“विकास शब्द का अर्थ जटिल प्रक्रियाओं का समूह है जिनसे निसंकोच अंडे से एक परिपक्व व्यक्ति का उदय होता है।”
विकास का अर्थ एवं परिभाषा Meaning and definition of Development
विकास शब्द परिवर्तन का द्योतक है व्यक्ति में यथा समय होने वाले विभिन्न परिवर्तनों को ही विकास कहा जाता है। विकास के अंतर्गत व्यक्ति के मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक तथा शारीरिक दृष्टि से होने वाले परिवर्तनों को सम्मिलित किया जाता है। अर्थात व्यक्ति में होने वाले समस्त परिवर्तनों को विकास कहा जाता है। व्यक्ति में होने वाले परिवर्तनों को वैयक्तिक भिन्नता का प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति के विकास में एक निश्चित दिशा होती है। अथवा परिवर्तन एक निर्धारित क्रम की दिशा में होता है। विकास के अनंतर व्यक्तिगत रूप से परिपक्वता की और बढ़ता रहता है,इसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति की अभिन्न विशेषताओं में विभिन्न गुणात्मक परिवर्तन देखने को मिलता है विकास के अंतर्गत सामाजिक, सांस्कृतिक नैतिक, मानसिक, शारीरिक एवं संवेगात्मक परिवर्तनों को सम्मिलित किया है। और यह परिवर्तन दो प्रकार के होते हैं। –
विकास की विशेषताएं (Characteristics of Development)
2- विकास एक अनवरत प्रक्रिया है।
3- विकास एक विशेष क्रम में होता है और भिन्न-भिन्न आयु स्तर पर विकास की गति भिन्न-भिन्न होती है।
4- व्यक्तित्व के सभी पक्षों (संवेगात्मक, सामाजिक आदि का विकास समान गति से नहीं होता है।
5- विकास की कोई सीमा नहीं होती है।
6- विकास में मात्रात्मक वृद्धि और गुणात्मक दोनों होते हैं।
7- विकास के गुणात्मक उन्नति को गणितीय विधियों के द्वारा नहीं मापा प्रवृत्ति के प्रकार जा सकता है।
8- विकास को मापा नहीं जा सकता बल्कि इसका निरीक्षण किया जाता है इसका मापन अप्रत्यक्ष रूप में व्यवहार के द्वारा करते है।
9- विकास एकीकृत एवं बहुआयामी है।
10- विकास वंशानुक्रम और वातावरण दोनों पर निर्भर करता है।
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विदेशी मुद्रा रुझान: तकनीकी विश्लेषण में ट्रेंड लाइन्स
मूल अवधारणाओं में से एक है तकनीकी विश्लेषण प्रवृत्ति है.यह धारणा पर आधारित है कि बाजार में भाग लेने वाले कुछ समय के लिए परिसंपत्ति मूल्य आंदोलनों को टिकाऊ बनाने वाले झुंडों में निर्णय लेते हैं.
ट्रेंड्स के प्रकार
परिसंपत्ति मूल्यों की प्रचलित दिशा के आधार पर तीन प्रकार प्रवृत्ति के प्रकार के रुझान हैं:
- अपवर्ड ट्रेंड
- नीचे रुझा
- साइडवे या कोई स्पष्ट प्रवृत्ति नहीं
एक अपवर्ड प्रवृत्तिउच्च स्थानीय उतार और उच्च स्थानीय चढ़ाव के लिए जा रही कीमतों की विशेषता है । चढ़ाव को जोड़ने वाली एक ऊपर की प्रवृत्ति सकारात्मक ढलान प्राप्त करती है.
एक नीचे की प्रवृत्ति के प्रकार प्रवृत्ति कम स्थानीय उतार और कम स्थानीय चढ़ाव बनाने की कीमतों की विशेषता है । उतार को जोड़ने वाली एक नीचे की रेखा नकारात्मक ढलान प्राप्त करती है.
एक साइडवेज प्रवृत्ति दो क्षैतिज ट्रेंडलाइन द्वारा तैयार की जाती है जो कीमतों को बड़े ऊपर या नीचे की ओर आंदोलनों से रोकती है, जो एक निश्चित सीमा में उतार-चढ़ाव को रखते हुए होती है.
अधिगम का अर्थ एवं परिभाषा(Learning in hindi): विशेषताएं, प्रकार, विधि,
0 हिन्दी के गुरु जुलाई 26, 2021
क्या आपको पता है अधिगम क्या होता है या अधिगम किसे कहते हैं अधिगम की अवधारणा क्या है, अधिगम का क्या अर्थ होता है, learning meaning in hindi नहीं तो आज हम इस पोस्ट के माध्यम से अधिगम का अर्थ एवं परिभाषा, Learning in Hindi, अधिगम की विशेषता क्या है, अधिगम के प्रकार का वर्णन करें,अधिगम के प्रकार कितने हैं, तथा अधिगम के नियम के बारे में पढ़ेंगे। यह पोस्ट अधिगम (सीखने) को समझने में आपकी मदद करेंगे।
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Learning meaning in hindi |
learning meaning in hindi अधिगम का अर्थ
सीखना(adhigam) व्यवहार में परिवर्तन है मनुष्य जन्म से लेकर मृत्यु तक कुछ ना कुछ सीखता ही रहता है ये सीखने(अधिगम) की प्रक्रिया प्रवृत्ति के प्रकार जन्म से ही शुरू हो जाती हैं। और फिर वह जीवन पर्यंत जाने अनजाने में कुछ ना कुछ सीखता ही रहता है जैसे एक बच्चा जलते हुए लौ को छूने से जल जाता है यह अनुभव उसके लिए प्रारंभिक या पहला अनुभव होता है लेकिन दूसरी बार वह कभी भी जलती हुई लौ को छूने का प्रयास नहीं करता है यहां जलने के बाद पीड़ा उत्पन्न होने से बालक ने यह सीखा कि जलते हुए लौ या गर्म चीज़ों पर हाथ नहीं लगाना चाहिए।
सीखना(adhigam) किसी भी स्थिति के प्रति सक्रिय प्रक्रिया है जैसे हम अपने हाथ में केला लेकर जाते हैं तो कहीं से एक भूखे बंदर की नजर उस पर पड़ती हैं वह अकेला को हमारे हाथ से छीन कर ले जाता है। या भूखे होने की स्थिति में केला के प्रति बंदर की स्वाभाविक प्रक्रिया है इसके विपरीत अगर कोई बालक हमारे हाथ में केला दिखता है तो वह उसे छीनता नहीं है बल्कि हाथ फैला कर मांगता है केले के प्रति बालक की यह प्रक्रिया स्वाभाविक नहीं है बल्कि सीखी हुई है।
सीखने की विशेषताएं बताइए अधिगम की विशेषताएं (Specificity of Learning)
- सीखना परिवर्तन है
- सीखना विकास है
- सीखना जीवन पर्यंत चलता है
- सीखना अनुभवों का संगठन है
- सीखना उद्देश्य पूर्ण होता है
- सीखना मानव की एक प्रवृत्ति है
- सीखना एक सक्रिय प्रक्रिया है
- सीखना समस्या प्रावधान की प्रक्रिया है।
- सीखना खोज है।
सीखना परिवर्तन है
सीखना(adhigam) एक परिवर्तन है व्यक्ति अपने जीवन में एक तो खुद ब खुद सीखता है यह दूसरों से संबंध स्थापित कर, दूसरों के अनुभव एवं व्यवहारों से भी सीखता है साथ ही दूसरों के विचारों, अपनी इच्छा, भावनाओं आदि के परिवर्तन से मानव हर पल कुछ ना कुछ सीखता ही रहता है।
सीखना विकास है
सीखना(अधिगम) प्रवृत्ति के प्रकार मानव जीवन के लिए एक विकास है मानव अपने जीवन में जो कुछ भी सीखता है उससे मानव का विकास होता है व्यक्ति अपने दैनिक स्त्रियों और अनुभव द्वारा हर पल कुछ ना कुछ सीखता ही रहता है जिससे उसके मानसिक विकास तो होता ही है साथ ही उसके शारीरिक विकास भी होता है जन्म के बाद मानव का विकास तीव्र गति से होने प्रवृत्ति के प्रकार लगता है।
सामाजिक आंदोलन की परिभाषा, प्रकृति तथा प्रकार बताइये
सामाजिक आंदोलनों का आधुनिक लोकतांत्रिक राज्यों में अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। सामाजिक आंदोलन एक प्रकार से वह प्रक्रिया है जिसमें बहुत सारे लोग प्रवृत्ति के प्रकार कोई सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए या किसी सामाजिक प्रथा या प्रवृत्ति को रोकने के लिए एकजुट और सक्रिय हो जाते हैं या वे किसी सामाजिक लक्ष्य की सिद्धि के लिए एक ही दिशा में चल पड़ते हैं।
इस प्रकार स्पष्ट है कि सामाजिक आंदोलन सकारात्मक परिवर्तनों के बहुत बड़े वाहक हैं। सामाजिक आंदोलनों को भलीभाँति समझने हेतु इनकी प्रकृति व प्रकारों का विश्लेषण अत्यन्त प्रवृत्ति के प्रकार महत्वपूर्ण है। जोकि निम्नांकित शीर्षकों के अन्तर्गत उल्लिखित है
सामाजिक आंदोलन की प्रकृति
सामाजिक आंदोलन की प्रकृति व सुनिश्चित विश्लेषण तो नहीं किया जा सकता परन्तु काफी हद तक सटीक विश्लेषण अवश्य ही किया जा सकता है सामाजिक आंदोलन की प्रकृति के निम्नलिखित प्रमुख रूप परिलक्षित होते हैं -
(प्रवृत्ति के प्रकार 1) सामाजिक हितों की व्यापकता -सामाजिक आंदोलन समाज के विस्तृत हित को ध्यान में रखकर किसी विशेष दिशा में सामाजिक परिवर्तन लाने के ध्येय से चलाए जाते हैं। इस प्रकार सामाजिक आंदोलनों में प्रकृति से सामाजिक हितों की व्यापकता का दिग्दर्शन होता है।
(2) औपचारिक सदस्यता की अनिवार्यता का न होना - सामाजिक आंदोलनों की एक अन्य महत्वपूर्ण प्रकृति यह है कि इनमें सहभागिता हेतु इनकी औपचारिक सदस्यता ग्रहण करने की कोई अनिवार्यता नहीं होती। कोई भी व्यक्ति अथवा नागरिक जो किसी विशेष दिशा में सामाजिक परिवर्तन लाने को तत्पर हो वह स्वेच्छा से सामाजिक आंदोलन में सम्मिलित हो सकता है। इस प्रकार इसमें अनिवार्य व औपचारिक सदस्यता जैसे प्रावधान आम तौर पर नहीं पाये जाते हैं।
सामाजिक आंदोलन के विविध रूप अथवा प्रकार
सामाजिक आंदोलनों के विविध रूपों एवं प्रकारों को मुख्य रूप से दो आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है - (1) परिवर्तन के लक्ष्य के आधार पर तथा (2) परिवर्तन की प्रकति के आधार पर, इनका विस्तत प्रवृत्ति के प्रकार उल्लेख निम्नलिखित हैं
(1) परिवर्तन के लक्ष्य के आधार पर
प्रमुख सामाजिक विचारक एवं लेखक रैल्फ टर्नर और ल्यूइस किलियन ओ अपनी कृति 'कलैक्टिव बिहेवियर' (1957 ई.) के अन्तर्गत मोटे तौर पर सामाजिक आंदोलनों को उनके लक्ष्य के आधार पर वर्गीकृत किया है। इस वर्गीकृत में उन्होंने सामाजिक आंदोलनों के निम्नलिखित तीन प्रकार बताये हैं -
- मूल्य केन्द्रित आंदोलन - ऐसे आंदोलन जिनके सदस्य किसी सिद्धान्त अथवा मूल्य के साथ प्रतिबद्ध होते हैं और अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रवृत्ति के प्रकार उस सिद्धान्त एवं मूल्य को छोड़ने को कतई तत्पर नहीं होते हैं, 'मूल्य केन्द्रित आंदोलन' कहलाते हैं। उदाहरण के तौर पर भारत में गाँधी जी द्वारा चलाए गये आंदोलन 'अहिंसा' पर केन्द्रित थे और उन्होंने अन्त तक इससे समझौता नहीं किया।
- शक्ति केन्द्रित आंदोलन - यह ऐसे आंदोलन होते हैं, जिनका प्रधान लक्ष्य अपने सदस्यों के लिए शक्ति, रुतबा एवं मान्यता हासिल करना होता हैं। इन आंदोलनों के साथ यह विश्वास भी जुड़ा है कि केवल आर्थिक या राजनीतिक शक्ति के बल पर नही समाज की बुराइयों को दूर किया जा सकता है उदाहरण - जर्मनी का नाजी आंदोलन (1930 ई.)।
- सहभागिता- केन्द्रित आंदोलन- इस प्रकार के आंदोलनों में आंदोलन के सदस्य अपनी भागीदारी से ही व्यक्तिगत सन्तोष प्राप्त करते हैं। इन्हें इस बात की कोई फिक्र नहीं होती है कि आंदोलन में सहभागिता से उन्हें शक्ति प्राप्त होगी या नहीं, अथवा वे कोई सुधार ला पाएंगे या नहीं।
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