धनिया पाउडर – 1 टी स्पून

Mooli Patte ki Sabji: फालतू समझकर गाय को ना डालें मूली के पत्ते, यहां देखें पत्तों की स्वादिष्ट और पौष्टिक रेसिपी

Mooli Patte ki Sabji Recipe: सर्दियों के मौसम में मार्किट हरी सब्जियों से भरा रहता है। इस समय पालक, मेथी, बथुआ और मूली आदि चीजें बहुत ज्यादा बिकती हैं। जिसमें की मूली एक ऐसी सब्जी है, जिसकों सिर से पैर तक यानी की पत्तों से लेकर मूली तक पूरा खाया जाता है। पौष्टिकता से भरपूर मूली के पत्तों की सब्जी बहुत ही टेस्टी होती है। आमतौर पर लोग मूली मौलिक विश्लेषण क्या है को तो खाते हैं, लेकिन इसके पत्तों फेंक देते हैं। लेकिन मूली के पत्ते भी काफी फायदेमंद होते हैं, डाइजेशन को बेहतर बनाने में मूली के पत्ते मददगार होते हैं। आप भी मौलिक विश्लेषण क्या है अगर मूली के पत्तों को फालतू समझकर फेंक देते हैं तो आज हम आपको मूली के पत्तों की स्वादिष्ट सब्जी बनाने की रेसिपी बताएंगे:-

मूली पत्तों की सब्जी बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली सामग्री

भारतीय संविधान – लिखित संविधान

भारतीय संविधान एक लिखित संविधान है। इसका अर्थ है कि भारत के संविधान को लिखने के लिए एक समर्पित संविधान सभा का गठन किया गया था, जिसका कार्य मुख्य रूप से आपसी विचार विमर्श के माध्यम से भारत का संविधान लिखना था। कई देशों में संविधान तो होता है, लेकिन उस संविधान को लिखित संविधान नहीं कहा जा सकता है। उदाहरण के लिए, ब्रिटेन में संविधान तो है, लेकिन वह लिखित संविधान नहीं है। इसका अर्थ यह है कि ब्रिटिश संविधान को लिखने के लिए विधिवत तरीके से किसी संविधान सभा का गठन नहीं हुआ था, बल्कि विभिन्न परंपराओं, न्यायिक निर्णयों और संसद के द्वारा पारित कानूनों के माध्यम से वहाँ का संविधान निर्मित हुआ है। इसलिए ब्रिटेन के संविधान को अलिखित संविधान कहा जाता है।

भारत का संविधान एक अत्यंत विशाल संविधान है। इसका कारण यह है कि भारतीय संविधान में विभिन्न प्रावधानों को काफी सहज से तरीके से विस्तृत रूप में लिखा गया है, ताकि संविधान का पालन करने के दौरान शासन प्रशासन को अधिक कठिनाइयों का सामना ना करना पड़े। यही कारण है कि भारतीय संविधान में वर्तमान में कुल 395 अनुच्छेद 25 भाग और 12 अनुसूचियां विद्यमान है। संख्यात्मक दृष्टि से भारतीय संविधान में अनुच्छेदों की संख्या बेशक 395 नजर आती है, लेकिन वास्तव में भारतीय संविधान में लगभग 450 के आसपास अनुच्छेद मौजूद हैं। इसीलिए कुछ विद्वान इसे दुनिया का सबसे विस्तृत संविधान भी कहते हैं।

भारतीय संविधान – लचीलेपन और कठोरता का मिश्रण

भारतीय संविधान के लचीले होने का अर्थ यह है कि भारतीय संविधान के कुछ प्रावधान ऐसे हैं, जिन्हें भारतीय संसद साधारण बहुमत के माध्यम से संशोधित कर सकती है। उदाहरण के मौलिक विश्लेषण क्या है लिए, राज्यों के नाम, उनकी सीमा इत्यादि में संशोधन भारतीय संसद साधारण बहुमत के माध्यम से ही कर सकती है। जबकि भारतीय संविधान के कठोर होने का अर्थ यह है कि इस संविधान के कुछ ऐसे प्रावधान भी हैं, जिन्हें संशोधित करना भारतीय संसद के लिए आसान नहीं होता है। इन प्रावधानों के लिए न सिर्फ संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है, बल्कि देश के आधे राज्यों के विधान मंडल के समर्थन की आवश्यकता भी होती है। देश की संघीय व्यवस्था से संबंधित तमाम प्रावधान इसी प्रक्रिया के माध्यम से संशोधित किए जा सकते हैं। इस प्रकार भारतीय संविधान लचीलेपन और कठोरता का सुंदर मिश्रण है।

भारतीय संविधान संघात्मक व्यवस्था और एकात्मक व्यवस्था दोनों का एक सुंदर मिश्रण है। भारतीय संविधान को संघात्मक संविधान इस आधार पर कहा जाता है कि यह एक लिखित संविधान है, इसमें सर्वोच्च व स्वतंत्र न्यायपालिका का प्रावधान किया गया है तथा इसमें केंद्र व राज्यों के मध्य शक्तियों का स्पष्ट विभाजन किया मौलिक विश्लेषण क्या है गया है। जबकि भारतीय संविधान एकात्मक व्यवस्थाओं को भी समेटे हुए हैं, जो आपातकाल संबंधी प्रावधानों, केंद्र सरकार द्वारा राज्यों में राज्यपालों की नियुक्तियों, वित्तीय प्रणाली पर केंद्र सरकार के प्रभावी नियंत्रण इत्यादि के माध्यम से परिलक्षित होती हैं।

भारतीय संविधान – लोकतांत्रिक गणराज्य

भारत के संविधान की प्रस्तावना में भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने का लक्ष्य घोषित किया गया है। इसका अर्थ यह है कि भारत एक गणराज्य होगा और उसके राज्याध्यक्ष का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से किया जाएगा। गणराज्य होने का अर्थ यह है कि भारत का कोई सामान्य व्यक्ति भी अपनी योग्यता के दम पर देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति तक पहुंच सकता है। यानी राष्ट्रपति बनने के लिए देश के किसी भी नागरिक को नहीं रोका जा सकता है। हालांकि संसद इसके लिए कुछ सामान्य शर्तें मौलिक विश्लेषण क्या है निर्धारित कर सकती है।

भारतीय संविधान भारत के नागरिकों के लिए एकल नागरिकता निर्धारित करता है। इसका अर्थ यह है कि भारत का नागरिक सिर्फ भारत का ही नागरिक होता है, वह किसी भी अन्य देश का नागरिक नहीं हो सकता है। यदि कोई भारतीय नागरिक किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण करता है, तो जिस समय वह अन्य देश की नागरिकता ग्रहण करता है, ठीक उसी समय से वह भारत का नागरिक नहीं रहता है। इसके अलावा, एकल नागरिकता का एक अर्थ यह भी है कि भारत का नागरिक सिर्फ भारत का ही नागरिक होता है, वह किसी प्रांत का नागरिक नहीं होता है। यानी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही स्तर पर भारत में एकल नागरिकता को स्वीकार किया गया है।

भारतीय संविधान – संसदीय व्यवस्था

भारतीय संविधान में शासन की संसदीय प्रणाली को स्वीकार किया गया है। इसका अर्थ है कि भारत में मंत्रिपरिषद विधानमंडल के प्रति उत्तरदाई होती है। इसके अलावा, सरकार तब तक ही अपना अस्तित्व बनाए रखती है, जब तक वह लोकसभा में अपना बहुमत रखती है। जिस क्षण सरकार लोकसभा में बहुमत खो देती मौलिक विश्लेषण क्या है है, उसी क्षण सरकार अपना अस्तित्व खो देती है। यानी सरकार को अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए लोकसभा में साधारण बहुमत की आवश्यकता होती है और किसी असमंजस की स्थिति में मौलिक विश्लेषण क्या है विपक्ष के द्वारा सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। यदि अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो सरकार को अनिवार्य रूप से इस्तीफा देना होता है।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना में घोषित किया गया है कि भारत एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न राज्य होगा। इसका अर्थ है कि भारत की सरकार किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव के अंतर्गत कार्य नहीं करेगी। भारत की सरकार भारत के हित से संबंधित निर्णय लेने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र होगी। कोई भी अंतरराष्ट्रीय संस्था या संगठन या अन्य देश की सरकार भारत पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं बना सकते हैं।

जबरन मतांतरण रोकने देशव्यापी कानून बनाने की जरूरत : नरेश बंसल

by उत्तराखंड ब्यूरो

राज्यसभा सांसद नरेश बंसल

राज्यसभा सांसद नरेश बंसल

राज्यसभा में सांसद नरेश बंसल ने जबरन मतांतरण का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है और फिलहाल देश में जबरन मतांतरण रोकने के लिए कोई कानून नहीं है, इसलिए देशव्यापी कानून बनाने के लिए आवश्यकता है।

सांसद नरेश बंसल ने कहा कि लालच, धोखा या बलपूर्वक किया जाने वाला मतांतरण खतरनाक और बहुत ही गंभीर मुद्दा है। इस प्रकार का मतांतरण नहीं रोका गया तो जटिल स्थिति पैदा हो सकती है। बंसल ने कहा कि जबरन मतांतरण राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ ही यह नागरिकों के धर्म और अंतरात्मा की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के लिए खतरा बन सकता है। अगर इन पर रोक नहीं लगाई गई तो जल्द ही भारत में हिंदू अल्पसंख्यक हो जाएंगे।

SSC CHSL| GD Quiz : General Awareness | 21-12-2022

As SSC CHSL| G D notification is out and candidates have started their preparation for this exam. Mahendras also has started special quizzes for this examination. This series of quizzes are based on the latest pattern of the SSC CHSL| GD examination. Regular practice of the questions included in the quizzes will boost up your preparations and it will be very helpful in scoring good marks in the examination.

Q.1 Right to move freely throughout the territory of India is a Fundamental Right under, of the Constitution of India.

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कल (अगले दिन) का राशिफल

कल का राशिफल

कल एक और दिन है। यह उम्मीद का एक मजबूत बयान है। विश्वास मानवीय भावना के लिए मौलिक है। अगर आज का दिन अच्छा न हो, तो कल की बात कुछ और हो सकता है। मनुष्य का स्वाभाव ही कुछ ऐसा है कि अगर उसे ज्योतिष शास्त्र में विश्वास है, तो वह आने वाले दिन पर उम्मीद रखता है। वह काफी जिज्ञासु होता है कि उसका आने वाला दिन कैसे होगा। इसके अलावा, ज्योतिषशास्त्र कल के लिए ऐसी आकांक्षाओं को बनाए रखने में अपना योगदान प्रदान करता है।

ज्योतिष शास्त्र

ज्योतिष शास्त्र हमारे देश के धरम और संस्कार का एक बहुत बड़ा अंश है। प्राचीन काल से हमारे पूर्वजों ने, उनके गहन ज्ञान और विश्लेषण के माध्यम से महसूस किये है कि नक्षत्रों और ग्रहों जैसे खगोलीय वस्तुओं ने, लोगों के जीवन पर एक मजबूत प्रभाव डाला हैं। उनका तीव्र अध्ययन करके किसी व्यक्ति के बारे में लगभग सब कुछ प्रकट कर सकते हैं जिसमें उनका तीत वर्तमान और भविष्य भी शामिल हैं।

इस अध्ययन को वैदिक ज्योतिष या सिर्फ ज्योतिष कहा जाता है।

कुंडली, जन्मकुंडली या जन्मपत्रिका क्या है?

आपके जन्म समय और जन्म तिथि के समय आकाश में उपस्थित ग्रहों और नक्षत्रों का संयोजन और स्थिति एक विशेष चक्र के रुप में करना कुंडली चक्र या लग्न चक्र कहलाता है। कुंडली एक कर्म नक्षा है जो किसी व्यक्ति के लिए विशिष्ट है, और इसका अध्ययन जीवन के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे शिक्षा, पेशे, प्रेम, विवाह, संतान, स्वास्थ्य, आय, वित्तीय स्थिति, रिश्तें, किसी भी अमूल्य जानकारी दीर्घायु और मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है। इस प्रकार यह कुंडली है जिसे ज्योतिष के संपूर्ण सरगम का आधार कहा जा सकता है।

ज्योतिषीय प्रणाली में 12 राशियाँ हैं, और एक कुंडली इन 12 राशियों को 12 घरों के रूप में इंगित करती है, जहाँ इनमें से प्रत्येक घर अपना विशिष्ट महत्व रखता है। मौलिक विश्लेषण क्या है 12 राशियाँ मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन हैं। विभिन्न ग्रह और नक्षत्र इन घरों में रहते हैं और एक व्यक्ति के जीवनकाल तक ये गुजरते हैं।

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