निफ्टी बैंक (NSEBANK)

मालविका गुरुंग द्वारा Investing.com - वैश्विक बाजारों से कमजोर संकेतों के बीच भारतीय इक्विटी बेंचमार्क सूचकांकों ने नए सप्ताह की शुरुआत सपाट नोट पर की, जबकि पिछले सत्र में तेल में.

मालविका गुरुंग द्वारा Investing.com -- घरेलू बाजार शुक्रवार को गिरावट के साथ बंद हुआ, लगातार दूसरे सत्र में गिरावट का सिलसिला जारी रहा, सभी क्षेत्रों में बिकवाली देखी गई, कमजोर.

मालविका गुरुंग द्वारा Investing.com - बुधवार को अपनी मौद्रिक नीति घोषणा में यूएस फेड द्वारा तेजतर्रार दृष्टिकोण के बीच, वैश्विक बाजारों से निराशावादी भावनाओं पर नज़र रखते हुए.

निफ्टी बैंक विश्लेषण

निफ्टी ने डब्ल्यू/ई 16-12-22 में -1.23% (-1.07%) का आरओआई दिया है और बैंक निफ्टी ने -0.95% (1.23%%) का आरओआई दिया है। बैंक निफ्टी ने 44151 पर एक नया ATH मारा और 43219 पर बहुत कम.

इरादा हर हफ्ते, मैं मासिक और साथ ही साप्ताहिक चार्ट का उपयोग करके एक सेक्टोरल और साथ ही मेरी वॉचलिस्ट समीक्षा करता हूं। मैंने कई हफ्तों तक समीक्षाओं को साझा किया है और फिर मैंने.

सप्ताह का आखिरी दिन बेहद नकारात्मक नोट पर समाप्त हुआ। बेंचमार्क निफ्टी 50 इंडेक्स 0.79% गिरकर 18,269 पर आ गया, जबकि निफ्टी बैंक 0.64% गिरकर 43,219.5 पर आ गया। कोई भी क्षेत्र अपनी.

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तकनीकी सारांश

निफ्टी बैंक परिचर्चा

जोखिम प्रकटीकरण: वित्तीय उपकरण एवं/या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग में आपके निवेश की राशि के कुछ, या सभी को खोने का जोखिम शामिल है, और सभी निवेशकों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है। क्रिप्टो करेंसी की कीमत काफी अस्थिर होती है एवं वित्तीय, नियामक या राजनैतिक घटनाओं जैसे बाहरी कारकों से प्रभावित हो सकती है। मार्जिन पर ट्रेडिंग से वित्तीय जोखिम में वृद्धि होती है।
वित्तीय उपकरण या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड करने का निर्णय लेने से पहले आपको वित्तीय बाज़ारों में ट्रेडिंग से जुड़े जोखिमों एवं खर्चों की पूरी जानकारी होनी चाहिए, आपको अपने निवेश लक्ष्यों, अनुभव के स्तर एवं जोखिम के परिमाण पर सावधानी से विचार करना चाहिए, एवं जहां आवश्यकता हो वहाँ पेशेवर सलाह लेनी चाहिए।
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NIFTY VIX/INDIA VIX Calculate कैसे करें? कल NIFTY कहाँ जायेगा?

यह आर्टिकल India VIX/Nifty VIX के बारे में है। इस आर्टिकल में यह बताया गया है कि आप कैसे पता कर सकते हैं कि कल निफ्टी किस रेंज में रहेगी? इसके साथ ही आप यह भी अनुमान लगाना सीख सकते हैं कि निफ्टी अगले हफ्ते, अगले महीने या पूरे साल में कितना ऊपर जा सकता है या कितना गिर सकती है।

Nifty VIX का कैलकुलेशन करके आप निफ्टी की एक दिन, एक हफ्ते, एक महीने से लेकर एक साल तक की निफ्टी की अपर और लोवर रेंज का अनुमान लगा सकते हैं। ऑप्शन्स ट्रेडिंग के लिए वॉलेटीलिटी को समझना निफ़्टी की कॉल और पुट का मतलब बहुत जरूरी है और India VIX एक volatility इंडेक्स है। जिससे एनएसई की वेबसाइट पर पब्लिश किया जाता है। आप एनएसई की वेबसाइट पर दिए गए, इंडिया विक्स चार्ट के जरिए पता कर सकते हैं कि शेयर मार्केट का निफ़्टी की कॉल और पुट का मतलब रेंज कितना रह सकता है।

India VIX/Nifty VIX एक ही हैं। इसे आप India VIX या Nifty VIX दोनों में से किसी भी नाम से पुकार सकते हैं। एक तरह से यह इंडेक्स ही है, आप इसमें ट्रेडिंग भी कर सकते हैं। यह किसी स्टॉक्स से मिलकर नहीं बना है। मैं इस आर्टिकल में इसे इंडिया विक्स के नाम से ही लिखूंगी।

इस आर्टिकल में India VIX/Nifty VIX को कैसे कैलकुलेट करें? In Option Trading के बारे में विस्तार से बताया गया है। चलिए जानते हैं- India VIX/Nifty VIX volatility index kya hai How to calculate India VIX in Option trading.

India VIX/ Nifty VIX क्या है?

इंडिया विक्स एक वोलेटिलिटी इंडेक्स है, जो कि निफ्टी इंडेक्स ऑप्शन पर आधारित है। निफ़्टी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के बेस्ट bid-ask price के अनुसार वोलेंटिलिटी के आंकड़े की प्रतिशत में गणना की जाती है। जो अगले 30 कैलेंडर दिवस की संभावित वोलैटिलिटी को दर्शाता है। इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें और इससे रोज पैसे कैसे कमायें?

यहां एक बात साफ कर देना आवश्यक है कि वोलैटिलिटी का मतलब होता है उतार-चढ़ाव। इससे आप यह अंदाज लगा सकते हैं कि आने वाले दिनों में स्टॉक मार्केट कितने प्रतिशत गिर सकता है या कितने प्रतिशत ऊपर चढ़ सकता है। अगर इंडिया India VIX की वैल्यू 24 चल रही है तो इसका सीधा सा मतलब है कि निफ्टी इस लेवल से आने वाले एक साल के अंदर 24% ऊपर चढ़ सकता है या 24% नीचे निफ़्टी की कॉल और पुट का मतलब गिर सकता है।

यानी कि आने वाले एक साल के अंतर्गत निफ्टी की वोलेटिलिटी 24% रह सकती है। वैसे एक बात जो ज्यादातर सही रहती है, वह यह है कि अगर Nifty VIX इंडेक्स 12 या 14% के आस-पास होता है। तो इसे बॉटम माना जाता है और यहां वोलैटिलिटी बहुत कम हो जाती है।

जिन लोगों को सपोर्ट और रेजिस्टेंस के बारे में जानकारी है। वह यह सोच रहे होंगे कि इसके लिए इंडिया विक्स की क्या जरूरत है। यह काम तो सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल लगाकर भी किया जा सकता है। यह बात भी सही है लेकिन India VIX के द्वारा भी कई तरह की स्ट्रेटेजी बनाई जा सकती हैं। रोबर्ट कियोस्की की बुक Rich Dad Poor Dad in Hindi Rich banna sikhe

India VIX को कैसे कैलकुलेट करें?

इंडिया विक्स की कैलकुलेशन बहुत ही कठिन है और बहुत ही लंबी भी है। आपको इसकी संपूर्ण कैलकुलेशन करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि आपके सामने उसका लाइव चार्ट होता है। चार्ट इंडिकेशन देता है, जिसे देखकर आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है कि प्राइस कितना ऊपर-नीचे हो सकता है।

आउट ऑफ द मनी, पुट-कॉल ऑप्शन मार्केट के अंदर होते हैं। इसमें देखा जाता है कि वर्तमान महीना और आने वाले महीने में ऑर्डर कहां लग रहे हैं। कितने ऑर्डर पुट और कितने आर्डर कॉल पोजीशन में लगे हुए हैं। पुट और कॉल के बेस्ट bid-ask प्राइस के आधार पर India VIX का कैलकुलेशन होता है।

डेरीवेटिव मार्केट में ऑप्शन के सेगमेंट में Out of the money कॉल और पुट के ऑप्शन के आधार पर इसे कैलकुलेट किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि पुट और कॉल में सौदे सामान्यतः आने वाले एक महीने के लिए होते हैं। लोग इसी आधार पर पुट और कॉल में सौदे बनाते हैं कि आने वाले समय में Stock market किधर जा सकता है।

India VIX के कैलकुलेशन में यही देखा जाता है कि लोगों ने किस हिसाब से पुट और कॉल मी सौदा खड़े किए हैं। इन्हीं सौदों के आधार पर यह कैलकुलेशन किया जाता है कि शेयर मार्केट की वॉलेटिलिटी कितनी रह सकती है। कितने सौदा किस ऑप्शन में है, इसका पता लग जाता है। बेंजामिन ग्राहम लिखित बुक 'द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर' का सबसे अच्छा सारांश सरल हिंदी में

जिसकी वजह से आप भी अनुमान लगा सकते हैं कि शेयर मार्केट की वोलेटिलिटी इतनी रह सकती है। यदि आप इसके चार्ट को देखना चाहते हैं तो आप इसे गूगल पर Nifty VIX/India VIX नाम से सर्च कर सकते हैं .दोनों का मतलब एक ही है। इसे चार्ट पर एक दिन, एक हफ्ते, एक महीने, छः महीने, एक वर्ष से लेकर, 5 वर्ष से भी ज्यादा के टाइम फ्रेम में देख सकते हैं।

आप अपनी सुविधा के हिसाब से इसे एनालाइज कर सकते हैं। चार्ट पर लाइन का ऊपर-नीचे होना इसकी वोलेटिलिटी को दर्शाता है। India VIX/NIFTY VIX कभी भी मार्केट की दिशा नहीं बताता यह केवल वोलैटिलिटी को बताता है।

यदि आप Stock market को सीरियसली लेते हैं, आप शेयर मार्केट से पैसे कमाकर अमीर बनना चाहते हैं। आप निम्नलिखित बुक्स को पढ़ें, इनसे आपको शेयर मार्केट के बारे में बहुत कुछ सिखने को मिलेगा।

उम्मीद है, आपको India VIX/Nifty VIX को कैसे कैलकुलेट करें? In Option Trading से सम्बन्धित यह आर्टिकल पसंद आया होगा। इस आर्टिकल में India VIX/Nifty VIX volatility index kya hai? How to calculate India VIX in Option trading. के बारे में बताया गया है।

ऐसी ही share market से संबंधित ज्ञानवर्धक जानकारी पाने के लिए इस साइट को जरूर सब्सक्राइब करें। इस साइट पर शेयरों को खरीदने या बेचने के लिए टिप्स नहीं दी जाती है। इस साइट पर आपको केवल शेयर मार्केट के बारे में शिक्षित किया जाता है जिससे आप अपने शेयर इन्वेस्टिंग और शेयर ट्रेडिंग निर्णय खुद लेने में सक्षम बन सके। आप मुझे facebook पर भी ज्वाइन कर सकते हैं।

NIFTY VIX/INDIA VIX Calculate कैसे करें? कल NIFTY कहाँ जायेगा?

यह आर्टिकल India VIX/Nifty VIX के बारे में है। इस आर्टिकल में यह बताया गया है कि आप कैसे पता कर सकते हैं कि कल निफ्टी किस रेंज में रहेगी? इसके साथ ही आप यह भी अनुमान लगाना सीख सकते हैं कि निफ्टी अगले हफ्ते, अगले महीने या पूरे साल में कितना ऊपर जा सकता है या कितना गिर सकती है।

Nifty VIX का कैलकुलेशन करके आप निफ्टी की एक दिन, एक हफ्ते, निफ़्टी की कॉल और पुट का मतलब एक महीने से लेकर एक साल तक की निफ्टी की अपर और लोवर रेंज का अनुमान लगा सकते हैं। ऑप्शन्स ट्रेडिंग के लिए वॉलेटीलिटी को समझना बहुत जरूरी है और India VIX एक volatility इंडेक्स है। जिससे एनएसई की वेबसाइट पर पब्लिश किया जाता है। आप एनएसई की वेबसाइट पर दिए गए, इंडिया विक्स चार्ट के जरिए पता कर सकते हैं कि शेयर मार्केट का रेंज कितना रह सकता है।

India VIX/Nifty VIX एक ही हैं। इसे आप India VIX या Nifty VIX दोनों में से किसी भी नाम से पुकार सकते हैं। एक तरह से यह इंडेक्स ही है, आप इसमें ट्रेडिंग भी कर सकते हैं। यह किसी स्टॉक्स से मिलकर नहीं बना है। मैं इस आर्टिकल में इसे इंडिया विक्स के नाम से ही लिखूंगी।

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India VIX/ Nifty VIX क्या है?

इंडिया विक्स एक वोलेटिलिटी इंडेक्स है, जो कि निफ्टी इंडेक्स ऑप्शन पर आधारित है। निफ़्टी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के बेस्ट bid-ask price के अनुसार वोलेंटिलिटी के आंकड़े की प्रतिशत में गणना की जाती है। जो अगले 30 कैलेंडर दिवस की संभावित वोलैटिलिटी को दर्शाता है। इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें और इससे रोज पैसे कैसे कमायें?

यहां एक बात साफ कर देना आवश्यक है कि वोलैटिलिटी का मतलब होता है उतार-चढ़ाव। इससे आप यह अंदाज लगा सकते हैं कि आने वाले दिनों में स्टॉक मार्केट कितने प्रतिशत गिर सकता है या कितने प्रतिशत ऊपर चढ़ सकता है। अगर इंडिया India VIX की वैल्यू 24 चल रही है तो इसका सीधा सा मतलब है कि निफ्टी इस लेवल से आने वाले एक साल के अंदर 24% ऊपर चढ़ सकता है या 24% नीचे गिर सकता है।

यानी कि आने वाले एक साल के अंतर्गत निफ्टी की वोलेटिलिटी 24% रह सकती है। वैसे एक बात जो ज्यादातर सही रहती है, वह यह है कि अगर Nifty VIX इंडेक्स 12 या 14% के आस-पास होता है। तो इसे बॉटम माना जाता है और यहां वोलैटिलिटी बहुत कम निफ़्टी की कॉल और पुट का मतलब हो जाती है।

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India VIX को कैसे कैलकुलेट करें?

इंडिया विक्स की कैलकुलेशन बहुत ही कठिन है और बहुत ही लंबी भी है। आपको इसकी संपूर्ण कैलकुलेशन करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि आपके सामने उसका लाइव चार्ट होता है। चार्ट इंडिकेशन देता है, जिसे देखकर आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है कि प्राइस कितना ऊपर-नीचे हो सकता है।

आउट ऑफ द मनी, पुट-कॉल ऑप्शन मार्केट के अंदर होते हैं। इसमें देखा जाता है कि वर्तमान महीना और आने वाले महीने में ऑर्डर कहां लग रहे हैं। कितने ऑर्डर पुट और कितने आर्डर कॉल पोजीशन में लगे हुए हैं। पुट और कॉल के बेस्ट bid-ask प्राइस के आधार पर India VIX का कैलकुलेशन होता है।

डेरीवेटिव मार्केट में ऑप्शन के सेगमेंट में Out of the money कॉल और पुट के ऑप्शन के आधार पर इसे कैलकुलेट किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि पुट और कॉल में सौदे सामान्यतः आने वाले एक महीने के लिए होते हैं। लोग इसी आधार पर पुट और कॉल में सौदे बनाते हैं कि आने वाले समय में Stock market किधर जा सकता है।

India VIX के कैलकुलेशन में यही देखा जाता है कि लोगों ने किस हिसाब से पुट और कॉल मी सौदा खड़े किए हैं। इन्हीं सौदों के आधार पर यह कैलकुलेशन किया जाता है कि शेयर मार्केट की वॉलेटिलिटी कितनी रह सकती है। कितने सौदा किस ऑप्शन में है, इसका पता लग जाता है। बेंजामिन ग्राहम लिखित बुक 'द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर' का सबसे अच्छा सारांश सरल हिंदी में

जिसकी वजह से आप भी अनुमान लगा सकते हैं कि शेयर मार्केट की वोलेटिलिटी इतनी रह सकती है। यदि आप इसके चार्ट को देखना चाहते हैं तो आप इसे गूगल पर Nifty VIX/India VIX नाम से सर्च कर सकते हैं .दोनों का मतलब एक ही है। इसे चार्ट पर एक दिन, एक हफ्ते, एक महीने, छः महीने, एक वर्ष से लेकर, 5 वर्ष से भी ज्यादा के टाइम फ्रेम में देख सकते हैं।

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यदि आप Stock market को सीरियसली लेते हैं, आप शेयर मार्केट से पैसे कमाकर अमीर बनना चाहते हैं। आप निम्नलिखित बुक्स को पढ़ें, इनसे आपको शेयर मार्केट के बारे में बहुत कुछ सिखने को मिलेगा।

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ऐसी ही share market से संबंधित ज्ञानवर्धक जानकारी पाने के लिए इस साइट को जरूर सब्सक्राइब करें। इस साइट पर शेयरों को खरीदने या बेचने के लिए टिप्स नहीं दी जाती है। इस साइट पर आपको केवल शेयर मार्केट के बारे में शिक्षित किया जाता है जिससे आप अपने शेयर इन्वेस्टिंग और शेयर ट्रेडिंग निर्णय खुद लेने में सक्षम बन सके। आप मुझे facebook पर भी ज्वाइन कर सकते हैं।

जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित

Share market: जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. आइए इसका जवाब बताते हैं.

  • शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है
  • अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो उसके शेयर के दाम बढ़ेंगे
  • राजनीतिक घटनाओं का भी शेयर मार्केट पर पड़ता है असर

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जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित

नई दिल्ली: आपने शेयर मार्केट (Share Market) से जुड़ी तमाम खबरें सुनी होंगी. जिसमें शेयर मार्केट में गिरावट और बढ़त जैसी खबरें आम हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. इस सवाल का जवाब है नहीं. आपको बता दें कि शेयर मार्केट में डूबा हुआ पैसा गायब हो जाता है. आइए इसको समझाते हैं.

कंपनी के भविष्य को परख कर करते हैं निवेश

आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में निवेश करते हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों को लोग ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.

डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है शेयर

शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्‍थितियों में शेयरों का मूल्‍य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का है, लेकिन कल ये घट कर 80 रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.

कैसे काम करता है शेयर बाजार

मान लीजिए किसी के पास एक अच्छा बिजनेस आइडिया है. लेकिन उसे जमीन पर उतारने के लिए पैसा नहीं है. वो किसी निवेशक के पास गया लेकिन बात नहीं बनी और ज्यादा पैसे की जरूरत है. ऐसे में एक कंपनी बनाई जाएगी. वो कंपनी सेबी से संपर्क कर शेयर बाजार में उतरने की बात करती है. कागजी कार्रवाई पूरा करती है और फिर शेयर बाजार का खेल शुरू होता है. शेयर बाजार में आने के लिए नई कंपनी होना जरूरी नहीं है. पुरानी कंपनियां भी शेयर बाजार में आ सकती हैं.

शेयर का मतलब हिस्सा है. इसका मतलब जो कंपनियां शेयर बाजार या स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होती हैं उनकी हिस्सेदारी बंटी रहती है. स्टॉक मार्केट में आने के लिए सेबी, बीएसई और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) में रजिस्टर करवाना होता है. जिस कंपनी में कोई भी निवेशक शेयर खरीदता है वो उस कंपनी में हिस्सेदार हो जाता है. ये हिस्सेदारी खरीदे गए शेयरों की संख्या पर निर्भर करती है. शेयर खरीदने और बेचने का काम ब्रोकर्स यानी दलाल करते हैं. कंपनी और शेयरधारकों के बीच सबसे जरूरी कड़ी का काम ब्रोकर्स ही करते हैं.

निफ्टी और सेंसेक्स कैसे तय होते हैं?

इन दोनों सूचकाकों को तय करने वाला सबसे बड़ा फैक्टर है कंपनी का प्रदर्शन. अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो लोग उसके शेयर खरीदना चाहेंगे और शेयर की मांग बढ़ने से उसके दाम बढ़ेंगे. अगर कंपनी का प्रदर्शन खराब रहेगा तो लोग शेयर बेचना शुरू कर देंगे और शेयर की कीमतें गिरने लगती हैं.

इसके अलावा कई दूसरी चीजें हैं जिनसे निफ्टी और सेंसेक्स पर असर पड़ता है. मसलन भारत जैसे कृषि प्रधान देश में बारिश अच्छी या खराब होने का असर भी शेयर मार्केट पर पड़ता है. खराब बारिश से बाजार में पैसा कम आएगा और मांग घटेगी. ऐसे में शेयर बाजार भी गिरता है. हर राजनीतिक घटना का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. चीन और अमेरिका के कारोबारी युद्ध से लेकर ईरान-अमेरिका तनाव का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. इन सब चीजों से व्यापार प्रभावित होते हैं.

F&O: फ्यूचर्स-ऑप्शंस देते हैं कम लागत में ज्यादा पैसा कमाने का मौका

Futures & Options: आप केवल स्टॉक नहीं, बल्कि कृषि वस्तुओं, पेट्रोलियम, सोना, मुद्रा आदि में भी फ्यूचर्स-ऑप्शंस ट्रेडिंग कर सकते हैं.

  • Vijay Parmar
  • Publish Date - July 27, 2021 / 02:38 PM IST

F&O: फ्यूचर्स-ऑप्शंस देते हैं कम लागत में ज्यादा पैसा कमाने का मौका

Future & Option: कम इन्वेस्टमेंट करके ज्यादा मुनाफा कमाना कौन नहीं चाहेगा? सभी लोग ऐसा चाहते हैं और उसके लिए मार्केट में कई तरह के विकल्प उपलब्ध हैं. आज हम ऐसे ही एक विकल्प, यानी फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) डेरिवेटिव्स के बारे में जानेंगे. यह आपको केवल स्टॉक नहीं, बल्कि कृषि वस्तुओं, पेट्रोलियम, सोना, मुद्रा आदि में भी ट्रेडिंग करके पैसा कमाने का मौका देता है. इससे आपको कीमतों में उतार-चढ़ाव के जोखिम से बचने में मदद मिलती है.

फ्यूचर्स (Futures) क्या होता है?

कई प्रकार के डेरिवेटिव (derivative) में से एक प्रकार है फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट. इस प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट में खरीदार (या विक्रेता) किसी विशेष संपत्ति की एक निश्चित मात्रा को भविष्य की तारीख में एक विशिष्ट कीमत पर खरीदने (या बेचने) के लिए सहमत होता है.

उदाहरण से समझते हैंः आपने एक फिक्स्ड तारीख पर XYZ कंपनी के 50 शेयरों को 100 रुपये में खरीदने के लिए एक फ्युचर कोन्ट्राक्ट खरीदा है. जब ये कॉन्ट्रैक्ट की एक्स्पायरी होगी तब आप उसकी मौजूदा कीमत के बावजूद, 100 रुपये पर ही शेयर प्राप्त करेंगे. यहां तक कि अगर कीमत 120 रुपये तक जाती है, तो भी आपको प्रत्येक शेयर 100 रुपये पर मिलेगा, जिसका मतलब है कि आप 1,000 रुपये का शुद्ध लाभ कमाते हैं. यदि शेयर की कीमत 80 रुपये तक गिरती है, तो भी आपको उन्हें 100 रुपये पर खरीदना होगा, ऐसे में आपको 1,000 रुपये का नुकसान होगा.

ऑप्शंस (Options) क्या होते हैं?

डेरिवेटिव्स के अन्य एक प्रकार को ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट कहते हैं. यह फ्युचर कोन्ट्राक्ट से थोड़ा अलग है जिसमें एक खरीदार (या विक्रेता) को एक विशिष्ट पूर्व-निर्धारित तिथि पर एक निश्चित कीमत पर एक विशेष संपत्ति खरीदने (या बेचने) का अधिकार देता है, लेकिन ऐसा करना उसका दायित्व नहीं होता. ऑप्शंस दो तरह के होते हैं, कॉल ऑप्शंस और पुट ऑप्शंस.

कॉल ऑप्शन – मान लें कि आपने एक निश्चित तिथि पर XYZ कंपनी के 50 शेयर 100 रुपये पर खरीदने के लिए कॉल ऑप्शन खरीदा है, लेकिन शेयर की कीमत एक्स्पायरी के वक्त 80 रुपये तक गिर जाती है, और आप 1,000 रुपये के नुकसान में चले जाते हैं. तब आपके पास 100 रुपये में शेयर नहीं खरीदने का अधिकार है, इसलिए सौदे पर 1,000 रुपये खोने के बजाय, आपको केवल कॉन्ट्रैक्ट के लिए चुकाए गए प्रीमियम का नुकसान होगा, जो बहुत कम होता है.

पुट ऑप्शंस – इस प्रकार के ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट में आप भविष्य में एक सहमत मूल्य पर संपत्ति बेच सकते हैं, लेकिन ऐसा करना आपका दायित्व नहीं. यदि आपके पास XYZ कंपनी के शेयरों को भविष्य की तारीख में 100 रुपये पर बेचने का विकल्प है, और समाप्ति तिथि से पहले शेयर की कीमतें 120 रुपये तक बढ़ जाती हैं, तो आपके पास शेयर को 100 रुपये में नहीं बेचने का विकल्प है, ऐसे में आप 1,000 रुपये के नुकसान से बच सकते हैं.

फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में ट्रेडिंगः

फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) का एक फायदा यह है कि आप इन्हें विभिन्न एक्सचेंजों पर स्वतंत्र रूप से व्यापार कर सकते हैं. आप स्टॉक एक्सचेंजों पर स्टॉक F&O का व्यापार कर सकते हैं, कमोडिटी एक्सचेंजों पर कमोडिटी आदि. F&O ट्रेडिंग में आपको 1 लाख रुपये के शेयर या कमोडिटी में ट्रेडिंग करने के लिए केवल 10,000 रुपये की जरूरत पड़ती है, क्योंकि आपको उसका पूरा दाम चुकाने के बजाय 10-30% मार्जिन पर सौदा करने का मौका मिलता है. आप किसी वस्तुओं को खरीदे बिना उसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव का लाभ उठा सकते हैं.

F&O ट्रेडिंग में जोखिमः

फ्यूचर्स बाजार में हेजिंग का टूल नहीं है यानी इसमें सौदे को ओपन (खुला) छोड़ते हैं या फिर स्टॉप लॉस लगाते हैं. स्टॉप लॉस न लगाया तो नुकसान ज्यादा होता है, जबकि पुट ऑप्शन में खरीदे हुए सौदे को हेज कर सकते हैं.

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