शॉर्ट टर्म कोर्स लॉन्ग टर्म फायदा

निजी कंपनियों में प्रोफेशनल कोर्स करने वाले कैंडीडेट्स की डिमांड तो है ही, शॉर्टटर्म कोर्सेज भी काफी पॉपुलर हो रहे हैं। भविष्य में स्टूडेंट्स बेहतरीन परफॉर्मेस दे सकें, इसके लिए पिछले कुछ समय से दिल्ली यूनिवर्सिटी शॉर्ट टर्म प्रोफेशनल कोर्सेज को काफी तरजीह दे रही है। हाल ही में दिल्ली यूनिवर्सिटी ने जहां शेयर मार्केट पर आधारित कोर्स शुरू करने की घोषणा की है। अब वह शॉर्ट टर्म प्रोग्राम के अंतर्गत कुछ और कोर्स शुरू करने जा रही है। इन्हीं कोर्सेज में ग्लोबल बिजनेस फाउंडेशन स्किल्स (जीबीएफसी)भी एक है, जिसके बारे में दिल्ली यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ लांग लर्निग के डायरेक्टर प्रोफेसर एके बख्शी कहते हैं कि ऐसे प्रोग्राम्स के जरिये ऐसे कैंडीडेट तैयार करने में मदद मिल सकेगी, जो शुरुआती दौर से ही कंपनी की जरूरतों पर खरे उतरते हों। ग्लोबल बिजनेस फाउंडेशन स्किल्स कोर्स की सबसे बडी खासियत यह है कि इसे नैसकॉम यानी नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज के सहयोग से बनाया गया है। ठीक उसी तरह जिस तरह शेयर बाजार के उतार-चढाव को पढाने वाले सर्टिफाइड कैपिटल मार्केट प्रोग्राम को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के साथ मिलकर डिजाइन किया गया है। जीबीएफसी को तैयार करने में नैसकॉम ने सहायता दी ही है, साथ ही इस कोर्स का करिकुलम तैयार करने में कई बीपीओ यानी बिजनेस प्रॉसेस आउटसोर्सिग के अलावा जेनपैक्ट, कनवर्जिस, डेल और आईबीएम जैसी मल्टीनेशनल कंपनियों ने भी सहयोग किया है।

कोर्स और अवधि

दिल्ली यूनिवर्सिटी के इस शॉर्ट टर्म कोर्स की ड्यूरेशन 20 सप्ताह यानी करीब 6 महीनों की होगी। जहां तक कोर्स की क्लासेस की बात है, तो एक क्लास की अवधि दो घंटे निर्धारित की गई है। साथ ही ये सप्ताह में तीन दिन ली जाएंगी। कक्षाओं के बाद बात करते हैं कोर्स के करिकुलम की। यानी इस कोर्स में स्टूडेंट्स को क्या पढाया जाएगा? इस कोर्स का सबसे बडा लक्ष्य यह है कि ग्रेजुशन की डिग्री लेकर कैम्पस से निकलकर इंडस्ट्री की दुनिया में पहुंचने वाले स्टूडेंट्स को प्रोफेशनल लाइफ में परफॉर्म करने में परेशानी न आए। इसीलिए शेयर बाजार का फाउंडेशन प्रोग्राम इंडस्ट्री अवेयरनेस, बिजनेस कम्यूनिकेशन स्किल, कस्टमर मैनेजमेंट और कम्प्यूटर स्कि्ल्स के साथ कैम्पस से कॉरपोरेट तक के सफर की जानकारी और शिक्षा दी जाएगी।

एडमिशन प्रक्रिया

दिल्ली यूनिवर्सिटी से बाहर के स्टूडेंट्स को इस कोर्स में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। इस कोर्स में एडमिशन के लिए सिर्फ वही स्टूडेंट्स एप्लीकेशन दे सकते हैं जिन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के किसी दूसरे कोर्स में एनरोल किया हो। कोर्स में एडमिशन लेने के इच्छुक कैंडीडेट्स को एक टेस्ट से गुजरना होगा, जिसमें कैंडीडेट की क्षमताओं का परीक्षण किया जाएगा। कोर्स पूरा होने के बाद भी स्टूडेंट्स को एक और टेस्ट से गुजरना होगा जिसे नैसकॉम असेस्मेंट टेस्ट ऑफ कॉम्पिटेंस का नाम दिया गया है।

सीट और पढाई आरंभिक दौर में ग्लोबल बिजनेस फाउंडेशन स्किल्स कोर्स दिल्ली यूनिवर्सिटी के पांच कॉलेजों में ऑफर किया जाएगा। ये कॉलेज खालसा, दीन दयाल उपाध्याय, मेत्रेयी, वेंकटेश्वर, और कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज हैं। सभी कॉलेजों में कोर्स की 30 से 35 सीटें होंगी। इस कोर्स के लिए टीचर और लेक्चरर दिल्ली यूनिवर्सिटी के ही होंगे, लेकिन इंडस्ट्री पार्टनर्स के जरिये उन्हें भी पहले ट्रेनिंग दी जाएगी।

और भी हैं कोर्स

ग्लोबल बिजनेस फाउंडेशन स्किल्स के अलावा दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कई अन्य शॉर्ट टर्म प्रोग्राम्स शुरू करने की योजना बनाई शेयर बाजार का फाउंडेशन प्रोग्राम है। इनमें एक कोर्स ऐसे स्टूडेंट्स के लिए है, जिनकी इंग्लिश लैंग्वेज पर अच्छी कमांड नहीं है। ऐसे स्टूडेंट्स एडवांस लेवल ऑफ प्रोफिशिएंसी इन इंग्लिश लैंग्वेज के जरिये इस भाषा पर अपनी पकड बना सकेंगे। इसके अलावा यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलर्स किस तरह कम्प्यूटर और इंटरनेट की मदद लेकर अपना रिसर्च वर्क बेहतर तरीके से और जल्दी पूरा कर सकते हैं, इसके लिए भी डीयू एक शॉर्ट टर्म कोर्स आरंभ करने जा रही है। इस कोर्स की अवधि 60 घंटों की होगी आरंभिक चरण में यह कोर्स साइंस के स्टूडेंट्स को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जा रहा है, निकट भविष्य में अन्य कोर्सेज के लिए भी इसे डिजाइन किया जाएगा। दिल्ली यूनिवर्सिटी के डीन स्टूडेंट वेल्फेयर, प्रोफेसर एस के विज कहते हैं कि आज की जॉब मार्केट कुछ इस तरह की है जिसमें हर तरह के कोर्स करने वाले स्टूडेंट्स की डिमांड है, फिर भी दिल्ली यूनिवर्सिटी द्वारा ऑफर किए जाने वाले शॉर्ट टर्म कोर्सेज के जरिये स्टूडेंट्स अपनी पर्सनैल्टी ग्रूमिंग के साथ जॉब पाने के चांसेज को भी बढा सकते हैं।

शॉर्ट टर्म कोर्स लॉन्ग टर्म फायदा

निजी कंपनियों में प्रोफेशनल कोर्स करने वाले कैंडीडेट्स की डिमांड तो है ही, शॉर्टटर्म कोर्सेज भी काफी पॉपुलर हो रहे हैं। भविष्य में स्टूडेंट्स बेहतरीन परफॉर्मेस दे सकें, इसके लिए पिछले कुछ समय से दिल्ली यूनिवर्सिटी शॉर्ट टर्म प्रोफेशनल कोर्सेज को काफी तरजीह दे रही शेयर बाजार का फाउंडेशन प्रोग्राम है। हाल ही में दिल्ली यूनिवर्सिटी ने जहां शेयर मार्केट पर आधारित कोर्स शुरू करने की घोषणा की है। अब वह शॉर्ट टर्म प्रोग्राम के अंतर्गत कुछ और कोर्स शुरू करने जा रही है। इन्हीं कोर्सेज में ग्लोबल बिजनेस फाउंडेशन स्किल्स (जीबीएफसी)भी एक है, जिसके बारे में दिल्ली यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ लांग लर्निग के डायरेक्टर प्रोफेसर एके बख्शी कहते हैं कि ऐसे प्रोग्राम्स के जरिये ऐसे कैंडीडेट तैयार करने में मदद मिल सकेगी, जो शुरुआती दौर से ही कंपनी की जरूरतों पर खरे उतरते हों। ग्लोबल बिजनेस फाउंडेशन स्किल्स कोर्स की सबसे बडी खासियत यह है कि इसे नैसकॉम यानी नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज के सहयोग शेयर बाजार का फाउंडेशन प्रोग्राम से बनाया गया है। ठीक उसी तरह जिस तरह शेयर बाजार के उतार-चढाव को पढाने वाले सर्टिफाइड कैपिटल मार्केट प्रोग्राम को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के साथ मिलकर डिजाइन किया गया है। जीबीएफसी को तैयार करने में नैसकॉम ने सहायता दी ही है, साथ ही इस कोर्स का करिकुलम तैयार करने में कई बीपीओ यानी बिजनेस प्रॉसेस आउटसोर्सिग के अलावा जेनपैक्ट, कनवर्जिस, डेल और आईबीएम जैसी मल्टीनेशनल कंपनियों ने भी सहयोग किया है।

कोर्स और अवधि

दिल्ली यूनिवर्सिटी के इस शॉर्ट टर्म कोर्स की ड्यूरेशन 20 सप्ताह यानी करीब 6 महीनों की होगी। जहां तक कोर्स की क्लासेस की बात है, तो एक क्लास की अवधि दो घंटे निर्धारित की गई है। साथ ही ये सप्ताह में तीन दिन ली जाएंगी। कक्षाओं के बाद बात करते हैं कोर्स के करिकुलम की। यानी इस कोर्स में स्टूडेंट्स को क्या पढाया जाएगा? इस कोर्स का सबसे बडा लक्ष्य यह है कि ग्रेजुशन की डिग्री लेकर कैम्पस से निकलकर इंडस्ट्री की दुनिया में पहुंचने वाले स्टूडेंट्स को प्रोफेशनल लाइफ में परफॉर्म करने में परेशानी न आए। इसीलिए इंडस्ट्री अवेयरनेस, बिजनेस कम्यूनिकेशन स्किल, कस्टमर मैनेजमेंट और कम्प्यूटर स्कि्ल्स के साथ कैम्पस से कॉरपोरेट तक के सफर की जानकारी और शिक्षा दी जाएगी।

एडमिशन प्रक्रिया

दिल्ली यूनिवर्सिटी से बाहर के स्टूडेंट्स को इस कोर्स में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। इस कोर्स में एडमिशन के लिए सिर्फ वही स्टूडेंट्स एप्लीकेशन दे सकते हैं जिन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के किसी दूसरे कोर्स में एनरोल किया हो। कोर्स में एडमिशन लेने के इच्छुक कैंडीडेट्स को एक टेस्ट से गुजरना होगा, जिसमें कैंडीडेट की क्षमताओं का परीक्षण किया जाएगा। कोर्स पूरा होने के बाद भी स्टूडेंट्स को एक और टेस्ट से गुजरना होगा जिसे नैसकॉम असेस्मेंट टेस्ट ऑफ कॉम्पिटेंस का नाम दिया गया है।

सीट और पढाई आरंभिक दौर में ग्लोबल बिजनेस फाउंडेशन स्किल्स कोर्स दिल्ली यूनिवर्सिटी के पांच कॉलेजों में ऑफर किया जाएगा। ये कॉलेज खालसा, दीन दयाल उपाध्याय, मेत्रेयी, वेंकटेश्वर, और कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज हैं। सभी कॉलेजों में कोर्स की 30 से 35 सीटें होंगी। इस कोर्स के लिए टीचर और लेक्चरर दिल्ली यूनिवर्सिटी के ही होंगे, लेकिन इंडस्ट्री पार्टनर्स के जरिये उन्हें भी पहले ट्रेनिंग दी जाएगी।

और भी हैं कोर्स

ग्लोबल बिजनेस फाउंडेशन स्किल्स के अलावा दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कई अन्य शॉर्ट टर्म प्रोग्राम्स शुरू करने की योजना बनाई है। इनमें एक कोर्स ऐसे स्टूडेंट्स के लिए है, जिनकी इंग्लिश लैंग्वेज पर अच्छी कमांड नहीं है। ऐसे स्टूडेंट्स एडवांस लेवल ऑफ प्रोफिशिएंसी इन इंग्लिश लैंग्वेज के जरिये इस भाषा पर अपनी पकड बना सकेंगे। इसके अलावा यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलर्स किस तरह कम्प्यूटर और इंटरनेट की मदद लेकर अपना रिसर्च वर्क बेहतर तरीके से और जल्दी पूरा कर सकते हैं, इसके लिए भी डीयू एक शॉर्ट टर्म कोर्स आरंभ करने जा रही है। इस कोर्स की अवधि 60 घंटों की होगी आरंभिक चरण में यह कोर्स साइंस के स्टूडेंट्स को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जा रहा है, निकट भविष्य में अन्य कोर्सेज के लिए भी इसे डिजाइन किया जाएगा। दिल्ली यूनिवर्सिटी के डीन स्टूडेंट वेल्फेयर, प्रोफेसर एस के विज कहते हैं कि आज की जॉब मार्केट कुछ इस तरह की है जिसमें हर तरह के कोर्स करने वाले स्टूडेंट्स की डिमांड है, फिर भी दिल्ली यूनिवर्सिटी द्वारा ऑफर किए जाने वाले शॉर्ट टर्म कोर्सेज के जरिये स्टूडेंट्स अपनी पर्सनैल्टी ग्रूमिंग के साथ जॉब पाने के चांसेज को भी बढा सकते हैं।

यू. एन. एच. आई. इ. - सोशल अल्फा द्वारा कार्यान्वित

BIRAC ने एक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं यू. एन. एच. आई. इ.द्वारा कार्यान्वित करें सामाजिक अल्फा.

इस साझेदारी के तहत, इंडियन मेडिकल टेक्नोलॉजीज (मेडटेक) और डिजिटल हेल्थ इनोवेशन की क्षमता को अनलॉक करने के लिए, नवंबर 2019 में स्वास्थ्य नवाचारों के लिए एक अनूठा कार्यक्रम घोषित किया गया था।

यह एक भारत त्वरक प्लेटफॉर्म के रूप में कल्पना की गई है जो अगले पांच वर्षों में 100 भारतीय नवाचारों के सफल अपनाने के माध्यम से काम करने पर केंद्रित है। इसका परिणाम इसी अवधि के दौरान भारतीय स्टार्ट-अप से 500 मिलियन डॉलर मूल्य के मेडिकल डिवाइसेस और डायग्नोस्टिक्स और डिजिटल हेल्थ सॉल्यूशंस के बाजार में पहुंच और खरीद के परिणाम का अनुमान है।

UNHIE कार्यान्वयनकर्ताओं के सामने आने वाली चुनौतियों की पहचान करने और उन्हें उन नवाचारों से जोड़ने का एक मंच है जो प्रभाव की उच्च क्षमता रखते हैं। इसके अतिरिक्त, यह प्लेटफॉर्म कैपिटल प्रोवाइडर्स के लिए निवेश अवसरों को बनाएगा और क्यूरेट करेगा, विनियामक स्वीकृतियों के लिए इनोवेटर्स तैयार करेगा, मार्केट एक्सेस में सहायता करेगा और ग्लोबल वकालत के लिए सभी भागीदारों और उनके नेटवर्क का लाभ उठाएगा। & nbsp; एक्सीलेटर का परिणाम बाजार के खुलने का अनुमान है। अवधि के दौरान भारतीय स्टार्टअप से चिकित्सा उपकरणों और डायग्नोस्टिक्स और डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों की पहुंच और खरीद। यह भारतीय नवप्रवर्तनकर्ताओं को बहु-पार्श्व और संयुक्त राष्ट्र के तंत्र का उपयोग करने और विश्व स्तर पर उनके नवाचार को पैमाना बनाने में मदद करेगा।

यह एक खुला मंच होगा जहां सार्वजनिक और निजी क्षेत्र, बहुपक्षीय एजेंसियों और नींव से महत्वपूर्ण हितधारकों को मंच में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। त्वरक कार्यक्रम को सोशल अल्फा द्वारा प्रबंधित किया जाएगा, जो कि फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड सोशल एंटरप्रेन्योरशिप (एफआईएसई) द्वारा बनाया गया एक गैर-लाभकारी मंच है।

अन्य भागीदारों के बीच, UNHIE कार्यान्वयनकर्ताओं के सामने आने वाली चुनौतियों की पहचान करने और उन्हें उन नवाचारों से जोड़ने का एक मंच प्रदान करता है जिनमें प्रभाव की उच्च संभावना होती है। यह निवेशकों के प्रयासों के साथ जुड़ता है और इनोवेटर्स और कार्यान्वयनकर्ताओं के बीच मौजूदा अंतर को पाटने के लिए स्थायी समाधान विकसित करता है। यह यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) और अन्य स्वास्थ्य संबंधी सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) तक पहुंचने के लिए प्रगति को तेजी से आगे बढ़ाएगा।

Adani Foundation की तरफ से बाल दिवस के अवसर पर आयोजित किये गए विभिन्न कार्यक्रम !

अदाणी फाउंडेशन द्वारा बाल दिवस के अवसर पर बच्चो के स्वास्थ्य संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। अदाणी विल्मार द्वारा संचालित फॉर्च्यून सुपोषण प्रोजेक्ट के अंतर्गत .

अदाणी फाउंडेशन द्वारा बाल दिवस के अवसर पर बच्चो के स्वास्थ्य संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। अदाणी विल्मार द्वारा संचालित फॉर्च्यून सुपोषण प्रोजेक्ट के शेयर बाजार का फाउंडेशन प्रोग्राम अंतर्गत बाल दिवस के अवसर पर शहरी मालिन बस्तियों नदेसर, बड़ी मलदहिया,माताकुंड लल्लापुरा,कज्जाकपुरा जीवधीपुर इत्यादि क्षेत्रों में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से अभिभावकों को घर के अनुपयोगी चीजों से खेलने का सामान बनाने के तरीकों को सिखाया गया।

इसी के साथ बच्चो के साथ पोषण संबंधित कई खेलो का आयोजन भी कराया गया। इस अवसर पर सुपोषण अधिकारी ममता यादव के द्वारा बच्चो को और अभिभावकों को केला का वितरण भी कराया गया।

सुपोषण संगिनी सबनम बानो,यास्मीन बानो,अंजुम बानो,सोनालिका,अलीशा बनो, एवम आंगन वाड़ी कार्यकत्री रेशमा, सुशीला, बिंदु देवी आदि ने भाग लिया।कार्यक्रम के दौरान सहायक सुपोषण अधिकारी सुजाता यादव और जुगल केशरी उपस्थित थी।

45,000 महिला किसानों की आजीविका सुधारने के बाद Walmart Foundation अब 60 FPO को देगा 16 करोड़ रुपये

45,000 महिला किसानों की आजीविका सुधारने के बाद Walmart Foundation अब 60 FPO को देगा 16 करोड़ रुपये

ये एफपीओ आत्‍मनिर्भर बिज़नेस इकाइयों के तौर पर अपनी पहचान बनाएं जो कि बाजार, सामुदायिक संस्‍थानों तथा स्‍थानीय प्रशासन के साथ अपने स्‍तर पर बातचीत कर सकें.

देश के पूर्वी राज्‍यों के आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी जोतों वाले और सीमांत कृषक परिवारों की आजीविका में सुधार के लिए, वॉलमार्ट फाउंडेशन (Walmart Foundation) और प्रदान (PRADAN) ने ‘PROWFIT’ प्रोजेक्‍ट शुरू करने की घोषणा की है. PROWFIT (प्रॉएस ऑफ ऑर्गेनाइज्‍़ड रिसोर्सेज़ एंड विमेन फार्मर्स फॉर ट्रांसफॉर्मिंग’) यानि कृषक उत्‍पादक संगठनों (Farmer Producer Organizations - FPOs) का कायाकल्‍प करने की पहल जो अगले 30 माह के दौरान महिलाओं के नेतृत्‍व शेयर बाजार का फाउंडेशन प्रोग्राम वाले 60 कृषक उत्‍पादक संगठनों की सहायता के लिए शुरू की गई है.

इस प्रोजेक्‍ट के लिए वॉलमार्ट फाउंडेशन से $2 मिलियन का अनुदान जारी किया गया है और इसका लक्ष्‍य करीब 120,000 महिलाओं के लिए व्‍यवहार्य लघुधारक कारोबारों का सृजन करना है जिनकी सालाना संचयी टर्नओवर $32 मिलियन होगा. इस प्रोजेक्‍ट के तहत्, कृषक उत्‍पादक संगठनों को बिज़नेस प्‍लान तैयार करने और उनके लिए जरूरी प्रणाालियों एवं प्रक्रियाओं को अंतिम रूप देने के अलावा अपने उपक्रमों के लिए प्रशासनिक इंतज़ाम करने होंगे. साथ ही, उन्‍हें विभिन्‍न सर्विस पार्टनर्स तथा अन्‍य सहायता के लिए राष्‍ट्रीय एवं राज्‍य सरकारों के संबंधित कार्यक्रमों से जोड़कर टेक्‍नोलॉजी एवं फाइनेंशियल सपोर्ट भी मिलेगा.

मसलन, भारत सरकार की योजना ‘10,000 कृषक उत्‍पादक संगठनों का गठन एवं संवर्धन’ के तहत्, इस प्रोजेकट के 29 एफपीओ को बेहतर टेक्‍नोलॉजी, क्रेडिट, बेहतर इनपुट और अन्‍य कई बाजारों तक पहुंच की सुविधा मिलेगी ताकि वे अपने उत्‍पादों की गुणवत्‍ता में सुधार के अलावा उनसे बेहतर मोल भी प्राप्‍त कर सकें.

PROWFIT को प्रदान के पिछले प्रोजेक्‍ट ‘LEAP’ (लाइवलीहुड्स एन्‍हान्‍समेंट थ्रू मार्केट एक्‍सेस एंड विमेन एम्‍पावरमेंट) कामयाबी के बाद शुरू किया गया है. दो साल की अवधि वाले प्रोजेक्‍ट लीप के लिए वॉलमार्ट फाउंडेशन ने $1.9 मिलियन का अनुदान दिया है. इस प्रोजेक्‍ट से झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में 45,000 छोटे किसानों की आजीविका में सुधार हुआ था. प्रोग्राम ने लघु किसानों (SHFs) की क्षमता निर्माण के अवसरों को पैदा करने पर ज़ोर देते हुए चार साल की अवधि में उनकी आमदनी को दोगुना करने में मदद पहुंचायी है ताकि उनके खेती कारोबारों को टिकाऊ बनाकर उन्‍हें गरीबी रेखा से ऊपर लाया जा सके.

इन महिला किसानों को पहले ही स्‍व-सहायता समूहों (SHGs) से जोड़ा जा चुका है और इन्‍हें एकजुट कर औपचारिक उत्‍पादन समूहों का रूप दिया गया है, ताकि वे सिंक्रोनाइज्‍़ड प्रोडक्‍शन एवं मार्केट इंटरफेस कीमदद से कृषि एवं अन्‍य संबंधित गतिविधियों से जुड़ सकें. इन अनौपचारिक उत्‍पादक समूहों ने अब 13 औपचारिक कृषक उत्‍पादक संगठनों का रूप ले लिया है तथा इन्‍हें मजबूत बनाने की प्रक्रिया जारी है.

इस ग्रांट के बारे में, जूली गहरकी, वाइस प्रेसीडेंट एवं चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर, वॉलमार्ट फाउंउेशन ने कहा, "प्रदान के PROWFIT और LEAP सरीखे प्रोजेक्‍ट्स भारत में कृषक उत्‍पादक संगठनों को मजबूत बनाने के हमारे प्रयासों से पूरी तरह से मेल खाते हैं, जो कि इनकी मात्रा, गुणवत्‍ता तथा उत्‍पादन प्रक्रियाओं की सस्‍टेनेबिलिटी सुनिश्चित कर बाजारों से उनके जुड़ाव को और गहरा बनाते हैं. प्रदान के लिए नए निवेश से और अधिक संख्‍या में ग्रामीण औरतों तक पहुंच बनाने में मदद मिलेगी, जबकि उपज बढ़ाने के सस्‍टेनेबबल तरीकों पर ज़ोर देकर तथा आमदनी के स्रोतों को तैयार कर अधिक प्रभाव पैदा किया जा सकेगा."

ओडिशा की कांधा जनजाति की महिला मुनि हेपरिका ने 2021 में मा गंगेदेवी प्रोड्यूसर ग्रुप (पीजी) से नाता जोड़ा जो कि महिला प्रगति फार्मर प्रोड्यूसर्स कंपनी लिमिटेड का हिस्‍सा है जिसे इस साल मॉनसून के दौरान बैंगन उगाने के लिए लीप प्रोजेक्‍ट के तहत् प्रोत्‍साहन मिला है.

मुनि का कहना है, "मुझे यह अहसास हो गया था कि प्रदान की सहायता से मैं सफलता हासिल कर लूंगी. उन्‍होंने इससे पहले ही नर्सरी तैयार करने, फसलों की देखभाल और कीटों के हमलों से फसलों को बचाने (आईपीएम या इंटीग्रेटेड पेस्‍ट मैनेजमेंट) तथा ऑर्गेनिक दवाएं तैयार करने के बारे में लीप प्रोजेक्‍ट के अंतर्गत कई तरह की ट्रेनिंग्‍स आयोजित की हैं. एफपीओ के सहयोग के बगैर, मेरे लिए बैंगल की खेती से जुड़कर अपनी आमदनी बढ़ाने का यह फैसला करना मुमकिन नहीं होता."

प्रदान के इंटीग्रेटर अविजित चौधरी ने कहा, "लीप और PROWFIT परियोजनाओं के जरिए हमारे प्रोजेकट्स न सिर्फ सीमांत और ग्रामीण औरतों को ‘महिला किसानों’ के रूप में पहचान दिलाने के लिहाज़ से महत्‍वपूर्ण हैं, बल्कि 60 से अधिक कृषक उत्‍पादक संगठनों के जरिए मिलने वाली सहायता के बलबूते ये उन्‍हें बिज़नेस लीडर्स और उद्यमी के तौर पर स्‍थापित करने में भी मददगार हैं."

लीप (LEAP) की तरह PROWFIT भी सशक्तिकरण और बदलाव की प्रेरक गाथाएं रचकर लोगों की जिंदगी में बदलाव लाएगा और उनकी आजीविकाओं में सुधार करेगा. लेकिन सामाजिक स्‍तर पर बदलाव और कृषक उत्‍पादक संगठनों जैसे आर्थिक समूहों के गठन से जो गति आयी है, उसे जारी रखने तथा और बढ़ाने के लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि ये एफपीओ आत्‍मनिर्भर बिज़नेस इकाइयों के तौर पर अपनी पहचान बनाएं जो कि बाजार, सामुदायिक संस्‍थानों तथा स्‍थानीय प्रशासन के साथ अपने स्‍तर पर बातचीत कर सकें.

अब जल्द LPG सिलेंडरों पर नज़र आएंगे QR कोड, हर सिलेंडर की होगी अपनी अलग पहचान

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