• अगर आपको बैंक एफडी पर किसी एक वित्त वर्ष में 40,000 रुपये से ज्यादा प्राप्त होता है तो टीडीएस जरूर कटेगा। वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 50,000 रुपये है।
  • एफडी से होने वाली ब्याज आय पर 10 फीसदी टीडीएस लगता है। पर, अगर आपने पैन कार्ड नहीं दिया है तो टीडीएस काटने की दर बढ़कर 20 फीसदी हो जाएगी।

UPI Transaction Limit: यूपीआई ट्रांजैक्‍शन की भी होती है लिमिट, जानें एक दिन में कितना पैसा कर सकते हैं ट्रांसफर

पिछले कुछ समय से डिजिटल लेन-देन काफी तेजी से बढ़ा है. इस मामले में कुछ समय पहले वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनी वर्ल्डलाइन इंडिया ने तीसरी तिमाही की एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें बताया गया था कि भारत में लोग मोबाइल के जरिए यूपीआई का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं. मूल्य और मात्रा दोनों हिसाब से डिजिटल लेन-देन में यूपीआई का दबदबा कायम है. सालाना आधार पर यूपीआई से लेन-देन संख्या और मूल्य दोनों ही लगभग दोगुने हुए हैं.

अगर आप भी यूपीआई का इस्‍तेमाल करते हैं तो आपको ये जरूर जानना चाहिए कि यूपीआई ट्रांजैक्‍शन बेशक काफी सुविधाजनक है, लेकिन इससे लेन-देन करने की एक लिमिट होती है. NPCI की गाइडलाइंस के मुताबिक, आप यूपीआई के जरिए एक दिन में अधिकतम 1 लाख रुपए तक का ही ट्रांजैक्‍शन कर सकते हैं. हर बैंक यूपीआई ट्रांजैक्शन की एक डेली लिमिट रखते हैं. ये लिमिट अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग हो सकती है. इसके अलावा रोजाना ट्रांजैक्‍शन की संख्‍या की भी एक तय सीमा है यानी आप उससे ज्‍यादा बार एक दिन में ट्रांजैक्‍शन नहीं कर सकते. यहां जानिए इसके बारे में.

बैंकों की ट्रांजैक्‍शन लिमिट

एसबीआई आपको 1 लाख रुपए तक का ट्रांजैक्‍शन करने की अनुमति देता है, यही डेली लिमिट भी है. जबकि केनरा बैंक में ये लिमिट सिर्फ 25 हजार रुपए है. ICICI Bank ने अपने यूजर्स के लिए यूपीआई की ट्रांजैक्शन लिमिट और डेली लिमिट 10,000 रुपए है. पंजाब नेशनल बैंक की ट्रांजैक्शन लिमिट 25,000 रुपए, जबकि डेली यूपीआई लेन-देन की सीमा 50,000 रुपए निर्धारित है. इसके अलावा HDFC Bank और बैंक ऑफ इंडिया में यूपीआई ट्रांजैक्शन और डेली लिमिट एक-एक लाख रुपए तय है.

यूपीआई ट्रांसफर संख्‍या की लिमिट

डेली ट्रांजैक्‍शन की लिमिट के अलावा यूपीआई से पेमेंट ट्रांसफर करने की संख्‍या की भी एक लिमिट होती है. उस लिमिट से ज्‍यादा बार आप पैसों का लेनदेन नहीं कर सकते. लिमिट को बढ़ाने के लिए आपको अगले 24 घंटों तक इंतजार करना होता है. पेटीएम के जरिए आप एक घंटे में 5 ट्रांजैक्शन और एक दिन में सिर्फ 20 ट्रांजैक्शन ही कर सकते हैं. वहीं गूगल पे यूजर्स एक दिन में सिर्फ 10 ट्रांजैक्‍शन ही कर सकते हैं. अगर आप फोनपे यूज करते हैं तो इससे एक दिन में 10 या 20 बार ही ट्रांजैक्‍शन किया जा सकता है और अमेजन पे से एक दिन में 20 ट्रांजैक्‍शन किए जा सकते हैं.

आरबीआई ने एनबीएफसी से 30 सितंबर, 2025 तक मुख्य वित्तीय सेवा समाधान लागू करने को कहा

आरबीआई ने एनबीएफसी से 30 सितंबर, 2025 तक मुख्य वित्तीय सेवा समाधान लागू करने को कहा |_40.1

भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को निर्देश दिया है – 1 अक्टूबर, 2022 तक 10 या अधिक ‘फिक्स्ड पॉइंट सर्विस डिलीवरी यूनिट्स (Fixed point service delivery units)’ के साथ मध्य और ऊपरी परतों में बैंकों द्वारा उपयोग किए जाने वाले कोर बैंकिंग सॉल्यूशन (सीबीएस) के समान, 30 सितंबर, 2025 तक कोर फाइनेंशियल सर्विसेज सॉल्यूशन (सीएफएसएस) को लागू करना होगा।

सीएफएसएस महत्व:

23 फरवरी 2022 को जारी आरबीआई की एक अधिसूचना के अनुसार, “सीएफएसएस कहीं भी / कभी भी सुविधा के साथ उत्पादों और सेवाओं से संबंधित डिजिटल प्रस्ताव और लेनदेन में सहज ग्राहक इंटरफेस को सक्षम करेगा, एनबीएफसी कार्यों के एकीकरण को सक्षम करेगा, केंद्रीकृत डेटाबेस और लेखा रिकॉर्ड प्रदान करेगा, और आंतरिक उद्देश्यों और नियामक रिपोर्टिंग दोनों के लिए उपयुक्त एमआईएस उत्पन्न करने में सक्षम हो।”

ऊपरी और मध्यम स्तर की NBFC के लिए समय सीमा सितंबर 2025 के अंत तक निर्धारित की गई है, RBI ने NBFC-UL को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि CFSS को 30 सितंबर 2024 को या उससे पहले ‘फिक्स्ड पॉइंट सर्विस डिलीवरी यूनिट्स’ के कम से कम 70% में लागू किया जाए।

CFSS परिनियोजन बेस लेयर NBFC और मध्यम और ऊपरी परत NBFC के लिए 10 से कम फिक्स्ड पॉइंट सर्विस डिलीवरी यूनिट के साथ स्वैच्छिक है।

CFSS के लिए RBI के दिशानिर्देशों के बारे में:

आरबीआई ने कहा कि 31 मार्च, 2023 को समाप्त तिमाही के साथ शुरुआत में, “एनबीएफसी कोर वित्तीय सेवा समाधान के कार्यान्वयन पर रिजर्व बैंक के वरिष्ठ पर्यवेक्षी प्रबंधक (एसएसएम) कार्यालय को त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट के साथ बोर्ड के बोर्ड / समिति द्वारा अनुमोदित विभिन्न मील के पत्थर के साथ प्रस्तुत करेगा।”

मिडिल लेयर में सभी जमा स्वीकार करने वाली NBFC (NBFC-Ds), संपत्ति के आकार की परवाह किए बिना, रु 1000 करोड़ और उससे अधिक की संपत्ति के आकार वाली जमा न लेने वाली NBFC और बाद की गतिविधियों को करने वाली NBFC शामिल होंगी – स्टैंडअलोन प्राइमरी डीलर्स (SPDs), इंफ्रास्ट्रक्चर डेट फंड – गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (आईडीएफ-एनबीएफसी), अपनी वित्तीय सीमाओं को जानें कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी), हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां (एचएफसी) और इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनियां (एनबीएफसी-आईएफसी)

ऊपरी परत में ये एनबीएफसी शामिल होंगे जिन्हें विशेष रूप से फेडरल रिजर्व बैंक द्वारा बढ़ी हुई नियामक आवश्यकता की गारंटी के रूप में पहचाना जाता है। अपनी संपत्ति के आकार के मामले में उच्चतम दस पात्र एनबीएफसी हमेशा ऊपरी परत के भीतर रहेंगे।

लघु बचत योजनाओं से निकासी करते हैं तो देना होगा टीडीएस

TDS

कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ रहे मामलों और स्थानीय पाबंदियों का असर फिर से कारोबारी गतिविधियों पर पड़ने लगा है। इसमें लोगों की कमाई भी प्रभावित हो रही है। आपात समय में लोग अपनी वित्तीय जरूरतें पूरा करने के लिए पीपीएफ और राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) जैसी लघु बचत योजनाओं से पैसे निकाल सकते हैं।

हालांकि ध्यान रखने की बात है कि इन योजनाओं से निकासी अपनी वित्तीय सीमाओं को जानें पर आपको टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) देना पड़ेगा। दरअसल, आयकर विभाग ने टैक्स चोरी पर लगाम लगाने के लिए एक नियम जोड़ा है। आयकर कानून की धारा 194एन के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति लघु योजनाओं से निकासी करता है और उसने पिछले 3 साल आइटीआर नहीं भरा है तो उसे 2 से 5 फ़ीसदी की दर से टीडीएस देना होगा।

5 प्रतिशत तक टीडीएस का करना पड़ सकता है भुगतान

. तो नहीं लगेगा टीडीएस
टीडीएस के नए नियम बैंक और कोऑपरेटिव बैंक के साथ डाकघर पर लागू होते हैं। इसके तहत करदाता ने अगर पिछले तीन आकलन वर्ष में एक बार भी रिटर्न भरा अपनी वित्तीय सीमाओं को जानें है तो 1 साल में एक करोड़ रुपये तक की निकासी के लिए टीडीएस का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। एक करोड़ से अधिक की निकासी पर दो फीसदी टीडीएस देना होगा।

जानें क्या हैं नियम

  • अगर किसी करदाता ने पिछले 3 साल से आइटीआर नहीं भरा है और वह पीपीएफ सहित किसी भी डाकघर बचत योजना से 20 लाख रुपये से अधिक पैसा निकालता है तो धारा 194एन के तहत दो फीसदी टीडीएस देना होगा।
  • निकासी अगर 20 लाख रुपये से एक करोड़ के बीच हो तो भी दो फीसदी के हिसाब से टीडीएस का भुगतान करना होगा।
  • अगर निकासी की रकम 1 करोड़ रुपये से अधिक है तो करदाता को 5 फीसदी टीडीएस का भुगतान करना पड़ेगा।
  • अगर आपको बैंक एफडी पर किसी एक वित्त वर्ष में 40,000 रुपये से ज्यादा प्राप्त होता है तो टीडीएस जरूर कटेगा। वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 50,000 रुपये है।
  • एफडी से होने वाली ब्याज आय पर 10 फीसदी टीडीएस लगता है। पर, अगर आपने पैन कार्ड नहीं दिया है तो टीडीएस काटने की दर बढ़कर 20 फीसदी हो जाएगी।
  • जिनकी कमाई छूट की लिमिट से ऊपर नहीं है तो वे वित्त वर्ष की शुरुआत में बैंक के पास फॉर्म 15जी/15एच जमा कर टीडीएस नहीं काटने को कह सकते हैं।

बचने के लिए हर साल भरे रिटर्न
लघु बचत योजनाओं के मामले में फॉर्म 15जी/15एच जमा कर भी टीडीएस कटौती से नहीं बच सकते हैं। दरअसल, यह एक प्रकार की घोषणा होती है कि आपकी कमाई छूट सीमा से कम है। 20 लाख रुपये से अधिक की नगद निकासी पर टीडीएस का भुगतान करना ही होगा। इससे बचने के लिए जरूरी है करदाता हर आकलन वर्ष में रिटर्न जरूर दाखिल करें। - अतुल गर्ग, कर सलाहकार

विस्तार

कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ रहे मामलों और स्थानीय पाबंदियों का असर फिर से कारोबारी गतिविधियों पर पड़ने लगा है। इसमें लोगों की कमाई भी प्रभावित हो रही है। आपात समय में लोग अपनी वित्तीय जरूरतें पूरा करने के लिए पीपीएफ और राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) जैसी लघु बचत योजनाओं से पैसे निकाल सकते हैं।

हालांकि ध्यान रखने की बात है कि इन योजनाओं से निकासी पर आपको टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) देना पड़ेगा। दरअसल, आयकर विभाग ने टैक्स चोरी पर लगाम लगाने के लिए एक नियम जोड़ा है। आयकर कानून की धारा 194एन के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति लघु योजनाओं से निकासी करता है और उसने पिछले 3 साल आइटीआर नहीं भरा है तो उसे 2 से 5 फ़ीसदी की दर से टीडीएस देना होगा।

5 प्रतिशत तक टीडीएस का करना पड़ सकता है भुगतान

. तो नहीं लगेगा टीडीएस
टीडीएस के नए नियम बैंक और कोऑपरेटिव बैंक के साथ डाकघर पर लागू होते हैं। इसके तहत करदाता ने अगर पिछले तीन आकलन वर्ष में एक बार भी रिटर्न भरा है तो 1 साल में एक करोड़ रुपये तक की निकासी के लिए टीडीएस का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। एक करोड़ से अधिक की निकासी पर दो फीसदी टीडीएस देना होगा।

जानें क्या हैं नियम

    अगर किसी करदाता ने पिछले 3 साल से आइटीआर नहीं भरा है और वह पीपीएफ सहित किसी भी डाकघर बचत योजना से 20 लाख रुपये से अधिक पैसा निकालता है तो धारा 194एन के तहत दो फीसदी टीडीएस देना होगा।

बैंक एफडी. 40,000 से ज्यादा ब्याज तो टीडीएस

  • अगर आपको बैंक एफडी पर किसी एक वित्त वर्ष में 40,000 रुपये से ज्यादा प्राप्त होता है तो टीडीएस जरूर कटेगा। वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 50,000 रुपये है।
  • एफडी से होने वाली ब्याज आय पर 10 फीसदी टीडीएस अपनी वित्तीय सीमाओं को जानें अपनी वित्तीय सीमाओं को जानें लगता है। पर, अगर आपने पैन कार्ड नहीं दिया है तो टीडीएस काटने की दर बढ़कर 20 फीसदी हो जाएगी।

बचने के लिए हर साल भरे रिटर्न
लघु बचत योजनाओं के मामले में फॉर्म 15जी/15एच जमा कर भी टीडीएस कटौती से नहीं बच सकते हैं। दरअसल, यह एक प्रकार की घोषणा होती है कि आपकी कमाई छूट सीमा से कम है। 20 लाख रुपये से अधिक की नगद निकासी पर टीडीएस का भुगतान करना ही होगा। इससे बचने के लिए जरूरी है करदाता हर आकलन वर्ष में रिटर्न जरूर दाखिल करें। - अतुल गर्ग, कर सलाहकार

सरकार किसान की उपज पर देगी 3 प्रतिशत ब्याज पर ऋण

सरकार किसान की उपज पर देगी 3 प्रतिशत ब्याज पर ऋण

प्रतिवर्ष कृषक कल्याण कोष से 50 करोड़ रुपए का मिलेगा अनुदान

किसानों भाइयों का ट्रैक्टर जंक्शन में स्वागत है। आज हम लेकर आए है आपके लिए सरकार की ओर से ही शुरू की गई उपज रहन ऋण योजना के बारे में जानकारी जो किसानों के लिए आर्थिक रूप से मददगार साबित होगी। अपनी वित्तीय सीमाओं को जानें इस योजना में किसान अपनी उपज को सरकार के पास रहन रखकर मात्र 3 प्रतिशत की साधारण ब्याज दर से ऋण लेकर इसका लाभ उठा सकते हैं। जानते है किस तरह किस तरह किसान इस योजना से लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1


पहले कोरोना वायरस और फिर फसलों को टिड्डी दल से किसान की फसलों को नुकसान पहुंचा जिससे उन्हें आर्थिक रूप से काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है। इस बात को ध्यान में रखते हुए राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने किसानों को सस्ती दर पर ऋण उपलब्ध करवाने का फैसला लिया है। राजस्थान सरकार ने किसानों को ऋण उपलब्ध करवाने के लिए एक जून को सभी जिलों में ग्राम सेवा सहकारी समितियां के माध्यम से किसानों को रहन ऋण वितरण कर इस योजना की शुरुआत भी कर दी है। सरकार की उपज रहन ऋण योजना के तहत किसानों को अपनी उपज को रहन रखकर मात्र 3 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण मिल सकेगा। जबकि 7 प्रतिशत ब्याज राज्य सरकार द्वारा कृषक कल्याण कोष से वहन किया जाएगा। पहले राज्य सरकार द्वारा केवल 2 प्रतिशत ब्याज वहन किया जाता था। इस योजना के तहत किसान को अपनी उपज का 70 प्रतिशत तक ऋण मिल सकेगा। इस योजना के लिए प्रतिवर्ष कृषक कल्याण कोष से 50 करोड़ रुपए का अनुदान किसानों को दिया जाएगा।

क्या है उपज रहन ऋण योजना

सरकार की उपज रहन ऋण योजना में सहकारी बैंक द्वारा किसानों को सस्ती ब्याज दरों पर लोन उपलब्ध करवाया जाएगा। योजना का संचालन सहकारी बैंक के जरिए किया जा रहा है। किसान अपनी कृषि उपज क्षेत्र के सहकारी समिति के गोदाम में स्टॉक कर सुविधा का लाभ ले सकते हैं। किसानों को स्टॉक की गई उपज की कीमत का 70 प्रतिशत लोन दिया जाएगा, जिसकी ब्याज दर 3 प्रतिशत रहेगी।

कौनसे किसान होंगे पात्र - इस योजना के तहत जीएसएस या लैम्पस के सभी ऋणी एवं अऋणी किसान सदस्य उपज रहन कर ऋण लेने के पात्र होंगे।

कितना ऋण मिलेगा - ग्राम सेवा सहकारी समितियों के सदस्य लघु एवं सीमान्त किसानों को 1.50 लाख रुपए का ऋण मिल सकेगा। वहीं बड़े किसानों को 3 लाख रुपए रहन ऋण के रूप में मिल सकेगा।

किसान ऐसे ले सकते हैं इस योजना में ऋण

राजस्थान सरकार की उपज रहन ऋण योजना के तहत पहले किसान को किसान को 90 दिवस की अवधि के लिए यह ऋण दिया जाएगा। विशेष परिस्थितियों में यह सीमा 6 माह तक की जा सकती है। किसान द्वारा निर्धारित समय सीमा में ऋण चुकाने करने पर किसान को ब्याज अनुदान मिलेगा। किसानों की उपज को सुरक्षित करने के लिए इस योजना को ‘अ’ एवं ‘ब’ श्रेणी की उन ग्राम सेवा सहकारी समितियों में क्रियान्वित किया जाएगा जिनका नियमित ऑडिट हो रहा हो, वे लाभ में चल रही हो, एनपीए का स्तर 10 प्रतिशत से कम हो, सरप्लस रिसोर्सेज उपलब्ध हो तथा पूर्णकालिक व्यवस्थापक या सहायक व्यवस्थापक कार्यरत हो।

पात्र सहकारी समितियों का दायरा बढ़ाया

सरकार द्वारा पात्र सहकारी समितियों का दायरा बढ़ाकर 5 हजार 500 से अधिक किया गया है। इससे ज्यादा से ज्यादा किसान इस योजना से लाभान्वित हो सके। भारत में सबसे कम ब्याज दर 3 प्रतिशत पर किसान को रहन ऋण देने की राजस्थान की यह विशेष पहल है। जो किसानों एवं समितियों की आय में वृद्धि करेगी। ये समितियां अधिक से अधिक पात्र किसानों को उपज रहन ऋण देकर उनकी तात्कालिक आवश्यकतों को पूरा करने में मदद करेगी।

इस योजना से किसानों को यह होगा फायदा

किसान को अपनी वित्तीय आवश्यकता पूरी करने के लिए कई बार व्यापारियों व सूदखोरों से ऋण लेना पड़ता है। किसान की मजबूरी का फायदा उठाकर ये लोग ऊंची ब्याज दर पर ऋण देते हैं जिसे चुकाना किसान के लिए भारी पड़ जाता है और कई बार तो किसान का पूरा पैसा ही ब्याज चुकाने में चला जाता है और मूल रकम वैसी की वैसी बनी रहती है। अब किसान को सस्ती दर पर सरकार की ओर से ऋण सुविधा मिलने पर उन्हें अन्य जगहों से ऊंची ब्याज दर पर ऋण नहीं लेना पड़ेगा। सरकार मूल उद्देश्य किसान को व्यापारियों व सूदखोरों से ऋण लेने से बचना है।

मिलेगी फसल की सुरक्षा की गारंटी

इस योजना की खास बात ये है कि इसमें किसान को अपनी फसल सरकार के पास रहन रखने से इसकी सुरक्षा की गारंटी मिलेगी। जिससे इसे मजबूरीवश कम दाम पर फसल नहीं बेचनी पड़ेगी। अधिकतर देखने में आता है कि कई बार किसान अपनी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए औने-पौने दामों पर अपनी फसल व्यापारियों या बिचौलियों को बेच देते है जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। अब कम ब्याज दर पर ऋण मिलने से किसान अपनी वित्तीय आवश्यताएं इससे पूरी कर लेगा और जब बाजार में भाव ऊंचे होने पर सहकारी समितियों के गोदाम में रखी अपनी फसल को बेचकर मुनाफा कमा सकेगा।

सभी कंपनियों के ट्रैक्टरों के मॉडल, पुराने ट्रैक्टरों की री-सेल , ट्रैक्टर खरीदने के लिए लोन, कृषि के आधुनिक उपकरण एवं सरकारी योजनाओं के नवीनतम अपडेट के लिए ट्रैक्टर जंक्शन वेबसाइट से जुड़े और जागरूक किसान बने रहें।

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