मैंने ये कभी नहीं कहा कि मैं आंदोलन से हट रहा हूं। हमने कहा था कि हम उस स्वरूप से हम हट रहे हैं। आज हम एक नए स्वरूप से वापस आ रहे हैं और हमारा मानना है कि अगर गांव-गांव के अंदर आंदोलन पहुंचेगा तो आंदोलन को बहुत फायदा होगा: किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष वी.एम. सिंह pic.twitter.com/SDSb9HCO6d — ANI_HindiNews (@AHindinews) February 23, 2021
वैक्सीनेट इंडिया : क्या देश में कोरोना टीकाकरण अभियान धीरे-धीरे गति पकड़ रहा क्या एमएसीडी एक गति संकेतक है है?
खबर आई कि देश में एक दिन में एक करोड़ के पार कोविड के टीके लगे हैं. ये इस बात का संकेत देता है कि देश में टीकाकरण अभियान गति पकड़ रहा है. ये खबर हर जगह छपी, जिसमें पता चला कि दो दिन पिछले हफ्ते के हमने क्या एमएसीडी एक गति संकेतक है 1 करोड़ का आंकड़ा पार किया है.
हादसों के बाद भी नहीं जागा प्रशासन, इस मार्ग पर नहीं है गति नियंत्रण के इंतजाम
नागदा. उज्जैन-जावरा बायपास मार्ग पर सोमवार रात हुए सड़क क्या एमएसीडी एक गति संकेतक है दुर्घटना में 12 लोग मौत के मुंह में समा गए, लेकिन शहर से होकर गुजरने वाले मार्ग को लेकर स्थानीय प्रशासन ने किसी प्रकार की सुध लेना उचित नहीं समझा। घटना के दूसरे दिन भी उज्जैन-जावरा बायपास मार्ग पर तेज और ओवर लोडिंग वाहनों की रफ्तार थमती नहीं दिखाई दी। आश्चर्य की बात यह है कि उज्जैन से आने वाली बसों को भी चालकों द्वारा बिना किसी संकेत दिए भारी वाहनों के बीच रोका गया। विडम्बना यह है कि हर बार होने वाले सड़क हादसों से प्रशासन सबक लेना मुनासिब नहीं समझता। मान भी लिया जाए कि प्रशासन के पास बल की कमी है। अस्थाई उपाय के रूप में प्रशासन मार्ग पर ब्रेकर व एक जवान की तैनाती तो कर सकता है।
क्या है परेशानी
सुगम यातायात के लिए उज्जैन-जावरा बायपास मार्ग का निर्माण किया गया है, लेकिन मार्ग से होकर गुजरने वाले वाहनों की रफ्तार को कम करने के लिए मार्ग पर किसी प्रकार के कोई उपयुक्त संकेतक मौजूद नहीं है। संकेतक व स्पीड गति नियतंत्रण को लेकर मार्ग पर किसी प्रकार के दिशा निर्देश नहीं है, जिसके चलते मार्ग पर भारी वाहन तेज रफ्तार से वाहनों को दौड़ाते है। इतना ही नहीं मार्ग से होकर गुजरने वाले बस संचालक भी यात्रियों से भरी ओवर लोडिंग बसों को बिना किसी डर के तेज गति से दौड़ाते हैं।
ऑटों चालकों की मनमानी बरकरार
मार्ग पर भारी वाहन ही नहीं क्या एमएसीडी एक गति संकेतक है लोकल यात्रियों की सवारी को लेकर चलने वाले ऑटों संचालकों की मनमानी भी जारी है। मार्ग पर जहां-तहां ऑटों चालक वाहनों को खड़ा कर देते है। परेशानी यह है कि ऐसे में क्या एमएसीडी एक गति संकेतक है यदि कोई भारी वाहन तेज रफ्तार के साथ अनियंत्रित होकर ऑटों से टकरा जाए तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। घुमावदार मोड़ों के लिए लगाए जाने वाले संकेतक भी मार्ग से नदारद है। संकेतकों की अनदेखी होने के कारण वाहन चालकों गति पर नियंत्रण नहीं रखते है।
बायपास पर ओवर लोडिंग वाहनों की चैकिंग के लिए आगामी दिनों चैकिंग अभियान चलाया जाएगा। ट्रॉफिक नियमों की समझाइश के लिए ट्रैफिक आरक्षक है, जो शहर में गश्त कर यातायात व्यवस्था में सुधार व तेज वाहन चालकों पर चालानी कार्रवाई करता है।
रवींद्र कुमार बारिया, टीआइ, मंडी थाना
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खबर आई कि देश में एक दिन में एक करोड़ के पार कोविड के टीके लगे हैं. ये इस बात का संकेत देता है कि क्या एमएसीडी एक गति संकेतक है देश में टीकाकरण अभियान गति पकड़ रहा है. ये खबर हर जगह छपी, जिसमें पता चला कि दो दिन पिछले हफ्ते के हमने 1 करोड़ का आंकड़ा पार किया है.
MCD Election Results: वोटों की गिनती. कौन जीतेगा MCD चुनाव 2022?
MCD Election Results: वोटों की गिनती. कौन जीतेगा MCD चुनाव 2022?
चित्रा त्रिपाठी
- नई दिल्ली,
- 07 दिसंबर 2022,
- अपडेटेड 7:26 AM IST
देश के 'दिल' यानी राजधानी दिल्ली दिल्ली में अब से कुछ देर बाद शुरू होने वाली है MCD चुनाव की मतगणना. मतगणना के लिए दिल्ली में 42 मतगणना केंद्र बनाए गए हैं. वहीं दिल्ली में आज सुरक्षा इंतजाम बेहद सख्त हैं. 20 कंपनी पैरामिलिट्री फोर्स, MCD चुनाव में हिस्सा लेने वाले कुल 1349 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला आज होना है. फिलहाल सर्वे में आम आदमी पार्टी का पलड़ा बीजेपी पर भारी दिख रहा है.
MCD chunav results will be declared today. Delhi's choice will be known to all when the counting of votes begins in 42 centres at 8 am on Wednesday. Over 50 per cent of the eligible voters exercised their franchise on December 4 to seal the fate of 1,349 civic poll candidates in 250 wards.
किसान आंदोलन के गति पकड़ने पर वीएम सिंह ने लिया यू-टर्न, बोले- मैंने आंदोलन से हटने की बात कभी नहीं कही
नए कृषि कानूनों के विरोध में तेज होते किसान आंदोलन के बाद किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष वीएम सिंह ने एक बार फिर यू-टर्न लेते हुए आंदोलन में लौटने का संकेत दिया है। गणतंत्र दिवस पर किसानों की.
नए कृषि कानूनों के विरोध में तेज होते किसान आंदोलन के बाद किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष वीएम सिंह ने एक बार फिर यू-टर्न लेते हुए आंदोलन में लौटने का संकेत दिया है। गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर हुई हिंसा के बाद वीएम सिंह ने 27 जनवरी को खुद को आंदोलन से अलग कर लिया था।
हालांकि मंगलवार को उन्होंने कहा कि मैंने यह कभी नहीं कहा कि मैं आंदोलन से हट रहा हूं। हमने कहा था कि हम उस स्वरूप से हट रहे हैं। आज हम एक नए स्वरूप में वापस आ रहे हैं और हमारा मानना है कि अगर गांव-गांव के अंदर आंदोलन पहुंचेगा तो आंदोलन को बहुत फायदा होगा।
मैंने ये कभी नहीं कहा कि मैं आंदोलन से हट रहा हूं। हमने कहा था कि हम उस स्वरूप से हम हट रहे हैं। आज हम एक नए स्वरूप से वापस आ रहे हैं और हमारा मानना है कि अगर गांव-गांव के अंदर आंदोलन पहुंचेगा तो आंदोलन को बहुत फायदा होगा: किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष वी.एम. सिंह pic.twitter.com/SDSb9HCO6d
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 23, 2021
ये भी पढ़ें : किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए सरकार ने दी टिकैत क्या एमएसीडी एक गति संकेतक है को हवा- VM सिंह
उत्तर प्रदेश के किसान मांगें पूरी होने तक उपवास रखेंगे
वीएम सिंह ने मंगलवार को कहा कि केन्द्र के कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी की कानूनी क्या एमएसीडी एक गति संकेतक है गारंटी की मांग पूरी होने तक उत्तर प्रदेश के प्रत्येक गांव के पांच किसान रोज आठ घंटे का उपवास करेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संदेश भेजेंगे। गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुई हिंसा के बाद संगठन ने किसान आंदोलन से अपना समर्थन वापस ले लिया था। बाद में रविवार को इसने 21 अन्य किसान संगठनों के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश किसान मजदूर मोर्चा का गठन किया।
संवाददाता सम्मेलन में वीएम सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश के प्रत्येक गांव से पांच किसान सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक रोज उपवास रखेंगे। दोपहर तीन बजे किसान दो मिनट का वीडियो संदेश रिकॉर्ड करेंगे, जिसमें वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना परिचय देंगे और केन्द्र के नए कृषि कानूनों के प्रति अपनी चिंताएं साझा करेंगे। यह संदेश हमारी वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि जब तक सभी गांव के सभी किसानों का उनकी गेहूं की फसल के लिए एमएसपी पर फैसला नहीं हो जाता, यह जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि देश में ज्यादातर किसाल लघु या सीमांत हैं और वे दिल्ली जाकर प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सकते हैं, ऐसे में वे अपने गांवों में रह कर खेतों, मवेशियों का देखभाल करते हुए प्रदर्शन में शामिल हो सकते हैं।
किसान नेता ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में 65,000 पंचायत हैं और अगर उनमें से 20,000 गांव भी आंदोलन का हिस्सा बनेंगे तो प्रधानमंत्री के पास रोजाना एक लाख संदेश पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि एक महीने में इनकी संख्या 30,00,000 तक पहुंच जाएगी। वह भी ऐसे में जबकि हम सिर्फ 20,000 गांवों के बारे में बात कर रहे हैं। सोच कर देखें अगर 50,000 गांव हमारे साथ आ गए क्या एमएसीडी एक गति संकेतक है तो क्या होगा। क्या प्रधानमंत्री मोदी फिर भी कहेंगे कि इन गांवों से आ रहे संदेश किसानों के नहीं हैं।
27 जनवरी को आंदोलन से हो गए थे अलग
बता दें कि वीएम सिंह ने 27 जनवरी को आंदोलन से खुद को अलग करते हुए कहा था कि हम किसी ऐसे व्यक्ति के साथ विरोध को आगे नहीं बढ़ा सकते जिसकी दिशा कुछ और हो। इसलिए, मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं, लेकिन वीएम सिंह और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति इस विरोध को तुरंत वापस ले रही है। उन्होंने भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत पर भी कई गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि हम लोगों को पिटवाने के लिए यहां नहीं आए हैं। हम देश को बदनाम करना नहीं चाहते। वीएम सिंह ने कहा था कि टिकैत ने एक भी मीटिंग में गन्ना किसानों की मांग नहीं उठाई।
गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध अब भी बरकरार है। कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। इसके लिए दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन आज 90वें दिन भी जारी है। इस बीच किसानों को मनाने के लिए अब तक केंद्र सरकार की ओर से की गईं सभी कोशिशें बेनतीजा रही हैं।
बता दें कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों - द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं।
केन्द्र सरकार इन कानूनों को जहां कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश क्या एमएसीडी एक गति संकेतक है कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।
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