोग भ्रमित महसूस कर सकते हैं, अस्त-व्यस्त हो सकते हैं, या फिर सर्जरी के बाद उन्हें चीजों को याद रखने में एपिड्यूरल एनेस्थीसिया और एनाल्जेसिया परेशानी हो सकती है. यह भटकाव आ-जाता रह सकता है लेकिन यह आमतौर पर लगभग एक सप्ताह के बाद पूरी तरह से खत्म हो जाता है.

-ऑपरेशन के बाद संज्ञानात्मक शिथिलता (POCD): कुछ लोगों को सर्जरी के बाद स्मृति या याददाश्त से जुड़ी समस्याएं या अन्य प्रकार की संज्ञानात्मक हानि का अनुभव हो सकता है. लेकिन इस बात की आशंका कम होती है कि यह एनेस्थीसिया का परिणाम हो, यह सर्जरी के परिणामस्वरूप भी हो सकता है. अगर मरीज को स्ट्रोक, हृदय रोग, फेफड़ों की बीमारी, अल्जाइमर्स आदि हों तब भी उन्हें पीओसीडी (पोस्ट-ऑपरेटिव कॉग्निटिव डिस्फंक्शन) की समस्या हो सकती है.
पिछले कुछ सालों एपिड्यूरल एनेस्थीसिया और एनाल्जेसिया में एनेस्थीसिया देना काफी सुरक्षित हो गया है. अडवांस साधन, दवाइयां और बेहतर प्रशिक्षण के कारण बिना किसी गंभीर परेशानी के मरीज को आसानी से एनेस्थीसिया दिया जा सकता है. (अधिक जानकारी के लिए हमारा आर्टिकल एनेस्थीसिया क्या है, इसके बारे में पढ़ें।) (न्यूज18 पर स्वास्थ्य संबंधी लेख myUpchar.com द्वारा लिखे जाते हैं। सत्यापित स्वास्थ्य संबंधी खबरों के लिए myUpchar देश का सबसे पहला और बड़ा स्त्रोत है। myUpchar में शोधकर्ता और पत्रकार, डॉक्टरों के साथ मिलकर आपके लिए स्वास्थ्य से जुड़ी सभी जानकारियां लेकर आते हैं।)

ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|

क्या आप एपिड्यूरल एनेस्थेसिया के साथ प्रसव के लिए जा रहे हैं?

यह प्रसव के दौरान दर्द निवारण की सबसे लोकप्रिय विधि है। यह एक प्रकार का क्षेत्रीय एनेस्थीसिया है जो निचले स्पाइनल सेगमेंट से तंत्रिका आवेगों को रोकता है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर के निचले आधे हिस्से में दर्द संवेदना कम हो जाती है।

एपिड्यूरल एनेस्थेसिया के लाभ:

  • अन्य दर्द निवारक दवाओं की तुलना में बेहतर दर्द से राहत।
  • यदि श्रम लम्बा हो तो माँ को आराम करने की अनुमति देता है।
  • बच्चे के जन्म की परेशानी को कम करके, माँ को अधिक सकारात्मक जन्म का अनुभव होता है।
  • मां को बच्चे के जन्म की प्रक्रिया के दौरान सतर्क रहने और सक्रिय भागीदार होने की अनुमति देता है।
  • यदि आपातकालीन सीजेरियन सेक्शन किया जाना है, तो अलग संज्ञाहरण देने की आवश्यकता नहीं है और यहां तक ​​कि सीजेरियन सेक्शन के बाद के समय के दौरान प्रभावी दर्द से राहत भी मिलती है।

एपिड्यूरल एनेस्थेसिया के जोखिम:

माँ के लिए:

  • रक्तचाप में अचानक गिरावट।
  • रीढ़ की हड्डी के तरल एपिड्यूरल एनेस्थीसिया और एनाल्जेसिया पदार्थ के रिसाव के कारण गंभीर सिरदर्द। 1% से भी कम महिलाओं में देखा गया।
  • साइड इफेक्ट्स: खुजली, बुखार, कंपकंपी, कान का बजना, पीठदर्द, खट्टी डकारें, मितली, पेशाब में कठिनाई।
  • चलने में कठिनाई।
  • श्रम की लंबी अवधि (श्रम का दूसरा चरण)।
  • वाद्य वितरण और सीज़ेरियन दर का खतरा बढ़ जाता है।
  • प्रसव के बाद, शरीर के निचले आधे हिस्से में कुछ घंटों के लिए सुन्नता महसूस होती है।
  • दुर्लभ मामलों में, एपिड्यूरल साइट संक्रमण, हेमटोमा, स्थायी तंत्रिका क्षति हो सकती है।

बच्चों को:

  • एपिड्यूरल एनेस्थेसिया में उपयोग की जाने वाली दवाओं को श्वसन अवसाद और नवजात शिशुओं में भ्रूण की हृदय गति में कमी के कारण जाना जाता है।
  • भ्रूण सुस्त हो सकता है और प्रसव के लिए स्थिति में आने में कठिनाई हो सकती है, जिससे विकृतियाँ और गलतियाँ हो सकती हैं।
  • कुछ शिशुओं में, स्तनपान कराने में कठिनाई हो सकती है।

मां को दी जाने वाली एपिड्यूरल एनेस्थीसिया कैसे दी जाती है

एपिड्यूरल कैथेटर के प्लेसमेंट से न्यूनतम असुविधा होती है। इसमें केवल 10 मिनट लगते हैं। रोगी को बैठने की स्थिति या लेटने की स्थिति में रखा जाता है। जैसा कि एपिड्यूरल सुई लगाई जाती है, त्वचा पर बस एक संक्षिप्त स्टिंग महसूस किया जाता है। इसके बाद, कैथेटर को लगाया जाता है और रोगी केवल उसकी पीठ पर टेप को महसूस करता है जो टयूबिंग को चालू रखता है।

संवेदनाहारी प्रभाव संवेदनाहारी एजेंट की प्रारंभिक खुराक के कुछ मिनटों के भीतर शुरू होता है। संपूर्ण सुन्न प्रभाव 10-20 मिनट के बाद आता है। जैसे ही संवेदनाहारी खुराक बंद हो जाती है, अधिक खुराक दी जाएगी, आमतौर पर हर एक से दो घंटे।

आमतौर पर एपिड्यूरल तब रखे जाते हैं जब महिला सच्चे सक्रिय श्रम में होती है यानी गर्भाशय ग्रीवा 4-5 सेंटीमीटर तक फैल जाती है।

प्रभाव :

एपिड्यूरल लेने के बाद बड़ी संख्या में महिलाएं दर्द से राहत महसूस करती हैं। संकुचन कम मजबूत और प्रबंधन करने में आसान लगता है। कुछ दबाव मलाशय और योनि के बाद में श्रम में महसूस किया जा सकता है। श्रम के दौरान पूरी तरह से सुन्न होना अवांछनीय है क्योंकि रोगी को यह जानने की जरूरत है कि श्रम के अंत में कब और कहां धक्का देना है। कभी-कभी (5%), दर्द से राहत एक तरफा या पैची होती है। यदि ऐसा होता है, तो एनेस्थेसियोलॉजिस्ट अतिरिक्त खुराक देकर या रोगी की स्थिति या कैथेटर की स्थिति को बदलकर मदद करेगा। यदि यह अभी भी काम नहीं करता है, तो प्रक्रिया को दोहराया जाता है (एपिड्यूरल कैथेटर को फिर से रखकर)।

जब एपिड्यूरल नहीं दिया जाना चाहिए:

  • हृदय रोगी के लिए, रक्त पतले होने पर।
  • कम प्लेटलेट मायने रखता है
  • भारी रक्तस्राव या सदमे में रोगी
  • पीठ पर संक्रमण
  • रक्त संक्रमण हो
  • तंत्रिका संबंधी रोग
  • पीठ की सर्जरी का इतिहास।

इसलिए, एपिड्यूरल एनाल्जेसिया या एनेस्थीसिया श्रम के दौरान महिलाओं द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली दर्द रहित डिलीवरी की सबसे लोकप्रिय तकनीकों में से एक है। तकनीक न केवल लागत प्रभावी है, बल्कि प्रसव के दौरान असहनीय श्रम दर्द से भी राहत देती है।

World Anaesthesia Day 2020: सर्जरी में एनेस्थीसिया ने कैसे बदली विज्ञान की दिशा, क्या है इसका इतिहास और महत्व?

एनेस्थीसिया के महत्व और भूमिका के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए 16 अक्टूबर खास है

1846 में सर्जरी के वक्त पहली बार दर्द का अनुभव कराए बिना विज्ञान को सफलता मिली

By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 17 Oct 2020 08:54 AM (IST)

World Anaesthesia Day 2020: एनेस्थीसिया की खोज मेडिकल इतिहास में मील का पत्थर साबित हुई. 16 अक्टूबर, इतिहास के पन्नों में उस वक्त दर्ज हो गया जब विलियम थॉमस ग्रीन मॉर्टन ने ईथर एनेस्थीसिया की पहली बार खोज की. 1846 को उन्होंने बोस्टन, MA, यूएसए के मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल में ईथर एनेस्थीसिया का सफल प्रदर्शन किया. जिसके बाद रोगियों को सर्जरी से बिना दर्द के गुजारने में मदद मिली. हर साल 16 अक्टूबर को एनेस्थीसिया के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए दुनिया भर में कार्यक्रम किए जाते हैं.

एनेस्थीसिया का क्या काम होता है?

एनेस्थीसिया की दवा मस्तिष्क के साथ गुजरनेवाली नसों के संकेत को अवरोद्ध करने का काम करती है. दवा के इस्तेमाल के बाद मरीज बेहोशी की स्थिति में पहुंच जाता है. मगर उसका असर खत्म होने पर मरीज की संवेदनाएं वापस आ जाती हैं. दवाई श्वसन मास्क या ट्यूब के जरिए दी जाती है या फिर सुई के माध्यम से भी लगाया जाता है. सर्जरी के दौरान सही सांस लेने के लिए श्वसन ट्यूब को विंडपाइप में डाला जाता है.

कितने तरह का एनेस्थीसिया होता है?

News Reels

स्थानीय एनेस्थीसिया शरीर के एक छोटे हिस्से को सुन्न करता है. ये दांतों को खींचने, गहरी कट या टांका हटाने से होने वाले दर्द को कम करता है. क्षेत्रीय एनेस्थीसिया शरीर के बड़े हिस्से में दर्द और गति को दबाता है. ये मरीज को पूरी तरह सचेत, बात करने और सवालों के जवाब देने में सक्षम बनाता है. प्रसव के दौरान एपिड्यूरल इसका एक उदाहरण है. सामान्य एनेस्थीसिया पूरे शरीर को प्रभावित करता है. ये मरीज को बेहोश और चलने फिरने में असमर्थ बनाता है.

सामान्य एनेस्थीसिया को देर तक चलनेवाली और बड़ी सर्जरी के दौरान इस्तेमाल किया जाता है. जब छोटी खुराक में दिया जाता है, तो सामान्य एनेस्थीसिया गोधूलि नींद को प्रेरित कर सकता है, जिसमें कोई शख्स बेहोश, आराम महसूस करता है और नहीं जान पाता कि क्या हो रहा है. एनेस्थीसिया से पहले मरीज के शरीर का तापमान, सांस दर, ब्लड प्रेशर, ऑक्सीजन लेवल, द्रव्य स्तर को देखा जाता है. इसको मापकर ही जरूरत पड़ने पर किसी मरीज को ज्यादा द्रव्य या ब्लड दिया जा सकता है.

एक बार जब सर्जरी पूरी हो जाती है, तो एनेस्थीसिया की दवा को रोक दिया जाता है. उसके बाद मरीज को रिकवरी रूम ले जाया जाता है. डॉक्टर और नर्स मरीज के दर्द की स्थिति का मुआयना करते हैं और ये समझते हैं कि क्या सर्जरी के बाद समस्या तो नहीं आ रही है. एनेस्थीसिया से जागने के बाद मरीज को कई लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है. सुस्ती, गले में खराश, अर्धनींद, मांसपेशी में दर्द, भ्रम, कंपकपी प्रमुख लक्षण होते हैं.

Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )

Published at : 17 Oct 2020 08:54 AM (IST) Tags: Anaesthesia World Anaesthesia Day World Anaesthesia Day 2020 हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Lifestyle News in Hindi

रेटिंग: 4.91
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 415