जैसे अगर रामू ने श्यामू को 100 बिटकॉइन भेजे तो यह ब्लॉकचेन के तहत ग्लोबल बहीखाते में रिकॉर्ड हो जाएगा। उसके बाद रामू और श्यामू चाहे कितनी भी कोशिश कर लें उसका डुप्लीकेट नहीं बना सकते हैं। क्योंकि रिकार्डेड इंट्री का मिलान किया जाएगा और क्रॉस चेक होने पर उसका बाद में इस्तेमाल नहीं हो पाएगा।

क्रिप्टोकरेंसी का दुनिया के बाजार में चलता है सिक्का, जानें इसके बारे में सबकुछ

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल करेंसी है। इसे यह नाम इसलिए मिला क्योंकि इसके सुरक्षित ट्रांजेक्शन्स के लिए इनक्रिप्शन का इस्तेमाल होता है। इसका अर्थ है कि क्रिप्टोकरेंसी के डाटा को ट्रांसमिट करने और वालेट में स्टोर करने के लिए एक बहुत ही एडवांस कोडिंग का इस्तेमाल होता।

भुगतान का तरीका
क्रिप्टकरेंसी असल में एक डिजिटल पेमेंट सिस्टम है। मगर इस सिस्टम में अन्य डिजिटल माध्यमों की तरह ट्रांजेक्शन के लिए किसी बैंक की अनुमति की जरूरत नहीं होती। यह पीयर-टू-पीयर नेटवर्क सिस्टम से संचालित होती है और कोई भी कहीं से इसे भेज सकता है और प्राप्त कर सकता Cryptocurrency क्या है और यह कैसे काम करती है है।

क्या है पीयर-टू-पीयर सिस्टम
पीयर-टू-पीयर सिस्टम में कोई अपना एक सर्वर नहीं होता। सभी कंप्यूटर नेटवर्क से जुड़े होते हैं।
कहां रखी जाती है डिजिटल करेंसी डिजिटल करेंसी अपके डिजिटल वालेट में रहती है। जब कोई अपना डिजिटल करेंसी फंड ट्रांसफर करता है तो यह पब्लिक लेजर में दर्ज होता है।

कैसे काम करती है यह
क्रिप्टोकरेंसी एक पब्लिक लेजर जिसे ब्लॉकचेन कहते हैं के जरिए चलती है। इसमें करेंसी का सारा ट्रांजेक्शन अपडेट होता है और यह करेंसी होल्डर के पास रहता है।

कैसे बनती है
क्रिप्टोकरेंसी बनाने की प्रक्रिया माइनिंग कहलता है इसमें कंप्यूटर की जटिल गणितीय समस्याओं को सुलझाने की क्षमता का इस्तेमाल सिक्के का डिजिटल रूप बनाने के लिए किया जाता है।

कहां से मिलती हैै
क्रिप्टोकरेंसी को ब्रोकर्स से खरीदा जाता है और इसे क्रिप्टोग्राफिक वालेट में रखा जाता है और वहीं से खर्च किया जा सकता है।

क्या खरीद सकते हैं
बिटकॉइन को जब लांच किया गया था तो यह सोचकर किया गया था कि यह दैनिक मार्केटिंग के लिए होगी और इससे एक कप कॉफी से लेकर कंप्यूटर और टिकट तक खरीदे जा सकें। मगर जल्द ही इसकी मांग बढ़ी और इसके दाम काफी ऊंचे हो गए। अब ये बड़े भुगतान में इस्तेमाल होती है।

उपलब्ध क्रिप्टोकरेंसियां
बिटकॉइन: पहली क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन है। इसे 2009 में बनाया गया। इसके प्रति लोगों ने खूब रुचि दिखाई और इसकी कीमत आसमान छूने लगी।

इथेरियम: ईथर या इथेरियम Cryptocurrency क्या है और यह कैसे काम करती है नाम से प्रचल्लित इस क्रिप्टोकरेंसी को 2015 में विकसित किया गया। बिटकॉइन के बाद यह दूसरी सबसे प्रसिद्ध क्रिप्टोकरेंसी है।

लाइटकॉइन: इसे बिटकॉइन की तर्ज पर ही विकसित किया गया है मगर आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल की बजे से इसे ज्यादा तेजी से ट्रांसफर किया जा सकता है।

रिपल: यह डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर सिस्टम है, जिसे 2012 में बनाया गया था। यह असल में यह केवल क्रिप्टोकरेंसी ही नहीं है, बल्कि एक यह विभिन्न तरह के ट्रांजेक्शन को ट्रेक करने वाला सिस्टम है। इसके पीछे जो कंपनी है, वह विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के लिए काम करती है।

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Cryptocurrency क्या है और यह कैसे काम करती है

क्रिप्टो करेंसी क्या है? यह कैसे काम करती है? Cryptocurrency in hindi

क्रिप्टो करेंसी क्या है?

इस तेज़ी से आगे बढ़ते डिजिटल संसार में पैसों नें भी डिजिटल रूप ले लिया है, इस आभासी डिजिटल मुद्रा को ही क्रिप्टो करेंसी कहा जाता है। जैसे की “बिट कॉइन”, इसका नाम आपने बहुत बार सुना होगा। आजकल क्रिप्टो करेंसी एक ऐसा विषय बन गया है जिसके बारे में सुना तो हर किसी ने है लेकिन ये डिजिटल मुद्रा क्या है ? कैसे काम करती है ? इसके लाभ क्या क्या होते हैं ? इस से हम कैसे कमाई कर सकते हैं ? ऐसे सवाल आपके मन में भी आते होंगे।

क्रिप्टो करेंसी क्या है?

तो चलिए आज जानते हैं क्रिप्टो करेंसी के बारे में, क्रिप्टो करेंसी एक आभासी यानी वर्चुवल मुद्रा है जिसे सबसे पहले वर्ष 2009 में लाया गया था और सबसे पहली क्रिप्टो करेंसी बिट कॉइन ही थी जो अबतक की सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और सबसे Cryptocurrency क्या है और यह कैसे काम करती है महंगी कॉइन है।

क्रिप्टो करेंसी ऐसी मुद्रा नहीं है जिसका लेनदेन सामान्य रूप से हाथो से किया जा सके और न ही हम इसे किसी पर्स या जेब में रख सकते हैं। यह आपके डिजिटल वॉलेट में रखी जाती है। आपको यह तो पता होगा कि प्रत्येक देश की करेंसी जैसे रुपया, डॉलर, यूरो, दिरहम इत्यादि पर उस देश की सरकार का पूरा नियंत्रण रहता है।

जैसे कि

नए नोट कब छापे जायेंगे ?

उनकी मात्रा कितनी होगी ?

मार्केट में कितने नोट होंगे ?

कितने कितने मूल्य के नोट होंगे ?

यह सब उस देश की सरकार तय करती है। कुछ साल पहले अपने देश में इसका ताज़ा उदाहरण हम सभी को देखने को मिला था, जब एक ही रात में 1000 और 500 के नोट को बंद कर दिया गया था। भारतीय मुद्रा के सरकार के नियंत्रण में होने पर ही यह निर्णय सरकार द्वारा लिया गया था।

क्रिप्टो करेंसी का मामला इसके एकदम उलट है, क्रिप्टो करेंसी पर किसी भी देश, बैंक या एजेंसी का नियंत्रण नहीं होता। यानी क्रिप्टो करेंसी पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम को फॉलो नहीं करता है बल्कि यह एक कंप्यूटर वालेट से दुसरे कंप्यूटर वॉलेट तक ट्रान्सफर होता रहता है।

क्रिप्टो करेंसी का किसी के नियंत्रण में न होने पर सवाल यह उठता है कि कोई भी व्यक्ति बहुत सारी क्रिप्टोकरेंसी जारी कर सकता है। फेक क्रिप्टो करेंसी जारी कर सकता है। जैसे अगर रिज़र्व बैंक के सिवाय सबको नोट छापने की इजाजत दे दी जायेगी तो फर्जी नोटों की बाढ़ आ जाएगी। इसके जवाब में क्रिप्टो करेंसी के मॉडल में ब्लॉकचेन मॉडल अपनाया जाता है। ब्लॉकचेन मॉडल यानी एक तरह का ग्लोबल बहीखाता।

ब्लॉकचेन क्या है?

यह एक तरह से खाते की ऐसी किताब जिसे पूरी दुनिया में डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल करने वाले अपनाते हैं। जिसमें हर एक क्रिप्टो करेंसी का रिकॉर्ड रखा जाता है।

यानी जब किसी को क्रिप्टोकरेंसी के तौर पर एक बिटकॉइन किसी को भेजा जाता है तो इसका मतलब है कि ग्लोबल बहीखाते में इसका रिकॉर्ड रखा जा रहा है।

जैसे अगर रामू ने श्यामू को 100 बिटकॉइन भेजे तो यह ब्लॉकचेन के तहत ग्लोबल बहीखाते में रिकॉर्ड हो जाएगा। उसके बाद रामू और श्यामू चाहे कितनी भी कोशिश कर लें उसका डुप्लीकेट नहीं बना सकते हैं। क्योंकि रिकार्डेड इंट्री का मिलान किया जाएगा और क्रॉस चेक होने पर उसका बाद में इस्तेमाल नहीं हो पाएगा।

क्रिप्टो करेंसी के फायदे :

  • क्रिप्टो करेंसी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें धोखाधड़ी के चांस बहुत कम होते है।
  • क्रिप्टो करेंसी decentralized होते है इसलिए यूजर इसका मालिक होता है ना कि बैंक या सरकार
  • इसका इस्तेमाल करना बहुत ही आसान होता है किसी भी लेन-देन के लिए, हमें बस smart device जैसे smartphone और internet connection की जरुरत पड़ती है और तुरंत हम online भुकतान कर सकते है।
  • दुसरे payment option के मुकाबले इसमें transaction fees बहुत कम होती है।
  • और सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि आज के समय में लोग क्रिप्टो करेंसी में निवेश करके लाखों रूपये कमा रहे हैं।

अगले ब्लॉग में हम आपको बतायेंगे कि क्रिप्टो करेंसी में किस तरीके से निवेश करके लाखों रूपये आसानी से कमाए जा सकते हैं।

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क्रिप्टोकरेंसी क्या है और यह कैसे काम करती है

जहाँ पुराने समय में वस्तु के बदले (Cryptocurrency kya hai) वस्तु का आदान-प्रदान हुआ करता था तो वही एक समय के बाद Cryptocurrency क्या है और यह कैसे काम करती है यह सिक्को या सोने के रूप में होने (Cryptocurrency kya hoti hai) लगा। आधुनिक समय में इसकी जगह कागज पर छपे नोट व सिक्को ने ले ली लेकिन जब से इंटरनेट आया है तब से हर चीज़ में बदलाव देखने को मिल रहा हैं।

अब हम कैश की जगह ऑनलाइन लेनदेन को ज्यादा महत्ता देने लगे हैं जिसे डिजिटल करेंसी कहा जाता हैं। इसी में अब नाम जुड़ गया हैं क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency ke bare mein bataen) का जो कि बहुत तेजी से बढ़ रही हैं। आजकल Cryptocurrency क्या है और यह कैसे काम करती है क्रिप्टो करेंसी का बाजार बहुत बड़ा बाजार बन गया हैं जिसमे लोग निवेश भी करने लगे हैं। इसलिए आज हम आपके साथ क्रिप्टोकरेंसी के बारे में सबकुछ शेयर करेंगे।

क्रिप्टोकरेंसी क्या है (Cryptocurrency kya hai)

क्रिप्टोकरेंसी एक तरह की डिजिटल करेंसी ही होती हैं जिसे ना तो छुआ जा सकता हैं और ना ही कैश में रखा जा सकता हैं। जिस तरह हमारे पैसे बैंक में पड़े होते हैं या हमारी सैलरी बैंक अकाउंट में आती हैं और उसे हम छू नही सकते लेकिन उनसे ऑनलाइन चीज़े खरीद सकते हैं या बिल जमा करवा सकते हैं ठीक उसी तरह क्रिप्टोकरेंसी भी डिजिटल करेंसी ही होती हैं लेकिन यह अन्य डिजिटल करेंसी से अलग होती हैं।

इसका आपके बैंक खाते इत्यादि से कोई लेनादेना नही हैं। उदाहरण के तौर पर जिस तरह आपका पेटीएम, अमेज़न इत्यादि के वॉलेट होते हैं और उन पर आपका बैंक से इतर अलग पैसा होता हैं ठीक उसी तरह क्रिप्टोकरेंसी भी अलग होती हैं। इसे विस्तार से आगे समझिए।

क्रिप्टोकरेंसी का मतलब (Cryptocurrency meaning in Hindi)

यह दो शब्दों के मेल से बना हैं, एक तो क्रिप्टो व दूसरा करेंसी। इसमें क्रिप्टो शब्द लैटिन भाषा से लिया गया हैं जिसका अर्थ होता हैं छुपा हुआ या गुप्त और करेंसी का अर्थ हुआ धन। अर्थात जो धन गुप्त हो या दूसरों से छुपा हुआ हो उसे क्रिप्टो करेंसी कहा जाएगा।

यह धन सार्वजनिक नही होता हैं और ना ही हम इसे कैश के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इस कारण इसे क्रिप्टो करेंसी नाम दिया गया हैं जिसका अर्थ हुआ दूसरों की नज़र से छुपाया गया धन या गुप्त धन।

क्रिप्टो करेंसी अलग कैसे है (Cryptocurrency kaise banti hai)

दरअसल विश्व के हर देश की अपनी मुद्रा होती हैं जिसे वहां की सरकार के द्वारा मान्यता प्राप्त होती हैं। इस मुद्रा का कुछ मूल्य होता हैं जिससे हम वस्तुएं खरीद सकते हैं या कोई सेवा ले सकते हैं। जिस प्रकार भारत की मुद्रा रूपया हैं तो अमेरिका की डॉलर और रूस की रूबल इत्यादि। इन सभी मुद्राओं का हर देशों की अर्थव्यवस्था के अनुसार कुछ मूल्य होता हैं जैसे कि आप 100 रुपए में फल, सब्जी इत्यादि खरीदते हैं इत्यादि।

ठीक उसी प्रकार क्रिप्टो करेंसी होती हैं लेकिन यह किसी देश की ना होकर पूरे विश्व की होती हैं। एक तरह से इस पर किसी एक देश का एकाधिकार नही होता है और ना ही यह किसी सरकार के द्वारा रेगुलेट की जाती हैं। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि क्रिप्टो करेंसी का मूल्य जो भारत में हैं वही रूस में होगा।

क्रिप्टो करेंसी कैसे काम करती है (Cryptocurrency kaise kaam karti hai)

जैसा की हमने आपको ऊपर ही बताया कि इसे किसी देश या वहां की सरकारों के द्वारा नियंत्रित नही किया जाता है। क्रिप्टो करेंसी को डीसेंट्रलाइज्ड सिस्टम के द्वारा नियंत्रित किया जाता हैं व इसको संभाला जाता है। यह एक तरह की डिजिटल प्रणाली होती है जो अंकों पर निर्भर करती हैं।

इसे ब्लॉकचैन सॉफ्टवेर के द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता हैं अर्थात इस सॉफ्टवेर की सहायता से आप क्रिप्टो करेंसी को खरीद या बेच सकते हैं। इसमें आपके डिजिटल सिग्नेचर लिए जाएंगे और उसी के द्वारा आपकी क्रिप्टो करेंसी पर आगे की कार्यवाही की जाएगी। यह पूरी तरह से एन्क्रिप्टेड होती हैं और इसके कोड को कॉपी नही किया जा सकता हैं।

क्रिप्टो करेंसी को बड़े-बड़े और पावरफुल सॉफ्टवेर की मदद से संभाला जाता हैं ताकि इसमें किसी तरह की भी धोखाधड़ी ना हो सके। इसके कोड को भी किसी भी तरह से कॉपी नही किया जा सकता हैं और ना ही इसमें सेंधमारी की जा सकती हैं।

क्रिप्टो करेंसी में निवेश कैसे करें (Cryptocurrency kaise kharide)

यदि आप भी क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने के इच्छुक हैं तो आपको ब्लॉकचैन सॉफ्टवेर की मदद से इसे इस्तेमाल करना होगा। इसके लिए कई तरह की ऐप्स व वेबसाइट भी उपलब्ध हैं जहाँ पर आप क्रिप्टोकरेंसी को खरीद या बेच सकते हैं। इसे एक तरह से क्रिप्टो माइनिंग कहा जाएगा।

क्रिप्टो करेंसी को क्रिप्टोग्राफी के द्वारा ब्लॉक चैन सॉफ्टवेर की मदद से तैयार किया जाता हैं जहाँ पर हर उस व्यक्ति का डेटाबेस और लेनदेन का लेखा जोगा रखा जाता हैं जो इसमें निवेश कर रहा हैं या फिर कोई चीज़ खरीद या बेच रहा हैं। इसके द्वारा आप जो भी लेनदेन करेंगे तो वह सब जानकारी ब्लॉकचैन सॉफ्टवेर के माध्यम से क्रिप्टोग्राफी में दर्ज कर दी जाएगी।

कितनी तरह की होती हैं क्रिप्टो करेंसी (Cryptocurrency kaun kaun si hai)

आपने विश्व प्रसिद्ध क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन का नाम तो अवश्य ही सुना होगा। दरअसल जब बिटकॉइन लांच हुआ था तब इसका मूल्य भारतीय मुद्रा में 75 पैसा थे लेकिन देखते ही देखते इसकी कीमत आसमान छूने लगी। कुछ समय पहले एक बिटकॉइन का मूल्य 45 लाख तक पहुँच गया था।

वैसे ही बिटकॉइन के अलावा कई तरह की क्रिप्टोकरेंसी उपलब्ध हैं। एक अनुमान के अनुसार अभी लगभग 1800 तरह की अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी उपलब्ध हैं जिनमे आप निवेश कर सकते हैं। इनका मूल्य प्रतिदिन शेयर बाजार की भांति ही घटता व बढ़ता रहता हैं। यही कारण हैं कि आजकल लोग शेयर बाजार के साथ-साथ क्रिप्टो करेंसी में भी अपना भविष्य आजमाने लगे हैं।

क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य (Cryptocurrency ka bhavishya)

क्रिप्टो करेंसी में बढ़ते निवेश के कारण विश्व की कई सरकारे हिल गयी थी और उन्होंने अपनी मुद्रा का अवमूल्यन रोकने के लिए इसे बैन तक कर दिया था लेकिन इसकी बढ़ती लोकप्रियता और लोगों के बढ़ते विश्वास के कारण कई सरकारों ने इस पर से बैन को फिर से हटा दिया हैं।

अब तो विश्व की कई सरकारे अपनी अलग क्रिप्टो करेंसी लाने की तैयारी तक कर चुकी हैं। भारत सरकार ने भी इसके लिए घोषणा कर दी हैं। एक तरह से देखा जाए तो भविष्य में क्रिप्टो करेंसी हर किसी के लिए लाभदायक ही रहने वाली हैं और एक दिन इसे हर जगह मान्यता भी मिल जाएगी।

Blockchain Technology explainer: क्या है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी जिस पर चलेगी देश की डिजिटल करेंसी

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने अगले वित्त वर्ष में देश में डिजिटल करेंसी (Digital Currency) लाने की बात कही है। यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (blockchain technology) पर आधारित होगी। जानिए क्या होती है यह टेक्नोलॉजी और कैसे काम करती है..

Blockchain Technology

आरबीआई की डिजिटल करेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी।

  1. सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी क्या है?
    यह आरबीआई की अपनी तरह की पहली वर्चुअल करेंसी होगी जो हार्ड कैश की जगह लेगी। सरकार ने ऐसे वक्त में डिजिटल रुपये को जारी करने का ऐलान किया है जब मार्केट में बिटकॉइन समेत कई प्राइवेट वर्चुअल करेंसी मौजूद हैं। CBDC एक लीगल टेंडर होगी। इसके पीछे देश के केंद्रीय बैंक का बैकअप होगा। यह आम मुद्रा की तरह ही होगी, लेकिन डिजिटल फॉर्मेट में होगी। सरल शब्दों में कहें तो डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल हम अपने सामान्य रुपये-पैसे के रूप में कर सकेंगे, बस रुपये-पैसे डिजिटल फॉर्म में होंगे।
  2. क्या हैं ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी?
    ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी एक प्लेटफॉर्म हैं जहां ना सिर्फ डिजिटल करेंसी बल्कि किसी भी चीज को डिजिटल बनाकर उसका रेकॉर्ड रखा जा सकता है। आसान भाषा में कहें तो ब्लॉकचैन एक डिजिटल बहीखाता हैं। जो भी ट्रांजैक्शन इस पर होता है, वो चेन में जुड़े हर कंप्यूटर पर दिखाई देता है। इसे क्रिप्टोकरेंसीज का बैकबोन कहा जाता है। लेकिन इसका इस्तेमाल सिर्फ क्रिप्टोकरेंसीज में ही नहीं बल्कि कई और भी क्षेत्रों में भी होता है। यह एक सुरक्षित और डीसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी है जिसे हैक कर पाना लगभग नामुमकिन है।
  3. ब्लॉकचेन कैसे काम करती है?
    ब्लॉकचेन डिजिटल जानकारी को रेकॉर्ड और डिस्ट्रीब्यूट करने की अनुमति देती है। ब्लॉकचेन लेनदेन का एक ऐसा रेकॉर्ड है जिसे बदला, हटाया या नष्ट नहीं किया जा सकता है। ब्लॉकचेन को डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (डीएलटी) के रूप में भी जाना जाता है। ब्लॉकचेन पहली बार 1991 में एक रिसर्च प्रोजेक्ट के रूप में आया था लेकिन वर्ष 2009 में में बिटकॉइन में इसका इस्तेमाल किया गया। अब इसे क्रिप्टोकरेंसीज के साथ कई दूसरे कामों में भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
  4. डेटाबेस से यह कैसे अलग है?
    ब्लॉकचेन और डेटाबेस में काफी समानता है। डेटाबेस किसी भी सिस्टम के इन्फॉर्मेशन का कलेक्शन होता है। ब्लॉकचेन भी डेटाबेस जैसा ही होता है। लेकिन यह कई कैटेगरीज के तहत जानकारी इकट्ठा रखता है। इन ग्रुप्स को ब्लॉक कहते हैं। ये ब्लॉक कई दूसरे ब्लॉक से जुड़े होते हैं, जो डेटा का एक चेन बनाते हैं। इसीलिए इस सिस्टम को ब्लॉकचेन कहते हैं। सामान्य डेटाबेस के उलट ब्लॉकचेन में कोई एक अथॉरिटी कंट्रोल नहीं Cryptocurrency क्या है और यह कैसे काम करती है होती है। इसके पीछे सोच यह थी कि इसे यूजर ही चलाएंगे।
  5. ब्लॉकचेन नाम कैसे पड़ा?
    ब्लॉकचेन दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला ब्लॉक (Block) और दूसरा चेन (Chain)। ब्लॉक का मतलब ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में बहुत सारे डेटा ब्लॉक से है। मतलब इन ब्लॉक्स में की डेटा रखा जाता है। अलग-अलग बॉक्स में करेंसी यानी डेटा होते हैं, और ये एक-दूसरे जुड़े होते हैं। डेटा की एक लंबी चैन बनते जाती है। जैसे ही नया डेटा आता है, उसे एक नए ब्लॉक में दर्ज किया जाता है। ब्लॉक के भरने पर इसे नए डेटा से जोड़ दिया जाता है। इसी तरह सारे ब्लॉक्स एक-दूसरे जुड़े रहते हैं।

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