अभी हालांकि बाजार रिकॉर्ड स्तर के करीब है पर महंगाई व वैश्विक बढ़त के परिदृश्य को लेकर चिंता और अमेरिकी फेडरल की तरफ से ब्याज बढ़ोतरी ने इक्विटी के लिए अनिश्चितता का माहौल बना दिया है। विशेषज्ञों ने कहा कि इस पृष्ठभूमि में दवा कंपनियों के शेयरों को लाभ हो सकता है क्योंकि मूल्यांकन पर सहजता है।
निफ्टी फार्मा इंडेक्स में चार महीने की सबसे बड़ी उछाल
निफ्टी फार्मा इंडेक्स 3.1 फीसदी चढ़कर 12,750 अंक पर बंद हुआ, जो 20 मई के बाद की सबसे बड़ी बढ़ोतरी है और साल के दौरान एक दिन की तीसरी सबसे बड़ी बढ़त है। इसकी तुलना में निफ्टी-50 इंडेक्स 1 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ बंद हुआ। दो फर्मों को छोड़कर इंडेक्स में शामिल सबसे हालिया प्रवृत्ति के साथ व्यापार बाकी सभी कंपनियों में तेजी दर्ज हुई और सिप्ला व ल्यूपिन में सबसे ज्यादा क्रमश: 5.5 फीसदी व 4.7 फीसदी की उछाल आई।
दवा क्षेत्र को रक्षात्मक क्षेत्र के तौर पर देखा जाता है। अनिश्चितता के दौर में इनमें बाजार के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन की प्रवृत्ति होती है जबकि मंदी के दौर में इसका प्रदर्शन कमजोर रह सकता है। पिछले तीन महीने से ऐसा देखा गया क्योंकि जून के निचले स्तर के बाद निफ्टी में 18 फीसदी की उछाल आई जबकि निफ्टी फार्मा इंडेक्स महज 8 फीसदी चढ़ा।
इस साल अब तक के आधार पर फार्मा शेयरों ने बाजार के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया है। हालिया बढ़ोतरी के बाद भी निफ्टी फार्मा इंडेक्स इस सालअबप तक के आधार पर 10.4 फीसदी नीचे है जबकि निफ्टी में 2.7 फीसदी की उछाल आई है।
भारत में कृषि: भारतीय कृषि और इसके महत्व के बारे में जानकारी
भारत की लगभग 58% आबादी के लिए कृषि आजीविका का प्राथमिक स्रोत है। FY20 (PE) में, कृषि द्वारा GVA (सकल मूल्य वर्धित), मछली पकड़ने और वानिकी के साथ INR 19.48 लाख करोड़ (US $ 276.37 बिलियन) होने का अनुमान लगाया गया था। कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में GVA में वृद्धि उसी वर्ष 4% पर आ गई।
भारतीय खाद्य उद्योग बहुत बड़ी वृद्धि के लिए तैयार है और हर साल विश्व खाद्य व्यापार में मूल्यवर्धन की अपार संभावनाओं के कारण अपना योगदान बढ़ाता जा रहा है, विशेष रूप से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के अंदर। भारतीय खाद्य और किराने का बाजार दुनिया का छठा सबसे बड़ा हिस्सा है, जिसमें खुदरा बिक्री का 70% योगदान है। भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग देश के कुल खाद्य बाजार का 32% हिस्सा है, जो भारत में सबसे बड़े उद्योगों में से एक है और उत्पादन, खपत, निर्यात और अपेक्षित विकास के मामले में पांचवें स्थान पर है।
विस्तार
वैश्विक व्यापार वृद्धि 2022 के आखिरी महीनों और 2023 में धीमी पड़ने की संभावना है क्योंकि विश्व अर्थव्यवस्था मजबूत विपरीत परिस्थितियों से घिरी हुई है। विश्व व्यापार संगठन के माल व्यापार बैरोमीटर के आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं। वर्तमानद में गुड्स ट्रेड बैरोमीटर इंडेक्स रीडिंग 96.2 है।
गुड्स ट्रेड बैरोमीटर विश्व व्यापार के लिए एक समग्र प्रमुख संकेतक है, जो हाल के रुझानों के सापेक्ष व्यापार की वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करता है। 100 से अधिक मान अपट्रेंड यानी विस्तार का संकेत देते हैं जबकि 100 से कम मूल्य डाउनट्रेंड यानी कटौती का संकेत देते सबसे हालिया प्रवृत्ति के साथ व्यापार हैं।
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने सोमवार को कहा कि सूचकांक में गिरावट का श्रेय यूक्रेन में सबसे हालिया प्रवृत्ति के साथ व्यापार युद्ध, उच्च ऊर्जा कीमतों और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मौद्रिक तंगी को दिया जा सकता है। निर्यात ऑर्डर (91.7), एयर फ्रेट (93.3) और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स (91.0) का प्रतिनिधित्व करने वाले उप-सूचकांकों में नकारात्मक रीडिंग दिख रही है। साथ ही ये आंकड़े व्यापार जगत में सुस्ती और वैश्विक आयात में कमजोरी दर्शाते हैं।
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