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नेट ज़ीरो एनेर्जी ट्रांज़िशन ही ऊर्जा संकट का समाधान
पहली रिपोर्ट, ‘स्केलिंग इन्वेस्टमेंट इन रीन्यूएबल एनर्जी जेनरेशन टू अचीव सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स 7 (अफोर्डेबल एण्ड क्लीन एनर्जी) एण्ड 13 (क्लाइमेट एक्शन) एण्ड द पैरिस एग्रीमेंट : रोडब्लॉक्स एण्ड ड्राइवर्स, ससटेनेबल एनेर्जी क्षेत्र में निवेश में व्याप्त बाधाओं और निवेश बढ़ाने वाले कारकों पर रोशनी डालती है। साथ ही यह अंतर्राष्ट्रीय अनुभव से निकले समाधान भी पेश करती है।
यह इस बात को स्पष्ट करती है कि ससटेनेबल एनेर्जी में निवेश की राह में पैदा रुकावटों का हल निकालने और जीरो कार्बन वाली ऊर्जा सुरक्षा और समृद्धि हासिल करने के लिये राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को कहां पर फौरन केन्द्रित किया जाना चाहिये।
दूसरी रिपोर्ट, ‘द रोल ऑफ इन्वेस्टमेंट ट्रीटीज एण्ड इन्वेस्टर-स्टेट डिसप्यूट सेटलमेंट इन रीन्यूएबल एनर्जी इन्वेस्टमेंट्स’ दशकों के शोध की पुष्टि करता है कि निवेश समझौतों में कानूनी सुरक्षा का ससटेनेबल एनेर्जी में भी विदेशी निवेश प्रवाह को बढ़ावा देने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके अलावा, निवेश समझौते राज्यों के लिए और ससटेनेबल एनेर्जी में निवेश को प्रोत्साहित करने के व्यापक नीतिगत उद्देश्य के लिए असाधारण रूप से महंगी हो सकती हैं।
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति
विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (१९९९) अथवा संक्षेप में फेमा पूर्व में विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेरा) के प्रतिस्थापन के रूप में शुरू किया गया है । फेमा निवेश का उद्देश्य ०१ जून, २००० को अस्तित्व में आया । निवेश का उद्देश्य विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (१९९९) का मुख्य उद्देश्य बाहरी व्यापार तथा भुगतान को सरल बनाने के उद्देश्य तथा भारत में विदेशी मुद्रा बाजार निवेश का उद्देश्य के क्रमिक विकास तथा रखरखाव के संवर्धन के लिए विदेशी मुद्रा से संबंधित कानून को समेकित तथा संशोधन करना है । फेमा भारत के सभी भागों के लिए लागू है । यह अधिनियम भारत के बाहर की स्वामित्व वाली अथवा भारत के निवासी व्यक्ति के नियंत्रण वाली सभी शाखाओं, कार्यालयों तथा एजेन्सियों के लिए लागू है ।. और अधिक
निवेश का उद्देश्य
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भारत में विशेष आर्थिक क्षेत्र
कांडला में 1965 में एशिया के पहले ईपीजेड के खोले जाने के साथ, भारत निर्यात को बढावा देने में निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र (ईपीजेड) मॉडल की प्रभावोत्पादकता स्वीकार करने वाले पहले देशों में एक था । नियंत्रणों एवं मंजूरियों की विविधता; विश्व स्तरीय अवसरंचना का अभाव; और एक अस्थिर वित्तीय व्यवस्था के कारण सामने आने वाली दिक्कतों का सामना करने तथा भारत में अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए, अप्रैल 2000 में विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) नीति की घोषणा की गई ।
इस नीति का उद्देश्य केंद्र एवं राज्य दोनों ही स्तर पर न्यूनतम संभावित विनियमनों के साथ आकर्षक वित्तीय प्रोत्साहन तथा गुणवत्ता – पूर्ण अवसंरचना की सहायता से सेज को आर्थिक विकास का वाहक बनाना था । भारत में सेज 1.11.2000 से 09.02.2006 तक विदेश व्यापार नीति के प्रावधानों के तहत कार्यरत रहा और आवश्यक वैधानिक प्रावधानों के माध्यम से वित्तीय प्रोत्साहनों को प्रभावी बनाया गया ।
यूपी सरकार का पर्यटन क्षेत्र में 20,000 करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य, 10 लाख रोजगार पैदा करने का उद्देश्य
इसके लिए प्रमुख पर्यटन स्थलों के साथ कम ज्ञात पर्यटन स्थलों को संवारने और प्रदेश के पर्यटन क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए निजी निवेशकों को 40 करोड़ रुपए तक की छूट प्रदान करने का फैसला किया गया है।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 449