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Capricorn Yearly Horoscope 2023: मकर राशि वालों के लिए कैसा रहेगा साल 2023, जानें करियर, व्यापार, सेहत का हाल

Makar Varshik Rashifal 2023: करियर के लिहाज से मकर राशि के जातकों के लिए साल 2023 बहुत शुभ साल साबित होने जा रहा है. व्यापार जगत से जुड़े लोगों के लिए यह वर्ष उत्तम सफलता के योग बनाएगा. प्रेम संबंधों के लिहाज से साल 2023 आपके लिए सुकूनदायक सिद्ध हो सकता है.

मकर वार्षिक राशिफल 2023

मकर वार्षिक राशिफल 2023

gnttv.com

  • नई दिल्ली,
  • 15 दिसंबर 2022,
  • (Updated 23 दिसंबर 2022, 6:57 PM IST)

नौकरी में प्रमोशन के अच्छे संयोग

व्यापार में सफलता के योग

वित्तीय स्थिति पूरे साल ठीक रहेगी

मकर राशि के जातकों को साल 2023 में अच्छे परिणाम मिल सकते हैं. करियर-कारोबार की स्थिति पिछले साल की तुलना में 2023 में बेहतर होगी. इस साल 17 जनवरी के बाद शनि आपकी राशि से द्वितीय भाव में गोचर करेंगे और आपकी साढ़ेसाती का अंतिम समय शुरू होगा. मध्य साढ़ेसाती की तुलना में अंतिम साढ़ेसाती के दौरान आपको बेहतर रिजल्ट मिल सकते हैं.

नौकरी में प्रमोशन के अच्छे संयोग

करियर के लिहाज से मकर राशि के जातकों के लिए साल 2023 बहुत शुभ साल साबित होने जा रहा है. क्योंकि इस साल आपकी राशि पर शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण शुरू हो जाएगा. वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब किसी राशि पर शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण होता है तब शुभ परिणाम प्राप्त होने लगते हैं. नौकरी पेशा जातकों के लिए यह साल बहुत शुभ रहने वाला होगा. नौकरी में प्रमोशन और वेतनवृद्धि के अच्छे संयोग हैं.

व्यापार में सफलता के योग

व्यापार जगत से जुड़े लोगों के लिए यह वर्ष उत्तम सफलता के योग बनाएगा और आपको अपने व्यापार को आगे बढ़ाने के अनेक मौके मिलेंगे अभी आप अपने व्यापार में विस्तार करना चाहते हैं तो उसमें भी यह वर्ष आपकी पूरी मदद करता हुआ नजर आएगा. मई से जुलाई के बीच थोड़ी समस्याएं आएंगी और इस दौरान आपको कुछ भी बड़ा निर्णय लेने से बचना चाहिए और व्यापार जिस तरीके से चल रहा है उसे वैसे ही चलते रहने देना चाहिए.

प्रेम संबंध सुकूनदायक सिद्ध होगा

प्रेम संबंधों के लिहाज से साल 2023 आपके लिए सुकूनदायक साबित हो सकता है. इस साल आपका लव पार्टनर आपको उचित समय और सम्मान प्रदान करेगा. इसकी वजह आपके व्यवहार में आए अच्छे परिवर्तन भी हो सकते हैं. आप बातों को समझाने की बजाय इस साल अपने लव पार्टनर को समझने की कोशिश करेंगे. हालांकि जो लोग अपने प्रेम संबंधों को छुपाए बैठे थे, उनके रिलेशनशिप की खबर घरवालों को लग सकती है.

वित्तीय स्थिति पूरे साल ठीक रहेगी

मकर राशि वालों के लिए शनि साल 2023 में दूसरे भाव में गोचर करेंगे इस लिहाज से आपकी वित्तीय स्थिति पूरे साल ठीक रहेगी. धन कमाने के कई मौके प्राप्त होंगे. एक साथ कई जगहों से आपको लाभ प्राप्त होंगे. इस वर्ष जमीन-जायदाद और मकान की खरीद-बिक्री से लाभ प्राप्त होंगे. साल 2023 में आपको जमीन के अच्छा खासा धन अर्जित कर लेंगे. जो लोग किसी के साथ कोई बिजनेस में साझेदारी है उनके लिए साल के आखिरी में कुछ नुकसान उठाना पड़ सकता है.

स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा

स्वास्थ्य पर ध्यान देने के लिए संकेत कर रहा है इस वर्ष आपको ह्रदय से संबंधित कोई समस्या परेशान कर सकती है इसके अतिरिक्त वक्षस्थल अर्थात छाती में जकड़न जलन फेफड़ों का संक्रमण आदि कोई समस्या आपको पूरे वर्ष परेशान कर सकती है वर्ष के अंतिम 2 महीने बहुत हद तक आपको स्वास्थ्य समस्याओं में कमी लेकर आएंगे लेकिन कब तक आपको पल प्रतिपल अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा ऐसा नहीं है कि आप पूरे वर्ष ही बीमार रहेंगे लेकिन इन सभी समस्याओं की संभावना बनी रहेगी.

परिवार के सदस्यों में मेल-मिलाप रहेगा

साल 2023 के शुरुआत में मकर राशि के जातकों को कुछ पारिवारिक समस्याओं से जूझना पड़ सकता है. साल 2023 में मानसिक परेशानियां के चलते आपकी मां को सेहत संबंधी परेशानियां हो सकती है. हालांकि अप्रैल माह में गुरु के मेष राशि में गोचर करने से कुछ राहत मिलने के संकेत हैं. इस वर्ष पुराने पारिवारिक विवाद हल हो सकते हैं. साल के अंत में कोई धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन से परिवार से सभी सदस्यों में मेल-मिलाप रहेगा.

चीन के साथ व्यापार संबंधों को तोड़ना नुकसानदायक हो सकता है: पनगढ़िया

नयी दिल्ली, 22 दिसंबर (भाषा) सीमा पर आक्रामक रूख दिखा रहे चीन के साथ व्यापार संबंधों को तोड़ने की मांगों के बीच नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि मौजूदा स्थिति में बीजिंग के साथ व्यापार संबंधों को खत्म करने का मतलब भारत की संभावित आर्थिक वृद्धि का बलिदान करना होगा ।

उन्होंने कहा कि इसके बजाए तो भारत को अपने व्यापार का विस्तार करने के लिए ब्रिटेन और यूरोपीय संघ समेत अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते करने के प्रयास करने चाहिए।

पनगढ़िया ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘इस स्थिति में चीन के साथ व्यापारिक जंग छेड़ने का मतलब होगा हमारी संभावित वृद्धि…शुद्ध रूप से आर्थिक आधार पर, के साथ समझौता करना। इसकी (सीमा पर तनाव) प्रतिक्रिया में कार्रवाई करना उपयुक्त नहीं होगा।’’

कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर, पनगढ़िया ने कहा कि दोनों देश व्यापार प्रतिबंध जैसे कदम उठा सकते हैं लेकिन 17000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था (चीन) में, 3000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था (भारत) को नुकसान पहुंचाने की क्षमता कहीं अधिक होगी।

उन्होंने कहा कि अमेरिका जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था भी चीन या रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने में उतनी सफल नहीं रही है।

पनगढ़िया ने कहा, ‘‘हमें अगले दशक के लिए भारत की वृद्धि की शानदार संभावनाओं का लाभ उठाते हुए अर्थव्यवस्था को जितना ज्यादा संभव हो उतना बड़ा करने पर ध्यान देना चाहिए। एक बार हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे तो हमारे प्रतिबंध का असर भी ज्यादा होगा।’’

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था

भारत जीडीपी के संदर्भ में वि‍श्‍व की नवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है । यह अपने भौगोलि‍क आकार के संदर्भ में वि‍श्‍व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्‍या की दृष्‍टि‍ से दूसरा सबसे बड़ा देश है । हाल के वर्षों में भारत गरीबी और बेरोजगारी से संबंधि‍त मुद्दों के बावजूद वि‍श्‍व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से एक के रूप में उभरा है । महत्‍वपूर्ण समावेशी विकास प्राप्‍त करने की दृष्‍टि‍ से भारत सरकार द्वारा कई गरीबी उन्‍मूलन और रोजगार उत्‍पन्‍न करने वाले कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।

इति‍हास

ऐति‍हासि‍क रूप से भारत एक बहुत वि‍कसि‍त आर्थिक व्‍यवस्‍था थी जि‍सके वि‍श्‍व के अन्‍य भागों के साथ मजबूत व्‍यापारि‍क संबंध थे । औपनि‍वेशि‍क युग ( 1773-1947 ) के दौरान ब्रि‍टि‍श भारत से सस्‍ती दरों पर कच्‍ची सामग्री खरीदा करते थे और तैयार माल भारतीय बाजारों में सामान्‍य मूल्‍य से कहीं अधि‍क उच्‍चतर कीमत पर बेचा जाता था जि‍सके परि‍णामस्‍वरूप स्रोतों का द्धि‍मार्गी ह्रास होता था । इस अवधि‍ के दौरान वि‍श्‍व की आय में भारत का हि‍स्‍सा 1700 ए डी के 22.3 प्रति‍शत से गि‍रकर 1952 में 3.8 प्रति‍शत रह गया । 1947 में भारत के स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात अर्थव्‍यवस्‍था की पुननि‍र्माण प्रक्रि‍या प्रारंभ हुई । इस उद्देश्‍य से वि‍भि‍न्‍न नीति‍यॉं और योजनाऍं बनाई गयीं और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्‍यम से कार्यान्‍वि‍त की गयी ।

1991 में भारत सरकार ने महत्‍वपूर्ण आर्थिक सुधार प्रस्‍तुत कि‍ए जो इस दृष्‍टि‍ से वृहद प्रयास थे जि‍नमें वि‍देश व्‍यापार उदारीकरण, वि‍त्तीय उदारीकरण, कर सुधार और वि‍देशी नि‍वेश के प्रति‍ आग्रह शामि‍ल था । इन उपायों ने व्यापारियों के लिए व्यापारिक स्थितियां भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को गति‍ देने में मदद की तब से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था बहुत आगे नि‍कल आई है । सकल स्‍वदेशी उत्‍पाद की औसत वृद्धि दर (फैक्‍टर लागत पर) जो 1951 - 91 के दौरान 4.34 प्रति‍शत थी, 1991-2011 के दौरान 6.24 प्रति‍शत के रूप में बढ़ गयी ।

कृषि‍

कृषि‍ भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ है जो न केवल इसलि‍ए कि‍ इससे देश की अधि‍कांश जनसंख्‍या को खाद्य की आपूर्ति होती है बल्‍कि‍ इसलि‍ए भी भारत की आधी से भी अधि‍क आबादी प्रत्‍यक्ष रूप से जीवि‍का के लि‍ए कृषि‍ पर नि‍र्भर है ।

वि‍भि‍न्‍न नीति‍गत उपायों के द्वारा कृषि‍ उत्‍पादन और उत्‍पादकता में वृद्धि‍ हुई, जि‍सके फलस्‍वरूप एक बड़ी सीमा तक खाद्य सुरक्षा प्राप्‍त हुई । कृषि‍ में वृद्धि‍ ने अन्‍य क्षेत्रों में भी अधि‍कतम रूप से अनुकूल प्रभाव डाला जि‍सके फलस्‍वरूप सम्‍पूर्ण अर्थव्‍यवस्‍था में और अधि‍कांश जनसंख्‍या तक लाभ पहुँचे । वर्ष 2010 - 11 में 241.6 मि‍लि‍यन टन का एक रि‍कार्ड खाद्य उत्‍पादन हुआ, जि‍समें सर्वकालीन उच्‍चतर रूप में गेहूँ, मोटा अनाज और दालों का उत्‍पादन हुआ । कृषि‍ क्षेत्र भारत के जीडीपी का लगभग 22 प्रति‍शत प्रदान करता है ।

उद्योग

औद्योगि‍क क्षेत्र भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लि‍ए महत्‍वपूर्ण है जोकि‍ वि‍भि‍न्‍न सामाजि‍क, आर्थिक उद्देश्‍यों की पूर्ति के लि‍ए आवश्‍यक है जैसे कि‍ ऋण के बोझ को कम करना, वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश आवक (एफडीआई) का संवर्द्धन करना, आत्‍मनि‍र्भर वि‍तरण को बढ़ाना, वर्तमान आर्थिक परि‍दृय को वैवि‍ध्‍यपूर्ण और आधुनि‍क बनाना, क्षेत्रीय वि‍कास का संर्वद्धन, गरीबी उन्‍मूलन, लोगों के जीवन स्‍तर को उठाना आदि‍ हैं ।

स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात भारत सरकार देश में औद्योगि‍कीकरण के तीव्र संवर्द्धन की दृष्‍टि‍ से वि‍भि‍न्‍न नीति‍गत उपाय करती रही है । इस दि‍शा में प्रमुख कदम के रूप में औद्योगि‍क नीति‍ संकल्‍प की उदघोषणा करना है जो 1948 में पारि‍त हुआ और उसके अनुसार व्यापारियों के लिए व्यापारिक स्थितियां 1956 और 1991 में पारि‍त हुआ । 1991 के आर्थिक सुधार आयात प्रति‍बंधों को हटाना, पहले सार्वजनि‍क क्षेत्रों के लि‍ए आरक्षि‍त, नि‍जी क्षेत्रों में भागेदारी, बाजार सुनि‍श्‍चि‍त मुद्रा वि‍नि‍मय दरों की उदारीकृत शर्तें ( एफडीआई की आवक / जावक हेतु आदि‍ के द्वारा महत्‍वपूर्ण नीति‍गत परि‍वर्तन लाए । इन कदमों ने भारतीय उद्योग को अत्‍यधि‍क अपेक्षि‍त तीव्रता प्रदान की ।

आज औद्योगि‍क क्षेत्र 1991-92 के 22.8 प्रति‍शत से बढ़कर कुल जीडीपी का 26 प्रति‍शत अंशदान करता है ।

सेवाऍं

आर्थिक उदारीकरण सेवा उद्योग की एक तीव्र बढ़ोतरी के रूप में उभरा है और भारत वर्तमान समय में कृषि‍ आधरि‍त अर्थव्‍यवस्‍था से ज्ञान आधारि‍त अर्थव्‍यवस्‍था के रूप में परि‍वर्तन को देख रहा है । आज सेवा क्षेत्र जीडीपी के लगभग 55 प्रति‍शत ( 1991-92 के 44 प्रति‍शत से बढ़कर ) का अंशदान करता है जो कुल रोजगार का लगभग एक ति‍हाई है और भारत के कुल नि‍र्यातों का एक ति‍हाई है

भारतीय आईटी / साफ्टेवयर क्षेत्र ने एक उल्‍लेखनीय वैश्‍वि‍क ब्रांड पहचान प्राप्‍त की है जि‍सके लि‍ए नि‍म्‍नतर लागत, कुशल, शि‍क्षि‍त और धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलनी वाली जनशक्‍ति‍ के एक बड़े पुल की उपलब्‍धता को श्रेय दि‍या जाना चाहि‍ए । अन्‍य संभावना वाली और वर्द्धित सेवाओं में व्‍यवसाय प्रोसि‍स आउटसोर्सिंग, पर्यटन, यात्रा और परि‍वहन, कई व्‍यावसायि‍क सेवाऍं, आधारभूत ढॉंचे से संबंधि‍त सेवाऍं और वि‍त्तीय सेवाऍं शामि‍ल हैं।

बाहय क्षेत्र

1991 से पहले भारत सरकार ने वि‍देश व्‍यापार और वि‍देशी नि‍वेशों पर प्रति‍बंधों के माध्‍यम से वैश्‍वि‍क प्रति‍योगि‍ता से अपने उद्योगों को संरक्षण देने की एक नीति‍ अपनाई थी ।

उदारीकरण के प्रारंभ होने से भारत का बाहय क्षेत्र नाटकीय रूप से परि‍वर्तित हो गया । वि‍देश व्‍यापार उदार और टैरि‍फ एतर बनाया गया । वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश सहि‍त वि‍देशी संस्‍थागत नि‍वेश कई क्षेत्रों में हाथों - हाथ लि‍ए जा रहे हैं । वि‍त्‍तीय क्षेत्र जैसे बैंकिंग और बीमा का जोरदार उदय हो रहा है । रूपए मूल्‍य अन्‍य मुद्राओं के साथ-साथ जुड़कर बाजार की शक्‍ति‍यों से बड़े रूप में जुड़ रहे हैं ।

आज भारत में 20 बि‍लि‍यन अमरीकी डालर (2010 - 11) का वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश हो रहा है । देश की वि‍देशी मुद्रा आरक्षि‍त (फारेक्‍स) 28 अक्‍टूबर, 2011 को 320 बि‍लि‍यन अ.डालर है । ( 31.5.1991 के 1.2 बि‍लि‍यन अ.डालर की तुलना में )

भारत माल के सर्वोच्‍च 20 नि‍र्यातकों में से एक है और 2010 में सर्वोच्‍च 10 सेवा नि‍र्यातकों में से एक है ।

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