ASBA : जानिए शेयर बाजार में निवेश करने वालों को कैसे फायदा पहुंचाएगा

आइए अब इस प्रस्तावित प्रणाली के बारे में विस्तार से जानते हैं:

ASBA क्या है?

ASBA (Application Supported by Blocked Amount), एक खास तरह का पेमेंट सिस्टम है जिसका इस्तेमाल आईपीओ के लिए अर्जी भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है लगाने के दौरान होता है। वर्ष 2008 से यह उपयोग में है। इससे पहले, निवेशकों को आईपीओ के लिए आवेदन करते समय या तो पैसा चेक से जमा करना होता था या आईपीओ के उद्देश्य से बनाए गए एस्क्रो खाते (escrow account) में अपने खाते से ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर करना पड़ता था।

उस समय, एक आईपीओ के बंद होने और शेयरों के आवंटन के बीच की समयावधि 10 दिनों से अधिक भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है थी। नतीजतन, पैसा एक निवेशक के बैंक खाते से डेबिट हो जाता था, भले ही उसे शेयर का आवंटन हुआ हो या नहीं।

ASBA के आने के साथ ही पेंमेंट की पूरी प्रक्रिया बदल गई। इस सिस्टम के तहत आईपीओ के लिए अर्जी देते समय केवल एक निवेशक के बैंक खाते में पैसा अवरुद्ध (ब्लॉक) रहता है। शेयरों के आवंटन के मामले में, आवश्यक धनराशि डेबिट हो जाती है जबकि आवंटन नहीं होने की स्थिति में पूरी ब्लॉक्ड राशि अनब्लॉक्ड हो जाती है।

सेकेंडरी मार्केट के लिए ASBA क्यों?

फिलहाल semi-ASBA जैसी प्रणाली उन निवेशकों के लिए पहले से ही मौजूद है जिनके पास 3-इन-1 बैंक खाता है। इस तरह की सुविधा आमतौर पर ऐसे ब्रोकरेज हाउस देते हैं, जिनकी खुद (यानी प्रमोटर की) की बैंकिंग सेवाएं हैं। 3-इन-1 खाते में एक बचत बैंक खाता (सेविंग बैंक अकाउंट), एक डीमैट खाता और एक ट्रेडिंग खाता शामिल होता है।

यहां ऑर्डर देने के समय आवश्यक फंड डेबिट हो जाता है। ऑर्डर देने से पहले फंड के भुगतान की जरूरत नहीं होती। यह इसलिए संभव है क्योंकि बैंक ब्रोकरेज हाउस, जो इसकी सहायक कंपनी है, को अपने कोर बैंकिंग प्लेटफॉर्म तक पहुंच प्रदान करता है।

हालांकि, एक बैंक तीसरे पक्ष के ब्रोकरेज हाउस के लिए ऐसा नहीं करता है। नतीजतन, निवेशकों को अपने ट्रेड से पहले भुगतान (फंड ट्रांसफर) करना होता है।

सेकेंडरी मार्केट के लिए ASBA जैसी प्रणाली के लागू होने के बाद, निवेशक केवल यह सुनिश्चित करके आदेश दे सकेंगे कि उनके बैंक खाते में पर्याप्त धनराशि है। आईपीओ की तरह, पैसा तभी निकलेगा जब ट्रेड की पुष्टि हो जाएगी।

दुरुपयोग पर लगाम

हाल के वर्षों में, ब्रोकर्स द्वारा निवेशकों की प्रतिभूतियों का दुरुपयोग करने के कई उदाहरण सामने आए हैं। ब्रोकर पहले अपने क्लाइंट की प्रतिभूतियों को एक ट्रेडिंग खाता खोलते समय प्राप्त पॉवर ऑफ अटॉर्नी (पीओए) के माध्यम से एक्सेस करने में सक्षम थे। इतना ही नहीं ब्रोकर्स की पहुंच ग्राहकों द्वारा रेहन के रूप में गिरवी रखी प्रतिभूतियों तक भी थी।

इस तरह के कदाचार को रोकने के लिए, सेबी ने ‘pledge and re-pledge’ नामक एक तंत्र की शुरुआत की और पॉवर ऑफ अटॉर्नी (पीओए) के चलन को भी समाप्त कर दिया।

नई प्रणाली के तहत, निवेशक ब्रोकर्स को उनकी प्रतिभूतियों तक सीधे पहुंच की अनुमति के बिना, अपनी गिरवी प्रतिभूतियों का उपयोग जमानत के तौर पर कर सकते हैं। इस सिस्टम के तहत निवेशकों के प्रतिभूतियों के दुरुपयोग पर लगाम लगा है।

सेकेंडरी मार्केट के लिए ASBA यह सुनिश्चित करेगा कि ब्रोकर्स को भी निवेशकों के धन तक पहुंच प्राप्त न हो। वर्तमान में, ब्रोकर अपने पास पड़े निवेशकों के पैसे पर फ्लोट (float) का उपयोग कर कमाते हैं। इसके अलावा, ऐसे भी उदाहरण हैं जब ब्रोकरों ने सेबी के आदेशानुसार 30 दिनों या 90 दिनों की अवधि के बाद उनके पास पड़े बेकार धन को वापस नहीं किया।

हालांकि, जून में सेबी द्वारा जारी एक सर्कुलर का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि ब्रोकर निवेशक भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है के रनिंग अकाउंट का सेटलमेंट निर्धारित समय अवधि के भीतर सुनिश्चित करें।

कार्यान्वयन को लेकर चुनौतियां

सेबी ने अभी तक सेकेंडरी मार्केट के लिए ASBA के कार्यान्वयन को लेकर न तो कोई सर्कुलर जारी किया है या कोई समय सीमा निर्धारित की है। इस सप्ताह एक कार्यक्रम में सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने कहा कि चुनौतियों के बावजूद, नई प्रणाली कुछ महीनों में तैयार हो जाएगी।

इंडस्ट्री प्लेयर्स का कहना है कि आईपीओ बाजार के लिए ASBA के अमल में आए हुए एक दशक से भी अधिक का समय हो गया है, लेकिन इसे सेकेंडरी मार्केट में लाने पर अधिक जटिल चुनौतियों का सामना करना पड सकता है।

ग्राहक द्वारा एक दिन में किए जाने वाले कई ट्रेड भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है के लिए पैसे को ब्लॉक करने और अनब्लॉक करने के बहुत सारे उदाहरण होंगे। इसके अलावा, ASBA में भी, विफलता दर और ब्लॉक करने में अधिक समय लगने जैसे मुद्दे हैं।

5पैसा के सीईओ प्रकाश गगदानी कहते हैं, 'वहीं इसका सकारात्मक पक्ष यह है कि, पूरी फंड ट्रांसफर की प्रक्रिया मानकीकृत होगी। मुझे लगता है कि बैंकों, ब्रोकर्स और अन्य बिचौलियों के बीच परिचालन कार्यान्वयन में लगने वाले वक्त के मद्देनजर इसे लागू होने में कुछ समय लगेगा।'

एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंज मेंबर्स ऑफ इंडिया (एएनएमआई) के अध्यक्ष कमलेश शाह कहते हैं, 'मार्जिन सिस्टम को नई प्रणाली के साथ संबद्व करने की आवश्यकता होगी। फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफएंडओ) में, केवल मार्जिन कलेक्ट किया जाता है। नई प्रणाली के के तहत निवेशक द्वारा बैंक को कई निर्देश देने की आवश्यकता हो सकती है। कई इंट्राडे ट्रेड करने वाले लोगों के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण काम होगा।'

'भारत में विदेशी निवेश'

“नॉर्वे (Norway) और भारत (India) जलवायु (Climate Change) और पर्यावरण (Environment) पर समान महत्वाकांक्षाएं साझा करते हैं. इस क्षेत्र में भारत के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अक्षय ऊर्जा और हाइड्रोजन उत्पादन के बड़े पैमाने पर विकास की आवश्यकता है, जिसके लिए देश को विदेशी निवेश और अंतर्राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है. - नॉर्वे की विदेश मंत्री एनिकेन हुइटफेल्ड

विदेशी बैंक HSBC के एक सर्वे में सामने आया है कि प्रवासी भारतीयों में से ज्यादातर भारत में निवेश करना चाहते हैं. हालांकि, इसके साथ ही रिटायरमेंट के बाद वे जीवन की बेहतर गुणवत्ता के लिए अपने मौजूदा निवास वाले देश में ही बसना चाहते हैं.

सीबीडीटी ने कहा, ‘‘कंपनी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) के रास्ते भारत में बहुत कम शुरुआती पूंजी लाई लेकिन भारतीय बैंकों से उसने बड़ी मात्रा में कार्यशील पूंजी कर्ज लिया.

सूत्र बताते हैं कि सरकार जहां देश के इस सबसे बड़े आईपीओ में विदेशी निवेशकों को निवेश में हिस्‍सा लेने की भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है योजना बना रही है, वहीं चीनी निवेशकों को भी उसने निगाह जमा रखी है. इस आईपीओ की संभावित कीमत $12.2 अरब डॉलर है. सरकार के एक अधिकारी ने कहा, 'चीन के साथ संघर्ष के बाद इसके साथ हमेशा की तरह व्‍यापार नहीं हो सकता. आपसी विश्‍वास की कमी काफी बढ़ गइ है और एलआईसी जैसी कंपनी में चीनी निवेश खतरा बढ़ा सकता है.

सूत्रों ने यह जानकारी दी. गौरतलब है कि भारत में अप्रैल 2020 से पड़ोसी देशों की कंपनियों के लिए सरकार की मंजूरी के बाद ही किसी भी क्षेत्र में निवेश भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है करने का नियम लागू किया गया था. इस फैसले के अनुसार भारत में किसी भी क्षेत्र में निवेश के लिए चीन के FDI प्रस्तावों भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है को पहले सरकारी मंजूरी की आवश्यकता है. सूत्रों ने कहा कि इन प्रस्तावों की जांच के लिए सरकार ने एक अंतर-मंत्रालयीय समिति का गठन किया है और निवेश प्रस्तावों में अधिकांश भारत में पहले से मौजूद कंपनियों के हैं.

प्रधानमंत्री ने ग्लोबल निवेशकों से यह भी कहा कि भारत में टैक्स रेट काफी कम है, इनकम टैक्स एसेसमेंट और अपील के लिए एक फेसलेस व्यवस्था बहाल की गई है.साथ ही, श्रम कानूनों में भी महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं. आत्मनिर्भर भारत की योजना एक सोची-समझी आर्थिक रणनीति है जिसके तहत भारत की क्षमताओं को विकसित करने की योजना तैयार की गई है.

सरकार ने रक्षा क्षेत्र में स्वत: मंजूरी मार्ग से 74 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की मंजूरी दे दी है. विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के इरादे से यह कदम उठाया गया है

आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत वित्त मंत्री ने जुलाई में इसका ऐलान किया था. इससे पहले जुलाई 2018 में सरकार ने रक्षा निर्माण के क्षेत्र में 49% FDI को ऑटोमैटिक रूट से अनुमति दी थी. भारत में रक्षा क्षेत्र में 70% आयात होता है और भारत में रक्षा निर्माण को बढ़ाना देने के लिए यह फैसला किया गया था. हालांकि इस क्षेत्र में विदेशी निवेश अधिक नहीं आया है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि सुधारों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को विदेशी निवेशक गंभीरता से ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसका पता इस बात से चलता है कि कोविड-19 के समय भी देश में अच्छा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया है. चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई की अवधि के दौरान देश में 20 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया.

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने अगस्त के पहले पखवाड़े में भारतीय पूंजी बाजारों में शुद्ध रूप से 28,203 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इसके अलावा करीब पांच माह बाद FPI ऋण या बॉन्ड बाजार में शुद्ध निवेशक रहे हैं. बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनियों के उम्मीद से बेहतर तिमाही नतीजों तथा वैश्विक स्तर पर तरलता की स्थिति सुधरने की वजह से FPI का निवेश बढ़ा है.

भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है

  • शिकायत सेल
  • कारपोरेट कार्य मंत्री
  • कारपोरेट कार्य राज्य मंत्री
  • मुख्यालय के अधिकारियों की सूची
  • DGCOA अधिकारि
  • प्रादेशिक निदेशक
  • कंपनी रजिस्ट्रार
  • शासकीय समापक
  • लागत लेखापरीक्षा शाखा (सीएबी)
  • नोडल अधिकारी
  • अनु. जाति/अनु. जनजाति/ अ.वि.वर्ग के लिए संपर्क अधिकारी
  • वेब सूचना प्रबंधक

कंपनी अधिनियम की धारा 609 के तहत नियुक्त कंपनी रजिस्ट्रार (आरओसी) जो विभिन्न राज्यों एवं संघ शासित क्षेत्रों में पदस्थ हैं को संबंधित राज्यों एवं संघ शासित क्षेत्रों में स्थित कंपनियों/एलएलपी के पंजीकरण तथा ऐसी कंपनियों/एलएलपी द्वारा अधिनियम के तहत सांविधिक अपेक्षाओं की अनुपालन सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण कार्य सौंपा गया है। ये कार्यालय उनके पास पंजीकृत कंपनियों से संबंधित रिकार्ड की रजिस्ट्री के रूप में कार्य करते हैं, ये रिकार्ड आम जनता को निर्धारित शुल्क अदा करने पर निरीक्षण के लिए उपलब्ध कराए जाते हैं। केन्द्र सरकार इन कार्यालयों पर संबद्ध प्रादेशिक निदेशकों के माध्यम से प्रशासनिक नियंत्रण का प्रयोग करती है।.

श्री जोसकुट्टी वी.ई. (आरओसी हैदराबाद)

दूसरा तल, कॉर्पोरेट भवन , जी एस आई पोस्ट, नागोल, बंदलागुडा,
हैदराबाद-500 068, तेलंगाना

दक्षिण पूर्व क्षेत्र

श्री संजय यादव (आर.ओ.सी विजयवाड़ा)

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, 29-7-33, फर्स्ट फ्लोर, विष्णुवर्धनाराव स्ट्रीट, सुरारोपेट,
विजयवाड़ा -520002, आंध्र प्रदेश.

दक्षिण पूर्व क्षेत्र

डॉ.रमेश कुमार (ओएल, गुवाहाटी के अतिरिक्त प्रभार के साथ आरओसी गुवाहाटी)

डॉ.रमेश कुमार (आरओसी गुवाहाटी, ओएल, गुवाहाटी के अतिरिक्त प्रभार के साथ) रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज 5 वीं मंजिल, पृथ्वी ग्रह, हनुमान मंदिर के पीछे, उलुबरी, जी.एस. रोड,
गुवाहाटी- 781007, असम.

क्षेत्रीय निदेशक (एनईआर) / रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (एनईआर) / ओएल-गुवाहाटी मोरेलो बिल्डिंग का संपर्क कार्यालय, ग्राउंड फ्लोर, कचहरी रोड,
शिलांग - 793001, मेघालय.

श्री हिमांशु शेखर, (आरओसी सह ओएल पटना)

आरओसी-सह-आधिकारिक परिसमापक, कॉर्पोरेट मामलों का भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है मंत्रालय, पटना का उच्च न्यायालय, मौर्य लोक परिसर, ब्लॉक "ए" 4 वीं मंजिल, डाक बंगला रोड,
पटना,बिहार

श्री एम. वरप्रसाद राव (आर.ओ.सी सह ओ.एल बिलासपुर)

आरओसी-सह-आधिकारिक परिसमापक, प्रथम तल, अशोक पिंगली भवन, नगर निगम, नेहरू चौक,
बिलासपुर- 495001, छत्तीसगढ़

उत्तर पश्चिमी क्षेत्र

श्री प्रहलाद मीणा (आरओसी रांची)

आरओसी-कम-ऑफिशियल लिक्विडेटर, मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स, मंगल टावर, चौथी मंजिल, ओल्ड हजारीबाग, रोड, कांटा टोली चौक के पास,
रांची -834001 झारखंड

श्री संतोष कुमार (आरओसी दिल्ली)

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, 4th फ्लोर, IFCI टॉवर, 61, नेहरू प्लेस,
नई दिल्ली - 110019, दिल्ली

दस्तावेजों के भौतिक सत्यापन के लिए :

श्री। संतोष कुमार (आरओसी दिल्ली)

श्री आर्य जयंत प्यारेलाल(आरओसी सह ओएल गोवा)

आरओसी-कम-ऑफिशियल लिक्विडेटर, कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय, कॉर्पोरेट भवन, ईडीसी कॉम्प्लेक्स, प्लॉट नंबर -2, पट्टो,
पणजी -403001, गोवा

श्री एम के. साहू (आरओसी अहमदाबाद)

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, आरओसी भवन, रूपल पार्क सोसायटी सामने, अंकुर बस स्टॉप के पीछे, नारनपुरा,
अहमदाबाद -380013, गुजरात

उत्तर पश्चिमी क्षेत्र

श्री श्याम सुंदर (आरओसी-कम ओएल, हिमाचल प्रदेश)

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज-कम-ऑफिशियल लिक्विडेटर, हिमाचल प्रदेश, पहली मंजिल, कॉर्पोरेट भवन, प्लॉट नंबर 4-बी, सेक्टर 27-बी,
पिन- 160019,चंडीगढ़

श्री सुधीर लीलाधर फाये , (ROC-cum-OL, UT of Jammu & Kashmir and UT of Ladakh) ROC-cum-Official Liquidator

हॉल नंबर 405 से 408, रेल, हेड कॉम्प्लेक्स, बहू प्लाजा, जम्मू -180012

एसडीए ऑफिस कॉम्प्लेक्स, ग्राउंड फ्लोर, बेमिना बायपास, श्रीनगर-190018

श्री सी वी सजीवन (कंपनी रजिस्ट्रार बंगलौर)भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है

080-25633105 (Direct), 080-25537449/25633104

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, 'ई' विंग, 2 डी फ्लोर, केंद्रीय सदन, कोरमंगला,
बंग्लोर -560034, कर्नाटक

दक्षिण पूर्व क्षेत्र

श्री जी.सी. यादव (आरओसी एर्नाकुलम)

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, कंपनी लॉ भवन, बीएमसी रोड, थ्रिक्करा,
कोच्चि - 682021, केरला

श्री राजपाल सिंह (आरओसी ग्वालियर)

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, तीसरी मंजिल, 'ए' ब्लॉक, संजय कॉम्प्लेक्स, जयेंद्र गंज,
ग्वालियर, मद्यप्रदेश

उत्तर पश्चिमी क्षेत्र

श्री मनो रंजन दास (आरओसी मुम्बई )

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, 100, एवरेस्ट, मरीन ड्राइव,
मुंबई- 400002, महाराष्ट्र.

श्री मंगेश रामदास जाधव (आरओसी पुणे)

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, पीसीएनटीडीए ग्रीन बिल्डिंग, ब्लॉक ए, पहली और दूसरी मंजिल, अकुर्डी रेलवे स्टेशन के पास, अकुर्डी,
पुणे - 411044, महाराष्ट्र

श्री ए.के. सेठी (आरओसी सह ओएल कटक)

आरओसी-सह-आधिकारिक परिसमापक, कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय, कॉर्पोरेट भवन, 2 & amp; तीसरी मंजिल, प्लॉट नंबर -9 (पी), सेक्टर -1, सीडीए,
कटक -753014, ओडिशा

श्री. ए. गोकुलनाथ (आरओसी पुदुचेरी)

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, नंबर 7, सेकेंड फ्लोर, करुवदीकुप्पम मेन रोड, सेंथमराई नगर,
मुथ्यलपेट -605 003, पुदुचेरी

श्री श्याम सुंदर (आरओसी चंडीगढ़)

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, पंजाब एंड चंडीगढ़, फर्स्ट फ्लोर, कॉर्पोरेट भवन, प्लॉट नंबर 4-बी, भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है सेक्टर 27-बी,
चंडीगढ़, पिन- 160019

श्री यू. एस. पटोले (आरओसी सह ओएल जयपुर)

आरओसी-सह-आधिकारिक परिसमापक, कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय, सी / 6-7, पहली मंजिल, रेजीडेंसी क्षेत्र, सिविल लाइन्स,
जयपुर-302001, राजस्थान

उत्तर पश्चिमी क्षेत्र

श्री के. जी. जोसेफ जैक्सन (आरओसी चेन्नई)

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, ब्लॉक नंबर 6, बी विंग 2 डी फ्लोर, शास्त्री भवन 26, हडेस रोड,
चेन्नई - 600034, तमिलनाडु

श्री सी.एस.गोविंदराजन (आरओसी कोयम्बटूर)

(0422) -2629640, 2628170

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, नंबर 7, एजीटी बिजनेस पार्क, आई फ्लोर, फेज II, अविनाशी रोड, सिविल एयरोड्रम पोस्ट,
कोयंबटूर- 641014, तमिलनाडु

श्रीमती सीमा रथ (आरओसी, उत्तर प्रदेश, कानपुर)

0512-2310443, 2310227, 2310323

37/17, वेस्टकोट बुडलिंग, द मॉल,
कानपुर-208001 उत्तर प्रदेश

श्री बृजेश कुमार कैन

मेजेनाइन फ्लोर 78, राजपुर रोड, कार्यालय नं। 259, श्री राधा पैलेस देहरादून,
द मॉल, 248001 उत्तराखंड

श्री बेनुधर मिश्रा (आरओसी कोलकाता)

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, निजाम पैलेस, द्वितीय एमएसओ भवन, 2 मंजिल, 234/4, ए.जे.सी.बी. रोड,
कोलकाता - 700020, पश्चिम बंगाल

भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है

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