3. डिफ़ॉल्ट रिस्क:
Future retail share price target 2022, 2023, 2025, 2030
नमस्कार दोस्तों आज हम बात करेंगे Future retail share price target 2022, 2023, 2025, 2030 जो कंपनी पहले 600 रुपए के प्राइस पर ट्रेड कर रहा था। लेकिन अब कंपनी बहुत ही नीचे के प्राइस पर ट्रेड होते देखने को मिल रहा हैं। जिससे इन्वेस्टर के मन में जरुर आ रहा है क्या फिर से कंपनी पहले के प्राइस को हित कर चकते हैं। आइए कंपनी के बिज़नस को अच्छी तरह से विश्लेषण करके जानने की कोशिस करते है कितने रुपए टारगेट के लिए शेयर प्राइस जाने की संभावना दिखती हैं।
Table of Contents
Future retail share price target 2022
कंपनी के ऊपर कर्ज क्या फ्यूचर्स हाई रिस्क हैं? लगातार बढ़ते दिख रहा हैं। जिसके कारण कंपनी अपने Assets को बेचकर अपने बिज़नस को चलाए रहने की पूरी कोशिस करते नजर आ रहा हैं। लेकिन इसको बेचने के लिए भी कंपनी को बहुत ज्यादा प्रॉब्लम होते देखने को मिल रहा हैं। कंपनी क्या फ्यूचर्स हाई रिस्क हैं? बेचने के लिए Reliance के साथ डील फाइनल किया है लेकिन Amazon इसका बिरोध करते नजर आ रहा है। क्योंकि Amazon ने Future retail के साथ पहले ही Aggeremnet किया था Reliance जैसी कंपनी के साथ डील ना करने की।
लेकिन Future retail का कहना है की अगर ये डील फाइनल नहीं हुआ तो कंपनी डूबने की कगार पर आ चकती है। अब इसका नतीजे न्यायालय जल्दी ही देनेवाले हैं। अगर Future retail ये डील पूरा नजर आए तो आपको शेयर में अच्छा उछाल देखने को मिलनेवाला हैं। 2022 इसका स्टॉक प्राइस की बात करे तो आपको 75 रूपया पहला टारगेट दिखा चकता हैं। उसके बाद 82 रुपए दूसरा टारगेट के लिए होल्ड करने की चोच चकते क्या फ्यूचर्स हाई रिस्क हैं? हो।
भविष्य के हिसाव से Future retail स्टॉक
भविष्य के हिसाव से देखा जाए तो कंपनी के Fundamental बहुत ही कमजोर नजर आते है। लगातार प्रॉफिट के साथ साथ sales में भी बहुत बड़ी गिरावट होते देखने को मिलते हैं। जिसकी वजह कंपनी डूबने के कगार पर भी जा चकता हैं। इसलिए अभी के समय लंबे समय के इन्वेस्टर इस स्टॉक से दूर रहना ही बेहतर हैं।
हो चकता है की कुछ छोटी मोती न्यूज़ के चलते शेयर थोड़ा ऊपर की तरफ देखने को मिले। लेकिन लंबे समय में शेयर प्राइस बढ़ने के लिए कंपनी के बिज़नस के साथ फाइनेंसियल भी अच्छा पेश करना बहुत जरुरी हैं। जब तक कंपनी के रिजल्ट में सुधार देखने को नहीं मिलते तब तक इससे दूर रहना ही समझदारी हैं।
Future retail शेयर में रिस्क
कंपनी के अन्दर क्या फ्यूचर्स हाई रिस्क हैं? देखा जाए इन्वेस्टर के लिए बहुत सारे रिस्क देखने को मिलते हैं। सबसे बड़ा रिस्क की बात करे तो कंपनी के ऊपर बहुत बड़ा कर्ज। जिसकी वजह से कंपनी के प्रमोटर होल्डिंग लगातार कम हो रहा है और जितना भी है वो भी गिरबी रखा गया हैं। जिससे बड़े बड़े इन्वेस्टर इस स्टॉक से दूर रहना ही पसंद कर रहे हैं।
गूगल क्रोम का करते हैं इस्तेमाल तो कहीं आप भी तो हाई 'रिस्क' में नहीं, सरकार ने कहा तुरंत कर लें ये काम
By: ABP Live | Updated at : 19 Mar 2022 05:39 PM (IST)
Edited By: Chetanks
गूगल क्रोम (प्रतीकात्मक फोटो)क्या फ्यूचर्स हाई रिस्क हैं?
IT मंत्रालय के तहत भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT-In) ने Google Chrome ब्राउजर यूजर्स के लिए एक हाई रिस्क वॉर्निंग जारी की है. वॉर्निंग उन यूजर्स के लिए है जो 99.0.4844.74 से पहले ब्राउज़र के वर्जन का उपयोग कर रहे हैं. चेतावनी के अनुसार, Google क्रोम में कई खामियों की सूचना दी गई है क्या फ्यूचर्स हाई रिस्क हैं? जो एक रिमोट अटैकर को मनमाना कोड डालने, सुरक्षा प्रतिबंधों को बायपास करने या टारगेटिड सिस्टम पर सर्विस कंडीशन से इनकार करने की अनुमति दे सकती है.
एडवाइजरी में आगे कहा गया है कि "ये खामियां गूगल क्रोम में ब्लिंक लेआउट, एक्सटेंशन, सेफ ब्राउजिंग, स्प्लिटस्क्रीन, एंगल, न्यू टैब पेज, ब्राउजर यूआई और जीपीयू में हीप बफर ओवरफ्लो के कारण मौजूद हैं." इनकी वजह से एक रिमोट हैकर को मनमाना कोड डालने, सुरक्षा प्रतिबंधों को बायपास करने या टारगेट सिस्टम पर सर्विस कंडीशन से इनकार करने की अनुमति क्या फ्यूचर्स हाई रिस्क हैं? दे सकता है.
बिना प्रीमियम चुकाए जिंदगी भर पा सकते हैं 10 लाख का रिस्क कवर, LIC की इस खास पॉलिसी के बारे में जानें
एलआईसी की एक लाइन बहुत मशहूर है-जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी. यानी कि कोई ऐसी पॉलिसी जो जीवन भर आपको सुरक्षा तो दे ही, मृत्यु के बाद भी परिजनों को सुरक्षा की गारंटी मिले. इस पॉलिसी का नाम है न्यू जीवन आनंद पॉलिसी. इस पॉलिसी की सबसे खास बात है मैच्योरिटी के बाद भी जमाकर्ता की जिंदगी सिक्योर रहती है क्योंकि उसका रिस्क कवर जारी रहता है जबकि एक निश्चित अवधि के बाद उसे कोई प्रीमियम चुकाने की जरूरत नहीं पड़ती.
न्यू जीवन आनंद पॉलिसी की कई खास बातें हैं जो इसे लोकप्रिय बनाती है. इसमें सबसे अहम है 100 साल की उम्र तक क्या फ्यूचर्स हाई रिस्क हैं? फ्री रिस्क कवर. यानी कि 100 साल तक जमाकर्ता को फ्री रिस्क कवर मिलता है. इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं-कोई 30 साल का एक व्यक्ति 25 साल के लिए 10 लाख रुपये जमा करता है.
सरेंडर करने पर भी मिलेगी अच्छी रकम
इस पॉलिसी की दूसरी खासियत है-मैच्योरिटी के बाद भी पॉलिसी को सरेंडर किया जा सकता है. पॉलिसी होल्डर के सामने अगर कोई वित्तीय दिक्कत आती है तो वह फ्री रिस्क कवर को सरेंडर भी कर सकते हैं. अगर 75-80 वर्ष की उम्र में पॉलिसी को सरेंडर करवाते हैं तो पॉलिसीहोल्डर को 70 परसेंट की राशि मिल जाती है. 10 लाख रुपये के हिसाब से यह राशि 7 लाख रुपये की होती है. इसका मतलब है कि पॉलिसी होल्डर अपनी पॉलिसी को सरेंडर करके भी 7 लाख रुपये तक पा सकते हैं. एक ऐसी पॉलिसी जिसकी मैच्योरिटी आप बहुत पहले ले चुके हैं, 15-20 साल तक फ्री रिस्क कवर की सुविधा ले चुके हैं, इसके बावजूद उसे सरेंडर कर 7 लाख रुपये तक कमा सकते हैं.
इस पॉलिसी की तीसरी खास बात है-पेड अप वैल्यू आफ्टर 3 ईयर्स ऑफ प्रीमियम पेमेंट. इसके मुताबिक पॉलिसी 3 साल तक चलनी चाहिए जिसके बाद पेड अप वैल्यू बनती है. इसे एक उदाहरण से समझें. जैसे कोई पॉलिसी होल्डर इस पॉलिसी को लेने के बाद 5 साल ही चला पाया और फिर बंद कर दिया. 10 लाख की पॉलिसी 25 साल के लिए ली है लेकिन आर्थिक स्थिति खराब होने पर 5 साल में ही बंद कर दिया तो सम एस्योर्ड 2 लाख रुपये का बनेगा. यानी कि पॉलिसी होल्डर भले ही प्रीमियम न चुकाए लेकिन उसका 2 लाख रुपये का रिस्क कवर जारी रहेगा. अगर किसी तरह की अनहोनी हो जाती है तो उसके परिवार को 2 लाख रुपये मिलेगा. साथ में बोनस भी मिल सकता है. 5 साल प्रीमियम भरने के बावजूद 2 लाख का रिस्क कवर मिलेगा.
फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट बनाम फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट:
फॉरवर्ड और फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट दोनों एक दुसरे से संबंधित हैं, लेकिन इन दोनों के बीच कुछ अंतर भी हैं׀
नीचे कुछ मुख्य क्या फ्यूचर्स हाई रिस्क हैं? अंतर है:
सबसे पहले, फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट को फ्यूचर एक्सचेंज पर ट्रेडिंग को सक्षम करने क्या फ्यूचर्स हाई रिस्क हैं? के लिए मानकीकृत किया जाता है, जबकि फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट प्राइवेट अग्रीमेंट होते हैं और वे एक्सचेंज पर ट्रेड नहीं करते हैं।
दूसरा, फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में, एक्सचेंज क्लियरिंग हाउस दोनों पक्षों के प्रतिपक्ष के रूप में कार्य करता है, जबकि फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट में, क्योंकि इसमें कोई एक्सचेंज शामिल नहीं है, वे क्रेडिट रिस्क के संपर्क में हैं।
अंत में, क्योंकि फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट मेच्यूरिटी से पहले स्क्वेयर ऑफ हो जाते है, डिलीवरी कभी नहीं होती है, जबकि फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट मुख्य रूप से बाजार में प्राइस वोलेटाइलिटी के खिलाफ खुद को बचाने के लिए हेज़र द्वारा उपयोग किया जाता है, इसलिए कैश सेटलमेंट आमतौर पर होता है।
फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट में शामिल रिस्क:
फॉरवर्ड में ट्रेडिंग करने के दौरान निम्नलिखित रिस्क शामिल होती क्या फ्यूचर्स हाई रिस्क हैं? है:
1. रेगुलेटरी रिस्क:
जैसा कि हमने ऊपर चर्चा की है, फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट में कोई रेगुलेटरी अथॉरिटी नहीं है जो अग्रीमेंट को नियंत्रित करता है।
यह इस कॉन्ट्रैक्ट में शामिल दोनों पक्षों की आपसी सहमति से एक्सीक्यूट किया जाता है।
जैसे कि वहां कोई रेगुलेटरी अथॉरिटी नहीं है, यह डिफ़ॉल्ट रूप से दोनों पक्षों की रिस्क एबिलिटी को बढ़ाता हैं׀
2. लिक्विडिटी रिस्क:
क्योंकि यहाँ फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट में कम लिक्विडिटी है, यह ट्रेडिंग के निर्णय को प्रभावित कर भी सकता है और नहीं भी׀
यहां तक कि अगर किसी ट्रेडर के पास एक मजबूत ट्रेडिंग व्यू है, तो वह लिक्विडिटी के कारण स्ट्रेटेजी को एक्सीक्यूट करने में सक्षम नहीं हो सकता है।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- Forward contract meaning भविष्य में एक विशिष्ट तारीख पर किसी विशेष प्राइस पर अंडरलाइंग एसेट को खरीदने या बेचने के लिए किया जाने वाला एक कॉन्ट्रैक्ट है।
- यहाँ सेटलमेंट के लिए दो तरीके हैं – डिलीवरी या कैश पर आधार׀
- फॉरवर्ड और फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट के बीच अंतर होते हैं׀
- इन कॉन्ट्रैक्ट में ट्रेडिंग करने में कुछ रिस्क भी शामिल हैं׀
- मुख्य रूप से forward contract meaning का मुख्य उद्देश्य खरीदारों और विक्रेताओं को उस वोलेटाइलिटी को मैनेज करने में मदद करना है जो कमोडिटीज और अन्य फाइनेंसियल निवेशों से जुड़ी है।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 238