सेज को इस प्रकार परिभाषित किया गया है, "विशेष रूप से सीमांकिंत शुल्क मुक्त परिवृत्त (एन्क्लेव) और व्यापार संचालन उद्देश्यों और कर्तव्यों एवं शुल्कों के प्रयोजन के लिए इसे विदेशी जमीन समझा जाएगा (सीमा शुल्क अधिकार क्षेत्र से बाहर)"। एसईजेड नियमों द्वारा समर्थित एसईजेड अधिनियम, 2005 10 फरवरी 2006 से प्रभावी हुआ। यह केंद्र और राज्य सरकारों से जुड़े मामलों पर बेहद सरल प्रक्रिया और एक सिंगल विंडो क्लियरेंस नीति प्रदान करता है। यह योजना बड़े उद्योगों के लिए आदर्श है और भविष्य के निर्यातों और रोजगार पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
UPI, Paytm और PhonePe से कितनी अलग है Digital Currency, जानिए इसके बारे में सब कुछ
बैंक से डिजिटल रुपया खरीदने के बाद आप ब्लॉकचेन बेस्ड डिजिटल करेंसी की तरह उसकाइस्तेमाल कर सकेंगे। अभी इसके बहुत से फीचर्स सामने नहीं आए हैं लेकिन यह तय है कि डिजिटल करेंसी बिना किसी बैंक खाते के लेन-देन में सहायता करेगी।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Digital Rupee: देश की डिजिटल करेंसी लॉन्च हो गई है। आरबीआई ने पिछले महीने इस करेंसी के पायलट प्रोजेक्ट की थोक कारोबार के लिए शुरुआत की थी। अब इसे फुटकर व्यापार में आजमाने की तैयारी है। पिछले कुछ समय से भारत में ऑनलाइन भुगतान के माध्यम लोगों के बीच खासे लोकप्रिय हुए हैं। Paytm से लेकर PhonePe और UPI से लेकर Google Pay तक न जाने कितने ऑनलाइन पेमेंट ऑप्शन मौजूद हैं। ऐसे में अहम सवाल यह है कि जब इतने सारे ऑनलाइन पेमेंट के विकल्प मौजूद हैं और वो बेहतर काम भी कर रहे हैं तो फिर डिजिटल रुपया लाने की जरूरत ही क्यों पड़ी। क्यों खास है डिजिटल करेंसी (Digital Currency) और यह UPI या किसी पेमेंट ऐप से कितनी अलग है?
डिजिटल करेंसी की खासियत
डिजिटल रुपये का उपयोग यूपीआई, एनईएफटी, आरटीजीएस, आईएमपीएस, डेबिट/क्रेडिट कार्ड आदि के माध्यम से किए गए भुगतानों के समान डिजिटल भुगतान करने के लिए किया जाएगा। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) या डिजिटल रुपये का उपयोग यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI), नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT), रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) की तरह ही डिजिटल पेमेंट के लिए करने के लिए किया जाएगा।
खुदरा डिजिटल रुपए का चलन फिलहाल देश के चार शहरों से शुरू किया जा रहा है। ये हैं मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर। अगले चरण में अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला जैसे शहरों में डिजिटल रुपये का चलन शुरू होगा। डिजिटल रुपये को बैंक जारी करेंगे। फिलहाल पहले चरण में भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक देश के चार शहरों में खुदरा डिजिटल रुपया जारी करेंगे। अगले चरण में बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक को भी इस पायलट प्रोजेक्ट से जोड़ दिया जाएगा।
यूपीआई, पेटीएम और फोनपे से कितनी अलग
पारंपरिक ऑनलाइन लेन-देन में, प्रत्येक बैंक का अपना व्यक्तिगत हैंडलर होता है, लेकिन डिजिटल मुद्रा का संचालन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा किया जाएगा, इसलिए इसमें लेन-देन प्रत्यक्ष और निपटारा तुरंत होगा। UPI, फोनपे, पेटीएम और गूगलपे जैसे ऐप से आप डिजिटल माध्यम से भुगतान जरूर करते हैं, लेकिन इसे डिजिटल करेंसी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इसमें जिस पैसे का लेन-देन किया जाता है, वह एक तरह की फिजिकल करेंसी ही होती है। आपके खाते में जो पैसा होता इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना है, उसी के जरिए आप लेन-देन करते हैं। यूपीआई भुगतान एक बैंक से दूसरे बैंक में होता है जबकि डिजिटल रुपये से होने वाला भुगतान, नकद भुगतान की तरह है।
इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना
साल 1991-92 के आर्थिक सुधारों के बाद, भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा खास तौर पर आईटी और आईटीईएस के लिए बाहरी व्यापार में उदारीकरण, सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों के आयात पर शुल्क का उन्मूलन, देश के भीतर और बाहर दोनों ही प्रकार के निवेशों पर नियंत्रण में ढील और विदेशी मुद्रा एवं राजकोषीय उपायों ने भारत में इस क्षेत्र पनपने और देश को विश्व के अपतटीय सेवाओं में प्रमुख स्थान हासिल कनरे में सक्षम बनाने में महत्वपूर्ण योगदान किया है। भारत सरकार द्वारा प्रमुख वित्तीय प्रोत्साहन निर्यातोन्मुख इकाईयों (ईओयू), सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (एसटीपी) और विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) के लिए दिया गया है।
सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (एसटीपी)
देश से सॉफ्टवेयर निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, 1991 में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के तहत भारतीय सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क की स्थापना एक स्वायत्त संस्था के रूप में की गई थी। सॉफ्टवेयर निर्यात समुदाय के लिए एसटीपीआई द्वारा दी जाने वाली सेवाएं – सांविधिक सेवाएं, डाटा कम्युनिकेशन सर्वर, ऊष्मायान सुविधाएं (इनक्यूबेशन फैसिलिटीज), प्रशिक्षण औऱ वैल्यू एडेड सेवाएं, हैं। एसएमई और नई इकाईयों पर विशेष फोकस के साथ एसटीपीआई ने सॉफ्टवेयर निर्यात के प्रोत्साहन में महत्वपूर्ण विकासात्मक भूमिका निभाई है। एसटीपी योजना जो कि 100% निर्यातोन्मुख योजना है, सॉफ्टवेयर उद्योग के विकास को बढ़ावा देने में सफल रहा है। पिछले कुछ वर्षों में एसटीपी इकाईयों द्वारा किए गए निर्यात में वृद्धि हुई है।
क्या मोदी कम कर पाएंगे भारत-चीन के बीच व्यापार असंतुलन?
- बीजिंग/ नई दिल्ली,
- 11 मई 2015,
- (अपडेटेड 11 मई 2015, 7:58 PM IST)
भारत और चीन के बीच व्यापार के मामले में चीन का पलड़ा लगातार भारी हो रहा है. क्या मोदी कम कर पाऐंगे इस असंतुलन को?
चीन आखिर भारत का सबसे बड़ा निर्यातक क्यों बन गया है? भारत अपनी उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए ऐसे कौन-से कदम उठाए, जिससे वह चीन से मुकाबला करने लगे? चीन के बारे में ऐसे सवाल कोई नए नहीं हैं. वह इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है जो अपने यहां बनाए आधे से ज्यादा माल का निर्यात करता है.
अप्रैल से दिसंबर 2014 के बीच चीन इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना से आयात 46 अरब डॉलर को छू गया था जो भारत के कुल आयात के 13 फीसदी से ज्यादा था और भारत के दूसरे नंबर के निर्यातक संयुक्त अरब अमीरात से आए माल का दोगुना था. भारत में चीन से निर्यात का बड़ा हिस्सा इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का है. इसकी तुलना में भारत से चीन को निर्यात अप्रैल से दिसंबर 2014 के बीच सिर्फ 9 अरब डॉलर का था. यानी फासला 37 अरब डॉलर का है. आदित्य बिड़ला समूह के मुख्य अर्थशास्त्री और चीन पर भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) के कोर समूह के सदस्य अजित रानाडे कहते हैं, “भारत-चीन व्यापार में चीन का पलड़ा भारी होता जा रहा है.”
मलेशिया के पीएम ने दिया साझा एशियाई मुद्रा का प्रस्ताव, डॉलर पर निर्भरता होगी खत्म
मलेशिया के प्रधानमंत्री मोहम्मद महातिर ने बृहस्पतिवार को कहा कि पूर्वी एशिया देशों को आपस में व्यापार के लिए एक साझा क्षेत्रीय मुद्रा शुरू करने पर विचार करना चाहिए.
महातिर ने टोक्यो में ‘फ्यूचर ऑफ एशिया’ मंच को संबोधित किया (फोटो- फेसबुक).
मलेशिया के प्रधानमंत्री मोहम्मद महातिर ने बृहस्पतिवार को कहा कि पूर्वी एशिया देशों को आपस में व्यापार के लिए एक साझा क्षेत्रीय मुद्रा शुरू करने पर विचार करना चाहिए. उनका सुझाव है कि प्रस्तावित मुद्रा का आधार सोना हो जिससे क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना व्यापार का प्रसार हो और अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता खत्म हो. महातिर ने कहा कि यह प्रस्तावित मुद्रा क्षेत्रीय व्यापार के लिए होगी और देश अपनी अपनी घरेलू मुद्राओं का चालन बनाए रखेंगे.
डिजिटल मुद्रा चलन में आने को तैयार
नई दिल्ली (आईएएनएस)| भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि वह 1 नवंबर से होलसेल सेगमेंट में डिजिटल रुपये (ई रुपये) के इस्तेमाल के लिए एक पायलट प्रोजक्ट शुरू करेगा। यह प्रोजेक्ट सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन के निपटान के लिए है।
डिजिटल मुद्रा के उपयोग से अंतर-बैंक बाजार को और अधिक कुशल बनाने की उम्मीद है। यह निपटान जोखिम को कम करने के साथ लेनदेन की लागत को भी कम करेगा। पायलट प्रोजेक्ट से मिली सीख के आधार पर भविष्य की योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा।
आरबीआई ने घोषणा की थी कि इस पायलट प्रोजेक्ट के एक महीने के भीतर रिटेल सेगमेंट के लिए इसी तरह का एक प्रोजेक्ट लॉन्च किया जाएगा। इसके बारे में जल्द ही सार्वजनिक रूप से बताया जाएगा।
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