मुंबई: देश का विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया. यह गिरावट विदेशी मुद्रा आस्तियों में बढ़ोतरी के बावजूद आई है. भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों में इस बात की जानकारी दी गई है.
भारत का घटता विदेशी मुद्रा भंडार
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आ रही है। हालांकि विदेशी मुद्रा भंडार के स्वर्ण आरक्षित घटक में बढ़ोतरी देखने रणनीति विदेशी मुद्रा को मिली है, लेकिन विदेशी मुद्रा भण्डार के अन्य घटकों, जैसे- विशेष आहरण अधिकार (SDR), विदेशी परिसंपत्तियों और IMF के पास “रिज़र्व ट्रेंच” आदि में गिरावट दर्ज की गई है।
गिरावट का मुख्य कारण:
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में गिरावट की वजह से मुद्रा भंडार में कमी हुई है। विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुखभाग होती है।
क्या है विदेशी मुद्रा भंडार?
- विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सकें।
- यह भंडार एक या एक से अधिक मुद्राओं में रखे जाते हैं। ज्यादातर डॉलर और कुछ सीमा तक यूरो में विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल होता है।
- विदेशी मुद्रा भंडार को फॉरेक्स रिजर्व या एफएक्स रिजर्व भी कहा जाता है।
- पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।
- यह आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक मदद उपलब्ध कराता है।
- इसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति,स्वर्ण के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार के फायदे:
- मौद्रिक और विनिमय दर प्रबंधन हेतु निर्मित नीतियों के प्रति समर्थन और विश्वास बनाए रखना।
- संकट के समय या जब उधार लेने की क्षमता कमज़ोर हो जाती रणनीति विदेशी मुद्रा है, तो संकट के समाधान के लिये विदेशी मुद्रा तरलता को बनाए रखते हुए बाहरी प्रभाव को सीमित करता है।
- अच्छी विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश, विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों का विश्वास अर्जित करता है।
- इससे वैश्विक निवेशक, देश में और अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं।
- सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीदी का निर्णय भी ले सकती है, क्योंकि भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है।
- इसके अतिरिक्त विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार, प्रभावी भूमिका निभा सकता है।
विदेशी मुद्रा भण्डार में क्या क्या शामिल हैं?
- विदेशी परिसंपत्तियाँ (विदेशी कंपनियों के शेयर, डिबेंचर, बाण्ड इत्यादि विदेशी मुद्रा में)
- स्वर्ण भंडार
- IMF के पास रिज़र्व ट्रेंच
- विशेष आहरण अधिकार (SDR)
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (FCA)
- विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ वे हैं जिनका मूल्यांकन उस देश की अपनी मुद्रा के बजाय किसी अन्य देश की मुद्रा में किया जाता है।
- FCA,विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक है। इसे डॉलर के संदर्भ में व्यक्त किया जाता है।गैर-अमेरिकी मुद्रा जैसे- यूरो, पाउंड और येन की कीमतों में उतार-चढ़ाव को FCAमें शामिल किया जाता है।
स्वर्ण भंडार:
- केंद्रीय बैंकों के विदेशी भंडार में स्वर्ण एक विशेष स्थान रखता है, क्योंकि इसे मुख्य तौर पर विविधीकरण के उद्देश्य से आरक्षित किया जाता है।
- उच्च गुणवत्ता और तरलता के साथ स्वर्ण, अन्य पारंपरिक आरक्षित परिसंपत्तियों की तुलना में बेहद अनुकूल होता है, जो केंद्रीय बैंकों को मध्यम और दीर्घकाल में पूंजी संरक्षण, पोर्टफोलियो में विविधता लाने और जोखिमों को कम करने में मदद रणनीति विदेशी मुद्रा करता है।
- स्वर्ण ने अन्य वैकल्पिक वित्तीय परिसंपत्तियों की तुलना में लगातार बेहतर औसत रिटर्न दिया है।
IMF के पास रिज़र्व ट्रेंच
रिज़र्व ट्रेंच वह मुद्रा होती है जिसे प्रत्येक सदस्य देश द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) को प्रदान किया जाता है। यह एक तरह का आपातकालीन कोष होता है।
विदेशी मुद्रा भंडार 57.1 करोड़ डॉलर घटकर 563.5 अरब डॉलर पर
नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था के र्मोचे (economy front) पर सरकार को झटका लगने वाली खबर है। लगातार पांच हफ्ते बाद विदेशी मु्द्रा भंडार में गिरावट दर्ज हुई है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार (country’s foreign exchange reserves) 16 दिसंबर को समाप्त हफ्ते के दौरान 57.1 करोड़ डॉलर ($ 571 million decreased) घटकर 563.499 अरब डॉलर (रणनीति विदेशी मुद्रा $ 563.499 billion) रह गया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी है।
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आरबीआई के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश का विदेशी मुद्रा भंडार 16 दिसंबर को समाप्त हफ्ते में 57.1 करोड़ डॉलर घटकर 563.499 अरब डॉलर रह गया है। हालांकि, पिछले हफ्ते देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 2.91 अरब डॉलर की बढ़त के साथ 564.06 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार पांचवें हफ्ते तेजी दर्ज हुई थी।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा माने जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) भी 50 करोड़ डॉलर घटकर 499.624 अरब डॉलर रह गई है। इसी तरह स्वर्ण भंडार का मूल्य भी 15 करोड़ डॉलर घटकर 40.579 अरब डॉलर रह गया है। हालांकि, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 7.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.181 अरब डॉलर हो गया। इसी के साथ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में रखा देश का मुद्रा भंडार भी 40 लाख डॉलर बढ़कर 5.114 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
उल्लेखनीय है कि अक्टूबर, 2021 में विदेशी रणनीति विदेशी मुद्रा मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया था। वैश्विक घटनाक्रमों के बीच आरबीआईै ने रुपये की विनियम दर में तेज गिरावट को रोकने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग किया था, जिसकी वजह से बाद में इसमें गिरावट आई थी। (एजेंसी, हि.स.)
रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद विदेशी मुद्रा भंडार में 2.099 अरब डॉलर की गिरावट, Gold Reserve भी हुआ कम
Forex in India: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 13 अगस्त 2021 को खत्म हुए सप्ताह में 2.099 अरब डॉलर घटकर 619.365 अरब डॉलर र . अधिक पढ़ें
- पीटीआई
- Last Updated : August 20, 2021, 18:47 IST
मुंबई. रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद गत 13 अगस्त 2021 को खत्म हुए सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.099 अरब डॉलर घटकर 619.365 अरब डॉलर के स्तर पर आ गया. भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई (Reserve Bank of India) के शुक्रवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है. इससे पहले 6 अगस्त, 2021 को खत्म हुए सप्ताह में 88.9 करोड़ डॉलर बढ़कर 621.464 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया.
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े के मुताबिक, 30 जुलाई, 2021 को खत्म हुए सप्ताह में 9.427 अरब डॉलर बढ़कर 620.576 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था. 23 जुलाई को खत्म हुए सप्ताह में 1.581 अरब डॉलर घटकर 611.149 अरब डॉलर रह गया था.
1.358 अरब डॉलर घटी एफसीए
रिजर्व बैंक के साप्ताहिक आंकड़े के मुताबिक. रिपोर्टिंग वीक में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की वजह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां यानी एफसीए (Foreign Currency Assets) में आई कमी है जो समग्र भंडार का प्रमुख घटक है. इस दौरान एफसीए 1.358 अरब डॉलर घटकर 576.374 अरब डॉलर रह गया. डॉलर के लिहाज से बतायी जाने वाली एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखी यूरो, पाउंड और येन जैसी दूसरी विदेशी मुद्राओं के मूल्य में वृद्धि या कमी का प्रभाव भी शामिल होता है.
गोल्ड रिजर्व में 72 करोड़ डॉलर की गिरावट
आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान स्वर्ण भंडार 72 करोड़ डॉलर की वृद्धि के साथ 36.336 अरब डॉलर हो गया. वहीं, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास मौजूद एसडीआर यानी विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights) 70 लाख डॉलर घटकर 1.544 अरब डॉलर हो गया. रिजर्व बैंक ने बताया कि रिपोर्टिंग वीक के दौरान आईएमएफ के पास मौजूद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.4 करोड़ डॉलर से रणनीति विदेशी मुद्रा घटकर 5.111 अरब डॉलर हो गया.
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ब्लॉग: डॉलर के मुकाबले कमजोर होता रुपया पर दूसरी विदेशी मुद्राओं की तुलना में स्थिति अभी भी बेहतर
रुपया ब्रिटिश पाउंड, जापानी येन और यूरो जैसी कई विदेशी मुद्राओं की तुलना में मजबूत हुआ है. वहीं, यकीनन इस समय डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में गिरावट को रोकने के लिए और अधिक उपायों की जरूरत है.
कमजोर होते रुपए को संभालने की चुनौती (फाइल फोटो)
इस समय डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत निम्नतम स्तर पर पहुंचकर 80 रुपए के आसपास केंद्रित होने से मुश्किलों का सामना कर रही भारतीय अर्थव्यवस्था और असहनीय महंगाई से जूझ रहे आम आदमी के लिए चिंता का बड़ा कारण बन गई है. हाल ही में प्रकाशित कंटार के ग्लोबल इश्यू बैरोमीटर के अनुसार, रुपए की कीमत में गिरावट और तेज महंगाई के कारण कोई 76 फीसदी शहरी उपभोक्ता अपने जीवन की बड़ी योजनाओं को टालने या छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं. ईंधन, खाने-पीने के सामान की बढ़ती कीमतों के साथ-साथ बढ़ते पारिवारिक खर्चों के चलते, शहरी भारतीय उपभोक्ता अपने बचत खातों में कम पैसा बचा पा रहे हैं.
वस्तुतः डॉलर के मुकाबले रुपए के कमजोर होने का प्रमुख कारण बाजार में रुपए की तुलना में डॉलर की मांग बहुत ज्यादा हो जाना है. वर्ष 2022 की शुरुआत से ही संस्थागत विदेशी निवेशक (एफआईआई) बड़ी संख्या में भारतीय बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के द्वारा अमेरिका में ब्याज दरें बहुत तेजी से बढ़ाई जा रही हैं. साथ ही दुनिया में आर्थिक मंदी के कदम बढ़ रहे हैं.
ऐसे में भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने के इच्छुक निवेशक अमेरिका में अपने निवेश को ज्यादा लाभप्रद और सुरक्षित मानते हुए भारत की जगह अमेरिका में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं. ऐसे में डॉलर के सापेक्ष रुपए की मांग में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है और डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है.
गौरतलब है कि अभी भी दुनिया में डॉलर सबसे मजबूत मुद्रा है. दुनिया का करीब 85 फीसदी व्यापार डॉलर की मदद से होता है. साथ ही दुनिया के 39 फीसदी कर्ज डॉलर में दिए जाते हैं. इसके अलावा कुल डॉलर का करीब 65 फीसदी उपयोग अमेरिका के बाहर होता है. भारत अपनी क्रूड ऑइल की करीब 80-85 फीसदी जरूरतों के लिए व्यापक रूप से आयात पर निर्भर है.
रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर कच्चे तेल और अन्य कमोडिटीज की कीमतों में वृद्धि की वजह से भारत के द्वारा अधिक डॉलर खर्च करने पड़ रहे हैं. साथ ही देश में कोयला, उवर्रक, वनस्पति तेल, दवाई के कच्चे माल, केमिकल्स आदि का आयात लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में डॉलर की जरूरत और ज्यादा बढ़ गई है. स्थिति यह है कि भारत जितना निर्यात करता है, उससे अधिक वस्तुओं और सेवाओं का आयात करता है. इससे देश का व्यापार संतुलन लगातार प्रतिकूल होता जा रहा है.
नि:संदेह डॉलर की तुलना में भारतीय रुपया अत्यधिक कमजोर हुआ है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खुद लोकसभा में यह रणनीति विदेशी मुद्रा माना है कि दिसंबर 2014 से अब तक देश की मुद्रा 25 प्रतिशत तक गिर चुकी है. इस वर्ष 2022 में पिछले सात महीनों में ही रुपए में करीब सात फीसदी से अधिक की गिरावट आ चुकी है. फिर भी अन्य कई विदेशी मुद्राओं की तुलना में रुपए की स्थिति बेहतर है.
रुपया ब्रिटिश पाउंड, जापानी येन और यूरो जैसी कई विदेशी मुद्राओं की तुलना में मजबूत हुआ है. भारतीय रुपए की संतोषप्रद स्थिति का कारण भारत में राजनीतिक स्थिरता, भारत से बढ़ते हुए निर्यात, संतोषप्रद विकास दर, भरपूर खाद्यान्न भंडार और संतोषप्रद उपभोक्ता मांग भी है.
नि:संदेह कमजोर होते रुपए की स्थिति से सरकार और रिजर्व बैंक दोनों चिंतित हैं और इस चिंता को दूर करने के लिए यथोचित कदम भी उठा रहे हैं. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 22 जुलाई को कहा कि उभरते बाजारों और विकसित अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं की तुलना में रुपया अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है लेकिन फिर भी रिजर्व बैंक ने रुपए में तेज उतार-चढ़ाव और अस्थिरता को कम करने के लिए यथोचित कदम उठाए हैं और आरबीआई द्वारा उठाए गए ऐसे कदमों से रुपए की तेज गिरावट को थामने में मदद मिली है.
आरबीआई ने कहा है कि अब वह रुपए की विनिमय दर में तेज उतार-चढ़ाव की अनुमति नहीं देगा. आरबीआई का कहना है कि विदेशी मुद्रा भंडार का उपयुक्त उपयोग रुपए की गिरावट को थामने में किया जाएगा. 15 जुलाई रणनीति विदेशी मुद्रा को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 572.71 अरब डाॅलर रह गया है. अब आरबीआई ने विदेशों से विदेशी मुद्रा का प्रवाह देश की और बढ़ाने और रुपए में गिरावट को थामने, सरकारी बांड में विदेशी निवेश के मानदंड को उदार बनाने और कंपनियों के लिए विदेशी उधार सीमा में वृद्धि सहित कई उपायों की घोषणा की है.
यकीनन इस समय रुपए की कीमत में गिरावट को रोकने के लिए और अधिक उपायों की जरूरत है. इस समय डॉलर के खर्च में कमी और डॉलर की आवक बढ़ाने के रणनीतिक उपाय जरूरी हैं. अब रुपए में वैश्विक कारोबार बढ़ाने के मौके को मुट्ठियों में लेना होगा़.
हम उम्मीद करें कि सरकार द्वारा उठाए जा रहे नए रणनीतिक कदमों से जहां प्रवासी भारतीयों से अधिक विदेशी मुद्रा प्राप्त हो सकेंगी, वहीं उत्पाद निर्यात और सेवा निर्यात बढ़ने से भी अधिक विदेशी मुद्रा प्राप्त हो सकेगी और इन सबके कारण डॉलर की तुलना में एक बार फिर रुपया संतोषजनक स्थिति में पहुंचते हुए दिखाई दे सकेगा.
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी, व्यापार घाटा 43 महीने के उच्चतम स्तर पर, स्वर्ण भंडार भी घटा
विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया. जून 2018 में व्यापार घाटा नवंबर 2014 के बाद सबसे अधिक रहा है. The post भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी, व्यापार घाटा 43 महीने के उच्चतम स्तर पर, स्वर्ण भंडार भी घटा appeared first on The Wire - Hindi.
विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया. जून 2018 में व्यापार घाटा नवंबर 2014 के बाद सबसे अधिक रहा है.
मुंबई: देश का विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया. यह गिरावट विदेशी मुद्रा आस्तियों में बढ़ोतरी के बावजूद आई है. भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों में इस बात की जानकारी दी गई है.
इससे पहले के सप्ताहांत में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.76 अरब डॉलर घटकर 406.06 अरब डॉलर रह गया था.
इससे पूर्व विदेशी मुद्रा भंडार 13 अप्रैल 2018 को 426.028 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई को छू गया था. आठ सितंबर 2017 को मुद्रा भंडार पहली बार 400 अरब डॉलर के स्तर को लांघ गया था लेकिन उसके बाद से उसमें उतार-चढ़ाव बना रहा.
रिजर्व बैंक के आंकड़े दर्शाते हैं कि समीक्षाधीन सप्ताह में कुल मुद्राभंडार का महत्वपूर्ण हिस्सा, विदेशी मुद्रा आस्तियां 7.39 करोड़ डॉलर की मामूली वृद्धि के साथ 380.792 अरब डॉलर की हो गईंं.
डॉलर में अभिव्यक्त किये जाने वाले मुद्राभंडार में रखे गये विदेशी मुद्रा आस्तियां, यूरो, पॉंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की मूल्य वृद्धि अथवा उनके अवमूल्यन के प्रभावों को भी अभिव्यक्त करता है.
समीक्षाधीन सप्ताह में स्वर्ण भंडार 32.99 करोड़ डॉलर घटकर 21.039 अरब डॉलर रह गया.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में विशेष निकासी अधिकार 29 लाख डॉलर बढ़कर 1.489 अरब डॉलर हो गया.
केंद्रीय बैंक ने कहा कि आईएमएफ में देश का मुद्राभंडार भी 49 लाख डॉलर बढ़कर 2.489 अरब डॉलर का हो गया.
व्यापार घाटा 43 माह के उच्चस्तर पर
वहीं, देश का निर्यात कारोबार जून में 17.57 प्रतिशत बढ़कर 27.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया. पेट्रोलियम और रसायन जैसे क्षेत्रों रणनीति विदेशी मुद्रा के बेहतर प्रदर्शन की वजह से निर्यात में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है. हालांकि, कच्चे तेल का आयात महंगा होने से व्यापार घाटा 43 महीने के उच्च स्तर 16.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया.
वाणिज्य मंत्रालय के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन महीने में आयात भी 21.31 प्रतिशत बढ़कर 44.3 अरब डॉलर रहा.
जून, 2018 में व्यापार घाटा नवंबर, 2014 के बाद सबसे अधिक रहा है. उस समय व्यापार घाटा 16.86 अरब डॉलर रहा था. जून, 2017 में व्यापार घाटा 12.96 अरब डॉलर था.
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून की तिमाही में निर्यात 14.21 प्रतिशत बढ़कर 82.47 अरब डॉलर रहा है. पहली तिमाही में आयात 13.49 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 127.41 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इस दौरान व्यापार घाटा 44.94 अरब डॉलर रहा.
जून में पेट्रोलियम उत्पादों, रसायन, फार्मास्युटिकल्स, रत्न एवं आभूषण तथा इंजीनियरिंग क्षेत्रों की वजह से निर्यात में उल्लेखनीय इजाफा हुआ.
हालांकि, इस दौरान कपड़ा, चमड़ा, समुद्री उत्पाद, पॉल्ट्री, काजू, चावल और कॉफी के निर्यात में गिरावट आई.
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष गणेश गुप्ता ने बढ़ते व्यापार घाटे पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे चालू खाते का घाटा (कैड) प्रभावित होगा, जिससे राजकोषीय मोर्चे पर सरकार की परेशानी बढ़ेगी.
जून माह के दौरान कच्चे तेल का आयात 56.61 प्रतिशत बढ़कर 12.73 अरब डॉलर रहा.
वहीं, सोने का आयात तीन प्रतिशत घटकर 2.38 अरब डॉलर रह गया.
इसके बीच, भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार मई में सेवाओं का निर्यात 7.91 प्रतिशत घटकर 16.17 अरब डॉलर रह गया. माह के दौरान सेवाओं में व्यापार संतुलन 5.97 अरब डॉलर रहने का अनुमान है. मई में सेवाओं का आयात 10.21 अरब डॉलर रहा.
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